कब्ज, गैस, बदहज्मी एवम उल्टी का होम्योपैथिक उपचार

कब्ज, गैस, बदहज्मी एवम उल्टी का होम्योपैथिक उपचार

कब्ज

कब्ज की समस्या अधिकतर ऐसे लोगों को होती है, जो निष्क्रिय रहते हैं, जो व्यायाम नहीं करते तथा अधिक बैठे रहनेवाला काम करते हैं।

जब इंसान का मल निष्कासन नहीं होता या आँतों (पेट) में कुछ रह गया है, भारीपन महसूस हो रहा है, पेट साफ नहीं हुआ है, इस स्थिति को कब्ज कहते हैं। यह तकलीफ दिन-ब-दिन भारतीयों में बढ़ती जा रही है क्योंकि लोग फास्ट फूड लेते हैं और सप्ताहांत (weekend) में होटलों में रात का खाना लेना पसंद करते हैं। कब्ज होने पर आप बेचैन व व्याकुल रहते हो और बार-बार गैस अर्थात अपान वायु का निष्कासन होता है । यदि कब्ज की उपेक्षा की जाए तो इससे बवासीर (अंतड़ियों का आंतरिक विकार) हो सकता है। कब्ज से सिरदर्द, थकान और साँस में बदबू भी हो सकती है।

  • अपनी जीवन शैली में बदलाव लाएँ, जैसे खान-पान व पानी पीने की आदतें बदलें ।
  • अपने आहार में अधिक हरी सब्ज़ियों और रेशेदार फलों का समावेश करें।
  • होटलों और रेस्टोरंट में जाने से, फास्ट फूड या जंक फूड लेने से, तला हुआ तथा भारी भोजन करने से बचें।
  • यदि संभव हो तो हर दिन एक गिलास सेब का रस लें ।
  • सुबह और शाम पैदल चलने की शुरुआत करें तथा हलका-फुलका व्यायाम करें।
  • सुबह उठने के बाद कम से कम दो गिलास पानी पीएँ और हर रात सोने से पहले एक गिलास दूध पीएँ।
  • पानी पीने की मात्रा को रोज़ बढ़ाते जाएँ ।

औषधियाँ

  • निष्क्रिय व सुस्त जीवन, मल त्याग की अप्रभावी इच्छा, दिन में कई बार मल त्याग नक्स वोमिका 200, दिन में दो बार, तीन दिन के लिए लें।
  • सख्त मल, शुष्कता, रूखा सूखा भोजन खाने की इच्छा – एल्युमिना 200 (बच्चों और वृद्धों के लिए अधिक उपयोगी), दिन में दो बार, तीन दिन के लिए लें।
  • मल सख्त, शुष्क, जला हुआ, बहुत अधिक मात्रा में, मल त्याग की इच्छा न होना, लंबे समय के अंतराल से अधिक प्यास लगना ब्रायोनिया200, दिन में दो बार, तीन दिन के लिए लें।
  • मरीज़ कब्ज के साथ सामान्य और अच्छा महसूस करता है, मोटा, थुलथुला, ठंढ महसूस करता है – कॅल्केरिया कार्बोनिका 30 दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • कब्ज़ लेकिन मल त्याग सिर्फ खड़े रहने पर ही हो पाता है – कॉस्टिकम 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • वृद्धों में बहुत पुरानी कब्ज़ के साथ पेट में डूबने जैसा महसूस होना, जीभ मोटी व पिलपिली और सफेद – हायड्रैस्टिस Q की 8 बूँद आधे कप पानी में दिन में 2 बार, सात दिन तक लें।
  • शीत प्रधान (ज़्यादा ठंढ लगनेवाले) रोगियों में मल गुदा से वापस अंदर चला जाता है, जब थोड़ा सा ही बाहर निकलता है – सिलिशिया 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • पहले मल सख्त, बाद में पतला – कॅल्केरिया कार्ब 200 की एक खुराक सुबह दें।
  • कम मात्रा में मल नक्स वॉमिका 200 की एक खुराक सोते समय दें।
  • सख्त, गाँठदार मल, मलद्वार लाल होना, पेट में दर्द, बार-बार मल त्याग की इच्छा – सल्फर 200 की एक खुराक सुबह दें।
  • सूखा मल, अत्यधिक प्यास – ब्रायोनिआ एल्बा 200 की एक खुराक रात में दें।
  • सूखा, टुकड़ों में मल – नेट्रम म्यूरिऍटीकम 200 की एक खुराक रात में दें।
  • कई दिनों तक मल त्याग की इच्छा न होना – एल्यूमिना 200 की एक खुराक सुबह दें।

नोट: सिर्फ एक खुराक लें और चार दिनों तक परिणाम देखें। थोड़ा सुधार दिखने पर पहली खुराक के एक सप्ताह के बाद दूसरी खुराक दें। यदि दो खुराक के बाद भी सुधार न दिखे तो डॉक्टर से सलाह लें।

पेट फूलना, गैस बनना (Flatulence)

पेट में गैस बनने को फ्लॅटूलन्स कहते हैं। यह गैस गुदा द्वारा पास हो जाती है या डकारों के रूप में ऊपर चढ़ती है या पेट में ही रहती है, जिससे पेट फूल जाता है।

पाचन तंत्र में गैस बनना सबसे आम बीमारी है। लगभग सभी स्थितियों में गैस का कारण कब्ज या अपचन होता है पर आँतों में तकलीफ देनेवाले कई लक्षण (इरिटेबल बॉवेल सिन्ड्रोम), पित्त की थैली में पथरी होना, आमाशय में अम्लीय छाले (पेप्टिक अल्सर) आदि कारणों को भी इनकार नहीं किया जा सकता। गैस पेट में इकट्ठा होना शुरू होता है और उससे पेट फूलने लगता है। यह बेचैनी या तो गैस का मुँह के द्वारा डकार लेने पर या गुदाद्वार द्वारा गैस पास होने पर थोड़ी ठीक होती है। यह स्थिति बहुत शर्मिदंगीवाली हो जाती है, जब किसी के सामने जोर की आवाज़ के साथ डकार लेते हैं या गैस पास करते हैं।

हमारी खान-पान संबंधी आदतों में परिवर्तन ही इस समस्या के लिए ज़िम्मेदार है। वृद्धों में यह आम बात है क्योंकि वे अपनी क्षमता से अधिक भोजन खाते हैं और अपनी बढ़ती उम्र के साथ खाने की मात्रा कम नहीं करते हैं। कई हद तक युवा भी इस समस्या से ग्रासित हैं क्योंकि वे जंक फूड, फास्ट फूड, तला हुआ, मिर्च-मसालेवाला भोजन लेते हैं और पानी के स्थान पर शीत पेय (कोल्ड्रिंक) पीते हैं। व्यावसायिक अधिकारी और नौकरी पेशा लोग हमेशा कार्यरत और जल्दबाजी में रहते हैं। इसलिए वे अकसर भोजन बिना चबाए ही खाते हैं ।

पेट फूलने की समस्या उन स्त्रियों में भी देखी जाती हैं, जिनकी माहवारी का समय निकट हो । कभी-कभी हार्मोन्स के बदलाव आने पर भी पेट में द्रव्य का जमा होना, पेट फूलने का कारण बनता है। कब्ज, विभिन्न खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशीलता, विशेषतः दूध, आँतों की आंतरिक सतह पर घाव और कीटाणू भी पेट फूलने का कारण है।

औषधियाँ   

  • गैस की परेशानी को ठीक करने के लिए सबसे उचित इलाज़ है आप अपनी जीवन शैली व भोजन की आदतों को बदलें । आपकी परेशानी यदि अधिक नहीं है तो नियंत्रित आहार उसे आधा कम कर देगा।
  • आप अपने खाने का मैन्यू देखिए कि उसमें कितनी अपचनेवाली व वसायुक्त चीजें हैं। अधिक और वसायुक्त खाना, तैलीय व फास्ट फुड से बचें। जब भोजन पचता नहीं और पेट में ही खराब होने लगता है तब गैस बनती है।
  • जिन्हें गैस की तकलीफ जल्दी होती हैं, वे खड़ी दालें, फलियाँ (राजमा, छोले, चने) गोभी, प्याज, सोडायुक्त पेय पदार्थ, कच्चा भोजन, कच्चे फल, स्टार्च और प्रोटीनयुक्त भोजन आदि से बचें।
  • एंटीबायोटिक औषधि डॉक्टर की सलाह के बिना न लें। ये दवाइयाँ अंतड़ियों की चयापचय प्रक्रिया व सूक्ष्मजीवाओं की क्रिया को बदल देती है।
  • रात में हलका भोजन करें और थोड़ा टहलने के लिए जाएँ।
  • सुबह जल्दी उठें व रोज़ हलका व्यायाम करने की आदत डालें।
  • निगलने से पहले भोजन को अच्छे से चबाएँ। कभी भी जल्दबाज़ी में न खाएँ । भोजन को पर्याप्त समय दें और आराम से खाएँ ।
  • अत्यधिक नमक, मांसाहारी भोजन, तला हुआ खाना, डिब्बाबंद या फ्रीज में जमी हुई सब्ज़ियाँ, सॉस (चटनी) और अचार खाने से बचें।
  • एक बार में ज़्यादा खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा भोजन बार-बार लें।
  • खाना खाते समय पानी पीने से बचें। भोजन के आधे घंटे पहले या  एक घंटे बाद में पानी पीएँ ।
  • अत्यधिक कार्बोनेटेड शीतल पेय और आइसक्रीम खाने से दूर रहें। स्टार्चवाले भोजन जैसे आलू, मैदा से दूर रहें।
  • सप्ताह में एक दिन उपवास ज़रूर रखें।
  • यदि आपके पेट में दूध पीने से गैस बनती है तो आप इसे न पीएँ।
  • अत्यधिक चाय या कॉफी का सेवन न करें।
  • धूम्रपान और तंबाकू चबाने से दूर रहें।

औषधियां

  • गैस पेट के ऊपरी भाग में रुक गई है, जिससे छाती में दर्द, साँस लेने में तकलीफ, डकारें, भारीपन, पेट भरा हुआ, नींद आना और पेट का अधिक फूलना, गैस पास होने से आराम – कार्बो वेजि 30, दिन में चार बार, दो दिन के लिए लें। अगले तीन से छह दिनों के लिए दिन में तीन बार लें।
  • गैस के साथ पेट में थोड़ा सा दर्द, खाने के बाद पेट / आमाशय में भारीपन, अधिक, चाय पीना इसलिए चाय पीने के बुरे प्रभाव, कड़वे पानी की डकारों से कोई आराम नहीं, हिचकी आना, मुँह से डकारों द्वारा और गुदा के द्वारा गैस पास न होना – चाइना 30 दिन में चार बार, दो दिन के लिए लें। अगले तीन से छः दिनों के लिए दिन में तीन बार लें।
  • खराब या सड़ा हुआ भोजन, फलियाँ, गोभी खाने से गैस, अत्यधिक भूख, भोजन का खट्टा स्वाद, थोड़ा सा खाने पर ही पेट भरा हुआ लगना, जलनयुक्त डकारें, जिससे गले में कई घंटों तक जलन, पेट भरा व फूला हुआ लगना लाइकोपोडियम 30 दिन में तीन बार, सिर्फ तीन दिन के लिए लें।
  • पेट फूलना और भारीपन महसूस होना, जैसे कि वहाँ पर पत्थर रख दिया हो – नक्स वॉमिका 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • भोजन के बाद कपड़े ढीले करने की चाहत होना – पल्सेटिला 200, सप्ताह में एक खुराक, दो सप्ताह तक लें।
  • पेट की गैस ऊपर की तरफ जाने की प्रवृत्ति बनना, सीने में तकलीफ होना – कार्बो वेजि 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • पेट की गैस नीचे की ओर जाना – लाइकोपोडियम 30, दिन में तीन बार, दो दिन तक लें। दिन की आखिरी खुराक शाम सात बजे के पहले लें। 100 दिन के बाद लाइकोपोडियम 200 की एक खुराक लें।
  • पेट में गैस इकट्ठा होना, न ऊपर की ओर और न ही नीचे की ओर जाना – चाइना 30, दिन में तीन बार, दो दिन तक लें। दस दिन बाद चाइना 200 की एक खुराक लें।

अपचन

पाचन क्रिया में भोजन पेट और अन्य अंगों में जाता है, वहाँ अन्नरस जो कि दूध की तरह एक तरल पदार्थ का निर्माण होता है, जिससे रक्त बनता है, जो शरीर को निरोगी बनाए रखने में सहायक बनता है ।

पाचन प्रक्रिया और अपचनवाली प्रक्रिया इन दोनों में काफी अंतर है। जहाँ स्वस्थ शरीर में यह प्रक्रिया आसानी से, जल्दी तथा पूर्ण रूप से हो जाती है, वहीं अपचनवाली प्रकिया दर्दवाली, धीमी या अपूर्ण होती है।

अपचन के मुख्य कारण हैं- जल्दबाज़ी में खाना, अधिक खाना, विविध प्रकार के भोजन, बार-बार खाना, वसायुक्त भोजन खाना और उसके बाद फल खाना, अत्यधिक शराब पीना, तंबाकू खाना, अत्यधिक शीत पेय पीना, अत्यधिक चाय या कॉफी पीना, डॉक्टर की सलाह के बिना अपचन के लिए अधिक दवाइयाँ खाना, अत्यधिक धूम्रपान करना, तला हुआ, तैलीय, मसालेदार, भारी अपचनीय भोजन खाना, देर से खाना, अत्यधिक शारीरिक और मानसिक तनाव आदि । सारांश में, किसी भी पदार्थ की अत्यधिक मात्रा अपचन का कारण है।

  • व्यक्ति, जिसे अपचन की समस्या है, वह सबसे पहले ऊपर दी अपनी अनुचित खाने की आदतों को ठीक करे।
  • . बार-बार न खाए ।
  • अधिक भोजन न खाए ।
  • भोजन को अच्छी तरह चबाए, भोजन को सही चबाना ज़रूरी है। यदि आपके दाँतों में तकलीफ है, जैसे मसूड़ों से खून आना, दाँतों का सड़ना, टूटना आदि उनका उपचार करें।
  • एक समय के भोजन में विविध प्रकार के व्यंजन न ले ।
  • भोजन समय पर खाए, रात का भोजन अधिक देर से न ले। जल्दी सोए व जल्दी उठे।
  • खाने के साथ ज़्यादा पानी न पीए । खाने के आधे घंटे पहले या एक घंटे बाद पानी पीए ।
  • भोजन के बाद स्नान या व्यायाम न करे।

डॉक्टर से संपर्क करे यदि

  • अकसर अपचन की शिकायत हो ।
  • आपको दिन ब दिन भूख कम लग रही हो और आपका वजन कम हो रहा हो ।
  • पैंतालिस वर्ष की उम्र के बाद अपचन का अनुभव हो ।
  • स्वचिकित्सा करने के बाद अपचन की तकलीफ बढ़ गई हो ।
  • सुबह उठने के बाद आपको अधिक अम्लता (एसिडिटी) का अनुभव हो । लंबे समय से अपचन के साथ खाँसी भी हो।

औषधियाँ

  • अम्लीय अजीर्ण – खट्टी डकारें, खट्टा स्वाद और उल्टी – मैग्नीशियम कार्बोनिकम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • वृद्ध, रक्ताल्प (रक्त की कमी) व्यक्ति में अजीर्ण व सीने में जलन – काली कार्बोनिक 30, हर दिन एक खुराक, दो दिन तक लें।
  • बच्चों में अपचन, भरपेट दूध पीने से, दूध से अपचन, खट्टे गाढ़े दूध की उल्टी एथूजा 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • स्वाद कड़वा, खराब, भारी भोजन के बाद, वसायुक्त भोजन पसंद न आना, प्यास न लगना – पल्सेटिला 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • पुराना अजीर्ण, भोजन करने के लिए घृणा, भूख लगना पर इच्छा न होना – कोक्युलस इंडिक्स, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • अत्यधिक गैस बनना, हर बार भोजन के बाद डकारें, अमाशय में घाव (gastric ulcers), खाना खाने से पेट में दर्द – अर्जेंटम नाइट्रिकम 30, दिन में तीन बार, , तीन दिन तक लें।

घबराहट व उल्टी (वमन)

घबराहट, मतली आना वमन की बहुत ही घृणास्पद अनुभूति है । उल्टी दरअसल आमाशय के पदार्थ को बाहर फेंकना है। हर किसी को ये दो लक्षण एक समय पर या अन्य समय पर होते हैं । घबराहट व उल्टी का मुख्य कारण – पाचन की तकलीफ, अत्यधिक भोजन खाने से या ऐसा भोजन जिससे एलर्जी हो, जो अपचनीय व संवेदनशील है। अत्यधिक शराब पीने से, कुछ ज़हरीले पदार्थ (फूड पॉइजनिंग) या किसी संक्रमण के कारण भी ऐसे लक्षण आते हैं। माइग्रेन या सिरदर्द, सफर करते समय जी मचलाना व वमन, डर या चिंता की वजह से भी उल्टी हो सकती है। गर्भवती महिलाओं को भी मतली होती है व कुछ मामलों में बुखार के कारण बच्चों को भी उल्टियाँ होती हैं। कुछ लोगों में एलोपैथिक दवाइयाँ भी मतली का कारण होती है । आमाशय में अल्सर व पित्ताशय की थैली में पथरी के कारण भी मतली हो सकती है।

  • मरीज़ को नींबू पानी या पुदिन हरा या कोई पाचक चूर्ण या अदरक की चाय जो भी घर में उपलब्ध हो, वह दें। यह प्रारंभिक अवस्था में मतली व वमन को कम कर देगा।
  • रसोई घर में पूर्ण सफाई का ध्यान रखें और एक ही प्रकार के भोजन से बचें, जो मतली को बढ़ाता है।
  • एकदम भारी भोजन (तला, मसालेदार, पाचन में अधिक समय लेनेवाला भोजन) लेने के बजाय अकसर हल्का भोजन लें ।
  • जब भी खाना खाएँ, धीरे-धीरे खाने की आदत डालें, जल्दबाज़ी में भोजन न करें।

औषधियाँ

  • सभी प्रकार की मितली व उल्टी के लिए सबसे पहली और महत्वपूर्ण औषधि है – एपिका 30, मरीज़ को हर बार वमन के बाद एक खुराक दें। पहली खुराक के बाद ही उल्टी रुक जाएगी। मतली हो रही है तो एपिका 30 की एक खुराक दें व इंतज़ार करें। यदि उल्टी होती है तो उल्टी के बाद दूसरी खुराक दें।
  • यात्रा के समय मतली व वमन हो तो यात्रा के आधे घंटे पहले कॉक्युलस इंडिकस 30 की एक खुराक दें व जब मरीज़ वाहन में घबराहट महसूस करें तब एक खुराक दें या एक खुराक उल्टी होने के बाद दें ।
  • गर्भवती महिलाओं को उल्टी के बाद सेपिआ 30 की एक खुराक दें। दोबारा न दें, यदि फिर भी तकलीफ हो तो चिकित्सक से सलाह लें।
  • यदि आपको वमन जैसा लग रहा हो, साथ ही ऐसा महसूस हो कि उल्टी से आपके आमाशय की तकलीफ कम हो जाएगी तो नक्स वोमिका 200 की एक खुराक लें।
  • जब पाचन तंत्र की परेशानी हो व कभी-कभी वमन के साथ दस्त लग रहे हो, आमाशय में जलन, थकान व ठंढ की अनुभूति हो तब अर्सेनिकम एल्बम 30, दिन में चार बार, दो दिन तक लें।
  • उल्टी होना लेकिन जीभ साफ रहना – इपिकॅक 30, दिन में तीन बार, दो दिन तक दें।
  • उल्टी होना लेकिन जीभ पर सफेद परत आना एंटिम क्रूड 30, दिन में तीन बार, दो दिन तक दें।
  • खाने के बाद वमन – एथूजा 30, दिन में तीन बार, दो दिन तक दें।
  • भोजन के बाद वमन के साथ अत्यधिक कमज़ोरी महसूस होना – फेरम मेट 30, दिन में तीन बार, दो दिन तक दें।
  • यात्रा के दौरान घबराहट, उल्टी होना कॉक्यूलस इंडिका 30 दिन में तीन बार, एक दिन के लिए दें जब यात्रा करनी हो ।
  • वमन के साथ पेट में दर्द – नक्स वोमिका 30, दिन में तीन बार, दो दिन तक दें।

भूख न लगना

कभी-कभार हमारी शारीरिक प्रणाली सही तरह से काम नहीं करती, ऐसे में कुछ भी खाने का हमारा मन नहीं होता। बुखार, अपचन, अत्यधिक शराब का सेवन, गर्भावस्था, बीमारी या चिंता आदि भूख न लगने के कारण हो सकते हैं। कारण चाहे कोई भी हो पर यह अस्थायी स्थिति होती है । जैसे ही भोजन शैली (food style), चिंता व बीमारी दूर हुई कि भूख भी सामान्य हो जाती है। इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं होता

मगर लंबे समय तक भूख न लगने पर यह समस्या गंभीर हो सकती है। यह कैंसर, हॅपेटाइटिस, हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्त चाप), संक्रमण व गठिया संबंधी रोग हो सकते हैं। लगातार भूख न लगने पर और सामान्य दवाइओं का असर न होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

  • आप अत्यधिक मात्रा में चाय-कॉफी लेते हैं तो उनकी मात्रा कम कर दीजिए ।
  • रोज़ व्यायाम या लंबी दूरी तक चलने की कोशिश करें।
  • यदि आप धूम्रपान करते हैं या तंबाकू चबाते हैं तो उसे शीघ्र ही बंद कर दें या इसकी मात्रा कम कर दें।
  • अगर आपको अपने व्यापार और परिवार संबंधी अत्यधिक चिंता है तो शीघ्र ही इसका उपाय ढूँढ़ लें। अपनी परेशानी अपने करीबी मित्रों तथा अपने परिवार के सदस्यों को बताएँ। वे कुछ हद तक आपकी चिंता को दूर कर देंगे।
  • अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो इसकी मात्रा कम कर दें।
  • यदि आप एक बार के खाने में तीन रोटियाँ खाते हैं और आप सोचते हैं कि तीन रोटियों से कम खाना मतलब आपकी भूख गायब हो गई है तो आप गलत हैं। सिर्फ एक रोटी भी पर्याप्त है मगर हम बार-बार खाएँ, एक समय में थोड़ा, अपने मौजूदा भूख के अनुसार खाएँ । थोड़ा खाएँ पर नियमित समय पर खाएँ ।
  • भोजन के पहले खट्टा या थोड़ा कड़वा व्यंजन जैसे अचार, टमाटर की करी, सब्ज़ियों का सूप, रसम या तली हुई अदरक खाएँ, इससे आपकी भूख बढ़ेगी।

औषधियाँ

  • खाने की इच्छा न होना मगर नमकीन वस्तुएं, और खाने में अधिक नमक खाने की इच्छा – नेट्रम म्यूरिऍटीकम 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक (कुल तीन खुराक) लें ।
  • लीवर के क्षेत्र में दर्द और भूख न लगना – चेलिडोनियम मेजस 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक (कुल तीन खुराक) लें ।
  • सुबह भूख न लगना पर दोपहर और रात में खाने की इच्छा – एबीस नाइग्रा 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक (कुल तीन खुराक) लें।
  • अपचन के कारण खाने में अरुचि, मुँह में कड़वा स्वाद, जीभ पर परत जमा होना – नक्स वॉमिका 200 की एक खुराक सोते समय, तीन सप्ताह तक लें।
  • थोड़ा सा खाने पर पेट भरा-भरा व भारी लगना – लाइकोपोडियम क्लॅवेटम 200, सुबह सिर्फ एक खुराक, एक सप्ताह तक इंतज़ार करें। यदि तकलीफ अभी भी है तब दूसरी खुराक लें। इसे और न दोहराएँ ।
  • अम्लीय और अपाचित (indigestible) भोजन की इच्छा होना पर सामान्य भोजन की इच्छा न होना – इग्नेशिया 200 की एक खुराक सोते समय सप्ताह में एक बार, दो सप्ताह लें।
  • जब भूख न लगने का कोई भी खास कारण पता न हो तब मुख्य औषधि और सामान्य टॉनिक अल्फा अल्फा – Q की 10 बूँदे आधे कप पानी में, दिन में दो बार, खाने के पहले दस दिन तक लें।
  • भूख है पर खाने की इच्छा नहीं है – चाइना 200 की खुराक सप्ताह में एक बार, दो सप्ताह तक दें।
  • बिना इच्छा के भूख लगना और खाने के बाद वमन (उल्टी) होना – फेरम मेटॅलिकम 30, दिन में 3 बार, एक सप्ताह के लिए दें।
  • भूख नहीं है लेकिन अत्यधिक नमक खाना पसंद करता है – नेट्रम म्यूरिऍटीकम 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, दो सप्ताह तक दें।
  • भूख न लगना, बच्चा पेट में दाईं तरफ दर्द की शिकायत करता है – चेलिडोनियम मेजस 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, दो सप्ताह तक दें।

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