मुँह के छाले, दांत दर्द, पायरिया का होम्योपैथिक उपचार

मुँह के छाले, दांत दर्द, पायरिया का होम्योपैथिक उपचार

मुँह के छाले

मुँह के छाले मुँह के भीतर बदसूरत दिखनेवाले छोटे, पीले या सफेद फोड़े-फुंसी की तरह घाव है।

ये छाले एक-दो या जीभ पर समूह में, जीभ के निचले भाग पर, गाल के अंदर, तालू पर और होंठो के अंदरूनी हिस्से पर हो सकते हैं। ये अत्यंत पीड़ादायक होते हैं। मुँह के छाले संक्रमण (इन्फेक्शन), पाचन संबंधी परेशानी, अनुचित प्रकार का आहार, तनाव, कृत्रिम दाँतों की नई बत्तिसी (दंतावली) को गलत तरीके से बिठाने, दाँतों द्वारा जीभ या गाल पर चोट लगने, किसी विशेष खाद्य पदार्थ से एलर्जी या उसका अपचन आदि की वजह से होते हैं।

इसे अल्सर यानी स्टोमॅटाइटिस भी कहा जाता है, जो बहुत पीड़ायुक्त होते हैं। ये सफेद सतह पर और उनका किनारा पीलापन लिए होता है। ये छोटे दानेदार तथा उभरे हुए रहते हैं। ये बार-बार हो जाते हैं व सात से चौदह दिनों में ठीक होते हैं।

  • अधिक मीठा व स्टार्चवाला भोजन न खाएँ ।
  • ज़्यादा गर्म खाना व पेय पदार्थ से बचें।
  • हर बार भोजन के बाद पानी से कुल्ला करना व दाँतों की सफाई करना भी मदद करता है।
  • ज़्यादा नमक, नींबू व दवाओं में मरक्यूरी के उपयोग से बचें।
  • भोजन के पोषक तत्त्वों को बनाए रखें। नवजात शिशुओं की दूध की बोतल व चम्मच को साफ रखें, हर बार दूध पिलाने के बाद उबालें ।
  • बच्चों को गंदे खिलौने खेलने के लिए न दें। खिलौनों को धोकर साफ किया जाना चाहिए।
  • धूम्रपान व तंबाकू चबाना छोड़ दें।

औषधियाँ

  • छोटे छाले, छूने पर खून आना, मुँह बहुत गर्म व संवेदनशील लगना – बोरॅक्स 30, दिन में चार बार, दो दिन तक लें और अगले दो दिन तक दिन में तीन बार लें।
  • ज़्यादा लार आना, मसूड़ों से खून आना और मसूड़े स्पंज जैसे होना, मुँह में धातू जैसा कड़वा स्वाद, प्यास लगना, जबकि मुँह नम (गीला) है – मरक्यूरियस सोल्यूबिलिस 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • मुँह के छाले जिसमें नुकीला दर्द हो, लार का दुर्गंधयुक्त व कड़वा होना, फोड़े दिखने में सफेद से ज़्यादा लाल के होना – एसिडम नाइट्रीकम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • मुँह के छाले किसी भी प्रकार के होते हैं लेकिन छालों के साथ सिरदर्द होना बॅलाडोना 30, दिन में चार बार, दो दिन तक लें।
  • मुँह के छाले फोड़े जैसे दिखते हैं, छूने पर संवेदनशील, ठंढा पानी मुँह में रखने से आराम आना नेट्रम सल्फ्यूरिकम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।

नोट : कृत्रिम दाँतों की नई या पुरानी बत्तिसी (दंतावली) बिठाने से यदि मुँह में छाले हुए हो तो दंत चिकित्सक से संपर्क करें। यदि बार-बार मुँह में छाले हो रहे हों तो बेहतर है होमियोपैथिक चिकित्सक से संपर्क करें। यदि होमियोपैथिक या एलोपैथिक उपचार करने के बाद भी छाले पंद्रह दिन में ठीक न हुए तो मुँह की बीमारियों के विशेषज्ञ को दिखाएँ ।

साँस में दुर्गंध

यदि लगातार साँस में बदबू है तो इसका कारण मुँह की सफाई में कमी । आपकी साँस में बदबू होने से कोई भी आपके करीब खड़े रहना नहीं चाहेगा। साँस में दुर्गंध का कारण पाचन तंत्र की अनियमितता, दाँत / मसूड़ें सड़ना (पायरिया), मसूड़ों से खून आना, तीखी गंधवाले खाद्य पदार्थ जैसे लहसून, प्याज खाना, धूम्रपान करना, तंबाकू चबाना या निम्न स्तर की शराब पीना। मुँह को साफ रखना सबसे पहली प्राथमिकता है।

  • यदि दाँतों में सड़न, मुँह में छाले या मसूड़ों से खून आने जैसी तकलीफें हैं डॉक्टर की सलाह से सही इलाज़ करें।
  • मांसाहारी भोजन न करें और हर भारी भोजन के बाद टूथ पिक से मुँह को साफ करें। हर भोजन के बाद दाँतों को ब्रश करें। खाने के बाद सौंफ, छोटी इलायची और लौंग (लवंग) चबाएँ या जब लोगों के बीच हों तब इनमें से एक मुँह में रखें।
  • हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ अधिक खानी चाहिए। इनमें क्लोरोफिल होता है, जो साँस की दुर्गंध को कम करता है।

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औषधियाँ

  • मुँह से दुर्गंध के साथ-साथ अत्यधिक लार आना, मुँह के कोनों का कटना-फटना और तालू में घाव महसूस होना – ऑरम ट्रिफाइलम 30, दिन में 3 बार, सात दिन तक लें।

  • मसूड़ों में सूजन, साँस में दुर्गंध, जीभ और मुँह नम पड़ना, फिर भी अधिक प्यास लगना – मर्क्यूरियस सॉल्युबिलिस 30, दिन में 3 बार, सात दिन तक लें। तीसरी खुराक सूर्य ढलने के पहले लें।
  • दाँत सड़ने की वजह से दुर्गंध, मसूड़ें गहरे लाल, खून आना तथा बदबूदार लार आना – बॅप्टिशिया टिंक्टोरिया, दिन में दो बार, सात दिन तक लें।
  • साँस में दुर्गंध, दाँत में सड़न एवं दर्द, मसूड़ों में छाले तथा रक्त स्राव क्रिओसोटम, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • मसूड़ें ठंढे पानी से संवेदनशील, मुँह से दुर्गंध, मसूड़ों पर फोड़े, दाँतों का क्षय व पायरिया (मसूड़ों में पीब पड़ने का रोग ) – सिलिशिया, दिन में दो बार, पाँच दिन तक लें।
  • पायरिया, मुँह से दुर्गंध, मसूड़ों में सूजन, मसूड़ें मुलायम (स्पाँजी) व बैंगनी, गहरे नीले रंग के, लार आना, मुँह में नमकीन या कड़वा स्वाद – मर्क्यूरियस कोरोसिक्स, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • दाँत काले और कमज़ोर होकर गिरना, लार आना, मसूड़ों से आसानी से खून आना, साँस में दुर्गंध – स्टॅफिसैग्रिया, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।

मसूड़ों के विकार

दाँत साफ करने के लिए सख्त ब्रश आजमाने से या जबड़े पर किसी के द्वारा मुक्का या चोट लगने से या कुचरनी (टूथ पीक) से दाँत में फँसे भोजन के कण निकालने से मसूड़ें रक्त स्राव कर, अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं। इन चोटों के लगने के अलावा, मसूड़ों में सूजन हो और उसमें से खून बहता हो तथा मुँह से बदबूदार स्वाद आता हो तो मसूड़ें सचेत करते हैं कि उनको ध्यान देने की आवश्यकता है।

जब दाँत पर प्लाक, बैक्टेरिया जमा हुआ हो, दाँतों पर जमा भोजन के कण को रोज़ ब्रश या उँगली से साफ नहीं किया जाता तब मसूड़ों में सूजन व दर्द होता है। जब प्लाक दाँत और मसूड़ों की किनारों पर जम जाता है तब वह चॉक जैसा पदार्थ बन जाता है, जिसे टार्टर (दाँत की मैल) कहते हैं। टार्टर मसूड़ों पर सूजन व दर्द पैदा करता है। लंबे समय तक इस पर ध्यान न दिया जाए तो दाँतों और मसूड़ों की सुरक्षा कम होती है और दाँत टूट भी जाता है। इससे कई मुँह की बीमारियाँ होने की संभावना रहती है। अन्य कारणों में असंतुलित आहार, कई खाद्य पदार्थों से एलर्जी है। यदि रोज़ मुँह की सफाई ब्रश व हाथ की उँगलियों से मालिश की जाए तो मसूड़ों की बीमारियों की संभावना 50 प्रतिशत से कम हो जाती है।

  • रोज़ सुबह हर्बल टूथ पेस्ट से ब्रश करें।
  • रोज सोने से पहले दाँतों व मसूड़ों को हर्बल मंजन (दाँत साफ करने की पाउडर) से मालिश करें।
  • सप्ताह में एक बार नीम की दातुन करने की आदत डालें।
  • हर भोजन के बाद अच्छी तरह पानी से कुल्ला करें।
  • गर्म खाना खाने के तुरंत बाद ठंढा पानी न पीएँ । उसी तरह बहुत गर्म चीजें भी न खाएँ।
  • हर भोजन के बाद टूथपिक का प्रयोग करें व कुल्ला करें, जिससे भोजन का कोई भी कण दाँतों में न रहे।
  • यदि मसूड़ों से खून आ रहा हो तो उँगलियों से मसूड़ों व दाँतों पर सरसों का तेल व नमक दिन में एक बार लगाएँ। इसे १० मिनट तक रखें, फिर थूक दें। पानी से कुल्ला न करें बल्कि थूकते रहें, जब तक कि मुँह का मूल स्वाद न आए।
  • खट्टी चीज़ें, प्याज, लाल मिर्च और मीठे भोजन से दूर रहें।
  • भोजन को अच्छी तरह चबाएँ व कब्ज से बचें।

औषधियाँ

  • ब्रश करते समय मसूड़ों से खून आना, उनमें सूजन होना और बहुत ठंढे पानी की प्यास लगना – फॉस्फोरस 200, की एक खुराक लेकर परिस्थिति में सुधार आने के लिए तीन दिन इंतज़ार करें। यदि फॉस्फोरस लेने के बाद खून आना रुक जाता है तो दस दिन के बाद दोबारा एक खुराक लें। यदि दाँत निकलवाने के बाद खून आना बंद नहीं होता है तो फॉस्फोरस 200 की एक खुराक रक्त स्राव बंद कर देगी।
  • जब मसूड़े ठंढी हवा व पानी से संवेदनशील होते हैं, मसूड़ों पर दर्दयुक्त फोड़े, व्रण आए तब सिलिशिया 200 की एक खुराक उपरोक्त विधि से लें ।
  • जब मसूड़ों में दर्द, दाँत निकालने के बाद वेदना हो तो अर्निका मोंटाना 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • जब दाँत संवेदनशील और मसूड़े कमज़ोर हो जाते हैं, ब्रश करते समय मसूड़ों से खून आता है तब – कार्बो वेजि 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • जब मसूड़े स्पाँजी और कमज़ोर हो, जिसमें से आसानी से खून आता हो, मसूड़ों को छूने पर तीव्र दर्द और चबाने से दर्द हो तब  – मरक्यूरियस सोल्यूबिलिस, दिन में तीन बार, सात दिन तक

दाँत दर्द

दाँतों या मसूड़ों में सड़न, फोड़ा या सूजन के कारण दाँतों में दर्द होता है। अकसर लोग दंत चिकित्सक के पास इसके इलाज़ के लिए जाते हैं परंतु घरेलू व होमियोपैथिक उपचार भी साधारण दाँत दर्द को कम करने में उपयोगी है। दाँतों पर प्लाक (एक चिपचिपा सफेद पदार्थ जिसमें बैक्टिरीया शामिल है वह) जमना, खाने की परत, लार या बैक्टिरिया की परत जमना आदि दाँतों की सड़न का कारण है। यह प्लाक भोजन से स्टार्च और शर्करा को सोखकर एसिड बनाता है और दाँतों के इनेमल (दाँतों के सुरक्षा कवच) को नष्ट करता है।

हर भोजन या मीठा खाने के बाद दाँतों को ब्रश या अँगुली से साफ किया जाए तो दाँतों के दर्द को कम किया जा सकता है। यदि एसिड को हटाया नहीं गया तो यह दाँतों पर ही रहकर, दाँतों को भेदकर, कैविटी बनाकर, बैक्टिरिया को दाँतों के अंदर पल्प में जाने की इजाज़त देगा। ऐसे में फोड़े की संभावना को इनकार नहीं किया जा सकता।

  • सुबह व रात में सोने से पहले, दिन में दो बार दाँत साफ करें।
  • हर बार भोजन के बाद पानी से कम से कम दस बार कुल्ला करें।
  • गर्म पदार्थ खाने के बाद तुरंत ठंढा पानी न पीए ।
  • अत्यधिक गर्म या ठंढी चीजें न लें।
  • भोजन के बाद नरम टूथपिक का इस्तेमाल करें व दाँत साफ करने के बाद कुल्ला करें।
  • जब दाँत दर्द शुरू हुआ हो तब अचार खाने से बचें। अचार अम्लीय प्रकृति का होता है, जो दाँतों के इनेमल (दाँतों के सुरक्षा कवच) को नुकसान पहुँचाता है।
  • कैल्शियम, विटामिन सी और डी दाँतों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
  • नींबू, गाजर, मूली, आँवला, मूँगफली, मक्खन, दूध, शहद, दही, संतरा, केला, नारियल और आम समय-समय पर मौसम के अनुसार नियत मात्रा में लें।
  • गुटखा, तंबाकु न चबाएँ या धूम्रपान न करें।
  • अत्यधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स जैसे मैदा, शक्कर न लें, यह दाँतों पर प्लाक बनाता है व मुँह में एसिड का स्तर भी बढ़ाता है।

औषधियाँ

  • जब दाँत में दर्द हो – प्लॅन्टॅगो Q या इचिनॅशिया Q रूई की फाहे की मदद से लगाएँ। इससे दर्द कम होगा।
  • लौंग के तेल की कुछ बूँदे दर्दवाले दाँत के ऊपर व मसूड़ों पर लगाकर हल्का सा मलें, जब तक दाँत दर्द में आराम न आए।
  • ठंढा पानी मुँह में रखने से दाँत दर्द में आराम, रात में दर्द अधिक, प्यास अधिक मात्रा में और मुँह में अधिक मात्रा में लार – मरक्यूरियस सोल्यूबिलिस 30, दिन में तीन बार, सूर्यास्त के पहले, तीन दिन तक लें।
  • मुँह में बहुत ठंढा पानी रखने से दाँत दर्द में आराम – कॉफिया क्रूडा 30, में तीन बार, सूर्यास्त के पहले, तीन दिन तक लें।
  • जब ठंढा पानी या गर्म चाय पीने से दाँत दर्द अधिक तब –  मरक्यूरियस सोल्यूबिलिस 30, दिन में दो बार और सल्फर 30 की सुबह में एक खुराक, पाँच दिन तक लें।
  • उपरोक्त स्थिति में उपरोक्त औषधि देने के तीन दिन बाद भी आराम न आए तो – मरक्यूरियस सोल्यूबिलिस 30, दिन में दो बार और – ऑरम मेटालिकम 30 दिन में दो बार, बारी-बारी से, एक दिन छोड़कर, तीन दिन तक लें।
  • दर्द कान तक चला जाता है व दाँत लंबे महसूस होते हैं – प्लॅन्टॅगो मेजर 30 दिन में दो बार, तीन दिन तक लें।
  • दर्द दबाव से अधिक, दाँतों की जड़ों में सड़न, चबाने से दर्द, दाँत छूने व ठंढे पानी से संवेदनशील, दर्द आँखों तक भी फैलता है – स्टैफिसॅग्रिया 30, दिन में दो बार, तीन दिन तक लें।
  • दर्द एक दाँत से दूसरे दाँत पर सरकता है, साथ ही चेहरे पर सूजन, गर्मी या गर्म पेय से दर्द में आराम – क्रिओसोटम 30, दिन में दो बार, तीन दिन तक लें।
  • गर्म पानी से दर्द अधिक, दर्द कानों और चेहरे तक फैलना – चामोमिला 30, दिन में दो बार, तीन दिन तक लें।
  • सड़े हुए दाँत पर सूजन, रात में अधिक, ठंढी या गर्म चीज़ों के उपयोग से अधिक – मरक्यूरियस सोल्यूबिलिस 30, दिन में तीन बार, सूर्यास्त के पहले लें।
  • खोखले दाँत में दर्द, खाने से, ठंढा पानी पीने से, रात में दर्द अधिक एंटिम क्रूड 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • कुछ भी मीठा खाने से दर्द अधिक नेट्रम कार्बोनिकम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • शरीर में महत्वपूर्ण द्रव पदार्थ की कमी से दर्द अधिक होना चाइना ऑफिसिनॅलिस 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • पायरिया – एक रोग जिसमें दाँत सड़ने-गलने लगते हैं और उनसे खून निकलता है व दुर्गंध आती है, जिसके कारण दर्द व मसूड़ों में सूजन – कार्बो वेज 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • दाँत निकालने बाद दर्द, कैविटी को भरवाने के बाद दाँतों से खून आना – आर्निका 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • चोट लगनेवाला दर्द पूरे मुँह में फैलना, मुँह सूखा, मसूड़ों पर फुंसी (उभार आना) – बॅलाडोना 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • दाँतों को ज़रा सा छूने पर भी दर्द व उनसे आसानी से खून बहना, ठंढी हवा में ज़्यादा – हेपार सल्फ 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।

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