बवासीर का होम्योपैथिक उपचार
बवासीर यानी गुदा (मलद्वार) के अंदर या बाहर छोटी-छोटी गाँठे होती हैं, जो खून या बिना रक्तस्राव के भी हो सकती हैं। ये गाँठे भिन्न संख्या में हो सकती हैं। यह एक अत्यधिक दर्दनाक व सूजनवाली या बहुत सारे एक साथ अंगूर के गुच्छे जैसी हो सकती हैं। यह सूजन दर्दनाक, खुजलीयुक्त, चुभन जैसी, शूटिंग व ठोकर मारने जैसी, जलनयुक्त या दबावपूर्ण होती है। शौच के समय दर्द अधिक और कभी-कभी कमर के नीचले भाग में हलका दर्द होता है। मल त्याग के पहले मसों से रक्त प्रवाह व मल त्याग के बाद, बीच में बूँद-बूँद रक्त जाता है।
इसका कारण कब्ज, लंबे समय से चली आ रही जिद्दी (पुरानी) कब्ज, अतीत में जिसकी परवाह नहीं की, रेचक (मल को ढीला करनेवाली औषधी) ली हो, लगातार अपचनीय, तला हुआ, मसालेदार भारी व उत्तेजक भोजन लिया गया हो । बैठने की आदत व आरामदेह जीवनशैली भी इसका एक कारण है।
अत्यधिक व्यायाम, घुड़ सवारी, ठंढे पत्थरों व नमः घास पर बैठना। गर्भावस्था में बढ़े हुए गर्भ का पेल्विस की नसों पर दबाव आना, ये बवासीर के कुछ अन्य कारण हैं।
- मसालेदार खाना, मादक पदार्थ, अपचनीय भोजन, कॉफी, तली हुई व वसायुक्त भोजन से बचें।
- अच्छी तरह से पकी हुई सब्जियाँ और फलों का सेवन करें व मांसाहारी भोजन से बचें।
- बहुत देर तक खड़े रहना, सुस्त आदतें, तकिए का इस्तेमाल और बहुत ही नरम बिस्तर का उपयोग न करें।
- सूखे (बिना रक्तस्राव के) बवासीर में मलद्वार को ठंढे या गुनगुने पानी (जिससे भी आप सहमत हो ) से बार-बार धोने से दर्द में आराम मिलता है। एक टब में ठंढा या गुनगुना पानी डालकर उसमें कुछ देर के लिए बैठ जाएँ या जैसे ही बवासीर में दर्द शुरू हो, गीले कपड़े से मसे पर दबाव बनाए रखें।
- खूनी बवासीर में दर्द कम होता है पर उसे एक गिलास ठंढा पानी पीकर व एक घंटा लेटकर ठीक किया जा सकता है।
- शौच के बाद 10 से 15 मिनट लेटने से दर्द में आराम मिलता है ।
औषधियाँ खूनी बवासीर
- जब रक्त सुर्ख लाल हो तब मिलीफोलियम Q की 10 से 15 बूँदे दिन में पाँच बार, दो दिन तक लें। जब रक्तस्राव रुक गया हो तब तीसरे व चौथे दिन में खुराक कम कर दें।
- खून गहरा थक्केदार, पीड़ा और फड़कने जैसे दर्द के साथ मल त्याग होना मेलिस वर्जिनिआना Q की 10 से 15 बूँदे दिन में पाँच बार, दो दिन तक लें। जब रक्तस्राव रुक गया हो तब तीसरे व चौथे दिन में खुराक कम कर दें।
- हर बार मल त्याग के साथ धारायुक्त रक्तप्रवाह हो तो फॉस्फोरस 200 की एक खुराक मल त्याग के बाद लें। यदि अगली बार तक खून बहना रुक जाए तो दवा लेने की ज़रूरत नहीं है। यदि खून का बहना वापस शुरू हो तब एक खुराक लें। परंतु खून का बहना रुके ही नहीं तो दो से ज़्यादा खुराक लेना चाहिए।
- जब कब्ज के साथ रक्तस्राव हो या दस्त व कब्ज बारी-बारी से हो और उसमें भूख न लगे, साथ ही रक्तस्राव दर्दयुक्त हो तब – कोलिनसोनिया कॅनॅडेन्सिस Q की 10 से 15 बूँदे दिन में पाँच बार, दो दिन तक लें। जब रक्तस्राव रुक गया हो तो तीसरे व चौथे दिन में खुराक कम कर दें।
- मल त्याग के बाद कई घंटों तक खून बहना व काटने जैसा दर्द होना – एसिडम नाइट्रिकम 30, दिन में चार बार, विशेषतः मल त्याग के बाद लें।
- बवासीर खूनी हो या बिना रक्तस्राव के हो पर सिर्फ मासिक धर्म बंद होने के बाद हो – एस्क्यूलस हिप्पोकॅस्टॅनम 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
नोट : यदि दवा लेने के दो दिन बाद भी खून बहना न रुके तो होमियोपैथिक चिकित्सक से संपर्क करें।
सूखा (बिना रक्तप्रवाह का) बवासीर
- पीठ, कमर में दर्द व गुदा में बहुत सारी लकड़ियाँ भरी हों, ऐसा महसूस होना – एस्क्यूलस 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
- मसे प्याज की तरह दिखनेवाले व थोड़े बैंगनी रंग के, साथ ही गुदा में जोर से मारने जैसा व ठोकर मारने जैसा दर्द होना – लॅकॅसिस 200 की एक खुराक रोज़ सुबह, तीन दिन तक लें।
- जब बार-बार मल त्याग की इच्छा हो, खाने के बाद खुजली व चुभने जैसे दर्द के साथ कब्ज हो, मानसिक थकान भी हो तब – नक्स वोमिका 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
- जब गुदा में काटने जैसी संवेदना व पीड़ा हो, लगातार रक्तस्राव के कारण मलद्वार नम पड़े तब – पेओनिआ ऑफिसिनॅलिस 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
- जब प्रत्येक मल त्याग के बाद मलद्वार बाहर आता है तब पोडोफायलम 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
- जब गुदा में गहरी दरारें हों, मल त्याग के बाद दर्द हो, मरीज़ बेचैन हो और मलद्वार सिकुड़ गया हो तब – रतनहिया पेरूविआना 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
- प्रत्येक मल त्याग के बाद जब मसे अंगूर के गुच्छे जैसे बाहर निकले और ठंढे पानी से उसको आराम मिले तब – एलोस 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
- मल के साथ म्यूकस, मल त्याग के समय दर्द व जीभ पर सफेद परत आए तब – एंटीम क्रूड 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
- जलनयुक्त दर्द हो व मलद्वार ठंढे पानी से धोने पर भी आराम न आए पर गर्म या गुनगुने पानी से धोने पर दर्द में आराम हो तब – अर्सेनिकम एल्बम 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
- जब बवासीर के कारण चलने में भी दर्द हो तब – कॉस्टिकम 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
- दर्द, जैसे गर्म लोहे की लाल रॉड मलद्वार में डाल दी गई हो और ठंढा पानी लगाने से दर्द में आराम पड़े तब – काली कार्बोनिकम 30, दिन में तीन बार, एक दिन के लिए लें।
- खूनी या सूखे बवासीर में सूजन के साथ मसे बाहर की ओर निकले हों, मल कब्ज के साथ न हो पर गैस बहुत हो, त्वचा संवेदनशील हो और कपड़े से छूने पर भी असहनीय हो तब – एसिडम म्यूरियॅटिकम 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
- मूत्र त्याग के समय मस्से बाहर निकल आना, कब्ज के साथ सख्त गाँठयुक्त मल और मलद्वार में कीड़े के चलने जैसी संवेदना होना – बराइटा कार्बोनिका 30, दिन में तीन बार, चार दिन तक लें।