सर्दी, जुकाम, सिरदर्द बुखार का होम्योपैथिक उपचार
सर्दी-जुकाम से सभी परिचित हैं। इसकी शुरुआत नाक बहने से होती है । फिर छींके आना और आँखों से पानी बहना, गले का सिकुड़ना, थूकने या निगलने की इच्छा, खराशयुक्त आवाज़, सिरदर्द, शरीर में दर्द, भूख न लगना, हलका बुखार इत्यादि । ये सारे लक्षण शुरू में नहीं होते हैं पर असुविधाजनक होते हैं। इस परेशान करनेवाली सर्दी का कारण बहुत सारे विषाणु (वाइरस) हैं, जिनसे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता लड़ती है। ज़्यादातर लोगों को ठंढ के मौसम में सर्दी होती है। बच्चों को सर्दी बहुत ज़्यादा होती है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता रोगों से लड़ने के लिए अपर्याप्त होती है।
सर्दी को तुरंत ठीक करने का कोई निर्धारित उपचार नहीं है। यह मरीज़ की रोग प्रतिरोधक क्षमता के अनुसार, दो से सात दिन ठीक होने में समय लेता है।
- दो कप पानी को थोड़े से गुड़ और सोंठ के साथ तब तक उबालें, जब तक एक कप न रह जाए। इसे साफ कपड़े से छानकर, हलका गरम होने पर ही एक-एक घूँट पीएँ, इसे जल्दी में न पीएँ ।
- एक कप हलके गरम पानी में एक नींबू निचोड़कर, उसमें आधा चम्मच शहद मिलाकर इसे दिन में तीन बार पीएँ ।
- गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक मिलाकर चार से पाँच बार चाय की तरह घूँट-घूँट पीने से सर्दी में आराम मिलेगा।
- दिन में सरसों का तेल नाक के छिद्रों में लगाने से सर्दी का ज़ोर कम होगा।
- पर्याप्त आराम करें, सर्दी के दौरान भीड़वाली जगहों पर या आपके व्यापार / काम-काज की जगह पर रहने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और आप संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
- सोते समय गले, छाती और पीठ पर विक्स लगाएँ, इससे थोड़ा आराम आएगा। कीटाणुनाशक साबुन से बार-बार हाथ धोते रहें ताकि और कीटाणु मुँह और नाक के संपर्क में न आएँ ।
- कुछ विशेषज्ञ सर्दी-जुकाम में तीखा भोजन खाने की सलाह देते हैं। यह नाक को अधिक बहने में मदद करता है। साथ ही यह प्राकृतिक रूप से सर्दी-जुकाम की दवा जैसे काम करता है।
- यदि सर्दी-खाँसी के साथ बुखार भी हो तब अधिक द्रव पदार्थ जैसे, पानी, सूप, फलों का रस आदि पीएँ ।
औषधियाँ
- यदि सर्दी ठंढी हवा के संपर्क में आने से हुई है, सिरदर्द है, छीकें और आँखों से पानी आ रहा है, बुखार की अनुभूति और ज़्यादा बीमार हो जाने की आशंका से परेशान हैं तो – एकोनाइट 30, दिन में छह बार, एक दिन लें। अगले दिन खुराक कम करें यानी दिन में चार बार लें। उसके अगले दिन, खुराक को और कम करें यानी दिन में तीन बार लें, फिर बंद कर दें।
- यदि स्राव आँखों से सामान्य और नाक से जलनयुक्त है, खुली हवा में जाने से सर्दी में आराम और गर्मी में जाने से अधिक हो तो एलियम सेपा 30, उपरोक्त विधि अनुसार लें।
- यदि आँखों से जलनयुक्त और नाक से सामान्य स्राव हो, एलियम सेपा के विरुद्ध है तो – यूफ्रेशिया 30, दिन में छह बार, एक दिन लें। अगले दिन खुराक कम करें यानी दिन में चार बार लें। उसके अगले दिन, खुराक को और कम करें यानी दिन में तीन बार लें, फिर बंद कर दें।
- यदि आँख और नाक दोनों से जलनयुक्त स्त्राव, साथ में बेचैनी व थोड़े पानी की न बुझनेवाली प्यास हो तो आर्सेनिक एल्बम 30, पहले दिन पर दिन में चार बार लें और अगले दो दिन, दिन में तीन बार लें।
- यदि माथे में भारीपन हो, रात में नाक बंद हो लेकिन दिन में नाक बहती हो तो नक्स वॉमिका 30, पहले दिन पर दिन में चार बार लें और अगले दो दिन, दिन में तीन बार लें।
- अत्यधिक सर्दी के साथ ज़्यादा छींके आना, नाक लाल होना, माथे में दर्द और आँखों से पानी आना – सबाडिला 30, पहले दिन पर दिन में चार बार लें और अगले दो दिन, दिन में तीन बार लें।
- यदि नाक से स्त्राव गाढ़ा और नरम हो, पीठ में दर्द और अत्यधिक ठंढ का एहसास हो, छीकें आना, मरीज़ सुस्त और निष्क्रय हो तो – जेल्सेमियम 30, दिन में 4 बार, तीन दिन के लिए लें।
- जब सर्दी का पहला चरण पूरा हो गया हो और अब नाक व गले से स्त्राव गाढ़ा एवं पीला हो, साथ ही नाक से गंध न आना, स्वाद कड़वा या कोई स्वाद न हो तो – पल्सेटीला 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
सिरदर्द
सिरदर्द बीमारी नहीं बल्कि अपचन, सर्दी, फ्लू, वाइरल संक्रमण (इनफेक्शन), पोषक तत्त्वों की कमी, साइनस संक्रमण, अधिक शराब पीना, उपवास, दाँत संबंधी परेशानियाँ, आँखों की तकलीफें, हार्मोन्स में परिवर्तन, अनियमित माहवारी, रक्त-संकुलन (शरीर के किसी एक भाग में रक्त का असाधारण जमाव) और मानसिक तनाव जैसे आदि सामान्य बीमारियों का लक्षण है ।
दर्द हलका व कुछ मिनट से लंबे समय तक हो सकता है। सिरदर्द सिर का भारीपन, एक सिरे से दूसरे सिरे तक, आँखों में भारीपन आदि लक्षण हो सकते हैं। यह शोर, मानसिक प्रयासों के साथ अधिक हो सकता है। सिर में दर्द का स्थान भी अलग-अलग होता है। यह दर्द ललाट, कनपटी, सिर के ऊपर, सिर का पीछला भाग और सिर के दाएँ-बाएँ हो सकता है।
- पानी अधिक पीएँ ।
- यदि आप चाय पीते हैं तो यह सिरदर्द में थोड़ा आराम देगा।
- तेल से माथा और कनपटी पर मालिश करें।
- दर्दवाले जगह पर उँगलियों व मुट्ठी से दबाएँ।
- सिर के चारों ओर कपड़ा बाँधें, यदि यह दर्द से आराम देता हो तो ।
- यदि आप धूम्रपान करते हैं तो सिरदर्द के समय धूम्रपान न करें।
- ठंढी व गर्म पट्टियाँ (compresses) बारी-बारी से गरदन के पिछले हिस्से पर रखें, इससे आराम मिलेगा।
आपको चिकित्सक की आवश्यकता है, जब
- सिरदर्द रक्त-संकुलन (शरीर के किसी एक भाग में रक्त का असाधारण जमाव) या सूजन की वजह से हो।
- सिरदर्द अकसर और बार-बार होना ।
- गरदन में अकड़न, उल्टी, , बुखार, त्वचा पर दानें आना व दृष्टि में कुछ समस्याएँ ।
औषधियाँ
- सिरदर्द के साथ लगातार घबराहट, जीभ साफ – इपिका 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
- टीस मारनेवाला (रुक-रुककर होनेवाला) दर्द, सिरदर्द के दौरान सिर में गरमाहट, दर्द कनपटी, माथा और गरदन के पिछले हिस्से पर अधिक, दर्द रोशनी, शोर और दोपहर में सोने से अधिक, खून का बहाव सिर की ओर – बॅलाडोना, दिन में छह बार एक दिन के लिए लें। उसके अगले दिन चार बार, उसके बाद अगले दो दिन के लिए, दिन में तीन बार लें।
- ज़्यादा खाने की वजह से, सफेद जीभ, नहाने से सिरदर्द अधिक एंटिम क्रूड 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें ।
- शुष्क हवा के संपर्क में आने से – एकोनाइट 30, एक दिन लिए, दिन में चार बार लें। अगले दो दिन के लिए, दिन में तीन बार लें।
- हथौड़े पड़ने जैसा दर्द, धूप में जाने से अधिक, माहवारी के समय, स्कूल जानेवाली लड़कियों में सिरदर्द – नेट्रम म्यूरि 30, दिन में तीन बार तीन दिन तक लें।
- पढ़ाई करते समय सिरदर्द – नेट्रम कार्ब 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
- सिरदर्द गरदन के पिछले भाग से शुरू व पूरे सिर तक, बिलकुल चुप, शांति से लेटना चाहता है, मूत्र त्याग से आराम, मानसिक श्रम, धूम्रपान और सूरज गर्मी के कारण सिरदर्द – जेल्सेमियम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें ।
- सिर फटने जैसा दर्द, झुकने पर अधिक, खाँसने व गतिविधि करने पर अधिक, ज़्यादा प्यास व कब्ज – ब्रायोनिया 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
- दुःख, निराशा, स्वजनों की मृत्यु, साँस द्वारा धुआँ लेना, झुकने पर सिरदर्द अधिक, सिर के दोनों बाजू कील चुभने / ठोंकने जैसी अनुभूति – इलेशिया 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
- साइनस कारण सिरदर्द, नाक की जड़ में दर्द, भौहें के ऊपर दर्द – काली बाइक्रोमिकम 200 की दिन में एक खुराक, दो दिन तक लें।
- महिलाओं व लड़कियों में भारी वसायुक्त भोजन खाने से सिरदर्द, प्यास न लगना, खुली हवा में सिरदर्द में आराम, सिर के भिन्न दिशाओं में जानेवाला दर्द, दर्द दाईं कनपटी से शुरू, अधिक काम की वजह से सिरदर्द – पल्सेटिला 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
- आँखों पर तनाव, सिलाई का काम करने के कारण सिरदर्द, कील चुभने जैसा दर्द, अधिक नशेवाले पेय के कारण सिरदर्द – रूटा 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
- शराब पीने के बाद, सूर्य की रोशनी में, सुस्त जीवन शैली से सिरदर्द, ठंढे मरीज़ को सिरदर्द, सुबह में दर्द अधिक नक्स वोमिका, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
- लू लगने की वजह से, मासिक धर्म बंद होने से या माहवारी न आने से सिरदर्द होना, सूर्य की रोशनी के साथ सिरदर्द कम या ज्यादा होना – ग्लोनॉयनम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
- सिरदर्द सिर के पिछले भाग से शुरू, ऊपर की ओर फैलना व दाईं आँख पर स्थिर हो जाना, हर सात दिन के अंतराल में होना सेन्युइनेरिया 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
- सिरदर्द माथे के नीचे, कनपटी पर और दर्द आँखों तक जाना जैसे सिर के चारों तरफ से बैंड बँधा हो ऐसी अनुभूति होना। सिरदर्द सिर के पिछले भाग से शुरू, सिर की ओर फैलना व बाईं आँख पर स्थिर होना – स्पाइजेलिया 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
अर्धशीर्षी (माइग्रेन)
अर्धशीर्षी आवेगीय सिरदर्द होता है। यह सिरदर्द बहुत तीव्र, बार-बार होनेवाला, अधिकतर सुबह के समय शुरू होता है, जो सिर के किसी भी एक भाग में, माथे व सिर के पिछले भाग पर होता है। यह दर्द हल्का-हल्का दो से तीन दिनों के लिए होता है और शरीर में अत्यंत कमज़ोरी लाता है। यह सिरदर्द बचपन से कई वर्षों तक या कभी-कभी जीवन के उत्तर काल में भी होता है। यह उल्टी के साथ भी जुड़ा हो सकता है। इसलिए इसे पित्तदोष के कारण होनेवाला सिरदर्द भी कहा जाता है। कुछ मामलों में दृष्टि दोष भी हो सकता है।
निवारक / प्रतिबंधक उपाय (Preventives)
- सबसे पहले यह जानना चाहिए कि सिरदर्द का कारण आस-पास की परिस्थिति, वातावरण या आहार है। कुछ एलर्जी उत्पन्न करनेवाले खाद्य पदार्थों से भी सिरदर्द हो सकता है। सिरदर्द के पहले आपने क्या खाया था यह नोट करें ताकि अगली बार आप उसे नियंत्रण में ला सकें।
- आपके रक्तचाप की जाँच करें, यदि वह कम है तो उसका इलाज कराएँ ।
- यदि आपको मानसिक चिंता या तनाव हैं तो पहले उसका हल निकालें।
- यदि आपको नींद ठीक से नहीं आती है तो डॉक्टर से जाँच कराएँ ।
- यदि कमरे में तेज़ रोशनी या अत्यधिक तेज़ आवाज़ में संगीत बज रहा हो, जिससे आप परेशान हो और जो आपके सिरदर्द को बढ़ा देता हो, उससे बचने की व्यवस्था करें।
- कुछ एक निश्चित मौसम या उसमें परिवर्तन होने से यदि आपको सिरदर्द हो तो इसके बारे में अपने डॉक्टर से बातचीत करें।
- यदि मासिक धर्म बंद होने पर या हार्मोन्स में बदलाव की वजह से सिरदर्द हो तो इसे विशेष उपचार की आवश्यकता और डॉक्टर के मदद की ज़रूरत है ।
औषधियाँ
- चिंता के कारण, विद्यार्थी व अध्यापक द्वारा अत्यधिक अध्ययन (पढ़ाई) करने से, दाईं तरफ दर्द, पेट में जलन व पित्त की उल्टी होने पर, गर्म मौसम में और मौसम बदलने पर – आइरिस 30, दिन में चार बार, दो दिन तक लें। उसके बाद दिन में तीन बार, दो दिन तक लें।
- दाईं तरफ आँखों के ऊपर दर्द, समय-समय पर होनेवाला सिरदर्द, करीब हर आठ दिन में, सुबह जल्दी व आँख खुलने पर सेन्युइनेरिया 30, में तीन बार, चार दिन तक लें।
- मानसिक थकान से, ठंढ, सिर को न ढकने से, दबाव से और सूरज की गर्मी से सिरदर्द हो तो – ग्लोनॉइनम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें 1
- शराब, कॉफी, मसालेदार भोजन, तंबाकू का अत्यधिक सेवन करने से, देर रात सोना, चिंता, अति संभोग, सिर में भारीपन नक्स वोमिका 30 दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
- मासिक धर्म बंद होने पर, माहवारी शुरू होने के पहले, सोते समय या सोने के बाद दर्द अधिक और यह बाईं ओर होने से – लॅकॅसिस 200 की सिर्फ एक खुराक लें।
सामान्य बुखार
प्रबंध (इंतजाम) की विधि :
बच्चे को दिन में चार बार औषधि दें। यदि बुखार 102°F से अधिक हो तो ठंढे पानी की पट्टियाँ सिर और माथे पर रखें। इसके साथ ही बच्चे की गरदन, कलाइयों पर ठंढा पानी हलके हाथों से मलें। ऐसा चार से पाँच बार करें। उसी तरह चार से पाँच बार माथे पर गीली पट्टियाँ रखने के बाद तापमान देखें यदि तापमान आधी डिग्री भी कम होता है तो गीली पट्टियाँ रखना और गरदन पर गीले हाथ से मलना बंद कर दें। तापमान अपने आप नीचे आ जाएगा। बच्चे को नहलाएँ नहीं, ऐसा करने से तापमान एकदम से कम हो जाएगा, जिसकी ज़रूरत नहीं है। यदि ठंढी पट्टी रखने से भी बुखार कम न हो तो बच्चे को क्रोसिन या निमुलिड (गोली या लिक्विड रूप में दवा) दी जा सकती है। तापमान का कम होना प्रथम उद्देश्य है । इस समय होमियोपैथिक या ऍलोपैथिक दवा के बारे में भूल जाएँ। बच्चे को अधिक मात्रा में पानी पिलाएँ, जिससे उसे बार-बार पसीना और पेशाब आए। बच्चे को हलका खाना खिलाएँ, जैसे दूध के साथ ब्रेड, खिचड़ी, दलिया या बिना घी की रोटी, मूँग दाल के साथ दें।
औषधियाँ
- बुखार के शुरुआती दौर में ठंढ या गर्मी के संपर्क में आने से ठंढ लगना और अधिक प्यास लगना – एकोनाइट 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक दें। उसके अगले 2 दिन तक दिन में तीन खुराक दें। फिर अगले 2 दिन तक दिन में दो खुराक और आखिरी में एक खुराक, एक दिन में दें।
- मौसम बदलने की वजह से बुखार आर्सेनिक एल्बम 30, उपरोक्त विधि अनुसार दें।
- तेज बुखार बिना प्यास के, सिर गरम, पैर ठंढे – बॅलाडोना 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक दें। उसके अगले 2 दिन तक दिन में तीन खुराक दें। फिर अगले 2 दिन तक दिन में दो खुराक और आखिरी में एक खुराक, एक दिन में दें।
- मांसपेशियों में दर्द, रीढ़ की हड्डी में ठंढ का एहसास, प्यास न लगना जेल्सेमियम 30, उपरोक्त विधि अनुसार दें ।
- पाचन क्रिया अनियमित, ठंढ लगना फिर भी कुछ न ओढ़ना – नक्स वॉमिका 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक दें। उसके अगले 2 दिन तक दिन में तीन खुराक दें। फिर अगले 2 दिन तक दिन में दो खुराक और आखिरी में एक खुराक, एक दिन में दें।
- बेचैनी और शरीर में दर्द रह्स टॉक्सीकोडेन्ड्रॉन 30, उपरोक्त विधि अनुसार लें ।
सामान्य बुखार
जब शरीर का तापमान 98.4 डिग्री फेरेनहाइट से अधिक हो तो इस स्थिति को बुखार कहा जाता है। अन्य शब्दों में कहा जाए तो बुखार शरीर के तापमान में असामान्य वृद्धि हो जाना है। यह कोई चिंता का विषय नहीं है। यह दर्शाता है। कि शरीर में कोई संक्रमण (infection) प्रवेश कर चुका है, जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता उस संक्रमण को बाहर निकालने के लिए लड़ रही है। बुखार इस प्रतिरोध का परिणाम है। यह बुखार के दौरे का सौम्य रूप है और सामान्यतः यह बारह से छत्तीस घंटों में चला जाता है। यह ज़्यादातर शाम या रात से शुरू होता है, जिसमें बारी-बारी से ठंढी और गर्मी लगकर त्वचा रूखी पड़ती है। इसमें नाड़ी (पल्स) सख्त, पल्स रेट तेज़ होता है, त्वचा रूखी, जीभ सूखी परतदार होती है, प्यास लगती है, पेशाब कम मात्रा में या रंगीन होता है और साँस की गति तेज या बेचैनी महसूस होती है। इसमें शरीर में दर्द, सिरदर्द, पाचन क्रिया अनियमित व भूख न लगना जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। यह ठंढे या नम मौसम के संपर्क में आने से अचानक से तापमान में परिवर्तन, असंतुलित आहार, थकान, गले में खराश, बाह्य या आंतरिक घाव और वाइरल संक्रमण (infection) आदि कारणों से बुखार हो सकता है।
- यदि बुखार 101 डिग्री फेरेनहाइट से ज़्यादा हो तब माथे, गरदन के पिछले हिस्से, कनपटी व कलाइयों पर ठंढे पानी की पट्टियाँ रखें।
- जब तक बुखार कम न हो तब तक पट्टियाँ बदलते रहें।
- मरीज़ को ठंढे पानी से नहाने या स्पंज करने की सलाह न दें क्योंकि अचानक से शरीर का तापमान कम होने से थरथराहट होती है और यह बुखार के स्थिति में या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
- यदि गर्मी का मौसम है तो कूलर या पंखें को चलाएँ व मरीज़ को हलके आरामदायक सूती कपड़े पहनाएँ ।
- मरीज़ को अधिक से अधिक पेय पदार्थ पीने के लिए दें, जिसमें रोगी अधिक मात्रा में मूत्र त्याग करे व उसे पसीना आए। पानी के स्थान पर मरीज़ को, मौसंबी या संतरे का रस दिया जा सकता है।
- यदि मरीज़ गर्म पेय पीना चाहे तो उसे तुलसी की चाय दें।
- पूर्ण विश्राम बुखार के संक्रमण (infection) से प्रतिरोध के लिए उपयुक्त है। यदि बुखार 102 डिग्री फेरेनहाइट से अधिक हो ओर ठंढे पानी की पट्टियों से भी कम न हो रहा हो तो एलोपैथिक दवा जैसे क्रोसिन या निमुलिड देने में संकोच न करें। यह दवाइयाँ तापमान को कम करने के लिए माध्यम बनती हैं और होमियोपैथिक दवाओं द्वारा ठीक करने में बाधक नहीं होती है।
आपको मेडिकल (चिकित्सा) सहयोग की आवश्यकता है
- जब बुखार 103 डिग्री फेरेनहाइट से अधिक हो ।
- ठंढी पट्टियों से भी बुखार कम न हो।
- बुखार के साथ बुहत तेज सिरदर्द या उल्टियाँ हो रही हों।
- बुखार के साथ गरदन में अकड़न, त्वचा पर दानें आना, पेट में तीव्र दर्द, मूत्र संबंधी तकलीफें और पूर्णत: उलझन की स्थिति हो ।
- यदि दो से छ: महीने का नवजात शिशु हो, जिसे 101 डिग्री फेरेनहाइट या उससे ज़्यादा बुखार हो ।
- शिशु जो छ: महीने से डेढ़ वर्ष का हो व उसे 102 डिग्री फेरेनहाइट या उससे ज़्यादा बुखार हो ।
औषधियाँ
- यदि बुखार ठंढी हवा लगने की वजह से हो, प्यास लग रही हो, पसीना और डर – एकोनाइट 30 की खुराक हर ढाई घंटे में एक बार, दिन में पाँच बार लें। दूसरे दिन में चार बार, तीसरे दिन से दिन में तीन बार, कुल छह दिन दवा लें।
- चेहरा ठंढ, हथेलियाँ गर्म, ठंढ महसूस होना, पेट में दर्द – सिना मारिटिमा 30 पहले दिन, दिन में चार बार, अगले पाँच दिन तक दिन में तीन बार लें।
- खाँसी के साथ बुखार, हड्डियों में दर्द, ठंढ लगते समय प्यास लगना, खाँसी होना, बेचैनी और दस्त, बुखार के साथ रस टक्स 30, पहले दिन, दिन में चार बार, अगले पाँच दिन तक दिन में तीन बार लें।
- टॉन्सिल की सूजन के साथ तेज़ बुखार, सूखी जलती गर्मी, चेहरा लाल, सिरदर्द, पैर बर्फ जैसे, बुखार के साथ प्यास न लगना – बॅलाडोना 30 पहले दिन, दिन में पाँच बार और दूसरे दिन, दिन में चार बार और अगले तीन दिन तक दिन में तीन बार लें।
- बुखार के साथ जुकाम, बेचैनी, बार-बार प्यास लगना पर एक समय में कम मात्रा में पानी पीना – आर्सेनिकम एल्बम 30 पहले दिन, दिन में चार बार और अगले पाँच दिन तक दिन में तीन बार लें।
- बुखार के साथ कब्ज, ठंढ लगना, बुखार के प्रथम चरण में ओढ़ने की इच्छा, न ओढ़ने पर ठंढ लगना, फिर भी न ओढ़ना, बुखार अधिकतर सुबह में आना नक्स वॉमिका 30, , पहले दिन, दिन में चार बार और अगले पाँच दिन तक दिन में तीन बार लें।
- सभी सर्दी-जुकाम और दाहक (catarrhal and inflammatory) बुखार की पहली स्थिति, सिरदर्द में ठंढे से आराम, रोज़ दोपहर 1 बजे ठंढ लगना – फेरम फॉस्फोरिकम 30 पहले दिन, दिन में चार बार और अगले पाँच दिन, दिन में तीन बार लें ।
नोट : यदि बुखार बहुत अधिक हो तो औषधि न दें। उस समय पहले ठंडे पानी की पट्टी रख कर बुखार कम करने के बाद ही औषधि देनी चाहिये।