खांसी एवं गले की समस्याओं का होम्योपैथिक उपचार

खांसी एवं गले की समस्याओं का होम्योपैथिक उपचार

गले में खराश

गले में खराश यानी गले के भाग में दर्द होना। सामान्यतः गले में खराश आगामी सर्दी, गले का संक्रमण (इन्फेक्शन), ग्रंथीय ज्वर या ज्वर का पहला लक्षण माना जाता है। गले में खराश किसी एलर्जी, ठंढी शुष्क हवा, वातावरण में प्रदूषण, वाइरल या बैक्टेरियल संक्रमण कारण होता है।

अगर गले में खराश किसी खाँसी, बुखार या जुकाम के साथ नहीं होता है तो इसे गर्म नमकवाले पानी से गरारे करके या नमकवाली काली चाय पीकर नियंत्रित किया जा सकता है। एक कप गर्म पानी में नमक डालकर जैसे चाय पीते हैं वैसे पीएँ, यह गले के दर्द में आराम देगा। ऐसा दिन में कम से कम दो बार करें।

  • यह बेहतर है कि उपरोक्त दिए हुए सुझाव अनुसार कम से कम दिन में चार से पाँच बार गरारे करें।
  • यदि सर्दी का मौसम हो तो गले को गर्म कपड़े से लपेटकर रखें। धूम्रपान से बचें।
  • ज़्यादा भीड़वाली जगहों में जाने से बचें, जहाँ अधिक प्रदूषण हों। एक दिन के लिए भरपूर आराम करें।
  • फाइटोलक्का Q की 10 बूँदे 100 एम.एल हल्के गर्म पानी में मिलाकर गरारे करें। यह दिन में दो से तीन बार किया जा सकता है। यह सभी प्रकार के गले के दर्द में अच्छा परिणाम देता है।

औषधियाँ

  • ठंढी शुष्क हवा से गले में अचानक दर्द, मरीज़ बहुत चिंतित रहता है – एकोनाइट 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • गले में जलन, सूखापन, न बुझनेवाली प्यास पर एक बार में थोड़ा ही पानी पीना – अर्सेनिक एल्ब 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • गले में दर्द, निगलने पर भी दर्द अधिक, रोगी तरल पदार्थ (लिक्विड) आसानी से निगलता है पर ठोस पदार्थ नहीं, टॉन्सिल में सूजन – बराइटा कार्ब 30, दिन में तीन बार, चार दिन तक लें।
  • गले में दर्द, अंगारे जैसा लाल दिखना, रक्त-संकुलन (खून का असाधारण जमाव के कारण दर्द, गले में जलन के साथ सूजन और गले के दाईं तरफ दर्द – बॅलाडोना 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • गले में पस बनने जैसा दिखना, शूटिंग व चुभने जैसा दर्द, ठंढ व छूने से गला संवेदनशील, मरीज़ ठंढा महसूस करना पर उसे पसीना आना – हेपार सल्फ 30, दिन में तीन बार, चार दिन तक लें।
  • गले में बाईं तरफ दर्द जो दाईं तरफ जाता है, उस पर जामुनी रंग की सूजन, यहाँ तक कि गले के आस-पास कपड़ों के दबाव भी असहनीय – लॅकॅसिस 200 की एक खुराक सुबह में एक दिन लें और देखें । यदि ज़रूरत हो तो तीसरे दिन दूसरी खुराक लें।
  • गले व टॉन्सिल में दर्द दाईं ओर से शुरू होकर बाईं तरफ जाना, नाक का बंद होना – लाइकोपोडियम 200 की एक खुराक सुबह में एक दिन लें और देखें। यदि ज़रूरत हो तो तीसरे दिन दूसरी खुराक लें।
  • जब गले का दर्द किसी भी एक तरफ से दूसरी तरफ बदलता रहता है तब – लॅक कॅनिनम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।

आवाज़ के विकार (गला बैठना)

भारत में आवाज चले जाना, गला बैठना बहुत ही आम बात है । शादी समारोह, सार्वजनिक बैठकों और शैक्षणिक क्षेत्रों में इसका योगदान बहुत है। शादी व अन्य समारोहों में लोग बाते करते हैं व गाते हैं, सार्वजनिक सभाओं में, नेता जोर से घंटों तक बोलते हैं, विद्यालयों में शिक्षकों को लगातार कक्षाओं में बोलना पड़ता है। आवाज़ चले जाना स्वरयंत्र का विकार है, जिसका सामान्य आवाज़ पर असर पड़ता है। आवाज़ भारी हो जाती है या धीमी सुनाई देती है या बैठ जाती है। यह थोड़े समय के लिए स्वरयंत्र की सूजन के कारण होता है।

सर्दी के कारण वाइरल इनफेक्शन, धूम्रपान और तकलीफदेह खाद्य पदार्थ का सेवन आदि इसके अन्य कारण हैं। यदि कुछ लोगों में गला बैठना / आवाज़ चले जाना नियमित लक्षण है और यह लगातार बने रहता है तो यह गले में पॉलिप्स (स्वरयंत्र पर उभरे फोड़ों) की वजह से होता है। इसे डॉक्टर द्वारा जाँच करने की ज़रूरत होती है।

नेताओं, वक्ताओं व शिक्षकों में आवाज़ का अधिक उपयोग करने से यदि आवाज़ चली जाए या गला बैठ जाए तो यह कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। ऐसे मामलों में गले में सूजन या इनफेक्शन दर्दरहित होता है।

  • स्वरयंत्र को आराम दें, अधिक बोलने से बचें, इससे जल्दी ठीक हो जाएँगे। बार-बार गला साफ न करें वरना यह स्वरयंत्र को परेशान कर देगा।
  • यदि आपको सर्दी लगने के बाद आपका गला बैठ गया है तो आप पहले सर्दी का इलाज़ करें।
  • भरपूर मात्रा में पानी पीएँ ।
  • ले को भाप दें व काली चाय में नमक डालकर तीन से चार बार गरारे करें, इससे बहुत मदद मिलेगी।

औषधियाँ

  • सर्दी की वजह से आवाज़ चले जाना या गला बैठना – कॉस्टिकम 30, दिन में पाँच बार, दो दिन तक लें।
  • अत्यधिक गर्म के संपर्क में आने से आवाज़ चले जाना – एंटीम क्रूड 30, दिन में चार बार, दो दिन तक लें।
  • गायकों, वक्ताओं या वकीलों की अचानक से आवाज़ चले जाना –  ट्राय फाइलम 30, दिन में पाँच बार, दो दिन तक लें।
  • मासिक स्राव के पहले आवाज़ चले जाना – जेल्सेमियम 30, मासिक स्राव शुरू होने के पहले, दिन में चार बार, दो दिन तक लें। मासिक स्राव के दौरान कोई औषधी न लें।
  • आवाज़ का टोन बदल जाना, कभी-कभी आवाज़ अनिश्चित या धीरे-धीरे आना – रस टॉक्स 30, दिन में चार बार, दो दिन तक लें।
  • किसी भी तरह से आवाज़ चले जाना या गला बैठना, साथ ही बहुत ठंढे पानी की प्यास लगना – फॉस्फोरस 200 की कुल दो खुराक एक-एक घंटे के अंतराल में लें।

खाँसी        

खाँसी एक सामान्य विकार है। इसमें चिंता की कोई बात नहीं तब तक, जब तक खाँसी लंबे समय तक नहीं रहती है। इसका यह अर्थ बिलकुल नहीं कि औषधि न ली जाए। मामूली सर्दी, फ्लू या किसी प्रकार की एलर्जी की प्रतिक्रिया ऊपरी श्वास नली में संक्रमण (इन्फेक्शन) पैदा कर सकती है। खाँसी सूखी या बलगमयुक्त भी हो सकती है। वास्तव में खाँसी एक प्रतिक्रिया है, जो श्वसन मार्ग से बलगम को बाहर निकालने का कार्य करती है। यह श्वसन प्रणाली को साफ करने की प्रक्रिया है । खाँसी यह भी दर्शाती है कि हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता है, जो श्वसन प्रणाली में फँसे उत्तेजक कणों को बाहर निकाल देती है।

वातावरण में प्रदूषण, वाहनों से निकलनेवाला धुआँ, सर्दी-जुकाम में बलगम नाक से होकर गले में चला जाता है और श्वसन मार्ग में अवरोध पैदा करता है । श्वसन मार्ग में किसी भी प्रकार की एलर्जी, जीवाणुओं का संक्रमण तथा उपरोक्त कई कारणों से खाँसी हो सकती है। खाँसी ठंढ के मौसम में एवं प्रदूषणयुक्त क्षेत्रों में ज़्यादा होती है।

  • प्रदूषित स्थानों पर जाने से बचें, यदि आप धूम्रपान करते हैं तो धूम्रपान करना छोड़ दें।
  • दिन में अधिक मात्रा में पानी पीएँ। दिन में कम से कम तीन बार गुनगुना पानी पीएँ।
  • दही और केला खाना बंद करें।
  • ठंढ के मौसम में खाँसी होने पर एक चम्मच शहद के साथ अदरक या प्याज़ के रस की चार बूंद डालकर हर दिन, दिन में दो या तीन बार लें।
  • यदि खाँसी भौंकने जैसी, रूखी, खराशवाली है तो भाप लेना उपयोगी होगा। इसके लिए गरम पानी से भाप लें । इस विधि के अलावा बाज़ार में बिजली पर चलनेवाले भाप लेने के यंत्र भी उपलब्ध हैं।
  • हलके गरम लहसून – सरसों के तेल से छाती, पीठ और गले पर हलके हाथ से मालिश करें। इस तेल को बनाने के लिए लहसून की चार कलियों को एक चम्मच सरसों के तेल में मिलाकर गरम करें, जब तक कि लहसून भुन न जाए। इस तेल को थोड़ा हलका गरम होने दें और लहसून की कलियाँ निकालकर इस तेल से रोगी की छाती, गले और पीठ पर मालिश करें। मरीज़ को ठंढी हवा न लगने दें। बेहतर है कि मालिश रात में सोने से पहले की जाए।

औषधियाँ

  • जब खाँसी ठंढी हवा के संपर्क में आने से हो और मरीज़ को खाँसी होने की चिंता या डर हो तो – एकोनाइट30, दिन में चार बार, एक दिन के लिए और उसके बाद दिन में तीन बार अगले दो दिन तक लें
  • खाँसी से शरीर के दूर के भागों तक दर्द, गले में जलन हो तो कॅप्सीकम एनम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • खाँसी के दौरे के बाद नींद आना, खाँसी से और ज़्यादा खाँसने की इच्छा बढ़ना, लंबी साँस भरना, मरीज़ का मानसिक व शारीरिक तौर से थक जाना – इग्नेशिया 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • रात को खाँसी के साथ सीने में तकलीफ, खाँसी छाती की गहराई से आना, रात में खाँसी के साथ दिन में दस्त होना – पेट्रोलियम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • खाँसी – साँस अंदर लेते समय व रात में, रात में ठंढी हवा में साँस लेते वक्त व सूखी खाँसी, गले में खराश से खाँसी – रयूमेक्स क्रिस्पस 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • खाँसते-खाँसते छींके आ जाना, वृद्धों में सख्त, गाढ़ा बलगम बाहर निकालने में कठिनाई, खाँसने पर पीठ में दर्द – सेनेगा Q, 10 बूँदे आधे कप पानी में दिन तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • खाँसी से सिर एवं छाती में दर्द, कब्ज के साथ सूखा मल, अधिक प्यास ब्रायोनिया एल्बा 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • खाँसी के साथ गला बैठना, आवाज़ खो जाना, खाँसी में भी ठंढा बर्फीला पानी पीना पसंद करना – फॉस्फोरस 200 की एक खुराक सुबह में और तीसरे दिन एक खुराक सुबह में लें।
  • खाँसी के साथ गले में धूल अटकने जैसा महसूस होना, खाँसते समय मुँह से बलगम की छोटी गाँठे बाहर उड़कर गिरना, खाँसी के साथ बारी-बारी से दस्त और कब्ज़ होना – चेलीडोनियम 30, दिन में 3 बार, तीन दिन के लिए लें।
  • खाँसते समय कान में दर्द, कफ चिपचिपा और लसदार (रेशेदार ) – काली ब्राइक्रोमियम 30, दिन में 3 बार, तीन दिन के लिए लें।
  • खाँसी सुबह तीन बजे आना – काली कार्बोनिकम 200 की एक खुराक सुबह में और यदि आराम न आए तो चौथे दिन पर एक खुराक लें। यदि पहली खुराक से आराम मिल जाए तो खुराक को न दोहराएँ । परिणाम के लिए पहली खुराक के बाद चार दिन इंतज़ार करें।
  • गरम कमरे में खाँसी आना, खुली हवा में आराम, कम प्यास के साथ मुँह सूखना – पल्सेटिला 30, दिन में तीन बार, तीन दिन के लिए लें।
  • सूखी खाँसी के साथ सिसकारी जैसी आवाज़ आना, जैसे आरी (लकड़ी, लोहा आदि को काटने का दाँतीदार अवज़ार ) चल रही हो, घरघराहट, गले में डाट (प्लग) लगने जैसी अनुभूति, श्वसन मार्ग में ज़्यादा सूखापन – स्पॉन्जिया टोस्टा 30, दिन में चार बार, एक दिन के लिए और दिन में तीन बार अगले तीन दिन के लिए लें।
  • खाँसते समय पेशाब निकल जाना, ठंढे, नम मौसम में सूखी खाँसी में आराम, कम मात्रा में कफ, इसे निगलने जैसा महसूस होना – कॉस्टिकम 200 की एक खुराक दिन में एक बार, तीन दिन के लिए लें।
  • पहली नींद के बाद खाँसी बदतर और घरघराहट के साथ जीभ साफ, कभी-कभी जी मिचलाना और वमन इपिकाक्वान्हा 30, दिन में तीन बार, तीन दिन के लिए लें।
  • कफ की वजह से छाती में खरखराहट की आवाज़, कफ को बाहर निकालने में तकलीफ, जीभ पर सफेद परत, बारी-बारी से खाँसी और उबासी आना – एंटिम टार्ट 30, दिन में तीन बार, तीन दिन के लिए लें ।
  • रात में सूखी खाँसी, गले में खराश, अचानक दम घुटना, खाँसने से चेहरा लाल होना, गले में तेज़ दर्द, तीखी कर्कश आवाज़ बॅलाडोना 30, दिन में चार बार, तीन दिन के लिए लें।
  • ठंढी हवा के संपर्क में आने से गले में किसी बाह्य पदार्थ के अटकने जैसा लगना, निगलते वक्त दर्द होना, छूने से संवेदनशील, ठंढ से खाँसी बढ़ना, खाँसी के वक्त दम घुटने जैसा लगना – हीपर सल्फ 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें। अब कफ आसानी से निकल जाएगा। चौथे दिन कोई दवा न लें तथा पाँचवें दिन पर हीपर सल्फ 200 की एक खुराक लें।
  • खाँसी के साथ गले में खुजली, जकड़नयुक्त खाँसी के साथ सीने जलन, आवाज़ बैठना, घरघराहट, उल्टी, बीमारी के बाद की खाँसी, खाँसी के साथ पेट वायु (गैस) बनना – कार्बो वेजि 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • कफ पीला और मीठा, कमज़ोरी तथा छाती में खालीपन लगना स्टॅनम मेटॅलिकम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • सूखी खाँसी, खाँसने के लिए झुकना पड़ता है, खाँसी के साथ कब्ज – काली म्यूरिऍटीकम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • बच्चा खाँसने के पहले और बाद में रोता है, तीव्र खाँसी के साथ चेहरे पर दाद (हर्पीस), खाँसी रात में और व्यायाम करते समय बढ़ जाती अर्निका मोंटाना 200 की एक खुराक दिन में एक बार तीन दिन तक लें।

नोट : यदि पाँच दिन में खाँसी ठीक न हो तब चिकित्सक से सलाह लें।

खर्राटे लेना   

नींद व खर्राटे एक-दूसरे से संबंधित हैं। खर्राटे सोने के बाद आते हैं, जो सोनेवाले इंसान की नींद में नहीं बल्कि दूसरों की नींद में बाधा डालते हैं । वे बिना नींद के पूरी रात करवटे बदलते रहते हैं और उनकी रातें परेशानी में गुज़रती हैं। स्वास्थ्य विज्ञान ने जबरदस्त प्रगति की है और कई बीमारियों पर जीत भी प्राप्त की है। फिर भी खर्राटों पर रोक-थाम लगाना आज भी एक दूर का सपना ही है। ऐसे में हम वैज्ञानिकों को ही दोष क्यों दें? यहाँ तक कि आम लोग भी इसे ठीक करने के लिए गंभीर नहीं हैं क्योंकि लोग इसे रोग नहीं विकार समझते हैं।

खर्राटों ने अंर्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है क्योंकि इससे साथी की नींद उड़ जाती है, जो कि बहुत ही कष्टप्रद है। कुछ लोग इस समस्या के कारण तलाक तक माँग लेते हैं। खर्राटे का विशिष्ट लक्षण यह है कि खर्राटे लेनेवाला इंसान यह कभी नहीं मानता कि वह नींद में खर्राटे लेता है।

एक आवाज़ के साथ नींद में श्वास लेना खर्राटे हैं। श्वास अंदर लेने पर स्वर रज्जु द्वारा बहुत तेज़ आवाज़ या सोते समय तालू में कंपन होना खर्राटे हैं। नासिका मार्ग में फोड़ा (पॉलिप), पुराना सड़न गलन दुर्गंधयुक्त, तीखा नासिका प्रदाह और नुकसान करनेवाला नजला (सर्दी) आदि वजह से इंसान मुँह के द्वारा श्वास लेता है और परिणाम स्वरूप खर्राटों की आवाज़ आती है । यदि इस्तेमाल किया जानेवाला तकिया बहुत पुराना, उबड़-खाबड़ और जिससे सोने में असुविधा होती हो या वह बहुत दबा हुआ हो तो मुँह खुला रहने से खर्राटों की आवाज़ आती है।

  • वजन कम करने की कोशिश करें।
  • धूम्रपान व शराब या मादक पेय से दूर रहें।
  • बिस्तर से लगभग 8 से 10 सेंटी मीटर्स ऊँचे तकिए का इस्तेमाल करें। नाक की क्लिप या पट्टी का उपयोग करें, जिससे श्वास लेने में मदद होगी, यह बाजार में उपलब्ध है।

चिकित्सक से संपर्क कब करें?

अकसर खर्राटे की आवाज़ बहुत जोर से आए, जब आप जाग जाए और थकान महसूस करें, जब आपकी साँसें रुक जाएँ या सोते समय साँसे रुक जाएँ, जब दिन में भी निद्रा का अनुभव करें, जब आपका वजन अधिक हो या गला मोटा हो तब बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से संपर्क करें।

औषधियाँ

  • जब खर्राटे का कारण नाक में बाधा और नाक की हड्डी का बढ़ना हो तब लेम्ना माइनर 30, दिन में दो बार, पंद्रह दिन तक लें।
  • जब नाक की हड्डियाँ क्षीण हुई हो या बढ़ी हुई हो, सूजन के साथ नाक लाल हुआ हो, बहुत पुरानी व जिद्दी सर्दी हो – हिप्पोजेनिनम 30, दिन में दो बार, पंद्रह दिन तक लें।
  • जब बच्चे की नाक बंद हो व खाँसी के साथ नींद में साँस लेने में तकलीफ व खर्राटे हों – सॅम्बुकस नाइग्रा 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • 15 दिन में एक खुराक बेसीलिनम 200 की लें, महीने में दो खुराक देने से खर्राटे की आदत कम होने में मदद होगी। इसे देने के एक महीने तक परिणाम का इंतज़ार करें। इस बीच जब कोई दवा न दी गई हो तब सिलिशिया 12x की चार-चार गोली दिन में तीन बार एक महीने के लिए लें, सिर्फ वह दिन छोड़कर जब बेसीलिनम की खुराक दी गई हो ।

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