टाँगों में मरोड़, वैरिकोज वेंस का होम्योपैथिक उपचार
टाँगों में मरोड़ या ऐंठन (Cramps in Legs)
यह टाँगों की मांसपेशियों में बहुत ही दर्दनाक स्थिति है, इसमें टाँगों की मांसपेशियाँ मरोड़ या जकड़ जाती हैं। मांसपेशियों में अचानक से आए संकुचन से अत्यधिक दर्द होता है, जिससे मरीज़ रोने की स्थिति में आ
जाता है। सामान्यतः ऐंठन टाँगों (पिंडलियों) की मांसपेशियों में होती हैं पर बाहें, हाथ और पैरों में भी हो सकती है। ऐसा कभी-कभी होता है मगर यदि रोज़ मांसपेशियों में जकड़न आती है तो इलाज़ की आवश्यकता है।
यह तकलीफ ज़्यादातर सोते समय होती है, जब टाँगें सीधी, तनी हुई होती हैं और अचानक से आए हुए अनियंत्रित झटके से टाँगों की मांसपेशियों में ऐंठन होती है। टाँगों में ऐंठन, मांसपेशियों में आई संकुचन से होती है। टाँगों में रक्त संचारण सही न होने की वजह से या गलत ढंग से बैठने या खड़े होने से नसों को नुकसान पहुँचता है।
- जिस टाँग में ऐंठन आई है, लेटकर ही टाँग को बिस्तर से सटाए रखकर अँगूठे को इधर-उधर हिलाने की कोशिश करें। अब उठकर बैठें, हाथ के अँगूठे से पिंडलियों के पिछले हिस्से के बीच के भाग (मांसपेशियों और पुट्ठों के मिलने की बिंदु) को दबाएँ। अपनी टाँग पर अँगूठे से लगातार दबाव बनाते हुए, अँगूठे को ऊपर की तरफ घुटने तक घूमाएँ । जब दर्द थोड़ा कम हो जाए तब दोनों हाथों से पिंडलियों को दबाते हुए घुटनों तक जाएँ। गरम सेक से भी ऐंठन से छुटकारा मिलता है। यदि हलका दर्द लंबे समय तक बना रहे तो अर्निका मरहम का लेप लगाएँ । ऐंठन से बचने का उपाय है बहुत मात्रा में पानी पीएँ तथा नमक का सेवन कम करें।
औषधियाँ
- पिंडलियों की मांसपेशियों में रात को सोते समय तनाव से ऐंठन हो तो – रस टाक्स 30, की तीन खुराक हर पाँच मिनट में लें, जब ऐंठन का दौरा पड़ा हो। अगले दिन यही औषधि दिन में तीन बार लें।
- पिंडलियों, तलवों, हथेलियों, पैर के पंजों और उँगलियों में बार-बार ऐंठन आए तो – क्यूप्रेम मेट 30, दिन में 3 बार, पाँच दिन तक लें।
- बहुत ज़्यादा थकान या काम करने पर ऐंठन हो और ऐसा लगे कि उस हिस्से को चोट लग गई हो तो – अर्निका 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
वैरिकोज वेंस (नसों में सूजन, नीला पड़ने व दर्द होना)
जब शरीर की नसों में सूजन या मरोड़ और दर्द हो तब इस स्थिति को वैरिकोज वेंस कहा जाता है। नसों पर अधिक दबाव के कारण नसों की आंतरिक छिद्रों में विकार आने से रक्त प्रवाह में रुकावट पैदा होती है। इस रुकावट से नसों में सूजन आ जाती है, जो मरोड़ या गाँठ का रूप लेती है। ऐसी स्थिति शरीर में कहीं भी हो सकती है पर सबसे ज़्यादा प्रभावित भाग पैर है।
पैरों की नसों में वाल्व बंद होने से रक्त का बहाव (गुरुत्वाकर्षण के कारण) नीचे की ओर जाने से रुक जाता है। जब ये वाल्व ढंग से काम नहीं करते हैं तब रक्त यहाँ इकट्ठा होकर नसों को सूजन व फैलाव देता है, जिस कारण वहाँ नसें नीली व गाँठयुक्त दिखने लगती हैं। यह स्थिति पैरों के पीछे की ओर या पिंडलियों पर या पैरों के अंदर दिखाई देती है। कई रोगियों में अत्यधिक दर्द के साथ सूजन आती है, जो टखनों तक जाती है। कभी-कभी दाद (एग्जीमा) या अल्सर के कारण त्वचा का रंग भी परिवर्तित हो जाता है।
इसका परंपरागत उपचार ऑपरेशन है परंतु जीवन शैली व आहार में परिवर्तन, साथ ही होमियोपैथिक औषधियों के उपयोग से इसमें काफी हद तक आराम लाया जा सकता है।
- सुबह जल्दी व रात के खाने के बाद सैर करने की आदत बनाएँ। यह पैरों के रक्त प्रवाह में सुधार लाता है।
- यदि आपका वजन अधिक है तो इसे नियंत्रित करें।
- एक जैसी स्थिति में लंबे समय तक न बैठें, न ही खड़े रहें ।
- बैठे हों तब कोशिश करें कि आपके पैर तिपाई (स्टूल) पर हों। स्टूल पिंडलियों के नीचे न रखें, यह रक्त प्रवाह में रुकावट डाल सकता है।
- जिन्हें लंबे समय तक खड़े रहकर काम करना होता है (जैसे ऑपरेशन थिएटर में डॉक्टर्स व नर्सेस), उन्हें अपना वजन एक पैर से दूसरे पैर पर परिवर्तित करते रहना चाहिए।
- जबभी आप काम से लौटें तब कुछ समय के लिए अपने पैरों का स्तर अपने सिर के स्तर से ऊँचा रखें। ऐसा करने के लिए सिर के नीचे से तकिया हटा लें व पैरों के नीचे दो तकिए रखें।
- हवाई यात्रा या लंबी रेल यात्रा में एक से दो घंटे के अंतराल पर दस से पंद्रह मिनट तक चहलकदमी करना बेहतर होगा।
आहार व योग
वैरिकोज वेंस को ठीक करने में आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि आप मांसाहारी हैं तो तुरंत शाकाहारी भोजनशैली अपनाएँ । भरपूर मात्रा में सब्जियाँ व फल खाएँ । खट्टे फल भी खा सकते हैं क्योंकि इनमें मौजूद पोषक तत्त्व नसों को मज़बूत व लचीला बनाते हैं। इसमें विटामिन सी भी मददगार है। साथ ही फाइबरयुक्त भोजन लें, जिससे कब्ज नहीं होगा।
वैरिकोज वेंस के लिए योगा भी अंचभित कर देनेवाला उपचार है। सर्वांग आसन (कंधों के बल खड़े होना) और इसके साथ जुड़े अन्य आसन बहुत उपयोगी हैं। योगा में व्यायाम के पूरे सेट के बारे में जानने के लिए योग विशेषज्ञ की सलाह लें।
औषधियाँ
- हर प्रकार की वैरिकोज वेंस के लिए हेमॅमेलिस वर्जिनिआना का लेप दिन में दो बार, सुबह नहाने के बाद व रात सोते समय लगाएँ।
- बैंगनी घेरा के साथ वैरिकोज वेंस और नसें नीली या बैंगनी – एस्क्यूलस 200, दिन में दो बार, सात दिन तक लें।
- यदि वैरिकोज वेंस बाएँ पैर पर नीली या फूली हुई हो – एम्ब्रा ग्रीसिआ 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
- पैरों में अत्यधिक दर्द यहाँ तक कि रोगी चल भी नहीं पाता हेममेलिस वर्जिनिआना 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
- वैरिकोज वेंस के साथ अल्सर होना – एसिड फ्लोरिक 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
- जब रोगी पैर को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करता है क्योंकि उसे महसूस होता है कि पैर नीचे लटकाने से उसका पैर फट जाएगा (तीव्र दर्द के कारण) – वाइपे एस्पिस 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
- यदि गर्भावस्था के समय वैरिकोज वेंस हो तब – पल्सेटिला 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
नोट : इस रोग के उपचार के लिए हमेशा होमियोपैथिक चिकित्सक से संपर्क करना बेहतर होगा।