गरदन दर्द, सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस का होम्योपैथिक उपचार

गरदन दर्द, सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस का होम्योपैथिक उपचार

गरदन में दर्द व अकड़न लोगों की आम परेशानी है। इस स्थिति में गरदन के आस-पास की मांसपेशियों में दर्द, सुबह-सुबह गरदन की मांसपेशियाँ अकड़ जाती हैं।

ज़्यादातर गर्दन का दर्द सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस की वजह से होता है। मगर यह सिर्फ एक कारण से नहीं बल्कि अनेक कारणों से होता है। जैसे- तेज रफ्तार की ज़िंदगी, यांत्रिक दिनचर्या, व्यायाम न करना, गलत आसन में बैठना या सोना, चोट या घाव के कारण चिंता होना, ठंढी हवा के संपर्क में आना, ऊँचे तकिए या नरम गद्दे पर सोना, अपर्याप्त पोषण, ऐंठन, थकान, तनाव, घबराहट, बैचेनी, निराशा, उदासी आदि इसके कारण हो सकते हैं।

गरदन में चोट लगने के कारण भी गरदन की माँसपेशियों में दर्द होता है।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दो वर्टीकल के बीच की डिस्क का क्षय (degeneration) होता है। जब वर्टीब्रा या वर्टीब्रा के बीच का गोल चक्र क्षतिग्रस्त होता है, उसी वक्त बाहर के बाजू से कुछ वर्टीब्रे में से हड्डीयाँ बढ़ती हैं, उसे ऑस्टियोफाइटस कहते हैं। इससे न्यूरल कॅनल की बाहरी सतह पर अस्थित निर्मित हो जाती है, जिसकी वजह से बाहर आई हुई नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं इसलिए गरदन में दर्द होता है ।

  • बैठने, खड़े रहने, लिखने, पढ़ने या कंप्यूटर के सामने काम करने के लिए गलत तरीके या मुद्रा में न रहें।
  • मानसिक चिंता व तनाव से बचें।
  • अधिक ऊँचे तकिए पर सोने से बचें।
  • मांसपेशियों की थकान से बचें, अधिक लंबी दूरी तक कार या स्कूटर न चलाएँ। सिर व गरदन को एक विशेष स्थिति में लंबे समय तक रखने से बचें, जैसे सिनेमा देखते समय या कार चलाते समय ।
  • दर्द में पर्याप्त आराम करें, आराम मतलब दर्दवाले भाग को पूर्ण रूप से स्थिर रखें, जब तक गरदन के दर्द में आराम न आ जाए, अत्यधिक आराम की आवश्यकता नहीं है।
  • सोते समय सिर के नीचे से तकिया हटा लें और सख्त बिस्तर पर सोएँ ।
  • गर्म सेंक सामान्यत: गरदन का दर्द दूर करने के लिए उपयुक्त होता है। इसके लिए बिजली के गर्म पॅड, गर्म पानी की बॉटल या मुलायम कपड़े में लपेटे हुए गर्म पॅक इत्यादी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • गरदन के नियमित व्यायाम की आवश्यकता है। गरदन को आगे-पीछे, दाएँ- बाएँ, गोल, घड़ी की दिशा में व घड़ी की विपरीत दिशा में घुमाएँ, जब गरदन में कोई दर्द न हो तब यह लाभकारी होगा।
  • योगासन भी गरदन के दर्द के लिए उपयोगी है, यह किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में करना चाहिए ।
  • सरसों के तेल से हथेलियों द्वारा गरदन की मालिश से भी दर्द चला जाता है।

औषधियाँ

  • अधिक देर तक कार चलाने व सिनेमा देखने के कारण गरदन में अकड़न, दर्द हल्की गतिविधि से कम व लेटने पर अधिक – रस टॉक्स 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • शुष्क ठंढी हवा के संपर्क में आने से गरदन में अकड़न और दर्द होना, गरदन की गतिविधि होने पर दर्द अधिक बढ़ना, दर्द के साथ प्यास भी अधिक लगना – ब्रायोनिया 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • अधिक व्यायाम, गिरने, चोट लगने, अति सख्त बिस्तर, बहुत ऊँचे तकिए पर सिर रखकर सोने से गरदन में दर्द । गरदन को हिलाने पर दर्द अधिक होना- अर्निका 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • शुष्क ठंढी हवा में जाने से अचानक गरदन में दर्द होना, रात में और ज़्यादा गतिविधि पर दर्द बढ़ना, बैचेनी व प्यास का अधिक लगना – एकोनाइटम 30, दिन में चार बार, दो दिन तक और दिन में तीन बार, एक दिन के लिए लें।
  • दर्द सिर्फ गरदन तक ही सीमित नहीं रहता, जब बैठते हैं तब वह उँगली, कलाई, हाथ, निचली स्पाइन तक चले जाना। ठंढी हवा से दर्द अधिक होना – काली बाइक्रोमिकम 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • स्पाइनल नसें व सर्वाइकल, धड़ (ट्रंक) की मांसपेशियों में दर्द होना। महिलाओं के लिए अनुकूल जिन्हें गर्भाशय व ओवरी से संबंधित तकलीफ है। बिजली के झटके जैसा दर्द अचानक आना, तीक्ष्ण दर्द, ऐंठन और त्याग की भावना के साथ असह्य पीड़ा होना, दर्द गरदन के चारों ओर, अधिकतर बाईं तरफ होना, दर्द रात में, गति में, ठंढ से और मासिक धर्म के समय अधिक होना – सिमिसिफ्यूगा रेसीमोसा 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें। माहवारी के समय कोई औषधि न लें।
  • गरदन का दर्द एक तरफ से दूसरी ओर परिवर्तित होना व मरीज को चक्कर आना । बहुत अधिक दर्द ज़्यादातर गरदन की दाईं तरफ होकर, वह भाग असंवेदनशील भी होना । दर्द नीचे की ओर परिवर्तित होकर, स्थानांतरण तेजी से होना। दर्द – गतिविधि, श्रम व खुली हवा में, नीचे की ओर देखने व आगे झुकने से अधिक होना – काल्मिया 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस

गरदन में दर्द व अकड़न लोगों की आम परेशानी है। इस स्थिति में गरदन के आस-पास की मांसपेशियों में दर्द, सुबह-सुबह गरदन की मांसपेशियाँ अकड़ जाती हैं।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें इंटरवर्टिब्रल डिस्क यानी वर्टीब्रा के बीच जो गोल चक्र होते हैं, वे क्षतिग्रस्त (damage) हो जाते हैं। ज्यादातर गरदन का दर्द सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस की वजह से होता है। मगर यह सिर्फ एक कारण से नहीं बल्कि अनेक कारणों से होता है। जैसे:- तेज रफ्तार की जिंदगी, यांत्रिक दिनचर्या, व्यायाम न करना, गलत आसन में बैठना या सोना, चोट या घाव के कारण चिंता होना, ठंढी हवा के संपर्क में आना, ऊँचे तकिए या नरम गद्दे पर सोना, अपर्याप्त पोषण, ऐंठन, थकान, तनाव, घबराहट, बेचैनी, निराशा, उदासी आदि इसके कारण हो सकते हैं।

गरदन में चोट लगने के कारण भी गरदन की मांसपेशियों में दर्द होता है। सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दो वर्टीकल के बीच की डिस्क का क्षय (degeneration) होता है। जब वर्टीब्रा या वर्टीब्रा के बीच का गोल चक्र क्षतिग्रस्त होता है, उसी वक्त बाहर के बाजू से कुछ वर्टीब्रे में से हड्डियाँ बढ़ती हैं, उसे ऑस्टियोफाइटस कहते हैं। इससे न्यूरल कॅनल की बाहरी सतह पर अस्थित निर्मित हो जाती है, जिसकी वजह से बाहर आई हुई नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं इसलिए गरदन में दर्द होता है ।

  • बैठने, खड़े रहने, लिखने, पढ़ने या कंप्यूटर के सामने काम करने के लिए गलत तरीके या मुद्रा में न रहें।
  • मानसिक चिंता व तनाव से बचें।
  • अधिक ऊँचे तकिए पर सोने से बचें।
  • मांसपेशियों की थकान से बचें, अधिक लंबी दूरी तक कार या स्कूटर न चलाएँ।
  • सिर व गरदन को एक विशेष स्थिति में लंबे समय तक रखने से बचें, जैसे सिनेमा देखते समय या कार चलाते समय ।
  • दर्द में पर्याप्त आराम करें, आराम मतलब दर्दवाले भाग को पूर्ण रूप से स्थिर रखें, जब तक गरदन के दर्द में आराम न आ जाए, अत्यधिक आराम की आवश्यकता नहीं है।
  • सोते समय सिर के नीचे से तकिया हटा लें और सख्त बिस्तर पर सोएँ ।
  • गर्म सेक सामान्यतः गरदन का दर्द दूर करने के लिए उपयुक्त होता है। इसके लिए बिजली के गर्म पॅड, गर्म पानी की बोतल या मुलायम कपड़े में लपेटे हुए गर्म पॅक इत्यादि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • गरदन को नियमित व्यायाम की आवश्यकता है। गरदन को आगे-पीछे, दाएँ- बाएँ, गोल, घड़ी की दिशा में व घड़ी की विपरीत दिशा में घुमाएँ, जब गरदन में कोई दर्द न हो तब यह लाभकारी होगा।
  • योगासन भी गरदन के दर्द के लिए उपयोगी है, यह किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
  • सरसों के तेल से हथेलियों द्वारा गरदन की मालिश से भी दर्द चला जाता है।

औषधियाँ

  • अधिक देर तक कार चलाने व सिनेमा देखने के कारण गरदन दर्द में अकड़न, हल्की गतिविधि से कम व लेटने पर अधिक – रस टक्स 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • शुष्क ठंढी हवा के संपर्क में आने से गरदन में अकड़न और दर्द होना, गरदन की गतिविधि होने पर दर्द अधिक बढ़ना, दर्द के साथ प्यास भी अधिक लगना – ब्रायोनिया 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • अधिक व्यायाम, गिरने, चोट लगने, अति सख्त बिस्तर, बहुत ऊँचे तकिए पर सिर रखकर सोने से गरदन में दर्द । गरदन को हिलाने पर दर्द अधिक होना – अर्निका 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • शुष्क ठंढी हवा में जाने से अचानक गरदन में दर्द होना, रात में और ज़्यादा गतिविधि पर दर्द बढ़ना, बेचैनी व प्यास का अधिक लगना – एकोनाइट 30, दिन में चार बार, दो दिन तक और दिन में तीन बार, एक दिन के लिए लें।
  • दर्द सिर्फ गरदन तक ही सीमित नहीं रहता, जब बैठते हैं तब वह उँगली, कलाई, हाथ, निचली स्पाइन तक चले जाना। ठंढी हवा से दर्द अधिक होना – काली बाइक्रोमिकम 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।
  • स्पाइनल नसें व सर्वाइकल, धड़ (ट्रंक) की मांसपेशियों में दर्द होना। महिलाओं के लिए अनुकूल जिन्हें गर्भाशय व ओवरी से संबंधित तकलीफ है। बिजली के झटके जैसा दर्द अचानक आना, तीक्ष्ण दर्द, ऐंठन और त्याग की भावना के साथ असह्य पीड़ा होना, दर्द गरदन के चारों ओर, अधिकतर बाईं तरफ होना, दर्द रात में, गति में, ठंढ से और मासिक धर्म के समय अधिक होना – सिमिसिफ्यूगी सीमोसा 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें। माहवारी के समय कोई औषधि न लें।
  • गरदन का दर्द एक तरफ से दूसरी ओर परिवर्तित होना व मरीज़ को चक्कर आना। बहुत अधिक दर्द ज़्यादातर गरदन की दाईं तरफ होकर, वह भाग असंवेदनशील भी होना। दर्द नीचे की ओर परिवर्तित होकर, स्थानांतरण तेजी से होना। दर्द गतिविधि, श्रम व खुली हवा में, नीचे की ओर देखने व आगे झुकने से अधिक होना – काल्मिया 30, दिन में चार बार, तीन दिन तक लें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top