Index – Homeopathic Materia Medica
Homeopathic Materia Medica in Hindi Homeopathic Materia Medica in Hindi Allen Key Notes in Hindi
Homoeopathic Materia Medica – Elan Key Notes, होम्योपैथिक मैटिरिया मैडिका
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जिकम मेटालिकम | Zincum Metallicum मस्तिष्क एवं स्नायविक थकान से पीड़ित व्यक्ति; सदोष जीवनीशक्ति; मस्तिष्क अथवा स्नायुशक्ति की कमी; इतनी अधिक दुर्वलता रहती है कि दाना बाहर नहीं निकल पाता, अथवा ऋतुस्राव नियमित रूप से नहीं हो पाता, बलगम बाहर नहीं निकल पाता, मूत्र त्याग नहीं हो पाता, न कुछ समझ सकता न कुछ याद
वेराट्रम विराइड | Veratrum Viride रक्तप्रधान हृष्ट-पुष्ट व्यक्तियों के लिये। रक्तसंलयन विशेष रूप में मस्तिष्क-मूल, वक्ष, मेरुदण्ड एवं आमाशय सम्बन्धी । प्रदाह के साथ प्रचण्ड पीड़ा । तरुण आमवात, उच्च ज्वर, पूर्ण, कठोर, इत नाड़ी, सन्धियों तथा पेशियों में उग्र पीड़ा (ब्रायो, सेलीस-एसिड) अल्प, लाल मूत्र । बच्चा कांपता है, झटके खाता है, आक्षेप की
वेराट्रम एल्बम | Veratrum Album बच्चों और बूढों के लिए बुद्धावस्था; ऐसे लोग जो सदैव ठण्डक महसूस करते हैं और जिनमें जैवी ताप की अल्पता रहती है; स्नायविक रक्तप्रधान प्रकृति के युवक । ऐसे रोगों में उपयोगी, जिनमें प्राणभूत शक्तियों का द्रुत गति से ह्रास होता है; पूर्ण अवसन्नता निपात । माथे पर ठण्डा पसीना
वैलेरियाना | Valeriana अत्यधिक स्नायविक उत्तेजना; वातोन्मादी प्रकृति (इग्ने, पल्सा); ऐसे व्यक्ति जिनमें बौद्धिक गुणों की प्रधानता रहती है; परिवर्तनशील स्वभाव । लाल अंश श्वेत हो जाते हैं (फेरम) । इतना हल्कापन महसूस करता है जैसे हवा में तैर रहा हो (एसार, लेक- कैनी; जैसे टांगें हवा में तैर रही हों – स्टिक्टा) । समस्त
टुबर कुलीनम | Tuber Culinum हल्की मुखाकृति, नीले नेत्र, सांवली स्त्रियों की अपेक्षा सुनहले केशों वाली लम्बी दुबली-पतली संकरे वक्ष वाली स्त्रियों के लिये मानसिक रूप से सक्रिय एव कर्मठ किन्तु शारीरिक रूप से दुर्बल यक्ष्मा रोग प्रवण । जब यक्ष्मा रोग की पारिवारिक पृष्ठभूमि हो और सुनिर्वाचित औषधि आराम देने अथवा आरोग्यता प्रदान करने
ट्रिलियम पेण्डुलम | Trillium Pendulum रक्तस्राव – विपुल परिमाण में सक्रिय एवं निष्क्रिय दोनों रूपों में प्रायः चमकता हुआ लाल, नाक से फुफ्फुसों से, वृक्कों तथा जरायु से (इपिका, मिलिफो)। शरीर के तरल धातुओं में सड़ने की प्रवृत्ति । नकसीर – प्रचुर, निष्क्रिय, चमकता हुआ लाल रक्त । दन्तनिष्कर्षण के बाद गड्ढे से रक्तस्राव (हेमा,
थूजा आक्सिडेण्टेलिस | Thuja Occidentalis ग्रौवोल के उद्जनमय शारीरिक गठन (Hydrogenoid constitution) के लिए उपयोगी, जो प्रमेह विष से सम्बन्धित भी है और उसका कारण भी है। थूजा का हैनीमैन के उपदंश, जिसके अर्न्तगत अंजीरी मस्से, जननांगों पर प्रकट होने वाली गिल्टियां तथा श्लेष्म एवं चर्म तलों पर प्रकट होने वाले मस्सों जैसी गिल्टियाँ आती
थेरीडियन क्यूरेसेविकम | Theridion Curassavicum समय तेजी से बीतता प्रतीत होता है (अत्यधिक मन्दगति से – अर्जे- नाइ, कैना-इण्डि, नक्स-मौस्के) । भ्रमि – नेत्र बन्द करने पर (लैके, थूजा; नेत्र खोलने पर – टैबैक; ऊपर की ओर देखने से – पल्स, साइली) किसी प्रकार के, यहाँ तक कि हल्के से शोरगुल से भी कान या
टेरेक्सेकम | Taraxacum पाकाशय एवं पैत्तिक दौरों, विशेष रूप से पाकाशय की खराबी से होने वाले सिरदर्द के लिए । जिह्वा रेखांकित (लैके, मर्क्यू, नेट्र-म्यूरि) एक प्रकार के श्वेत परत से आवृत्त होने के साथ कच्चेपन की अनुभूति यह परत चकतों के रूप में उतरती है, और उन स्थानों पर गहरे लाल रंग के, दर्दनाक,