ट्रिलियम पेण्डुलम | Trillium Pendulum
रक्तस्राव – विपुल परिमाण में सक्रिय एवं निष्क्रिय दोनों रूपों में प्रायः चमकता हुआ लाल, नाक से फुफ्फुसों से, वृक्कों तथा जरायु से (इपिका, मिलिफो)।
शरीर के तरल धातुओं में सड़ने की प्रवृत्ति ।
नकसीर – प्रचुर, निष्क्रिय, चमकता हुआ लाल रक्त ।
दन्तनिष्कर्षण के बाद गड्ढे से रक्तस्राव (हेमा, क्रियो) ।
ऋतुस्राव – प्रचुर, प्रत्येक दूसरे सप्ताह जो एक सप्ताह या उससे अधिक दिनों तक गतिशील रहता है (कल्के-फा); अत्यधिक परिश्रम अथवा लम्बी सवारी करने के बाद ।
विपुल रक्तस्राव के साथ मूर्च्छा ।
अत्यार्तव – स्राव प्रचुर, पिचकारी के वेग जैसा, चमकता हुआ लाल; हल्की-सी गति करने से (सैबाइ) जरायु की स्थानच्युति से रजोनिवृत्ति पर प्रत्येक दूसरे सप्ताह, काला, थक्केदार (ब्लास्पी, अस्टि) ।
रक्तवमन – फुफ्फुसक्षय की प्रारम्भिक अवस्था, साथ ही रक्तिम थूक; उन्नत अवस्थाओं में विपुल; पीव जैसा बलगम और कष्टदायक खाँसी
लगता है जैसे कूल्हे और कमर का निचला भाग टूट कर चूर-चूर हो रहे हों; जैसे कटि-त्रिक प्रदेश की हड्डियाँ अलग होकर गिर रही हों, उन्हें कस कर बाँधना चाहता है; जैसे श्रोणि प्रदेश की अस्थियां टूट रही हों (एस्कु) साथ ही रक्तस्राव ।
रजोनिवृत्ति के दौरान जरायु से प्रचुर रक्तस्राव स्राव प्रत्येक वार दो सप्ताहों तक पीला, हल्का, मन्द-दृष्टि, धड़कन, नाक तथा कानों में अवरोध (फोर); उदरगर्त के अन्दर दर्दनाक खोखलापन ।
सम्बन्ध –
- ऋतुस्रावी एवं रक्तस्रावी रोगों में कल्के-फा से पूरक ।
- सिन्को, बेला, काली-का, मिलिफो, लैके सीपिया, ब्लास्पी एवं आस्टिला तुलना कीजिये।