दिल की बिमारियों का होम्योपैथिक इलाज

दिल की बिमारियों का होम्योपैथिक इलाज

हृदय शरीर का मुख्य अंग है। इसके बीमार होने से सारे शरीर पर असर पड़ता है । यह बहुत ही नाजुक अंग है और इसके रोग भी प्रायः विकट और उलझे हुए होते हैं। इसलिए किसी अच्छे डॉक्टर को दिखा कर ही रोगी का इलाज कराना सही रहता है। कुछ साधारण रोगों की दवाएं यहां दी जा रही हैं जिनको शुरूआत में देने से रोग बढ़ेगा नहीं और रोगी को राहत महसूस होगी।

ऐसे तो हमारे शरीर में हृदय प्रति मिनट औसतन 72 बार धड़कता है और इस धड़कन खून हमारे शरीर में चक्कर लगाता रहता है। मगर हृदय का कोई भी रोग होने पर खून की कमी, चिंता, भय, ज़्यादा नशा करने, सूजन, आदि से हृदय की धड़कन तेज हो जाती है।

दिल का ज़्यादा धड़कना (Palpitation)

1. मुख्य दवा ।

  • केटेगस Q, ५-1५ बूंद, दिन में 4 बार

2. जब धड़कन के कारण लगे कि दिल काम करना ही बंद कर देगा । भय, घबराहट व मृत्यु भय हो ।

  • एकोनाइट 30 आवश्यकतानुसार

3. चोट लगने के कारण धड़कन का बढ़ना ।

  • आर्निका 30 या 200, 3-4 खुराक

4. ऐसा लगे कि दिल लोहे के शिकंजे में जकड़ा है।

  • कैक्टस Q, ५ से 1५ बूंद, दिन में 4-6 बार

5. जब धड़कन रक्त स्राव या अन्य स्राव के कारण बढे ।

  • चाइना Q या 30, दिन में 4 बार

6. जब नशीले पदार्थों (तम्बाकू आदि) के सेवन के कारण रोग हो । मन दु:खी व हृदय में दर्द हो ।

  • स्पाइजिलिया 30, दिन में 3 बार

7. जब लगे कि कुछ न कुछ हरकत करते रहना चाहिए, नहीं तो कहीं दिल काम करना ही न बंद कर दे।

  • जल्सेमियम 30 दिन में 3 बार

8. जब चलते समय लगे कि दिल हिल रहा है। निराशा, व आत्म हत्या की इच्छा हो।

  • ऑरम मैट 200, 2-3 खुराक

9. जब बायें करवट लेटने से धड़कन बढ़े।

  • फॉस्फोरस 30 या 200, 2-3 खुराक

दिल का दर्द (Angina Pectoris)

यह दर्द दिल के अंदर के विकार के कारण नहीं, बल्कि मांस पेशियों व स्नायुमंडल में हुई गड़बड़ी के कारण होता है।

ज्यादा शराब के सेवन से मानसिक परेशानियों, बीड़ी-सिगरेट, वात रोग आदि से भी हो सकता है। दिल में एकाएक दर्द उठ कर छाती के सामने वाले भाग बायें कन्धे व बाजू तक फैल जाता है । सांस जल्दी जल्दी आने लगता है, घबराहट, पसीना, बेहोशी तक हो जाती है। समय पर ठीक उपचार न मिलने पर रोगी की मृत्यु तक हो सकती है ।

1. मुख्य औषधि ।

  • लैट्रोडेक्टस 6 या 30, दिन में 3 बार

2. जब हृदय की गति बहुत तेज हो। बाईं ओर घूमने से हृदय में सुई चुभने जैसा दर्द हो।

  • आइबेरिस Q, ५-10 बूंद आवश्यकतानुसार

3. जब लगे कि हृदय काम करना ही बंद कर देगा।

  • डिजिटेलिस Q, या 30 दिन में 4 बार

4. जब दर्द के कारण बाई ओर न लेटा जाए।

  • स्पाइजिलिया 30, दिन में 4 बार

5. हृदय को ताकत देने के लिए ।

  • कैक्टस Q, व केटेगस Q. पानी में मिला कर

6. जब अत्यधिक बेचैनी, कमजोरी, प्यास, व जलन हो; ऐसा लगे जैसे कि प्राण निकलने ही वाले हैं ।

  • आर्सेनिक 30, हर 1५-20 मिनट बाद

6. जब पेट में वायु के दबाव के कारण हृदय दर्द हो । रोगी खुली हवा या पंखा कराना चाहे।

  • कार्बो वेज 30, , दिन में 3 बार

7. दर्द हृदय की मांस पेशियां कमजोर होने के कारण हो ।

  • स्ट्रोफैन्थस Q, दिन में 3 बारें

8. जब दर्द के कारण रोगी गश खा जाए, बांया हाथ सुन्न हो जाए ।

  • नाज्जा 6, या 30, दिन में 3-4 बार

9. Angina Pectoris  

  • कैक्टस 30, लैक्टो डैक्ट्रोज 30, लैकैसिस 30, मैग फास 30; बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 3 – 3 बूंद दिन में 3 बार सेवन करें ।

10. बायोकैमिक औषधि

  • मैग्नेशिया फॉस 6x व काली फॉस 6x आवश्यकतानुसार

रक्तचाप का बढ़ना (High Blood Pressure)

मनुष्य के शरीर में रक्त का दबाव आमतौर पर सिस्टोलिक (systolic) 120 से 140 और डायस्टोलिक (diastolic) 80 से 100 m.m. of Hg रहता है। इस स्तर से अधिक होने पर उच्च रक्त चाप (high blood pressure) और कम होने पर निम्न रक्त चाप (low blood pressure) कहलाता है। दोनों ही दशाओं में हृदय पर अधिक दबाव पड़ने से हृदय कमजोर हो जाता |

अधिक मानसिक श्रम या चिन्ता, शारीरिक श्रम का कम होना; गरिष्ठ भोजन, भोग-विलास, अधिक भोजन करने, मोटापा, शराब, धूम्रपान या खान पान की गड़बड़ से शिराओं का कड़ा होना और उनकी फैलने की शक्ति में कमी या रक्त गाढ़ा (अधिक नमक मिर्च खाने से) होने के कारण रक्त चाप बढ़ जाता है ।

लक्षण : सिर में दर्द या चक्कर, घबराहट, बेचैनी, दिल में दर्द, नींद न आना, आदि।

1. प्रमुख दवा । गर्भावस्था में चिकित्सक की देख-रेख में ही लें।

  • रॉवलफिया Q, 10-1५ बंद पानी में मिलाकर दिन में 3 बार

2. कनपटियों मे दर्द, गर्मी व धूप से रोग बढ़े ।

  • ग्लोनॉइन 6 या 30, दिन में 3 बार

3. सिर हिलाते ही चक्कर आना, अविवाहितों के लिए खास दवा ।

  • कोनियम 30 या 200, 2-3 खुराक

4. जब नींद से उठने के बाद रोग बढ़े। खुले कपड़े पहनने की इच्छा हो ।

  • लैकेसिस 200 या 1M, 2-3 खुराक

5. मोटे व्यक्तियों में, जो मांसाहारी भोजन ज़्यादा लेते हैं ।

  • एलियम सैटाइवा Q आवश्यकतानुसार

6. दुःखी लोगों में, जिनमें नमक खाने की इच्छा ज़्यादा हो ।

  • नैट्रम म्यूर 200 या IM, 2-3 खुराक

7. अचानक बुरी खबर या घबराहट के कारण रोग।

  • जल्सेमियम 200 या IM, 2-3 खुराक

8. बूढ़े लोगों के लिए ।

  • बैराइटा म्यूर 3X, दिन में 3 बार

9. सिर दर्द, घबराहट, त्वचा लाल व गर्म लेकिन प्यास न हो ।

  • बैलाडोना 30, दिन में 3 बार

10. उच्च रक्त चाप

  • आरम म्योर 6, ग्लोनाइन 6, विस्कम एल्ब 6, सुम्बल 6; बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 3 – 3 बूंद दिन में 3 बार सेवन करें ।
  • कब्ज तथा अनिद्रा भी साथ में होने पर काली फास 6X पेसीफ्लोरा Q भी साथ में दी जाती है.

निम्न रक्त चाप (Low Blood Pressure)

रक्त चाप कम होने पर रोगी को सुस्ती, आलस्य, निराशा, और घबराहट सी रहती है ।

1. अधिक स्राव (उल्टी, दस्त, वीर्य, खून) के कारण ।

  • चाइना Q या 6, दिन में 3 बार

2. धूप में बेहोश हो जाना, नमक की इच्छा ज़्यादा हो ।

  • नैट्रम म्यूर 6X या 30 दिन में 3 बार

3. कमजोरी व पेट में वायु के कारण, रोगी खुली हवा चाहे ।

  • कार्बो वेज 6 या 30, दिन में 3 बार

4. कमजोर व बढ़ती उम्र के लोगों में ।

  • कैल्केरिया फॉस 6x, दिन में 3 बार

5. जब नब्ज़ क्षीण व धीमी हो, दिल पर बोझ सा महसूस हो।

  • विस्कम एल्ब Q, ५ से 1५ बूंद, दिन में 3 बार

6. जब लगे कि हरकत बंद करते ही दिल काम करना बंद कर देगा ।

  • जल्सेमियम 30, दिन में 3 बार

7. निम्न रक्तचाप

  • कल्केरिया फास 3X, काली फास 3X, नेट्रम म्यूर 3X; तीनो में से 2-2 गोली दिन में 3 बार ।

खाने-पीने में पौष्टिक व संतुलित आहार लें । चिन्ता न करें। फल व सब्जियां प्रचुर मात्रा में लें।

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