महिलाओ की बिमारियों का होम्योपैथिक इलाज
मासिक धर्म में विलम्ब (Amenorrhoea)
यह दो तरह का होता है,
क) मासिक धर्म में प्राथमिक विलम्ब (primary amenorrhoea),
ख) मासिक धर्म में द्वितीयक विलम्ब (secondary amenorrhoea)।
मासिक धर्म में प्राथमिक विलम्ब: हमारे देश में बालिकाओं को प्रायः 12-13 वर्ष की आयु तक मासिक धर्म शुरू हो जाता है, परन्तु कई बार युवावस्था आने पर भी मासिक (menses) नहीं होता। उसे मासिक धर्म में प्राथमिक विलम्ब कहा जाता है।
कारण : वंशानुगत, पूर्ण रूप से शारीरिक विकास न होने या योनिच्छद झिल्ली में छिद्र न होने के कारण हो सकता है ।
1. कन्या संवेदनशील व बात-बात पर रो देती हो, गर्मी सहन न होती हो
- पल्साटिला 30 या 200
व्यक्तिपरक (constitutional) चिकित्सा से लाभ होता है।
मासिक धर्म में द्वितीयक विलम्ब: जब मासिक एक बार शुरू होकर फिर रूक जाए ।
2. स्वभाव चिड़चिड़ा, उदासी, एकान्त में रहने की इच्छा मासिक बहुत ही कम या बिल्कुल बन्द हो जाये। सफेद पानी (leucorrhoea), कब्ज, योनि
में भारीपन ।
- सीपिया 30 या 200
3. मासिक न होने पर सिर में दर्द, ठंड लगना व कब्ज ।
- नैट्रम म्यूर 30
4. खून की कमी की वजह से मासिक न हो ।
- फैरम मैट 30
5. डर या अचानक सर्दी लग जाने से मासिक न होना, बुखार, प्यास, व बेचैनी ।
- एकोनाइट 30, दिन में 3 बार
6. मासिक धर्म न होकर नाक से या मुंह से खून निकलने लगे।
- ब्रायोनिया 30, दिन में 3 बार
7. कमजोरी के कारण मासिक स्राव न होने पर ।
- चाइना 30 दिन में 3 बार
8. भीगने से मासिक स्राव रुक जाना, चक्कर आना, खुली हवा में रोगी अच्छा महसूस न करे ।
- साइक्लेमन 30 दिन में 3 बार
9. दिल घबराना, पेट दर्द, मसूड़ों व गालों में सूजन, सफेद पानी ।
- काली कार्ब 30 दिन में 3 बार
9. उपरोक्त औषधियों से लाभ न होने पर।
- सल्फर 200 या 1M की एक खुराक दें
10. अल्परज (Amenorrhoea)
- पल्साटिला 30, ब्राओनिया 30, कल्केरिया कार्ब 30, नेट्रम म्यूर 30; दिन में 3 बार ।
- पाइनस एल Q, गोसिपियम Q, पल्सटिला Q; बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 10 – 10 बूंद दिन में 2 बार सेवन करें ।
अनियमित मासिक स्राव (Irregular Menstruation)
मासिक स्राव नियत समय पर न हो, कभी समय से पहले व कभी समय के बाद बहुत कम मात्रा में या ज्यादा हो तो अनियमित मासिक स्राव कहलाता है।
1. बहुत देर से और बहुत थोड़ी मात्रा में मासिक स्राव । संवेदनशील व गर्मी प्रकृति की स्त्रियों में विशेष लाभदायक।
- पल्साटिला 30 या 200
2. देर से और थोड़ी मात्रा में मासिक स्राव ।
- कोनियम 30 या 200
3. हर 15 दिन में मासिक स्राव ।
- इग्नेशिया 30 या 200
4. अनियमित मासिक स्राव की मुख्य औषधि ।
- सैनेशियो Q
5. नियमित समय से पहले मासिक स्राव शरीर ठंडा । स्राव होने से पहले तेज दर्द ।
- अमोनियम कार्ब 30
6. स्राव चमकीले लाल रंग का मात्रा में अधिक व समय से पहले, बहुत कमज़ोरी हो ।
- इपिकैक 30
7. अनियमित ऋतु
- अशोका Q, एब्रोमा अगास्टा Q, सिनेशिया ओरि Q; बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 10 – 10 बूंद दिन में 2 बार सेवन करें ।
8. ऋतु स्त्राव की मात्रा अधिक होने पर
- एपोसाइनम Q, अस्टिब्रेगो 3X, हेमामेलिस 3X, बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 10 – 10 बूंद दिन में 2 बार सेवन करें ।
- इपिकाक 6; दिन में 3 बार ।
9. ऋतु स्त्राव का निरनतर कई दिन तक होने पर
- कल्केरिया सल्फ 3X, काली म्यूर 3X; दोनो में से 2-2 गोली दिन में 3 बार ।
10. ऋतु स्त्राव समय से पहले तथा मात्रा में अधिक होने पर
- ट्रिलियम Q
ऋतु शूल (Dysmenorrhoea)
मासिक धर्म के समय कमर या पेट के निचले हिस्से आदि में कभी -कभी असहनीय दर्द होता है । हार्मोन असंतुलन या हार्मोन अस्थिरता ही इसका मुख्य कारण समझा जाता है । आमतौर पर दर्द गर्भाशय की दीवारों में ऐंठन आने से होता है। मासिक स्राव कम होता है और दर्द अधिक ।
1. मासिक धर्म से पहले कमर में तेज दर्द, ठंड लगना, जी मिचलाना ।
- कॉलोफाइलम 30
2. चिड़चिड़ी, क्रोधित व उत्तेजित स्वभाव की स्त्रियों में, ऋतु के दो एक दिन पहले से ही पेट में तेज दर्द, काले रंग का जमे हुए रक्त का मासिक स्राव ।
- ऐब्रोमा अगस्टा Q
3. बहुत तेज दर्द के साथ अधिक मात्रा में मासिक स्राव, प्रसव वेदना की तरह दर्द व दस्त ।
- कैमोमिला 30 या 200
4. नियमित समय से बहुत पहले मासिक स्राव (बहुत कम मात्रा में), मासिक स्राव से कमर दर्द जैसे कि कमर टूट गई है; पेट में दर्द जैसे कि अंदर पत्थर आपस में घिस रहे हों।
- कॉकुलस इंडिका 30
5. ऋतु स्राव थोड़ी मात्रा में ऐंठन जी मिचलाना।
- क्यूप्रम मैट 30
6. मासिक स्राव बहुत मात्रा में व हर दसवें, पंद्रहवें दिन हो; काला, थक्केदार, दुर्गन्धयुक्त स्राव ।
- इग्नेशिया 30 या 200
7. दर्द में गर्म सेक से आराम हो ।
- मैग फॉस 6X, 4 बार (गर्म पानी से)
8. दर्द गर्भाशय से शुरू हो कर सारे शरीर में फैल जाता है और एकाएक शुरू होता है ।
- वाइबर्नम औपुलस Q
9. स्राव कम होने पर दर्द बढ़ जाता है; और स्राव ज़्यादा होने पर दर्द कम हो जाता है। स्राव बहुत देर से व कम मात्रा में होता है ।
- लैकेसिस 30
10. युवावस्था में जब ऋतु आरंभ न हो, अनियमित हो रोगी गर्म प्रकृति का हो पर दर्द के दौरान ठंड महसूस हो । लक्षण बदलते रहते हैं, कभी दर्द कहीं होता है, कभी कहीं।
- पल्साटिला 30
11. उत्तेजित व क्रोधी स्वभाव की रोगिणी । बहुत तेज़ दर्द, दबाने व गर्म सेक से आराम आये ।
- कोलोसिंथ 30
दो मासिक धर्म के बीच रक्त स्राव (Metrorrhagia)
1. ज़्यादा रक्त स्राव से बहुत कमजोरी। रक्त स्राव बहुत समय तक लगातार होता रहे ।
- चाइना 30
2. बहुत अधिक काला व थक्केदार स्राव । हर दसवें पन्द्रहवें दिन रजः स्राव ।
- इग्नेशिया 200
3. गर्भाशय की कमजोरी के कारण बहुत अधिक मात्रा में रक्त स्राव ।
- अशोका Q
4. गर्भाशय से चमकीले लाल रंग का काफी रक्त स्राव। जी मिचलाना एवं प्रसव वेदना की तरह दर्द
- फाइकस रैलिजियोसा Q
5. रोगी स्वस्थ भी नहीं हो पाता कि अगले महीने का रक्त स्राव शुरू हो जाता है ।
- थ्लैस्पी बर्सा पी Q
6. चिड़चिड़ी व उग्र स्वभाव की स्त्रियों में असहनीय दर्द के साथ काला थक्केदार रक्त स्राव ।
- कैमोमिला 30 या 200
7. प्रसव के बाद बहुत रक्त स्राव । गर्भाशय में ऐंठन की तरह दर्द ।
- कॉलोफाइलम 30
8. दुर्गन्धमय काला थक्केदार स्राव । सोने या लेटने पर स्राव बढ़े, उठ कर बैठने पर स्राव बंद हो ।
- क्रियोजोट 30
9. अविवाहिता स्त्रियों में गर्भाशय से बहुत मात्रा में रक्त स्राव । रात को सोने के बाद बढ़े ।
- मैग्नेशिया म्यूर 30
10. गर्भाशय से चमकीला लाल रंग का गर्म रक्त स्राव । गर्भाशय में बहुत दर्द हो ।
- बैलाडोना 30
11. बहुत अधिक कामेच्छा । पहले मासिक का स्राव खत्म होने से पहले ही दूसरे मासिक का स्राव शुरू हो जाये ।
- सैबाइना 30
12. गर्भाशय में प्रसव वेदना जैसा दर्द व दुर्गन्धयुक्त काला रक्त स्राव । शरीर ठण्डा हो मगर फिर भी शरीर पर कपड़ा पसन्द न हो ।
- सिकेल कोर 30
मासिक रुक जाना (Amenorrhoea)
युवावस्था में ऋतु न हो या एक बार होकर दोबारा न हो उसे रजः रूक जाना कहते हैं ।
1. डर या अचानक सर्दी लग जाने से ऋतु न होना । बुख़ार, प्यास व बेचैनी ।
- एकोनाइट 30
2. पैर में सर्दी लगकर या बहुत ज़्यादा ठंडी हवा लग कर मासिक बंद हो जाना, मासिक के बदले सफेद पानी जाना, युवावस्था के आरंभ की बीमारी। खुली हवा में अच्छा लगे।
- पल्साटिला 30, 200
3. मासिक बहुत थोड़ा हो या बिल्कुल बंद हो जाए। सफेद पानी, कब्ज, व योनि में बहुत भारीपन मालूम देना ।
- सीपिया 30, 200
4. अन्य औषधियों से लाभ न होने पर ।
- सल्फर 200 की 2 खुराक
5. मासिक न होने पर सिर में दर्द, ठंड लगना व कब्ज़ ।
- नैट्रम म्यूर 200, 1M
6. खून की कमी (anaemia) की वजह से मासिक फैरम न होता हो ।
- मैट 3X, 30
7. भीगने से मासिक रूक जाना, सिर दर्द चक्कर आना, खुली हवा में तकलीफ बढ़े।
- साइक्लेमन 30
8. दिल घबराना, पेट दर्द, मसूड़ों व गालों में सूजन, सफेद पानी।
- काली कार्ब 30, 200
श्वेत प्रदर (Leucorrhoea )
अस्वस्थ रोगिणी की योनि (vagina) से स्राव निकलता है जिसे श्वेत प्रदर या सफेद पानी जाना कहते हैं, परंतु यह किसी और रंग का भी हो सकता है।
1. गर्भाशय संबंधी रोगों की मुख्य औषधि पेट के निचले हिस्से में लगातार बोझ बने रहना जैसे कि भीतर के सभी अंग बाहर निकल पड़ेंगे पतला दूधिया तथा त्वचा को छीलने वाला कम स्राव, सख्त कब्ज ।
- सीपिया 30, 200
2. त्वचा छील देने वाला ज़्यादा देर तक रहने वाला स्राव, जलन पैदा करने वाला, बहुत कमजोरी और कमर दर्द के साथ।
- क्रियोजोट 30
3. साधारण प्रदर में जब श्लेष्मा का रूप मलाई जैसा होता है; रोगिणी बात बात पर रोती है, व सहानुभूति पसन्द करती है।
- पल्साटिला 30, 200
4. जलन पैदा करने वाला स्राव, खुजली, और छीलन के साथ; रात में बढ़ता है ।
- मक्यूरियस 30
5. दही या अंडे की सफेदी जैसा स्राव, गर्म पानी बहने जैसा ऐहसास ।
- बोरैक्स 30
6. पतला, दूधिया स्राव बच्चियों में श्वेत प्रदर ।
- कैल्केरिया कार्ब 30
7. स्राव इतना अधिक कि टांगों तक बह जाता है, पारदर्शी पानी जैसा स्राव, सख़्त कब्ज़ ।
- ऐल्युमिना 30, 200
8. मासिक धर्म की जगह श्वेत प्रदर होना, गुप्तांगों में बहुत खुजली व दाने कब्ज ।
- ग्रेफाइट्स 30
9. जब स्राव होता है तो रोगिणी अच्छा महसूस करती है स्राव बंद होने पर तबियत गिर जाती है।
- कार्बो वेज 30
10. गाढ़ा, पीला, लगने वाला स्राव, पेट में कमजोरी व ह्रदय की धड़कन तेज।
- हाइड्रैस्टिस Q, 30
11. मासिक से पहले अंडे की सफेदी जैसा स्राव, बार बार पेशाब की इच्छा ।
- फॉस्फोरस 30, 200
12. जब उपरोक्त दवाओं से फायदा न हो।
- मैडोराइनम 200 की एक खुराक 4-5 दिन के अंतर से दें।
13. श्वेत प्रदर
- ओवा टोस्टा 3X, 10-10 बूंद दिन में 2 बार ।
- पलसाटिला 30; दिन में 3 बार ।
- काली म्यूर 3X; 4-4 गोली दिन में 3 बार ।
14. श्वेत प्रदर
- एलुमिना 30, सिपिया 30 दिन में 3 बार ।
- कल्केरिया फास 6X; 4-4 गोली दिन में 3 बार ।
मासिक का ज़्यादा होना (Menorrhagia)
मासिक के समय कभी-कभी बहुत अधिक मात्रा में रक्त स्राव। अधिक खून निकल जाने से रोगिणी बहुत दुर्बलता महसूस करती है व उसका चेहरा पीला पड़ जाता है ।
1. हर प्रकार के अति रजः में लाभकारी है। कभी कभी गर्भाशय में ट्यूमर होने की वजह से भी ज़्यादा रक्त स्राव होता है।
- हाइड्रेस्टिस Q
2. मासिक स्राव समय से पहले व बहुत मात्रा में हो । ख़ासकर मोटी थुलथुली स्त्रियों में ।
- कैल्केरिया कार्ब 30, 200
3. ज़्यादा मात्रा में काले रंग का स्राव व बेहद कमजोरी ।
- चाइना 30
4. दर्द के साथ बहुत अधिक मात्रा में बहुत दिन तक रहने वाला स्राव ।
- ब्लैस्पी बर्सा पी Q
5. पेट के निचले हिस्से में बहुत भारीपन के साथ अधिक मात्रा में काले रंग का रक्त स्राव प्रसव वेदना की तरह दर्द ।
- ऐलेटेरिस फैरिनोसा Q
6. बहुत अधिक मात्रा में व बहुत दिनों तक रहने वाला रक्त स्राव ।
- अशोका Q
7. चोट लगने के कारण चमकीले लाल रंग का रक्त स्राव ।
- आर्निका 30, 200
8. मासिक धर्म समय से बहुत पहले व बहुत अधिक हो। जी मिचलाना और पेट में बेहद दर्द ।
- बोरैक्स 30
9. चमकीले लाल रंग का गर्म रक्त स्राव । सिर में दर्द, चक्कर, आंखें लाल । गर्भाशय में दबाव ।
- बैलाडोना 30
11. गर्भाशय से बहुत अधिक रक्त स्राव हो ।
- ट्रिलियम Q
12. मानसिक शोक व दुःख के कारण ज़्यादा रक्त स्राव होने पर।
- इग्नेशिया 30
13. बहुत चमकीले लाल रंग का पतला रक्त स्राव। जरा से झटके से बहुत मात्रा में खून निकलना । जी मिचलाना व पेट में दर्द ।
- इपिकैक 30
14. बिना दर्द के बहुत ज़्यादा मात्रा में रक्त स्राव ।
- मिलीफोलियम Q
15. प्रौढ़ उम्र की स्त्रियों में मासिक धर्म बंद होने के पहले बहुत मात्रा में रक्त स्राव ।
- लैकेसिस 30 या 200
मासिक कम होना (Scanty Menstruation)
गर्भाशय के किसी विकार की या बहुत दिनों तक कोई बीमारी भोगने के कारण की शरीर में खून की कमी हो जाने से मासिक स्राव जितना होना चाहिए उसकी अपेक्षा कम मात्रा में हो सकता है ।
इस रोग के मूल कारण जिसकी वजह से स्राव कम हो या रुक गया हो उसका इलाज करना चाहिए। प्रथम रजः स्राव होने में देर या रजः स्राव रूक जाने में जिन दवाओं का प्रयोग होता है, इसमें भी उन्हीं दवाओं को प्रयोग में लाया जाता है।
रजोनोवृत्ति (Menopause)
स्त्रियों में 40-50 वर्ष की उम्र में मासिक धर्म होना हमेशा के लिए बंद हो जाता है। इसे रजोनिवृत्ति कहते हैं । उस समय कई तकलीफें हो सकती हैं, जैसे बहुत ज़्यादा रक्त स्राव होना, चिड़चिड़ापन व शरीर में गर्मी की लपटें सी महसूस होना।
1. मुख्य औषधि गर्मी की लपटें महसूस होना, चिड़चिड़ापन, पसीना आना नींद से उठने के बाद तकलीफ बढ़ना ।
- लैकेसिस 200
2. चेहरा एकदम गर्म हो जाना व हल्का पसीना आना । सिर में गर्मी पैर ठण्डे व पेट में कमजोरी ।
- सल्फर 30 या 200
3. लम्बी पतली उदासीन औरतों के लिए जब अचानक गर्मी की लपटें महसूस हों। सफेद पानी व कमर के निचले हिस्से में दर्द हो, ठण्ड लगे ।
- सीपिया 30 या 200
4. जब रोग-लक्षण बदलते रहें। लक्षण बताते समय रोगिणी रो पड़े ।
- पल्साटिला 30, 200
5. चिड़चिड़े व झगड़ालू स्वभाव की स्त्रियों में काफी मात्रा में रजः स्राव । कब्ज़ भी हो।
- नक्स वोमिका 30
कामोन्माद (Nymphomania)
जब स्त्री में कामेच्छा इतनी ज्यादा हो कि वह अपने पर नियंत्रण न रख पाये तो उस रोग को कामोन्माद कहते हैं।
1. स्त्री में अत्यधिक कामोत्तेजना । ख़ास कर अविवाहित स्त्रियों में उत्तेजना इतनी ज़्यादा कि हर किसी से संबंध बनाना चाहे ।
- प्लैटिना 30, 200
2. अगर प्लैटिना से आराम न आये रोगिणी अंग उघाड़े कामवासना रोकना उसके वश से बाहर हो जाए।
- फॉस्फोरस 30, 200
3. जननांगों में जरा सा भी स्पर्श होने से अत्यधिक कामोत्तेजना हो ।
- म्यूरैक्स 30, 200
4. जब योनि में कृमि (worms) पहुंच जाने के कारण योनि खुजलाने से कामोत्तेजना हो ।
- कैलेडियम 30
5. स्वतः ही जननांगों में बेहद खुजली व बेचैनी, कामोत्तेजना, आलिंगन की इच्छा ।
- ऐगैरिकस 30
6. जब कामोत्तेजना के साथ श्वेत प्रदर (leucorrhoea) की तकलीफ भी हो। एक के बाद दूसरी दवा दें। |
- सीपिया 30, पल्साटिला 30
7. रोगिणी बहुत अश्लील हरकतें करती है। अपने जननांगों को उघाड़ती है; बेशर्म हो जाती है।
- हायोसाइमस 30, 200
8. मासिक धर्म के दौरान बेहद कामोत्तेजना।
- स्ट्रामोनियम 30,200
बांझपन (Sterility)
जब स्त्री सन्तान उत्पन्न करने में असमर्थ हो। यह गर्भाशय (uterus) के विकार या डिम्बग्रंथियों के विकार के कारण हो सकता है।
1. बांझपन की मुख्य औषधि मासिक धर्म की अनियमितता, श्वेत प्रदर व कब्ज ।
- सीपिया 30
2. यदि डिम्ब ग्रन्थियां (ovaries) व स्तन ग्रन्थियां सिकुड़ व सूख गई हों।
- बैराइटा कार्ब 30
3. गर्भाशय संबंधित विकारों के कारण बांझपन ।
- ऑरम म्यूर नैट्रोनेटम 3X
4. श्वेत प्रदर की अधिकता के कारण ।
- बोरैक्स 6 या 30
5. स्त्री में कामेच्छा बिल्कुल खत्म हो गई हो ।
- औनोस्मोडियम 30, औनोस्मोडियम CM (महीने में एक बार)
6. मानसिक उदासीनता के कारण ।
- ऑरम मैट 200, IM
7. श्वेत प्रदर के कारण बांझपन । जननांगों में बेहद बदबूदार पसीना व टांगों और हाथों पर बाल ।
- थूजा 30
स्तन में फोड़ा या सूजन (Abscess, mastitis)
1. सूजन की प्रथम अवस्था में जब स्तन लाल व कड़े हों ।
- बैलाडोना 30
2. मवाद हो जाने पर जरा सा स्पर्श भी सहन न हो ।
- हिपर सल्फ 30
3. बच्चे का सिर लगने, चोट लगने या दूध इकट्टा हो जाने से स्तन में सड़त गांठें बन जाने पर ।
- फाइटोलाक्का 30
4. दूध इकट्टा हो जाने पर स्तन बहुत कड़े हो जायें ।
- ब्रायोनिया 200
5. स्तन की रंगत फोड़े की वजह से नीली या जामुनी सी हो जाने पर ।
- लैकेसिस 30
स्तन सूख जाना (Atrophy)
1. स्तनों को उनके प्राकृतिक रूप व आकार में लाने के लिए मुख्य दवा।
- औनोस्मोडियम CM महीने में एक बार
2. स्तन के सूख जाने, (या बहुत ज़्यादा बढ़ जाने) पर उपयोगी।
- चिमाफिला Q, 30
3. स्तन, जो बहुत अच्छे गोलाई का रूप लिए हुए थे, अचानक सूख जाने पर ।
- नक्स मॉस्काटा 3X
4. स्तन सूख जाने व त्वचा लटक जाने पर ।
- कोनियम 30, 200
5. स्तन सूख जाने व शरीर की अन्य ग्रंथियां बढ़ जाने या सूज जाने पर ।
- आयोडियम 30
6. गर्भाशय के विकारों व मासिक बहुत देर से होने पर स्तनों का सूख जाना ।
- सैबाल सैरूलाटा Q
स्तन का बढ़ जाना (Hypertrophy)
1. स्तन बहुत बढ़ जाएं व भारी लगें ।
- फाइटोलाक्का 30, 200
2. स्तनों में बहुत ज्यादा दूध हो जाने पर दूध को कम कर प्राकृतिक रूप में लाने के लिए ।
- फैगेरिया 30
3. स्तन बहुत बढ़ जाने पर अत्यन्त उपयोगी ।
- कोनियम 200, 1M
4. स्तन के बढ़ जाने (अथवा सूख जाने दोनों) में उपयोगी ।
- चिमाफिला Q, 30
दूध (Milk)
1. स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए ।
- कैल्केरिया कार्ब 30, 200
2. स्तनों का दूध कम करने के लिए।
- लेक वैक डैफ 6, 30
स्तनाग्रों की दु:खन (Sore Nipples)
1. निपल के सूजने व फटने पर ।
- सीपिया 30, 200
2. निपल पर जख्म हो जाएं व उनसे गोंद जैसा चिपचिपा स्राव निकलने पर ।
- ग्रेफाइट्स 30, 200
स्तनों के जख्मों को कैलेण्डुला लोशन (आधा प्याला पानी में एक चम्मच कैलेण्डुला Q ) से धोयें। बच्चे को दूध पिलाते समय स्तनों को साफ पानी से अवश्य धो लें ।
स्तनाग्रों में दर्द (Painful Nipples)
1. शिशु के स्तनपान करने के बाद निप्ल दर्द करने लगें ।
- फैलेन्ड्रियम 6
2. स्तन पान कराते समय दर्द स्तन से चल कर पीठ की तरफ जाने पर ।
- क्रोटन टिग 6, 30
3. स्तनों का दूध बिल्कुल बंद करने के लिए।
- चियोनैन्थस Q
4. स्तनों में दूध बिल्कुल न हो तो दूध बढ़ाने के लिए ।
- सैबाल सैलैटा Q
5. स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए।
- लैक्चुआ विरोसा Q
6. शिशु को दूध पिलाने वाली माताओं में दूध बढ़ाने के लिए।
- रिसिनस कौम 6, 30
7. स्तनों के दूध के स्वाद को सुधारने के लिए।
- बोरैक्स 3X, 30
8. मासिक के समय स्तनों में दूध आने लगे पर मासिक न हो।
- मक्यूरियस 30
9. स्तनों का दूध नमकीन होने पर ।
- कैल्केरिया फॉस 6X, 30
10. स्तनों से जब दूध के साथ रक्त भी आए।
- ब्यूफो 30
11. दूध बहुत मात्रा में आता हो उसे कम करने के लिए ।
- लैक कैन 30, 200
12. प्रसव के बाद स्तनों में दूध न आने पर ।
- सिकेल कोर 30, 200
13. जब गुस्से का दौरा पड़ने के कारण स्तन में दूध न आए।
- कैमोमिला 30, 200
14. इस औषधि के देने से दूध की मात्रा भी बढ़ती है और दूध सुपाच्य हो जाता।
- अल्फाल्फा Q
गर्भाशय की सूजन (Metritis)
गर्भाशय का प्रवेश द्वार योनि में खुलता है और उंगली से महसूस किया जा सकता है । डिम्ब ग्रन्थियां उसके पीछे शरीर के अंदर होती हैं।
1. जब रोग चोट लगने के कारण हो ।
- आर्निका 30
2. जब बेचैनी, जलन, प्यास व मृत्युभय हो ।
- आर्सेनिक एल्ब 30
3. जब गर्भाशय में डंक मारने जैसा दर्द हो। प्रसव के बाद जब गर्भाशय का ठीक से संकुचन न हो।
- एपिस मैल 30
4. जब पेट में दर्द एक ओर से दूसरी ओर तीर की तरह जाए।
- सिमिसिफ्यूगा 30
5. गर्भाशय में सूजन के बाद सड़न बदबूदार स्राव आए ।
- पायरोजिनियम 200
गर्भाशय का अपनी जगह से हटना (Prolapse of Uterus )
जब गर्भाशय अपनी जगह से हट कर आगे पीछे या नीचे को टेढ़ा हो जाता है । यह गर्भाशय को सही स्थान में रखने वाली मांसपेशियों के ढीला होने की वजह से होता है। बहुत अधिक सहवास, भारी चीजें उठाना, चोट लगना, गिरना, या बहुत ज़्यादा प्रसव होने के कारण ऐसा होता है।
1. मुख्य औषधि। रोगिणी योनिद्वार को हाथ से दबा कर रखना चाहती है। उसे लगता है कि अगर ऐसा नहीं करेगी तो गर्भाशय योनि द्वार से बाहर निकल पड़ेगा ।
- सीपिया 1M, 10M
2. श्वेत प्रदर बहुत मात्रा में हो व गर्भाशय अपने स्थान से हट जाए। लेटने पर रोग बढ़ना ।
- पल्साटिला 30, 200
3. यदि चोट लगने या गिरने की वजह से गर्भाशय अपने स्थान से हट जाए ।
- आर्निका IM
4. ऐसा लगे कि योनिपथ से पेट की सभी नस नाड़ियां बाहर निकल पड़ेंगी। सिर में रक्त का बहुत दबाव व टपक की तरह दर्द होना ।
- बैलाडोना 30
5. ऐसा अनुभव हो कि गर्भाशय योनि से बाहर निकल पड़ेगा। बार बार पेशाब जाने की इच्छा । सीपिया से आराम न आने पर दें।
- लिलियम टिग 30, 200
6. जब पुरानी सूजन के कारण गर्भाशय बाहर निकलने लगे।
- औरम म्यूर नेट्रोनेटम 3X
गार्भपात की आशंका
- कालोफाइलम 30, लिलियम टिग 30, सैबाइना 30; दिन में 3 बार ।
- काली फास 6X, मैग फास 6X; दोनो में से 3-3 गोली दिन में 3 बार ।
प्रसव की अनुमानित तिथि से 10 दिन पूर्व से प्रतिदिन दो बार पल्साटिला 30, कोलोफाइलम 30 प्रसव होने तक कराते रहने से प्रसव सुखपूर्वक होता हैप्रसव के समय कल्केरिया फ्लोर 3X, काली फास 3X, मैग फास 3X सेवन काराने से बिना कष्ट के प्रसव होता है.