वेराट्रम एल्बम | Veratrum Album

वेराट्रम एल्बम | Veratrum Album

बच्चों और बूढों के लिए बुद्धावस्था; ऐसे लोग जो सदैव ठण्डक महसूस करते हैं और जिनमें जैवी ताप की अल्पता रहती है; स्नायविक रक्तप्रधान प्रकृति के युवक ।

ऐसे रोगों में उपयोगी, जिनमें प्राणभूत शक्तियों का द्रुत गति से ह्रास होता है; पूर्ण अवसन्नता निपात ।

माथे पर ठण्डा पसीना (सारे शरीर में – टैबाक); लगभग समस्त रोगावस्थाओं के साथ ।

अकेले रहना सहन नहीं कर सकता; फिर भी बातचीत बिल्कुल नहीं करना चाहता ।

सोचती है कि वह गर्भवती है या शीघ्र ही बच्चे को जन्म देगी।

उन्माद के साथ प्रत्येक वस्तु को काटने-फाड़ने की इच्छा, विशेष रूप से वस्त्रों को (टेरेण्टु); साथ ही कामुक अथवा इन्द्रियभोग के विषय में बातचीत करना, प्रेमासक्त अथवा धार्मिक विचारों से ओत-प्रोत (हायोसा, स्ट्रामो) ।

हल्का-सा परिश्रम करने से मूर्च्छा के दोरे (कार्यों-बेजि, सल्फ); अत्यधिक दुर्बलता ।

रक्तस्राव के दौरान मूच्छित होने जैसी अनुभूति (मूर्छा – ट्रिलि) ।

कपालशीर्ष पर बरफ का ढेला होने जैसी अनुभूति, साथ ही ठण्डक (सीपिया); एक ही समय खोपड़ी पर गर्मी और ठण्डक जैसे मस्तिष्क फट कर चूर-चूर हो गया हो ।

चेहरापीला, नीला, निपातमय मुखाकृति धंसी हुई, मुरझाई हुई; लेटे रहने पर लाल, उठकर पीला पड़ जाता है (ऐकोना) ।

प्यास – उग्र, न बुझने वाली, ठण्डे पानी की अत्यधिक मात्रा तथा अम्ल- पदार्थों की प्यास; प्रत्येक वस्तु ठण्डी चाहता है।

अम्ल-पदार्थों अथवा ताजगी प्रदान करने वाले पदार्थों के सेवन की भारी इच्छा (फास्फो-एसिड) |

बर्फ जैसी शीतलता – चेहरे की, नाक की नोंक की, पैरों की, टांगों की, भुजाओं तथा शरीर के अन्य भागों की ।

उदर के अन्दर ठण्डक की अनुभूति (काल्चि, टैबाक) । प्रचण्ड वमन के साथ प्रचुर अतिसार ।

वमन – अत्यधिक होने के साथ मितली और भारी अवसन्नता; पानी पीने से वृद्धि (आर्से); हल्की-सी गति करने से भी अधिक वमन होने लगता है (टेबाक); तदुपरांत भारी दुर्बलता । उदर के अन्दर काटती हुई पीड़ा जैसे चाकुओं से काटा जा रहा हो।

विसूचिका – वमन और अतिसार; मल प्रचुर पनीला, पिचकारी के वेग जैसा, अवसादकारी भयभीत होने के बाद (ऐकोना) ।

अतिसार – निरन्तर, हरे, पनीले पिचकारी के वेग जैसे आंतों के टुकड़ों से परिपूर्ण काटता हुआ उदरशूल, साथ ही मरोड़ें जो हाथ-पैरों में आरम्भ होती हैं और सारे शरीर में फैल जाती हैं; अवसादकारी, भयभीत होने के बाढ़, अल्पतम गति करने से वृद्धि; साथ ही वमन, मलोत्सर्जन के दौरान माथे पर ठण्डा पसीना और उसके बाद अवसन्नता (आर्स, टैबाक) ।

मलबद्धता – इच्छा ही नहीं होती, मल दीर्घाकार, कठोर (ब्रायो, सल्फ) गोल, काली गुठलियों में (चेलिडो, ओपि, प्लम्ब); मलांत्र की निष्क्रियता के कारण; अधिजठर प्रदेश में निरन्तर इच्छा महसूस होती है (इग्ने; मलांत्र में नक्स); दर्दनाक, शिशुओं और बच्चों की, लाइको और नक्स के बाद ।

कष्टार्तव – वमन और अतिसार के साथ, अथवा थका देने वाले दस्तों और ठण्डे पसीने के साथ (एमो-कार्बो, बोवि); प्रत्येक ऋतु पर इतनी दुर्बल हो जाती है कि दो दिन तक कठिनाई से ही खड़ी हो पाती है (एलूमि, काबों-एनि, काकू) |

अफीम खाने तथा तम्बाकू चबाने का कुफल ।

गीले मौसम के दौरान हाथ-पैरों में दर्द, बिस्तरे की गर्मी से बढ़ने वाला; निरन्तर चलते रहने से आराम ।

रक्तसलयी अथवा प्रणशी सविराम-ज्वर में, साथ ही भारी ठण्डक, प्यास, बेहरा ठण्डा और निपातमय त्वचा ठण्डी और चिपचिपी महावसाद; माथे पर ठण्डा पसीना तथा चेहरे की मृतक-तुल्य पीलिया ।

सम्बन्ध –

  • आर्से, आनि, सिन्को, क्यूप्र एवं इपिका के बाद ।
  • विसूचिका अथवा सांघातिक विसूचिका में कंम्फर के बाद
  • कष्टार्तव के साथ वमन और अतिसार में एमो-कार्बो, कार्बो-बेजि एवं बोविस्टा के बाद ।
  • अत्यधिक मदिरापान तथा धूम्रपान किए जाने के दुष्प्रभावों को बहुधा नष्ट करती है।

रोगवृद्धि – हल्की-सी गति करने से; पानी पीने के बाद; ऋतुस्राव से

पहले और उसके दौरान; मलोत्सर्जन के दौरान; पसीना होने पर; भयभीत होने के बाद ।

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