बच्चों की समस्याओं का होम्योपैथिक उपचार
शिशुओं में पेटदर्द
उदरशूल यानी आमाशय या पेट में दर्द होना । शिशुओं में लगातार रोने का मतलब पेटदर्द हो सकता है। नवजात (सामान्यतः चार माह तक के) शिशुओं में पेटदर्द होना बंद हो जाता है क्योंकि तब तक उनका शरीर मौसम के उपयुक्त और आहार को पचाने के लिए अनुकूल हो जाता है । बच्चा बहुत लंबे समय लगभग एक घंटे तक लगातार रोता रह सकता है, ज़्यादातर शाम या रात में शिशु अपने दोनों घुटनों को छाती की तरफ ले जाता है। आप अपने हाथों से बच्चे के पेट को हलके से दबाकर देखें तो पेट सख्त और फूला हुआ महसूस होगा। बच्चे के रोने से पता लगाया जा सकता है कि उसे भूख लगी है या उसके रोने का कारण कुछ और है क्योंकि भूख लगने पर शिशु अधिक लंबे समय तक नहीं रोता है। अकसर पेटदर्द के असली कारण पता नहीं चलते पर बहुत तरह के स्पष्टीकरण संभव हैं। अधिकतर शिशुओं को पेटदर्द होता है अन्यथा वे स्वस्थ ही पाए जाते हैं।
- जब नवजात शिशुओं को स्तनपान कराया जाता है तब माँ का पहला कर्तव्य है कि वह अपने खान-पान में सावधानी बरते। अपना आहार सादा रखे। माँ को भारी, न पचनेवाला, मांसाहार, अंडे, केले, कॉफी, चॉकलेट, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, जंक फूड और पॅक्ड डेयरी पदार्थ नहीं खाने चाहिए।
- जब नवजात शिशु रोए तब बच्चे को गोद में उठाकर, सीने से लगाएँ ताकि उसका सिर आपके कंधे पर हो। थोड़ी चहल कदमी करें तथा बच्चे की पीठ को सहलाते हुए लोरी गाएँ । बच्चा सुरक्षित महसूस करेगा और कुछ समय के लिए रोना बंद कर देगा।
- शिशुओं को ग्राइप वाटर या जन्म घुट्टी देने पर विवादास्पद स्थिति है। बहुत से प्रमाणित डॉक्टर बच्चों को ऐसी दवाइयाँ देने की सलाह नहीं देते हैं। हमारी भारतीय परंपरागत औषधियाँ बच्चों के स्वास्थ्य तथा पाचन संबंधी विकारों को दूर करने में मदद करती हैं। यह तरीका लंबे समय से जाँचा-परखा जा चुका है। कई सालों से गाँवों और शहरों की महिलाएँ बच्चों को ग्राइप वाटर देती आई हैं। आज तक इन दवाओं का हानिकारक प्रभाव नहीं देखा गया है ।
- यदि शिशु स्तनपान नहीं करता तो शिशु को सौंफ का पानी दूध में दें। रात में एक चम्मच सौंफ, एक कप पानी में भिगोकर रखें। सुबह साफ कपड़े से इस पानी को छान लें और सौंफ को कपड़े से रगड़कर निचोड़ लिजिए। इस छाने हुए सौंफ के पानी का एक चम्मच, दूध के बोतल में मिलाकर शिशु को देने से गैस और पेट के दर्द को दूर रखेगा।
- हींग को पानी में मिलाकर शिशु की नाभि के आस-पास लगाने से पेटदर्द में तुरंत आराम आता है। यह भी पुराने समय से जाँचा – परखा नुस्खा है।
- शिशुओं के पेटदर्द को दूर रखने के लिए शिशु की रोज़ मालिश करें। सरसों का तेल हथेलियों पर लेकर हलके हाथ से पेट पर क्लॉकवाइज (घड़ी की) दिशा में मालिश करें।
औषधियाँ
- मॅग्नेशिया फॉस्फोरिका 6x की 10 गोलियाँ एक पाव (one fourth) कप हलके गरम पानी में मिलाएँ। यह पानी आधा से एक चम्मच, हर पाँच मिनट में दें। तीन से चार खुराक में ही चार माह तक के शिशु का पेटदर्द दूर किया जा सकता है।
- यदि आराम न आए तो कमोमिला 30, की दो बूँद आधे कप पानी में मिलाएँ। यह पानी आधा से एक चम्मच, हर पाँच मिनट में, तीन से चार बार दें।
- फिर भी आराम न आए तो कोलोसिंथिस 30, की दो बूँद आधे कप पानी में मिलाएँ। यह पानी आधा से एक चम्मच, हर पाँच मिनट में, तीन से चार बार दें।
बिस्तर गीला करना / नींद में पेशाब करना
बिस्तर गीला करना यह बच्चों में एक विकार है, जिसमें वे नींद में पेशाब करते हैं। यह पेट में कृमि, ज़्यादा मात्रा में द्रव पदार्थ (लिक्विड), अनुचित भोजन व पेय लेने से पेशाब में जलन होती है और यह कमज़ोरी की वजह से होता है। इसका कारण ढूँढ़ना कठिन है और ज़्यादातर इसे अनुभवी उपचार की आवश्यकता है। इस समस्या के पीछे शारीरिक एवं मानसिक कारण भी हो सकते हैं। यह समस्या कुछ मामलों में मूत्राशय की कमज़ोरी की वजह से होती है और कुछ मामलों में चिंता या भय के कारण हो सकता है। यदि तीन से साढ़े तीन साल तक के बच्चे नींद में बिस्तर गीला करते हैं तो उन्हें कोई औषधि नहीं दी जानी चाहिए। इस उम्र में मूत्राशय का आकार छोटा और क्षमता कम होती है। इसलिए मस्तिष्क को पेशाब की इच्छा का संदेश बहुत धीरे मिलता है और बच्चे गहरी नींद में सोते हैं इसलिए पेशाब छूट जाता है। चार और उसके ऊपर के उम्र के बच्चों अगर यह समस्या / आदत जारी रहती है तो जाँच और औषधि की आवश्यकता है।
सबसे पहले बच्चे का मनोवैज्ञानिक तरीके से इलाज करें। बच्चे की इस आदत के बारे में रिश्तेदार या उसके दोस्तों के सामने चर्चा न करें।
बच्चों को इस बात के लिए बुरा-भला न कहें, न ही डाँटें क्योंकि वे जान-बूझकर यह नहीं करते, इसमें उनका कोई दोष नहीं है।
बच्चों के माता-पिता उनके सामने लड़ते-झगड़ते तो नहीं हैं, इस बात का पता लगाएँ । बिस्तर गीला करने पर बच्चों को कोई सज़ा न दें।
बच्चों के कमरे में कैलेंडर टाँग दें तथा लाल पेन से निशान लगाएँ कि कब-कब बच्चे ने बिस्तर गीला किया। यह बच्चों के सामने किया जाना चाहिए। इससे आपको जिस दिन बच्चे ने बिस्तर गीला किया, उन दिनों का पता चलेगा और यह बच्चे को अच्छी तरह से जागरूक करेगा।
सोने से पहले बच्चों को दूध पीने न दें। दूध शाम को दिया करें, उसमें सुखे खजूर उबालकर दें । शाम 8 बजे के बाद पेय पदार्थ कम कर दें, विशेषतः गरम पेय, कम से कम सोने के दो घंटे पहले दें।
औषधियाँ
- यदि बच्चा बार-बार नाक में उँगली डालता है, गुदा को बार-बार खुजलाता है, चेहरे पर सफेद चकते ऊभर आए हैं, नींद में दाँत किटकिटाता है तो समझें कि बच्चे के पेट में कृमि हैं। नींद में बिस्तर गीला करने की वजह पेट में कृमि भी हो सकते हैं – सिना 30, दिन में तीन बार, छह दिन के लिए दें।
- नींद के पहले घंटे में ही बिस्तर गीला करना – कॉस्टिकम 200 की खुराक सप्ताह में एक बार, तीन सप्ताह तक दें।
- बिस्तर में सोते ही पेशाब कर देना सेपिआ 200 की खुराक सप्ताह में एक बार, तीन सप्ताह तक दें।
- शारीरिक या मानसिक कारण – इक्विसेटम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक दें।
- बिस्तर गीला करना और पेशाब में जलन की शिकायत – वरबसकम थप्सस 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक दें।
- बच्चा सपने में देखता है कि वह पेशाब कर रहा है और कर देता है – क्रिओसोटम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक दें।
- बच्चा मिट्टी, चॉक, चूना खाता है और बिस्तर भी गीला करता है – कॅल्केरिया कार्बोनिका 200 की खुराक सप्ताह में एक बार, तीन सप्ताह तक दें।
हकलाना / तुतलाना
तोतलेपन के लिए घर पर यह प्रयोग करें। बच्चों की जीभ पर एक चुटकी सैंधा नमक गाय के घी में मिलाकर रोज़ 15 दिन तक रखें और परिणाम देखें। जीभ अगर मोटी हो तो यह नुस्खा कई बार काम करता है।
औषधियाँ
- बच्चा बोलने के लिए ज़ोर लगाता है – स्ट्रॅमोनियम 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, तीन सप्ताह तक दें।
- जब स्ट्रॅमोनियम काम न करें तब – हायोसायामस नाइगर 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, तीन सप्ताह तक दें।
- विशेषत: तोतलेपन के लिए – बोविस्टा लाइकोपरडॉन 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, तीन सप्ताह तक दें।
- उत्तेजना में हकलाना कॉस्टिकम 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, तीन सप्ताह तक दें।
- बच्चा मोटी जीभ के कारण तुतलाता है – नेट्रम कार्ब. 30, दिन में तीन बार, दस दिन तक दें।
- बच्चा कुछ शब्दों को तुतलाकर बोलता है, जैसे X, S, V, T, A और P – लॅकॅसिस 200 की खुराक सप्ताह में एक बार, तीन सप्ताह तक दें।