मुँहासे, मस्से, फोडे, खुजली, रुसी का होम्योपैथिक उपचार

मुँहासे, मस्से, फोडे, खुजली, रुसी का होम्योपैथिक उपचार

मुँहासे

ऍक्ने यानी मुँहासे जो चेहरे, गले, कंधों या पीठ पर निकलते हैं। त्वचा में मौजूद तैलिय ग्रंथियाँ जब ज़्यादा सक्रीय होती हैं तब पीबयुक्त, दानेदार मुँहासे निकलने लगते हैं। मुँहासे निकलने का कारण है, युवा अवस्था की शुरुआती दौर में सेक्स हॉर्मोन्स का सामान्य रूप से अधिक सक्रिय होना । किशोरावस्था में यह समस्या लड़कियों से ज़्यादा लड़कों में देखी जाती है। मुँहासों की वजह से युवाओं में हीन भावना पैदा होने लगती है। परंतु इसका स्वास्थ्य संबंधित कोई गंभीर नुकसान नहीं होता है।

  • खाने के साथ बहुत सारा सलाद, अधिक दूध-दही और मक्खन मुँहासे ठीक करने में मदद करते हैं।
  • बाहर से घर लौटने के बाद तैलीयरहित साबुन से चेहरे को धोएँ ।
  • ज़्यादा मिर्चवाला खाना, जंक फूड और शीतल पेयों से बचें।
  • ऐसा आहार लें, जिसमें विटामिन ए अधिक मात्रा में हो। (दूध, मक्खन, अंडा आदि का सेवन करें मगर अत्यधिक नहीं ।)

औषधियाँ

  • यौवन अवस्था में मुँहासों के साथ खुजली – एस्टेरियस रूबेन्स 30, दिन में तीन बार।
  • अगर मुँहासों में पीब भरा हुआ हो और एस्टेरियस रूबेन्स काम न करे – काली ब्रोमॅटम 30, दिन में तीन बार ।
  • कब्ज़ के साथ फुंसियाँ, नहाने से फुंसियाँ बढ़ जाती हैं – मॅग्नेशियम म्यूरिऍटीकम 30, दिन में तीन बार ।
  • नाक पर मुँहासे – कॉस्टिकम 30, दिन में तीन बार ।
  • माथे पर मुँहासे – लेडम पाल 30, दिन में तीन बार ।
  • सख्त मुँहासे / फुंसियां – अगॅरिकस मस्कॅरियस 30, दिन में तीन बार ।
  • नमीयुक्त फुंसियाँ, पाचन शक्ति मंद, गैस कार्बो वेजि 30, दिन में तीन बार ।
  • गुलाबी फुंसियाँ, चेहरा फीका व पीला पड़ना और ठंढ महसूस होना – सिलिशिया 30, दिन में तीन बार ।
  • माहवारी के समय मुँहासों का बढ़ जाना। मीठा, चरबी / वसा युक्त खाना, मांस, भारी भोजन, चाय और कॉफी लेने से मुँहासों की समस्या अत्यधिक बढ़ना – सोराइनम 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार ।

रूसी (Dandruff)

रूसी सिर की त्वचा और बालों की एक आम बीमारी है। ये सूखी पपड़ी जैसी कोशिकाएँ (मृत त्वचा) हैं, जो सिर की त्वचा या बालों की जड़ों से बिना किसी सूजन या दर्द के छिलकों की तरह निकलती हैं। इससे जलन और खुजली शुरू होती है। यह समस्या बड़े शहरों तथा महानगरों की युवा पीढ़ी में अधिक पाई जाती है क्योंकि वे बालों में तेल नहीं लगाते हैं तथा बार-बार शॅम्पू से सिर धोते हैं, जिनमें रसायन पाए जाते हैं। वे टी.वी. में दिखाए गए विज्ञापनों के प्रलोभन में आकर बालों को रूखा-सूखा, बिना तेल के रखते हैं और रूसी जैसी समस्या को न्योता देते हैं।

सोचिए ! यदि प्रदूषण और धूल फेफड़ों को नुकसान पहुँचा सकते हैं तो त्वचा को क्यों नहीं? जो धूल शुष्क बालों पर पड़ती है, वह बिना किसी रुकावट के सीधी जड़ों तक जाकर खुजलाहट पैदा करती है। यदि बालों में तेल लगा हुआ हो तो धूल बालों पर ही चिपक जाती है और सिर की त्वचा तक नहीं पहुँच पाती। बड़े शहरों में ही यह परेशानी अधिक देखी जाती है। छोटे गाँवों में रूसी क्या होती है, लोग जानते ही नहीं ।

  • महिलाएँ सप्ताह में तीन बार और पुरुष रोज़ बालों को धोएँ । तेज़ रसायनयुक्त शॅम्पू का इस्तेमाल न करें। हर्बल शॅम्पू या साबुन जिसमें शिकाकाई, आँवला या ग्लिसरीन हो, उसका उपयोग करें।
  • खुद के लिए साफ कंघी और ब्रश का उपयोग करें, दूसरों की कंघी अथवा ब्रश इस्तेमाल न करें ।
  • गर्मियों में दही से बालों को धोएँ । दही बालों में लगाकर, पंद्रह से बीस मिनट बाद बाल धोएँ।
  • ताज़ा नींबू का रस बालों की जड़ों में लगाएँ, फिर बीस मिनट बाद बाल धो डालें।

औषधियाँ

  • सिर की पूरी त्वचा पर रूसी की परत जमी होना और गुच्छों में बाल झड़ना फॉस्फोरस 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, कुल दो खुराक लें।
  • खुजली के साथ रूसी, गरम पानी से सिर धोने पर तकलीफ अधिक, ऐसे में सिरदर्द भी होना – लाइकोपोडियम 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, कुल दो खुराक लें।
  • खुजली के साथ रूसी व खरोंचने पर सिर की त्वचा भी निकलना, सिर की त्वचा संवेनशील होना व मरीज़ का एक समय में पानी का पूरा गिलास पीने के बजाए थोड़ा सा ही पानी पीना – आर्सेनिकम एल्बम 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, कुल दो खुराक ले।
  • रूसी सफेद, पपड़ीदार, रूखे बाल, बालों का झड़ना, नम मौसम में अधिक थूजा ऑक्सीडेंटॅलिस 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, कुल दो खुराक लें।
  • बालों की माँग में रूसी ज़्यादा होना, त्वचा अधिक तैलीय, रोगी को नमक खाने की इच्छा होना – नेट्रम म्यूरिएटिकम 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, कुल दो खुराक लें।
  • बालों में अत्यधिक रूसी, पपड़ीदार, सिर के पिछले भाग में बार-बार पसीना आना – सैनिक्यूला एक्वा 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, कुल दो खुराक लें।
  • रूसी के गोलाकार चकते जैसे दाद, खुजलाने से भी आराम न आना, मरीज़ को अत्यधिक कमज़ोरी महसूस होना और यदि महिला है तो उसका मासिक धर्म अनियमित होना – सेपिया 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, कुल दो खुराक लें।
  • रूसी के साथ बालों की जड़ों में दर्द, सिर और माथे पर अधिक पसीना कॅल्केरिया कार्ब 200 की एक खुराक सप्ताह में एक बार, कुल दो खुराक लें।

खुजली

खुजली और पित्ती अलग-अलग रोग हैं, इसमें एक दूसरे के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए। पित्ती – बिच्छू के डंक जैसे, गोल या अंडाकार त्वचा पर उभरकर आए हुए लाल चकतों के कारण होनेवाली खुजली है। ये चकते अचानक दिखने लगते हैं व अचानक ही चले जाते हैं। खरोंचने से व ठंढ के संपर्क में उत्तेजित होते हैं और बहुत ज़्यादा खुजली व गर्मी उत्पन्न करते हैं।

खुजली किसी एलर्जी, रूखी त्वचा, इत्र या परफ्यूम के कारण होनेवाली परेशानी, कोई रासायनिक व घरेलू चीज़ों की वजह से हो सकती है। अपचनीय भारी भोजन, उत्तेजक पेय पदार्थ, अत्यधिक गर्म या ठंढ, शारीरिक इनफेक्शन, पुरानी बीमारियाँ आदि खुजली के कारण हो सकते हैं।

जिनकी त्वचा संवेदनशील है, उनकी खुजली की प्रवृत्ति होती है। सख्त साबुन व डिटर्जेंट से अत्यधिक नहाना व कपड़े धोना भी खुजली का कारण हो सकता है। कभी-कभी थाइरॉइड (thyroid) की समस्या व मधुमेह (Diabetes) के कारण भी खुजली होती है। खुजली के साथ दानें आना किसी त्वचा रोग से संबंधित है और बिना दानें के खुजली होना, किसी एलर्जी या मानसिक तनाव के कारण होता है।

  • जब भी खुजली हो बेहतर होगा आप उसे गीले कपड़े से लपेट दें। खुजली हो तो खुजलाएँ नहीं बल्कि उस पर दबाव रखें।
  • खुजली की जगह पर हाथ लगाना कम करें, इससे खुजली कम होगी।
  • गर्म पानी से न नहाएँ। अधिकतर मामलों में खुजली बढ़ जाती है।
  • त्वचा के लिए तीव्र खुशबूवाले साबुन का इस्तेमाल न करें। बेहतर होगा कोई सौम्य साबुन या बिना साबुन से ही नहाएँ ।
  • यदि त्वचा में सूजन है तो यह दाद-खाज (एक्जिमा) है, त्वचा संक्रमित है या कोई अंतर्निहित रोग खुजली का कारण है।

औषधियाँ

  • कुछ भागों में अति खुजली, मरीज खुजलाते – खुजलाते खून निकाल लेता है – मीजेरियम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • खुजली बिना दानों के, दीवार से रगड़ने पर मरीज़ को अच्छा लगता है – डोलीकोस पुरिएन्स 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • रूखी त्वचा के साथ बिस्तर में और शाम के समय खुजली, कपड़े बदलते समय खुजली – सल्फर 30, दिन में दो बार, दो दिन तक लें।
  • जब सल्फर काम न करें, कार्बो वेज 30, दिन में तीन बार, दो दिन तक लें।
  • खुजली के साथ बुखार जैसे लगना, त्वचा लाल होना, प्यास लगना, रात के समय खुजली अधिक – एकोनाइटम 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • लालिमा के साथ खुजली, त्वचा पर थोड़ी सूजन और जलन, गर्मी से जलन बढ़ना, पित्ती उछलने जैसे दानें – रह्स टॉक्स 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।

फोडे

फोड़े त्वचा के ऊपर ऊभर आए दाने होते हैं, जो दर्दभरे गहरे लाल रंग के, छूने पर संवेनशील होते हैं और अंत में पीबयुक्त बन जाते हैं। इसका कारण खून में खराबी, सूक्ष्म जीवाणुओं (बैक्टेरीया) का संक्रमण (इन्फेक्शन), अपचनीय भोजन या अत्यधिक व्याकुलता है। यदि बार-बार फोड़े हो रहे हों तो यह रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी पॉवर) की कमज़ोरी की वजह से हो सकता है। यह त्वचा पर रोम छिद्र के आस-पास होते हैं। फोड़े ज़्यादातर चेहरे, गले, बगलों और जाँघों के बीच के भाग पर होते हैं । फोड़े त्वचा पर दिखते हैं और अगर ये त्वचा के अंदर होते हैं तो वे सूजन के रूप में ऊपर दिखते हैं, उसे फुंसी कहते हैं। फुंसी और फोड़ों का मुँह होता है, जिसमें पीब (पस) भरा होता है और पीब निकल जाने के बाद दब जाते हैं।

  • फोड़ों का साल में एक बार त्वचा पर निकलना या मौसम बदलने पर आना यह शरीर की प्रणाली की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की प्रक्रिया है । इसे गंभीरता से लेने और इससे परेशान होने की भी ज़रूरत नहीं है । इसे सहजता से लें।
  • जब आप देखें कि फोड़ों में पीब आने लगा है तो उस पर तेल (ज़्यादातर सरसों के तेल) में भिगोए कपड़े (poultice) से बाँध दें। यह लेप गरम होना चाहिए, इसे कुछ समय उपरांत दोबारा लगाएँ या तब तक, जब तक फोड़ों से पीब बाहर नहीं आ जाता । यह लेप सरसों का तेल, गरम प्याज़ या हल्दी का भी हो सकता है।
  • आप स्वयं फोड़ें को तोड़ने के लिए न दबाएँ, इससे संक्रमण फैल सकता है।
  • लहसुन की एक कली रोज़ सुबह खाएँ ।

औषधियाँ

  • लाल रंग के और दर्दयुक्त फोड़े होने पर प्रथम औषधि – बॅलाडोना, दिन में तीन बार, चार दिन तक लें।
  • जब फोड़ों में पीब बनने लगे – हीपर सल्फ 30, दिन में तीन खुराक, एक दिन के लिए लें, इससे पीब और जल्दी बनेगा । यदि हीपर सल्फ 200 की एक खुराक लें तो पीब बनना रुक जाएगा।
  • जब फोड़ा ठीक न हो और पीब बन रहा हो, फिर भी फोड़ा पक नहीं रहा हो तब सिलिशिया 30, दिन में तीन बार, दो दिन तक लें।
  • गहरे लाल रंग के फोड़े, त्वचा गरम, चमकीली तथा दाहयुक्त और बुखार भी हो तो – एकोनाइट 30, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लें।
  • बहुत सारे छोटे-छोटे फोड़े पूरे शरीर पर फैले हुए (गर्मी के फोड़े) हो तो – अर्निका 200 की एक खुराक हर दिन, तीन दिन तक लें
  • कोई बड़ा सा फोड़ा बहुत समय से निकला हो और पीब से भरा हुआ हो तब उस पीब को सोख लेने के लिए मर्क्यूरियस सोल्यूबिलिस 200 की एक खुराक, हर तीसरे दिन सुबह में, कुल तीन दिन तक लें एवं गन पाऊडर 3x, दिन में चार बार, बारह दिन तक लें।

मस्से    

त्वचा की बाहरी सतह पर फुंसी के आकार का छोटा उभार होता है, जिसे मसा कहा जाता है । मस्से कई प्रकार के होते हैं और उनके स्थान, लक्षण व आकार के आधार पर औषधि दी जाती है। बिना कुछ नुकसान पहुँचाएँ मसे बढ़ते रहते हैं व इन्हें शरीर की सुंदरता को ध्यान में रखकर पारंपारिक तरीकों से निकाला जाता है। सामान्यतः बच्चे व युवा इससे प्रभावित होते हैं। ये सूक्ष्म जीवाणुओं के कारण होते हैं। ये खुद-ब-खुद शरीर के किसी एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फैलते रहते हैं और संक्रमण के कारण भी होते हैं। जैसा कि पुराने मसे त्वचा के पोषण में परिवर्तन की वजह से, वृद्धावस्था में, जननांग संबंधी मसे स्थानीय स्राव के संपर्क में आने से आते हैं, जो कि जीवाणुयुक्त होते हैं। सामान्यतः हम कह सकते हैं कि ये मसे मृत त्वचा की कोशिकाओं की संक्रामक उपज (विकास) हैं, जो कि त्वचा के बाहरी सतह पर रहते हैं।

बच्चों और युवाओं में मसे करीब छह महीने से दो वर्ष में गायब हो जाते हैं। परंपरागत उपचार में ऑपरेशन करके निकालने के अलावा कोई तरीका नहीं है पर होमियोपैथी में इसके लिए औषधि है।

औषधियाँ

  • फूल गोभी की तरह, गुच्छे में, नम व छूने पर आसानी से खून आना – थूजा 1M, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • मसे ठोस, सींग जैसे या चेहरे, गले, नाक की टिप और उँगलियों की सतह पर आना – कॉस्टिकम 1M, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • मसों में खुजली, आसानी से खून आना, नरम, स्पाँजी और चुभने जैसा दर्द होना – कॅल्केरिया कार्बोनिका 1M, सप्ताह में एक खुराक, दो सप्ताह तक लें।
  • मस्से हथेली के पिछले भाग में, बड़े, हाथों व चेहरे पर फ्लेशी या चिकने होना डल्कामारा 1M, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।
  • मस्से हथेली पर, दर्दयुक्त या तलवों (कील) में पीले रंग के होना – – फेरम पिक्रीकम 30, दिन में तीन बार, दो सप्ताह तक लें।
  • मसे लटकनेवाले, आसानी से खून आना, दर्दयुक्त व बड़े होना – ऍसिडम नाइट्रिकम 1M, सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह तक लें।

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