बिलनी एवं कान दर्द का होम्योपैथिक उपचार

बिलनी एवं कान दर्द का होम्योपैथिक उपचार

बिलनी (पलक की किनारों पर फुंसी)

एक फुंसी जैसे उभार, गाँठ या छोटा पसवाला फोड़ा आँखों की पलक में, सामान्यतः पलकों (eyelash) के आधार पर या आँखों के कोनों पर होना इसे बिलनी कहा जाता है। कुछ इंसानों में यह अकसर हो जाती है। इसमें सूजन व दर्द होता है। एक थकी हुई आँख जब प्रदूषण, धुँआ और धूल के संपर्क में आती है, तब आँख संक्रमित हो जाती है। बिलनी का कारण आज तक मिला नहीं है परंतु यह कोई गंभीर बीमारी नहीं है।

पुरानी कहावत है कि बिलनी उन लोगों को होती है, जो मल त्याग के समय लगातार मल को देखता है। अन्य कहावत है कि जो संभोग अति करते (नव विवाहित या अन्य) हैं, उन्हें बिलनी होती है। इन कारणों पर कुछ वैज्ञानिक तरीके से साबित नहीं हुआ है लेकिन यह किसी को भी नुकसान नहीं पहुँचाएगा, अगर वह मल को अधिक न देखें या अति संभोग से बचें। पुरानी कहावतें कई बार स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी होती हैं।

  • बिलनी एक सप्ताह या उससे ज़्यादा समय में अपने आप ठीक हो जाती है, यदि उसका इलाज़ नहीं किया तब भी । बिलनी ज़्यादातर फुटकर उससे पस निकल जाता है या धीरे-धीरे गायब हो जाती है।
  • बिलनी को सांसर्गिक (फैलनेवाला) रोग माना जाता है इसलिए अलग तौलिये व रूमाल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • ·बार-बार हाथ व चेहरा धोते रहना चाहिए।
  • आँखों व बिलनी को छूने की कोशिश न करें।
  • पस को बाहर निकालने के लिए बिलनी को दबाने की कोशिश न करें ।
  • बिलनी अपने आप ही फूट जाती है, फिर बाद में उस स्थान को सावधानी से साफ करें ताकि पस आँख की अंदरूनी सतह को स्पर्श न करें।

औषधियाँ

  • बार-बार व बहुत पुरानी बिलनी होने पर, ज़्यादातर नीचे की पलक पर या बच्चों में किसी भी पलक पर – स्टैफिसॅग्रिया 200 की दो खुराक, तीन दिन के अंतराल पर लें।
  • बिलनी अकसर ऊपरी पलक पर परंतु दूसरी पलक पर भी हो सकती है और जब मरीज़ वसायुक्त, तेल, मसालेवाले भोजन लेना पसंद करता है – पल्सेटिला 200 का प्रथम चयन होना चाहिए, जिसकी दो खुराक, तीन दिन के अंतराल पर लें।
  • बार-बार बिलनी व पलकों की किनारों पर खुजली होना – सिलिशिया 200 की दो खुराक, तीन दिन के अंतराल पर लें, जब पल्सेटिला असफल हो जाए।

कान दर्द

अधिकतर कान में दर्द ठंढी हवा के संपर्क में आने, नहाने या बाल धोने के बाद ठीक से कानों को न सुखाने से होता है। अविचारणीय, लंबे समय तक नदी या पुल में नहाने से या कान की जाँच के लिए कान को तीली से कुरेदना या सिरिंज (सूई) से कान में पानी डालने के कारण भी कान में दर्द होता है। ज़्यादातर कानदर्द देर शाम या रात के समय ही होता है। यह दर्द अचानक व तीव्र होता है और इससे कर्ण मार्ग में लालिमा या सूजन हो सकती है या नहीं भी ।

  • कान का मैल (वैक्स) निकालने के लिए कभी तीली से कान की जाँच-पड़ताल न करें।
  • यदि कोई बाह्य वस्तु कान में चली गई हो या कान की वैक्स सख्त हो गई हो तो उसे निकालने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें ताकि वह सिरिंज से कान में गरम पानी डालकर उसे निकाल दे।
  • कान का मैल निकालने के लिए कानों में दो से तीन बूँदें मुलेन ऑईल (Mullein Oil – होमियोपैथिक औषधि) को डालकर, ऊपर से रूई से ढक दें। पंद्रह मिनट बाद रूई हटा लें।
  • यदि कान में दर्द या कोई स्राव हो रहा हो तो कोई अन्य तेल कानों में न डालें।
  • यदि ठंढ के मौसम में कार या बाइक चला रहे हैं तो कानों को ठंढी लहरों से बचाएँ। इसलिए बाइक या स्कूटर चलाते समय हेलमेट पहनना कानदर्द से बचने का अच्छा उपाय है।
  • कानदर्द कम करने के लिए गरम सेंक काफी मदद करता है।
  • अगर किसी को कान में बार-बार संक्रमण या दर्द होता हो तो उसे नहाते या तैरते समय पैट्रोलियम जेली में डुबोई हुई रूई से कानों को ढकना चाहिए। बेहतर यही होगा कि वे सार्वजनिक छोटे तालाब या प्रदूषित नदियों में न जाएँ।

औषधियाँ

  • दाएँ कान में दर्द – बॅलाडोना 30 की एक खुराक हर दो घंटे में, दिन में पाँच खुराक लें।
  • बाएँ कान में दर्द – कमोमिला 30 की एक खुराक हर दो घंटे में, दिन में पाँच खुराक लें I
  • दोनों कानों में दर्द – कमोमिला 30 की एक खुराक हर दो घंटे में, दिन में पाँच खुराक लें।
  • ठंढी हवा के संपर्क में आने से दर्द – एकोनाइट 30 की एक खुराक हर दो घंटे में, दिन में पाँच खुराक लें ।
  • दर्द नाक के साथ साइनस के अग्र भाग तक – सिलिशिया 200 की एक खुराक प्रतिदिन, दो दिन तक लें।
  • कान में दर्द के साथ गले में खराश – एपिस 30 की दिन में पाँच खुराक लें।
  • बार-बार कान में दर्द – कॅल्केरिया कार्बोनिका 200 की एक खुराक प्रतिदिन, दो दिन तक लें।
  • कान बजना, गूँजना और बंद होना – कमोमिला 200 की एक खुराक प्रतिदिन, दो दिन तक लें।

नाक से खून बहना

भारत जैसे देश में जहाँ गर्म वातावरण कई बीमारियों को लाता है, उनमें से एक नाक से खून बहना, जो ज़्यादातर बच्चों में पाया जाता है। युवाओं या बड़े लोगों को नाक से खून नहीं आता है। कुछ मामलों में वृद्ध लोगों में यह समस्या हो सकती है। गर्मी से या बार-बार नाक में उँगली डालने से नाक की आंतरिक सतह की छोटी रक्त नलिकाएँ फटने के कारण और बार-बार छींकें आने से भी यह होता है। यह विकार लगभग नगण्य है व इसे घर पर भी नियंत्रित किया जा सकता है। यदि वृद्ध और युवाओं में बार-बार नाक से खून बहे तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर रक्तचाप व रक्त के थक्के बनने की जाँच करवानी चाहिए। यह बहुत ही दुर्लभ है। कृपया ध्यान दें कि यहाँ हम ‘नकसीर’ (एपिसटॅक्सिस) के बारे में बात नहीं कर रहे हैं।

  • थोड़ा सा आगे झुककर बैठे व तर्जनी और अँगूठे से नाक को दोनों तरफ से दबाव बनाए रखें। सिर को ऊँचा उठाकर रखें। सिर को पीछे की ओर च नाक पर दबाव देने से खून का बहाव रुक जाता है पर कई बार यह खून सिर से गले में आकर गला चोक होता है। बच्चों में सिर को पीछे की ओर झुकाने से गला चोक हो जाता है। नाक पर 15 मिनट तक दबाव बनाए रखें। उँगलियों के दबाव को हटाएँ और यदि फिर भी खून का बहाव हो रहा हो तो फिर से 10 मिनट तक उसी तरह से दबाव बनाए रखें।
  • यदि फिर भी खून का बहाव न रूके तो ठंढे पानी में फिटकिरी को मिलाकर मिश्रण बनाएँ। इस पानी में कपड़ा गीला करके माथे पर कुछ देर रखें। मरीज़ को इस समय लेटने के लिए कहें।
  • नाक पर बर्फ की थैली रखने से भी खून बहना बंद हो जाता है।
  • खून का बहाव बंद हो जाने पर मरीज़ को एक कप हल्का गर्म दूध व एक केला दें।

नोट: यदि खून का बहाव सिर में चोट लगने की वजह से हो, उपरोक्त उपायों के बावजूद व होमियोपैथिक दवाइयाँ लेने के बाद भी यदि रक्तस्राव 15 मिनट से ज़्यादा हो, यदि बार-बार नाक से खून बह रहा हो, खून का बहाव ज़्यादा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ।

औषधियाँ

  • फेरम फॉस्फोरिकम 30 के तीन खुराक हर पाँच मिनट के अंतराल में देना चाहिए। यदि एक खुराक देने के बाद ही खून बहना बंद हो जाए तो दूसरी खुराक न दें।
  • यदि खून का बहाव अचानक व बहुत ज़्यादा हो तब फॉस्फोरस 200 की एक खुराक ही खून के बहाव को रोक देगी।

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