होम्योपैथिक दवा खोजने के कुछ विषेश लाक्षण

होम्योपैथिक दवा खोजने के कुछ विषेश लाक्षण

नापसंद, घृणा, विमुखता (Aversions)

हर किसी की अपनी-अपनी पसंद-नापसंद इच्छाएँ और कुछ बातों के प्रति घृणा होती है। होमियोपैथी मरीज़ की पसंद, नापसंद जानकर, उसके तौर-तरीकों को जाँच-परखकर, उसकी बीमारी के लक्षणों के अनुसार योग्य औषधि सुनिश्चित करती है। जब तक यह नहीं होता तब तक रोगी पूरी तरह से स्वस्थ हो पाएगा या नहीं, (विशेषता: पुरानी बीमारियों में) इस तरह की शंका बनी रहती है। कहने का अर्थ दो मरीजों को एक जैसी बीमारी के लक्षण होने के बावजूद, दोनों की औषधि अलग-अलग हो सकती है ।

उदाहरण के लिये यदि किसी को पेट दर्द है, उसके लक्षण इस प्रकार हैं – पेट की जलन में गरम सेक से आराम, सड़ा हुआ खाना खाने से, मांसाहारी भोजन से व मदिरा, तंबाकू चबाने से पाचन क्रिया में तकलीफ होना, दर्द के साथ बैचेनी, कम मात्रा में प्यास लगना और अत्यधिक ठंढ का एहसास होना । तब उसे आर्सेनिक एल्बम दवा देनी चाहिए। यदि उपरोक्त पेट के लक्षणों के अतिरिक्त मरीज़ ठंढा पानी पीना पसंद न करे तो उसे आर्सेनिक एल्बम दबा देना पक्का है।

विशेष टिप्पणी : सभी दवा २०० शक्ति एवं एकल खुराक (single dose) में लें। यदि असर कारगर है तो 15 दिन बाद फिर से यही खुराक लें।

औषधियाँ

निम्नलिखित खाद्यपदार्थों से घृणा हो तो नीचे दी गई दवाइयाँ लें।

  • आलू – एल्यूमिना
  • चीज – आर्जेन्टम नाइट्रिकम
  • मछली, नमक, शक्कर – ग्रॅफाइटिस
  • बीयर – नक्स वोमिका
  • आइसक्रीम – रेडियम ब्रोमॅटम
  • दूध, शहद – नेट्रम कार्बोनिकम
  • गरम दूध, प्याज़, संतरे, मसाले, पेस्ट्री – फॉस्फोरस

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  • सेब – एंटिम टार्ट
  • अंडे – फेरम मेटॅलिकम
  • अचार – एबिस नाइग्रा
  • कॉफी – सोराइनम
  • केला और आलू बुखारा – बैराइटा कार्बोनिका
  • फल – बराइटा कार्बोनिका
  • सूप रस टॉक्सीकोडेन्ड्रॉन
  • गोभी, ब्रॅन्डी – कार्बो वेजिटॅबिलिस
  • ब्रेड, मक्खन और गरम खाना – नेट्रम म्यूरि
  • ठंढ बर्फीले पेय – आर्सेनिकम एल्बम
  • ठंढा पानी, लहसून, प्याज़, वाईन – सबाडिला
  • सब्ज़ियाँ – मैगनेशियम कार्बोनिकम

अजीब व्यवहार (मन) के बारे में जानिए

जीवन क्या है? जीवन को तीन आयामों में पहचाना जा सकता है – मन, शरीर और प्राण शक्ति । इन तीनों के बिना शरीर की एकरूपता को परिभाषित नहीं किया जा सकता। कोई भी दो व्यक्ति एक जैसे नहीं होते। उनका शरीर, मन और शक्ति अलग-अलग होती है। हरेक का विशेष व्यक्तित्व होने के साथ-साथ, उसकी मनोशारीरिक संरचना भी खास होती है। यह सब उसके वंशानुगत प्रवृत्तियाँ, सामाजिक रहन-सहन, जीवन शैली व बीमारियाँ, जो इंसान पर हमला करती हैं, उससे तय किया जाता है। इस तरह का अनुचित व्यवहार बच्चों में आसानी से पहचाना जा सकता है और वयस्कों में भी देखा जाता है। ऐसे व्यवहार का बीमारियों से निश्चित रूप से संबंध होता है।

होमियोपैथी जब किसी रोगी की बीमारी के बारे में पता करती है तब उस व्यक्ति की विशेष आदतें, व्यवहार, पसंद, नापसंद आदि सभी बातों को समझती है।

यदि आपने जो दवा चुनी है वह दाईं तरफ की तकलीफों के लिए है और दूसरे लक्षण लाइकोपोडियम से मिलते हैं तो मरीज़ के व्यवहार से पता करें। यदि वह कुर्सी पर बैठे-बैठे लगातार पैर हिलाए जा रहा है तो लाइकोपोडियम उसके लिए निश्चित औषधि है। वहीं दूसरी ओर पहले रोगी जैसे लक्षणों से मेल खानेवाला दूसरा मरीज भी कुर्सी पर बैठकर पैर हिला रहा है तो उसकी औषधि भी लाइकोपोडियम हो सकती है। मगर उसकी अन्य आदतें, व्यवहार और जिस तकलीफ को लेकर वह आपके पास आया है, उसकी अधिक जानकारी प्राप्त करें। निम्न विवरण आपको औषधि सुनिश्चित करने में सहायक होगा।

विशेष टिप्पणी : सभी दवाइयाँ २०० शक्ति की एकल खुराक (single dose) में लें। यदि आपके हित में परिणाम आए तो 15 दिन बाद फिर से एक खुराक लें।

औषधियाँ

  • कुर्सी पर बैठकर पैर हिलाना – लाइकोपोडियम
  • भ्रमित (परेशान), दवा लेने का तरीका बार-बार पूछता है- लॅकॅसिस म्यूटस
  • लंबे समय तक खड़े नहीं रह सकता, कुर्सी ढूँढ़ता है – सल्फर
  • पेशाब करते समय अपने पैरों को दूर-दूर रखता है – चिमाफिला अम्बॅलाटा
  • टेबल पर रखे सामान पर हाथ फेरता रहता है, अपनी उँगलियों से खेलता है- काली म्यूरि
  • कुर्सी पर लेट जाता है, सिर और पीठ कुर्सी के पिछले भाग को छूना चाहिए मेग्निशियम फॉस्फोरिकम
  • चलने के बदले दौड़ने लगता है – नेट्रम म्यूरिऍटीकम
  • सिर के नीचे दो तकिया रखता है – नेट्रम म्यूरिऍटीकम
  • हमेशा जल्दी में रहता – नेट्रम फॉस्फोरिकम
  • बहुत धार्मिक – नेट्रम सल्फ्यूरिकम
  • बहुत संकोची – सिलिशिया
  • बार-बार जीभ बाहर निकालता है – लॅकॅसिस म्यूटस
  • एक विषय से दूसरे विषय पर जल्दी से जाना – लॅकॅसिस म्यूटस
  • हमेशा कहता है कि ‘उसके साथ कोई समस्या नहीं है’- अर्निका मोंटाना
  • परिवार के सदस्यों से दूर रहता है – सेपिआ
  • चलते समय लड़खड़ाना – अगॅरिकस मस्कॅरियस
  • हाथ से चीज़ें (सामान) छूट जाना – एपिस मेल
  • छूने पर क्रोधित होना -टेरेन्ट्यूला हिस्पॅनिका
  • जानी-मानी सड़कों का रास्ता भूल जाना – ग्लोनॉइनम
  • बार-बार पलके झपकाना – बॅलाडोना
  • सिर या पेट पर हाथ रखकर सोना – पल्सेटिला
  • खुद के बाल नोचना – बॅलाडोना
  • सवाल पूछने पर चिड़चिड़ा होना- नक्स वॉमिका
  • डॉक्टर को वापस भेज देता है, यह कहकर कि ‘वह बीमार नहीं है’ – अर्निका

तीव्र इच्छा, लालसा के बारे में जानिए

लालसा यानी कुछ खाद्य पदार्थों या अन्य चीज़ों की तीव्र इच्छा होना । आपने देखा होगा छोटे बच्चे चॉक, पेन्सिल, कागज़, स्लेट आदि चबाते रहते हैं। ठीक वैसे ही बहुत से लोग अपने आहार में नमक या शक्कर मिलाकर खाना पसंद करते हैं। कुछ लोग अचार के बिना खाना ही नहीं खाते हैं। कुछ लोग कच्चे चावल खाते हैं। कुछ लोग रोज़, बिना चूके अंडा खाते हैं।

इन सभी बातों को ही तीव्र इच्छा कहा गया है। किसी भी चीज़ की अति बुरी होती है। उससे शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हालाँकि इसके प्रभाव तुरंत दिखाई नहीं देते मगर होमियोपैथी इन इच्छाओं और अनिच्छाओं को महत्त्व देकर इसकी औषधि ढूँढ़ने में सहायक बनती है।

अगर किसी को पाचन संबंधि समस्या है और वह नमक खाना पसंद करता है, यह लक्षण नेट्रम म्यूर औषधि की ओर इशारा करते हैं। शरीर कोई भी लक्षण बताए, नेट्रम म्यूर का प्रयोग करना चाहिए।

एक अच्छा डॉक्टर रोगी का बेहतर इलाज़ करने के लिए नेट्रम म्यूर के अन्य लक्षणों के बारे में जानना चाहेगा। वैसे तो एक जनसाधारण भी नेट्रम म्यूर यह औषधि उस इंसान को दे सकता है, जिसे नमक खाने की तीव्र इच्छा होती है और आश्चर्यजनक परिणाम देख सकता है।

  • कपड़े चबाना, कच्चा खाना, कच्चे चावल – एल्यूमिना 200
  • वसायुक्त पदार्थ, नींबू, चूना, पेन्सिल, चॉक, मिट्टी, स्लेट आदि – एसिडम नाइट्रिकम 200
  • नमक – नेट्रम म्यूरिएटिकम 200
  • अंडे – कॅल्केरिया कार्बोनिका 200
  • -मीठा – अर्जेन्टम नाइट्रिकम 200
  • अचार और खट्टे पदार्थ – सेपिआ 200
  • नींबू शरबत – पल्सेटिला 200
  • केला – थेरिडिओन 200
  • हमेशा ठंढा बर्फीला पेय का शौकीन – फॉस्फोरस 200
  • दूध – रहस टॉक्सीकोडेन्ड्रॉन 200
  • हर चीज़ ठंढी चाहता है – सीकेल कॉरन्यूटम 200

नोट : उपरोक्त औषधियों की सिर्फ एक खुराक लें। 15 दिन तक इंतज़ार करें और यदि परिणाम आपके पक्ष में हैं तो एक खुराक दोबारा लें।

दिशात्मक और विकर्ण लक्षण | Directional and Diagonal Symptoms

घृणा और तीव्र इच्छा की तरह रोग के दिशात्मक और विकर्ण (आढ़े-टेढ़े) लक्षण भी सही औषधि का चुनाव करने हेतु सहायक बनते हैं। ये लक्षण दिखने में कुछ अजीब होते हैं मगर कई बार बहुत मददगार होते हैं। जिस वजह से रोग के अन्य लक्षणों को ढूँढ़ने की आवश्यकता नहीं पड़ती और औषधि की 200 शक्ति की मात्र एक खुराक ही लेनी पड़ती है। यही खुराक सात दिन बाद फिर से दोहराएँ ।

दिशात्मक और विकर्ण दर्द

  • बाईं बाँह और दाईं टाँग में दर्द – ऍगॅरिकस मस्कॅरियस
  • ऊपरी दायाँ अंग और निचला बायाँ अंग – एम्ब्रा ग्रिसिया
  • दर्द नीचे की ओर जाता है, जैसे कंधे से हाथ तक और जाँघ से टाँग तक – काल्मिया लॅटीफोलिया
  • दर्द ऊपर की ओर जैसे हाथ से कंधे तक या पाँव से टाँग तक और वहाँ से जाँघ तक – लीडम पल
  • दर्द बाईं ओर से दाईं तरफ सरकता है – लॅकॅसिस
  • दर्द दाईं तरफ से बाईं तरफ सरकता है – बॅलाडोना
  • लक्षण बार-बार अपना स्थान बदलते हैं- लॅकॅनिनम

विपरीत लक्षण और उपचार

यहाँ औषधि के चयन का एक अद्भुत उदाहरण है, जब शरीर के दो भाग या दो विपरीत लक्षण एक ही रोग में पाए जाते हैं। एक प्राथमिक चिकित्सा पद्धति के रूप लक्षणों के विपरीत औषधि देने पर अधिकांश मामलों में राहत मिलता है। उदाहरण के तौर पर साँस लेने पर खाँसी बढ़ती है तो एक दवा दी जाती है, यदि साँस छोड़ने पर खाँसी बढ़ती है तब उसकी दवा अलग होती है। साँस लेना व साँस छोड़ना, श्वसन प्रक्रिया के दो विपरीत लक्षण हैं।

  • साँस छोड़ने पर खाँसी बढ़ना – एकोनाइटम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • साँस अंदर लेते समय खाँसी बढ़ना – स्पॉन्जिया 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • गर्म हवा से ठंढी हवा में जाने पर खाँसी का बढ़ना – फॉस्फोरस 200 की एक खुराक हर दिन लें और परिणाम के लिए चार दिन तक इंतज़ार करें।
  • खुली हवा से गर्म कमरे में जाने पर खाँसी का बढ़ना – ब्रायोनिया 30, दिन में तीन बार, चार दिन तक लें।
  • दाँत के किनारे पर सड़न – मक्यूरियस सोल्यूबिलिस 30, दिन में तीन बार सूर्यास्त के पहले, चार दिन तक लें।
  • दाँत की जड़ों में सड़न – मीजेरियम 30, दिन में तीन बार सूर्यास्त के पहले, चार दिन तक लें।
  • कोई भी मुख्य बीमारी या विकार में मुँह सुखना, फिर भी प्यास न लगना । (यह असामान्य लक्षण है क्योंकि मुँह सुखने पर प्यास लगती है पर यहाँ ऐसा नहीं है) पल्सेटिला 30, दिन में तीन बार, पाँच दिन तक लें।
  • कोई भी मुख्य रोग या विकार में मुँह में लार (गीलापन) प्यास के साथ मरक्यूरियस सोल्यूबिलिस 30, दिन में तीन बार, सूर्यास्त के पहले पाँच दिन तक लें।
  • रोग (उदाहरण सिरदर्द) बाईं तरफ से शुरू होकर दाईं तरफ जाता है – लॅकॅसिस म्यूटस 200 की एक खुराक लें और परिणाम के लिए चार दिन तक इंतज़ार करें।
  • रोग दाईं ओर से शुरू होकर बाईं तरफ जाता है – लाइकोपोडियम क्लॅवेटम 200 की एक खुराक लें और परिणाम के लिए एक सप्ताह इंतज़ार करें।
  • तीखा (चिड़चिड़ाहट पैदा करनेवाला) जुकाम, साथ में बिना कुछ तकलीफ आँखों से पानी आना – एलियम सेपा 30, दिन में चार बार, चार दिन तक लें।
  • नरम सर्दी-जुकाम के साथ आँखों से तीखा जलनयुक्त पानी आना – यूफ्रासिया 30, दिन में चार बार, चार दिन तक लें।
  • दाँतों के दर्द में गर्मी, गर्म खाना या चाय आदि से आराम –   मॅग्नेशियम फॉस्फोरिकम 30, दिन में चार बार, चार दिन तक लें।
  • दाँत के दर्द में ठंढे पानी व आइसक्रीम से आराम – कॉफिया क्रूडा 30, दिन में चार बार, चार दिन तक लें।
  • पेट के दर्द में शरीर को आगे झुकाने से आराम – कोलोसिंथिस 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • पेट के दर्द में पीछे की ओर झुकने पर आराम – डाइस्कोरिया विलोसा 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • जैसे ही रोगी सोने के लिए आँखें बंद करता है तो पसीना आना – कोनियम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • जागने पर पसीना आना – सॅम्बुकस नाइग्रा 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • माहवारी के पहले व माहवारी के दौरान कब्ज – सिलिशिया टेरा 30, माहवारी के अपेक्षित दिन के एक सप्ताह पहले दिन में तीन बार लें, दवाई माहवारी के समय न लें।
  • माहवारी के पहले व माहवारी के समय दस्त लगना – बोविस्टा 30, माहवारी के अपेक्षित दिन के एक सप्ताह पहले, दिन में तीन बार लें, दवाई माहवारी के समय न लें।
  • बच्चा पूरा दिन अच्छे से खेलता है पर पूरी रात बेचैन, चिल्लाता और परेशान रहता है – जलापा 30, दिन में दो बार, एक सप्ताह तक लें।
  • बच्चा दिनभर रोता है पर पूरी रात अच्छे से सोता है – लाइकोपोडियम 200 की एक खुराक एक सप्ताह तक लें।

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