चोट, जलने एवं घाव का होम्योपैथिक उपचार

चोट, जलने एवं घाव का होम्योपैथिक उपचार

जलना

त्वचा का जलना सामान्यतः गर्मी के संपर्क में, बिजली के तार या कोई केमिकल संपर्क में आने से होता है। अधिकतर जलने की घटनाएँ रसोई घर में या दिवाली के दिन पटाखों की वजह से कुछ नुकसान पहुँचने पर होता है। यदि तुरंत घर पर प्राथमिक उपचार कर दिया जाए तो जलने की तीव्रता को कम किया जा सकता है, साथ ही अस्पताल में डॉक्टर को इलाज़ करने में आसानी होगी। यदि जलने के घाव अधिक गहरे नहीं हैं तो वे होमियोपैथी से और नीचे दिए हुए उपाय अपनाकर ठीक हो सकते हैं।

  • जले घाव के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि जलने के घाव बिजली के शार्ट सर्किट या रसायनों से हुए हैं तो वे बहुत गहरे घाव हो सकते हैं। ऐसे में मरीज़ को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएँ ।
  • यदि किसी इंसान के कपड़ों ने आग पकड़ ली हो तो उसे ज़मीन पर लिटा दें क्योंकि आग की लपटें हमेशा ऊपर की ओर जाती हैं। अब उस पर कंबल, टेबल क्लॉथ, चादर या कोट, जो भी पास में उपलब्ध हो उसे आग पर डालकर, दबाकर लपेट लें, जिससे आग की लपटें बुझ जाएँ। इससे कई भयंकर आग से होनेवाली हानि से बचा जा सकता है।
  • जैसे ही आग से शरीर का कोई भाग जलता है तो उस जले भाग को 5 से 10 मिनट तक बहते हुए ठंढे पानी के नीचे रखें।
  • जले हुए भाग पर यदि कोई जेवर, अँगुठियाँ या कपड़े हों तो उन्हें तुरंत हटा दें। यदि जले हुए भाग पर छाले आ जाएँ तो उन्हें फोड़े नहीं ।
  • यदि जला हुआ भाग ज़्यादा हो, त्वचा की ऊपरी सतह से गहरा है, यदि चेहरा, मुँह, आँखों के आस-पास या गले पर जला तो मरीज़ को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएँ ।

औषधियाँ

  • यदि जलने से त्वचा पर छाले नहीं आए हैं यानी जला हुआ भाग चमड़ी तक ही सीमित है तो उस पर अर्टिका लेप (Ointment) लगाएँ और कैन्थॅरिस 30 की एक दिन में तीन खुराक, पाँच दिन तक लें।
  • यदि जले भाग पर छाले उभर आए हों तो – कैन्थॅरिस 30, दिन में तीन बार, पाँच दिन तक लें।
  • जलने के बाद घाव हो जाए तो – कैलेन्ड्यूला लेप लगाएँ और कैन्थॅरिस 30 की दिन में तीन खुराक, पाँच दिन तक लें।
  • यदि मरीज़ जलने की वजह से सदमें में आ गया हो या बहुत अधिक डर गया हो तो – एकोनाइट 30 की दो खुराक, 15 – 15 मिनट के अंतराल पर मरिज़ को दें। कैन्थरिस 30 दिन में तीन बार, छह दिन तक लेते रहें।
  • यदि जला हुआ घाव बहुत गहरा है और जलने से त्वचा बहुत नष्ट हो गई हो तो – काली बाइक्रोमिकम 30, दिन में चार बार, एक दिन दें और मरीज़ को डॉक्टर के पास लेकर जाएँ।

आग से जलने पर

  • कैंथिरिस 30, आर्टिका यूरेंस 30; दिन में 3 बार ।
  • काली म्यूर 3X, काली फास 3X दोनो की 3-3 गोली, दिन में 3 बार ।

अंदरूनी घाव

आर्निका मोन्टाना एक जानी-मानी होमियोपैथिक दवा है, जिसमें घाव को भरने के गुण मौजूद हैं। इसे वे लोग भी जानते हैं, जो होमियोपैथी से अनजान हैं। यह औषधि होमियोपैथिक क्षेत्र में विश्वविख्यात है, बिलकुल उस तरह जिस तरह कॅल्केरिया फॉस्फोरिका ने बच्चों में दाँत निकलने से संबंधित समस्याओं के लिए ख्याति प्राप्त की है। इसे एलोपैथिक डॉक्टर भी लेने की सलाह देते हैं ।

  • अंदरूनी घाव जैसे रगड़, सूजन तथा त्वचा का लाल या नीला होना, ऐसे में आर्निका 30 की दिन में चार खुराक लेने की ज़रूरत होती है।
  • अगले दिन यदि दर्द और सूजन दिखाई दे तो रस टॉक्स 30 की दो खुराक एक दिन में दें।
  • तीसरे दिन यदि दर्द चला गया हो, पर कमज़ोरी महसूस हो रही हो तब कॅल्केरिया कार्बोनिका 30 की एक खुराक चोट लगने के बाद की सारी असुविधाओं को मिटा देती है।
  • यदि पहले दिन आर्निका लेने के बाद दर्द और सूजन कम हो तो फिर रस टॉक्स और कॅल्केरिया कार्ब लेने की आवश्यकता नहीं रहती है।

घाव के साथ रक्त स्राव

  • यदि घाव से खून बह रहा हो तो लेडम पालुस्त्रे 30 ही पहली औषधि हैं, जिसकी दो खुराक 15 मिनट के अंतराल पर दी जानी चाहिए। यह औषधि एक एंटी-टेटनस की सूई की तरह काम करती है। इस औषधि को लेने के एक घंटे बाद हाइपेरिकम परफोरेटम 30 की तीन खुराक हर दो घंटे के अंतराल पर दें।
  • घाव को ताज़े पानी व एन्टी सेप्टिक सोल्यूशन से साफ करें। इसके साथ ही चोट से खून के बहाव को रोकने के लिए दबाव बनाकर रखें। यदि रक्त स्राव नहीं रुक रहा हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। चाहे खून बंद हो या नहीं मगर दवा देते रहनी चाहिए ।

विभिन्न प्रकार की चोटें और विभिन्न होमियोपैथिक औषधियाँ

  • आप दीवार पर कील ठोंक रहे हैं और गलती से हथौड़ा आपकी उँगली पर लग गया। उससे खून तो नहीं आ रहा पर दर्द बहुत है तो लेडम पाल 30, दिन में तीन बार, एक दिन के लिए लें।
  • चाकू से सब्ज़ियाँ काटते समय उँगली का कट जाना और खून आना उँगली को बहते पानी के नीचे रखें, जिससे खून बहना बंद हो जाए तब हाइपेरिकम परफोरेटम 30, दिन में तीन बार, एक दिन के लिए लें।
  • दरवाज़ा बंद करते समय उँगली दरवाज़े में दब जाए या कुर्सी से उठते समय घुटना टेबल से टकरा जाए या घर में चलते समय कोहनी (एल्बो) बेड या खिड़की से टकरा जाए, जब हड्डी पर चोट लगे और खून न आए तब इन सब परिस्थितियों में रूटा 30, दिन में तीन बार, एक दिन के लिए लें।
  • सोते समय अगर चूहा काट जाए या कुत्ते-बिल्ली ने काटा हो तो लेडम पालुस्त्रे 200 की एक खुराक लें और डॉक्टर से संपर्क करें ।
  • यदि बच्चा सीढ़ियों से नीचे गिर जाए और उसकी पीठ पर फर्श से चोट लग जाए, चोट पीठ या रीढ़ की हड्डी पर लगी हो तब – हाइपेरिकम परफोरेटम 200 की एक खुराक लें, चाहे चोट से खून निकल रहा हो या नहीं। उसके बाद डॉक्टर से संपर्क करें।
  • यदि मशीन के ब्लेड से शरीर का कोई हिस्सा कट जाए या ऑपरेशन के बाद घाव न सूखे तब उसे स्टैफीसॅग्रिया 200 की एक खुराक लें।
  • यदि बच्चे खेलते-खेलते गिर जाएँ और बिना रक्त बहे चोट लग जाए, ऐसे में उन्हें आर्निका मोंटाना देना काफी है।
  • बच्चे हाथों के बल गिर जाएँ और उनकी हथेलियों पर चोट लगकर वहाँ खरोंच आए और उसमें से हल्का सा खून निकल आए ऐसी स्थिति में हाइपेरिकम परफोरेटम 30, दिन में तीन बार, एक दिन के लिए लें।
  • अगर पत्थर पर गिरने से या पत्थर लगने से चोट लग जाए और त्वचा फट जाए तब कॅलेन्ड्यूला 30, दिन में तीन बार, एक दिन के लिए लें।
  • यदि काँच का टुकड़ा हाथ या पैर की त्वचा में घुस जाए तो तुरंत काँच का टुकड़ा निकाल दें और हाइपेरिकम परफोरेटम 30, दिन में तीन बार, एक दिन के लिए लें। शेविंग करते समय चेहरे पर कटने पर भी यही औषधि दें।
  • बच्चों की आपस की धक्का-मुक्की में चेहरे पर चोट आ जाए, आँखों के नीचे लाल या नीले निशान पड़ जाएँ तब आर्निका मोंटाना 30, दिन में तीन बार एक दिन के लिए लें।
  • खेलते समय खिलाड़ियों और बच्चों को ऐंठन या मोच आने पर आर्निका मोंटाना 30, दिन में चार बार, एक दिन के लिए लें। उसके दूसरे दिन बेलिस पेरेनिस 30, दिन में तीन बार लें।
  • जब बच्चों को सिर पर चोट लगे, रगड़ जाने या आघात की स्थिति हो तब पहली दवा आर्निका 30, दिन में चार बार, दो दिन तक लें।
  • सिर पर चोट लगने के बाद जब कमज़ोरी और थकान हो तब काली फॉस्फोरिकम 6x, दिन में तीन बार, सात दिन तक, आर्निका मोंटाना 30 के साथ लें।
  • यदि सिर कुचला गया हो, सिर और गर्दन के पिछले भाग में दर्द हो तो चोट लगने कुछ दिनों बाद नेट्रम सल्फ्यूरिकम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • यदि आँखों पर चोट लगी हो और आस-पास खरोंचें या घाव हों तो आर्निका मोंटाना 30, साथ में यूफ्रेशिया 30, दिन में दो बार, तीन दिनों के लिए लें। यदि आँखें गर्म, जलनयुक्त और उनसे लगातार पानी आ रहा हो तो सिर्फ यूफ्रेशिया 30, दिन में तीन बार, तीन दिनों के लिए लें। वैसे स्थानीय स्तर पर बेहतर परिणामों के लिए यूफ्रेशिया के आई ड्रॉप्स का उपयोग कर सकते हैं।
  • यदि गेंद लगने से गहरी चोट हो तब सिम्फाइटम 200 की दो खुराक एक-एक घंटे के अंतराल पर लें। यदि परिणाम न मिले तो डॉक्टर से संपर्क करें।

मोच या ऐंठन और फ्रैक्चर

इलाज़ में मोच या ऐंठन दोनों समान हैं। मोच में लिगामेंट्स-ऊतकों (tissues) का समूह जो हड्डियों को जोड़ता है, वे टूटते हैं । ऐंठन यानी मांसपेशियाँ टूटती हैं। जबकि फ्रैक्चर हड्डियों का टूटना है। इन सभी मामलों में पूर्णतः आराम और दबाव डालकर रखने की आवश्यकता है। फ्रैक्चर की स्थिति में डॉक्टर की सलाह लें ।

  • किसी दुर्घटना में हड्डियों के टूटने पर सबसे पहली औषधि आर्निका मोंटाना 1M की एक खुराक लें। इसकी और एक खुराक चार घंटे बाद लें। उसके बाद हड्डी विशेषज्ञ को अपना काम करने देना चाहिए ।
  • जब प्लास्टर चढ़ा दिया हो और हड्डी को जुड़ने की ज़रूरत है तब सिम्फाइटम 200 की दिन में दो खुराक, तीन दिन तक लें।
  • चौथे दिन से कॅल्केरिया फॉस्फोरिका 6X लेना शुरू करें। इसे दिन में चार बार, दस दिन तक लें, इससे हड्डियाँ जल्दी और आसानी से जुड़ेंगी ।

Fracture                  

  • कल्केरिया फ्लोर 6X, 4-4 गोली, दिन में 3 बार ।
  • सिम्फाइटम 6, दिन में 3 बार ।

शल्य चिकित्सा के बाद के प्रभाव

शेविंग करते समय या सब्जी काटते समय त्वचा पर एक साधारण सा घाव आए या लग जाए और यदि उस पर ध्यान न दिया जाए तो कुछ असर होगा ही। यदि किसी इंसान की शल्य चिकित्सा (ऑपरेशन) त्वचा को काटकर की जाती है तो उसके बाद के प्रभाव को व घाव को ठीक करने के लिए एंटिबायोटिक दवाइयाँ दी जाती हैं।

जब शल्य चिकित्सक (सर्जन) परंपरागत प्रणाली द्वारा ऑपरेशन करता है तो शल्य चिकित्सक के द्वारा दी गई दवाओं को न लेना एक मज़ाक ही है, जबकि उनके द्वारा दी गई दवाइयों का उद्देश्य ठीक होना है। होमियोपैथी के अतिरिक्त लाभ भी हैं, जैसे होमियोपैथी ऑपरेशन के बाद के प्रभाव को कम समय में ठीक करती है। जैसे पित्ताशय या गर्भाशय निकाल देना, पथरी, हर्निया व अपेंडिक्स का ऑपरेशन या कठिन हार्ट बायपास सर्जरी आदि में होमियोपैथी उपयुक्त है।

  • सभी ऑपरेशन के बाद के प्रभाव के लिए रस टॉक्स 30 आम औषधि है। ऑपरेशन के बाद चार गोली, दिन में तीन बार, 10 दिन तक लें।
  • क्षतिग्रस्त तंत्रिका उत्तकों (नर्व टिश्युज) की मरम्मत (फिर से पहले जैसे ठीक) करने के लिए – हायपेरिकम 30, चार गोली, दिन में तीन बार, 10 दिन तक लें।
  • जब इंटर कॉस्टल ऑपरेशन में पसलियों के बीच की नसों और मासपेशियों को नुकसान पहुँचता है तो – सिमिसिफ्यूगा 30, चार गोली, दिन में तीन बार, १० दिन तक लें।
  • ऑपरेशन के दौरान हाथ-पैरों की नसों में चोट लगे तब – हाइपेरिकम 30, चार गोली, दिन में तीन बार, १० दिन तक लें।
  • जब शरीर की बाईं ओर की नसों में नुकसान पहुँचे तो – स्पायजेलिया 30, चार गोली, दिन में तीन बार, १० दिन तक लें।
  • ऑपरेशन की वजह से फ्रैक्चर्स और स्टंपस् (टांगो) की नसों में दर्द है तो – सिम्फायटम 30, चार गोली, दिन में तीन बार, १० दिन तक लें।

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