पेटदर्द एवं दस्त का होम्योपैथिक उपचार

 पेटदर्द एवं दस्त का होम्योपैथिक उपचार

पेटदर्द

पेटदर्द, पाचन तंत्र से संबंधित है, इसके कई कारण हैं, जैसे संक्रमण (इन्फेक्शन), घाव (ulcers), अपेंडिक्स में सूजन, कब्ज़, पित्ताशय में पथरी आदि । पाचन तंत्र के अलावा, मूत्र नली में संक्रमण, किडनी में तकलीफ, मांसपेशियों का तनाव या हर्निया इत्यादि कारण भी हो सकते हैं। यदि पेटदर्द लगातार लंबे समय से या बार-बार हो रहा है, साथ में बुखार, दस्त, उल्टी और पेशाब में तकलीफ हो तो होमियोपैथिक चिकित्सक से संपर्क करें। यदि पाचन संबंधित तकलीफें हैं तो निम्नलिखित दवाओं का लाभ ले सकते हैं। पाचन संबंधी दर्द में हल्का, सुपाच्य और रेशेदार भोजन करें। वसायुक्त, तैलिय तथा मिर्च-मसालेयुक्त भोजन से दूर रहें। कब्ज़ से बचने के लिए उपाय करें। अधिक पानी पीएँ एवं सोते समय एक गिलास दूध लें। शांत, तनावयुक्त रहने की कोशिश करें।

  • सरसों (राई) का तेल हथेली पर लेकर हलके हाथ से धीरे-धीरे पेट पर गोलाकार दिशा में मालिश करें, जब तक मरीज़ को आरामदायक महसूस हो।
  • गरम पानी की थैली से दर्दवाले स्थान पर गर्म सेक दें।
  • बॅलाडोना 200 की 2 बूँदें आधे कप पानी में डालकर हर पाँच मिनट के बाद मरीज़ को दें, जब तक दर्द समाप्त नहीं हो जाता।

औषधियाँ

जलनयुक्त दर्द में गरम प्रयोगों से आराम मिलना, बासी – खराब भोजन करने से, मांसाहारी भोजन, मदिरा, तंबाकू आदि के सेवन से पाचन क्रिया में तकलीफ, ठंढापन का एहसास होना

बेचैनी के साथ दर्द और कम मात्रा में पानी की प्यास, आर्सेनिक एल्बम पाँच दिन के लिए लें।

  • खाली पेट दर्द होना – एनाकार्डियम ऑक्सिडेंटल 30, दिन में तीन बार ।
  • खाना खाने के बाद दर्द होना – एबिस नाइग्रा 30, दिन में तीन बार ।
  • दर्द के साथ मल त्याग की अप्रभावी इच्छा लेकिन बैठने पर कम मात्रा में मल त्याग – नक्स वॉमिका 30, दिन में तीन बार, पाँच दिनों के लिए लें ।
  • तीक्ष्ण (घातक) दर्द। झुकने एवं सख्त दबाव से आराम – कोलोसिंथिस 30, दिन में तीन बार ।
  • सूई चुभने जैसा दर्द, शरीर के हिलने-डुलने पर अधिक, विशेषतः अगर यह मासिक धर्म के पहले हो – काली कार्बोनिका 30, सिर्फ एक दिन के लिए लें।
  • वसायुक्त भारी भोजन के बाद दर्द अधिक, उसमें आंत्रवायु (गैस) का पास होना – पल्सेटिला 30, दिन में तीन बार, पाँच दिन के लिए लें।
  • पेटदर्द शरीर अन्य भाग में फैलता है और जिद्दी कब्ज़ – प्लम्बम मेटॅलिकम 30, दिन में तीन बार ।
  • पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, मल सख्त एवं कब्ज़ सहित – ग्रॅफाइटिस 30, दिन में तीन बार ।
  • पेटदर्द आगे के हिस्से में अधिक, जीभ साफ रहती है पर उल्टी या मतली जैसा महसूस होना – इपिका 30, दिन में तीन बार ।
  • दर्द पेट से शरीर के दूर के हिस्सों में फैलना, जैसे हाथ की या पैरों की उँगलियों तक जाना, पीछे की ओर मुड़ने से और शरीर को तनाव देने से दर्द में आराम – डाइयोस्कोरिया 30, दिन में तीन बार ।
  • पेट के ऑपरेशन (शल्य चिकित्सा) के बाद दर्द – स्टैफिसॅग्रिया 30, दिन में तीन बार, पाँच दिन के लिए लें।
  • ज़्यादा खाने की वजह से, ज़्यादा शराब पीने से और सुस्त जीवन शैली की वजह से पेटदर्द – नक्स वोमिका 30, दिन में तीन बार । पाँच दिन के लिए लें।
  • पेटदर्द अम्लता और जलन के साथ। ताज़ी हवा और पंखें के पास रहने की तीव्र इच्छा – कार्बो वेजि 30, दिन में तीन बार, पाँच दिन के लिए लें।
  • अगर कीड़ों की वजह से पेटदर्द है, रोगी का नाक में उँगली डालना, नींद में दाँत कटकटाना, गुदा में खुजली और अधिक लार आना – सिना 30, दिन में तीन बार, छः दिन के लिए लें ।
  • गर्भवती महिला को पेटदर्द, क्रोध करने के बाद दर्द बढ़ जाना कमोमिला 30, दिन में तीन बार ।

खाने से एलर्जी

एलर्जी का अर्थ – कुछ खाने की वस्तु, पेय, मौसम और दवाइयों आदि के प्रति संवेदनशील होना । एलर्जी तब होती है जब एलर्जी उत्पन्न करनेवाली किसी वस्तु या स्थिति से संपर्क होता है। सबसे अच्छा तरीका है कि इन पदार्थों या स्थिति से अपना बचाव करना लेकिन यह तब संभव है, जब हमें एलर्जी का असली कारण पता हो। लोग प्रदूषणभरे शहरों में रहते हुए रोज़मर्रा के जीवन से धूल और प्रदूषण से नहीं बच पाते। इसलिए एक ही पर्याय बचता है – अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity power) को बढ़ाना ताकि हमारा शरीर बीमारियों से लड़ने के लिए सक्षम हो जाए। होमियोपैथी – ऐसा करने में समर्थ है।

  • यदि धूल से एलर्जी है तो मुँह और नाक पर कपड़ा बाँधकर उससे बच सकते हैं। एलर्जी की तीव्रता कम होगी।
  • एलर्जी के कारण का पता ना हो तो उससे बचने का कोई उपाय नहीं है । इसलिये पहले एलर्जी का कारण पता लगाना चाहिये । जैसे अगर किसी को दूध से एलर्जी है तो उसे दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थों का उपयोग बंद कर देना चाहिये और होम्योपैथिक दवा लेनी चाहिये ताकि वह फिर से दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थ खा सके ।
  • ब्रेड, अम्लीय भोजन – नेट्र म म्यूर 200, सप्ताहमें एक बार, एक खुराक, सुबह खाली पेट, तीन सप्ताह तक लें ।
  • मक्खन – पल्सेटिला नाइग्रीकन्स 200, सप्ताह में एक बार, एक खुराक, सुबह खाली पेट, तीन सप्ताह तक लें।  
  • दूध के कारण – मॅग्नेशिया कार्बोनिका 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • ठंढा दूध – काली आयोडम 200, सप्ताह में एक बार, एक खुराक, सुबह खाली पेट, तीन सप्ताह तक लें।
  • नमकवाला मक्खन, खराब अंडे और पोल्ट्री आयटम – कार्बो वेजीटॅबिलिस 200, सप्ताह में एक बार, एक खुराक, सुबह खाली पेट, तीन सप्ताह तक लें।
  • एंटीबायोटिक दवाइयाँ – सल्फर 200 की एक खुराक, सप्ताह में एक बार, सुबह खाली पेट, तीन सप्ताह तक लें।
  • कॉफी – नक्स वोमिका 200 की एक खुराक, सप्ताह में एक बार, सुबह खाली पेट, तीन सप्ताह तक लें।
  • गर्मी – एपिस 30, दिन में दो बार सात दिन तक लें।
  • बर्फ – आर्सेनिकम एल्बम 200 की एक खुराक सोते समय सप्ताह में एक बार, कुल तीन खुराक तीन सप्ताह लें।
  • शीतल पेय, फल, ज़्यादा पके या खराब फल और भोजन – आर्सेनिकम एल्बम 200 की एक खुराक सोते समय सप्ताह में एक बार, कुल तीन खुराक तीन सप्ताह लें ।
  • ठंढा खाना – आर्सेनिकम एल्बम 200 की एक खुराक सोते समय सप्ताह में एक बार, कुल तीन खुराक तीन सप्ताह लें।
  • गर्म खाना – ब्रायोनिया एल्बा 200 की एक खुराक सोते समय सप्ताह में एक बार, कुल तीन खुराक तीन सप्ताह लें।
  • नमी / आर्द्रता (गीलापन) – डल्कामारा 30 दिन में तीन बार, सात दिन के लिए लें।
  • शक्कर / मीठा – अर्जेंटम नाइट्रिकम 200, सप्ताह में एक बार सोते समय, तीन खुराक, तीन सप्ताह के लिए लें।
  • चावल – टेल्यूरियम 200, सप्ताह में एक बार सोते समय, तीन खुराक, तीन सप्ताह के लिए लें।
  • गोभी – पेट्रोलियम 200, सप्ताह में एक बार सोते समय, तीन सप्ताह के लिए लें।
  • सड़ी-गली सब्ज़ियाँ – कार्बो ऍनीमॅलिस 200, सप्ताह में एक बार सोते समय, तीन खुराक, तीन सप्ताह के लिए लें।
  • पेस्ट्री, आईसक्रीम, विभिन्न प्रकार का भोजन पल्सेटिल 200, सप्ताह में एक बार सोते समय, तीन खुराक, तीन सप्ताह के लिए लें।
  • नींबू – सेलेनियम मेटॅलिकम 200, सप्ताह में एक बार सोते समय, तीन खुराक, तीन सप्ताह के लिए लें।
  • तरबूज – जिंजिबर ऑफिसिनेल 30, एक दिन में दो खुराक, सात दिन तक लें।
  • अचार, खट्टा खाना, अम्लीय भोजन – लैकेसिस 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • स्ट्रॉबेरीज – ऑक्सॅलिक एसिड 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • प्याज़ – थूजा ऑक्सिडेंटॅलिस 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • आलू – एल्यूमिना 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें ।
  • मांस – आर्सेनिकम एल्बम 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • आभूषण / जेवर – अर्जेंटम नाइट्रिकम 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • बालों को डाई करना – सल्फर 200, खाली पेट सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • गेहूँ का आटा, नया या पुराना सोराइनम 200, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।

दस्त, अतिसार (Diarrhoea)

दस्त एक क्रियात्मक विकार है, जिसमें आँतों में जलन और सूजन के बिना बार-बार पतला मल त्याग होता है। अतिसार का अर्थ है बार-बार पतला दस्त होना । जब पाचन क्रिया सही तरह से कार्य न करती हो और भोजन अपेक्षा से अधिक तीव्र गति से पाचन मार्ग में पहुँच जाता है तब इसका कारण कुछ संक्रमण (इन्फेक्शन) हुआ है। यदि मरीज़ को कोई औषधि भी न दी जाए और अधिक से अधिक पेय पदार्थ लेने के साथ पूरा आराम करे तो दस्त ठीक हो जाते हैं।

यदि दस्त कुछ दिनों तक चलते हैं तो इसका कारण विषाक्त भोजन से अंतड़ियों की आंतरिक सतह पर कुछ वाइरल और बैक्टेरियल (जीवाणु संबंधी) संक्रमण हुआ है।

कई बार दस्त का कारण कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का अपचन भी हो सकता है, जैसे दूध, क्रीम, चीज, मांस आदि । कई बार औषधियों को ज़्यादा मात्रा में लेने का प्रभाव भी हो सकता है। अकसर अत्यधिक कच्चे या न पचनेवाले खराब फल, बीमार जानवरों का मांस, वातावरणीय प्रभाव, थकान, दबा हुआ चर्म रोग और मानसिक भावनाओं के कारण भी दस्त होते हैं। यह याद रहे कि अपचन के कारण दस्त लगने की समस्या होना एक शारीरिक प्रक्रिया है ताकि नुकसानदेह पदार्थ बाहर निकल जाएँ वरना शरीर में गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकते हैं।

  • बिस्तर पर अधिक से अधिक आराम करें, कुछ घंटों के लिए लेट जाना बेहतर है। अचानक तापमान में आए परिवर्तन से बचें।
  • अत्यधिक शारीरिक और मानसिक तनाव से बचना चाहिए।
  • भरपूर मात्रा में उबला हुआ पानी शक्कर और एक चुटकी नमक मिलाकर लेना चाहिए।
  • इसमें इलेक्ट्रॉल या ओ. आर. एस. का घोल भी मदद करता है।
  • चाय, कॉफी, अंडे, मांस, मसालेदार खाना, फल और उत्तेजक पदार्थों से बचना चाहिए।
  • दो चम्मच इसबगोल को दही और शक्कर में मिलाकर दिन में दो बार लें।
  • भोजन में दही और चावल खाएँ ।
  • भोजन के पश्चात एक छोटे चम्मच सौंफ के साथ मिश्री खाएँ ।
  • दस्त की समस्या के दौरान यात्रा और होटल में भोजन खाने से बचें।
  • हर बार शौच के बाद साबुन से अच्छी तरह हाथ साफ करें तथा पोंछकर सुखा दें। मरीज़ के लिए अलग से तौलिया रखें। सार्वजनिक शौचालयों के इस्तेमाल से बचें।

नोट: यदि दस्त में ध्यान न रखा जाए तो शरीर में पानी की कमी से होनेवाली सुस्ती, पेशाब का कम मात्रा में आना, बेचैनी, उल्टी होना आदि लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

औषधियाँ

  • अधिक फल खाने से गर्मियों में दस्त, खाने के बाद बिना दर्द के दस्त, सुबह-शाम कमज़ोरी महसूस होना, प्यास, भूख न लगना, मल एकदम से बलपूर्वक निकलना – चाइना 30, दिन में छह खुराक हर दस्त के बाद जब तक आराम न आए तब तक लें। यदि तीन से चार खुराक के बाद आराम आ जाए तो दवा बंद कर दें। अगले दिन दो खुराक तथा तीसरे दिन केवल एक खुराक लें।
  • ठंढ व नम मौसम के संपर्क में आने से दस्त लगना, ठंढक महसूस होना, अधिक प्यास लगना व बुखार जैसा लगना एकोनाइटम 30, उपरोक्त विधि अनुसार लें।
  • बच्चों में दस्त, गरम, हरे, दर्दयुक्त, दाँत निकलते समय बच्चा चिल्लाता है और चिड़चिड़ करता है – कमोमिला 30 दिन में छह खुराक हर दस्त के बाद जब तक आराम न आए तब तक लें। यदि तीन से चार खुराक के बाद आराम आ जाए तो दवा बंद कर दें। अगले दिन दो खुराक तथा तीसरे दिन केवल एक खुराक लें।
  • रात में देरी से खाने तथा अधिक मात्रा में खाने और पीने से – नक्स वोमिका 30, उपरोक्त विधि अनुसार लें ।
  • हर दस्त के बाद जलन, बेचैनी, कमज़ोरी, मल में बदबू, अधिक प्यास, बासी खाना, मांस-मछली या दूध, बासी सब्ज़ियाँ, आइसक्रीम तथा अम्लीय भोजन खाने से दस्त – आर्सेनिक एल्ब 30, दिन में छह खुराक हर दस्त के बाद जब तक आराम न आए तब तक लें। यदि तीन से चार खुराक के बाद आराम आ जाए तो दवा बंद कर दें। अगले दिन दो खुराक तथा तीसरे दिन केवल एक खुराक लें।
  • दस्त प्रचुर मात्रा में, बलपूर्वक बाहर निकलना, सोने के बाद राहत, उबले साबूदाने जैसे दस्त – पोडोफाइलम 30, उपरोक्त विधि अनुसार लें।
  • पीले बदबूदार दस्त, दस्त होने के तुरंत बाद दस्त की इच्छा, दस्त के पहले और दस्त के समय पेट में दर्द, सुबह दस्त मरीज़ को बिस्तर छोड़ने के लिए बाध्य करता है और दस्त के साथ गैस, वायु निकलना – एलोस सोक 30, दिन में छह खुराक हर दस्त के बाद जब तक आराम न आए तब तक लें। यदि तीन से चार खुराक के बाद आराम आ जाए तो दवा बंद कर दें। अगले दिन दो खुराक तथा तीसरे दिन केवल एक खुराक लें।

यदि आप दस्त का कारण जानते हैं तो निम्न औषधियाँ बेहतर कार्य करेंगी।

  • प्रदूषित पानी पीने से – कमोमिला 30
  • बारिश के मौसम में ठंढ के संपर्क में आने से – डल्कामारा 30
  • दूध पीने से – एथूसा साइनॅपियम 30
  • वसायुक्त भोजन खाने से – पल्सेटिला 30
  • दिन में गरमी, लू लगने से और रात में ठंढ के संपर्क में आने से – ब्रायोनिआ एल्बा 30
  • खुशी की खबर सुनकर – कॉफिया क्रूडा 30
  • दुःख की खबर सुनकर – इग्नेशिया 30
  • प्रसूति के बाद दस्त लगना – चाइना 30
  • अधिक फल खाने के बाद – चाइना 30
  • आइसक्रीम या बर्फ खाने के बाद आर्सेनिक एल्ब 30

नोट : उपरोक्त औषधियों की दिन में छह खुराक हर दस्त के बाद जब तक आराम न आए तब तक लें। यदि तीन से चार खुराक के बाद आराम आ जाए तो दवा बंद कर दें। अगले दिन दो खुराक तथा तीसरे दिन केवल एक खुराक लें।

पित्ताशय की बीमारियों

पित्ताशय (gallbladder) पित्त को इकट्ठा करता है। यह एक महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारी पाचन क्रिया में मदद करता है। पित्त एक सघन पाचक रस है, जो यकृत द्वारा निकलता है और पित्ताशय में इकट्ठा होता है। जब कुछ वसायुक्त (fats ) भोजन पेट या आँतों में आता है तब पित्ताशय से पित्त निकलता है और वसा के टुकड़े बनाता है, जिससे पाचन क्रिया आसान हो जाती है। यदि सादा और अनियमित भोजन करने से पित्त का स्राव कम होता है तो इस स्थिति में पित्त वहीं जमा होने लगता है और यह लगातार जमाव पथरी के रूप में परिवर्तित हो जाता है।

पित्ताशय का प्रमुख रोग पित्ताशय में पथरी बनना है। पथरी 2 से.मी. तक या अनेक छोटी-छोटी पथरियाँ हो सकती हैं। कई छोटी पथरियाँ बन जाती हैं जो अनजाने में बाहर भी निकल जाती हैं, जिसका इंसान को पता तक नहीं होता है। पथरी बनने से पित्त का मार्ग अवरूद्ध हो जाता है, जिससे दर्द होता है या पथरी बड़ी हो तब वह पित्ताशय की आंतरिक सतह पर घर्षण पैदा करती है।

  • मांसाहारी भोजन (पशु प्रोटीन) कम मात्रा में ग्रहण करें।
  • शक्कर और मीठा खाना बंद कर दें।
  • स्टार्च, वसायुक्त भोजन और केल्शियम सॉल्ट लेना बंद करें।
  • दूध, पनीर, मक्खन, वसायुक्त खाद्य पदार्थ, केक, बिस्किट और अंडों की मात्रा सीमित कर दें।
  • भोजन समय पर लें वरना खाना खाने में आधे घंटे से अधिक देर न करें।
  • सब्जियाँ व फल जैसे अंगूर, पपीता, सेब, नारियल, आम और लीची अधिक मात्रा में खाएँ ।
  • टमाटर और पत्तेदार सब्जियाँ खाने से बचें।
  • चाय कम पीएँ और कॉफी पीने से बचें।

औषधियाँ

  • पथरी को गलाने या निकालने के लिए – चेलीडोनियम मेजस Q की 10 बूंदे आधे कप ताजे पानी में दिन में तीन बार, दस दिन तक लें। पंद्रह दिन बाद अनुभवी डॉक्टर से संपर्क करें, पित्ताशय की पथरी के लिए उनका मार्गदर्शन ज़रूरी है।
  • उदरशूल (पेटदर्द) – कॅल्केरिया कार्बोनिका 30 हर दस मिनट में तीन खुराक लें। यदि दर्द कम न हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।
  • बार-बार पथरी बनने से रोकना – चाइना ओफिसिनॅलिस 200 हर महीने में एक खुराक लें।

नोट : इस बीमारी के इलाज़ के लिए स्वयं औषधि लेने से बेहतर होगा कि आप चिकित्सक से संपर्क करें ।

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