पुरुषों की बिमारियों का होम्योपैथिक इलाज
आंत उतरना (Hernia)
पेट से आंत का नाभी में या अण्डकोष में घुस जाने को हर्निया कहते हैं। बाहर से देखने सूजन की तरह लग सकती है। कई बार ये आंतें सावधानी से धीरे धीरे चढ़ा देने या दबा देने से अंदर चली जाती हैं । कभी-कभी ऑपरेशन करवाना जरूरी हो जाता है ।
कारण : कब्ज़, अधिक खांसना, भारी वजन उठाना, ज़्यादा घुड़सवारी, अधिक श्रम, ज़्यादा घूमना, टट्टी पेशाब के समय ज़्यादा जोर लगाने आदि कारणों से यह रोग होता है ।
1. दायें भाग के हर्निया में ।
- लाइकोपोडियम 30, दिन में 3 बार
2. बायें भाग के हर्निया में; जब कब्ज़ भी हो ।
- नक्स वोमिका 30, दिन में 3 बार
3. जब सख्त कब्ज रहने के कारण हर्निया हो ।
- प्लम्बम मैट 30, दिन में 3 बार
4. जब आंत अचानक बीच में अटक जाए और उसकी वजह से सूजन, जलन वाला दर्द, घबराहट, ठंडा पसीना व मृत्यु भय हो ।
- एकोनाइट 30, हर आधे घंटे बाद
5. हर्निया की मुख्य दवा; ख़ासकर मोटे, थुलथुले व्यक्तियों के लिए ।
- कैल्केरिया कार्ब 200, 2-3 खुराक
हर्निया सोरा या साइकोसिस या इन दोनों के मिश्रण से होता है । परन्तु यदि सिफिलिटिक मियाज़्म साथ में हो तो यह घातक (destructive) बन जाता है जो कि टी. बी. या कैन्सर का रूप ले लेता है ; इसलिए हर्निया का इलाज व्यक्तिपरक (constitutional) होना चाहिए ।
अतः यदि इस अध्याय में दी गयी दवाओं से फायदा न हो तो किसी कुशल होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
लिंग की आगे की त्वचा पीछे न खिंचे (Phimosis)
कुछ पुरुषों की लिंग की आगे की त्वचा पीछे को नहीं खिंच पाती जिससे तनाव के समय काफी परेशानी होती है। यह रोग किसी ख़ास कारण से हो सकता है; यदि जन्म से हो तो सर्जरी से ठीक हो जाता है।
1. मुख्य दवा ।
- मर्क आयोडाइड 3X,
2. जब दर्द के साथ स्खलन हो ।
- हिपर सल्फ 6, 30
3. जब वीर्य मवाद की तरह व दुर्गन्धयुक्त हो।
- सिन्नाबैरिस 6, 30
4. जब काफी सूजन हो और दर्द भी हो।
- एसिड नाइट्रिक 30
5. जब रोग उपदंश (syphilis) के कारण हो ।
- मर्क सौल 6, 30
6. बच्चों में दुर्गन्धित मवाद के साथ ।
- सल्फर 6, 30
7. जब रोग अचानक सूजन के कारण हो ।
- एकोनाइट 30
8. जब सूजन, लाली, व दर्द हो
- बैलाडोना 30
9. जब सूजन चमकदार हो व डंक मारने जैसा दर्द हो ।
- एपिस मैल 6, 20
10. बायोकैमिक औषधि
- कैल्केरिया फ्लोर 12X व काली म्यूर
वीर्य स्खलन (स्वप्नदोष) (Spermatorrhoea)
जब वीर्य स्खलन हस्त मैथुन या कल्पनाओं (fantasies) की वजह से हो। यह स्वप्न में भी हो सकता है व बिना स्वप्न के भी।
1. स्वप्नदोष वीर्यपात के कारण दुर्बलता व भुलक्कड़पन, लिंग कमजोर सहवास के समय जल्दी ही वीर्यपात ।
- एसिड फॉस Q
2. अधिक वीर्यपात हस्तमैथुन, आदि की वजह से कमजोरी, लिंग कमजोर तनाव न हो, ठण्डा व ढीलापन । कामवासना अधिक मगर शक्ति बहुत
कम।
- ऐग्नस कास्टस Q, 6
3. जब स्वप्नदोष या अधिक वीर्यपात के कारण बहुत कमजोरी हो, चक्कर आयें।
- चाइना 6, 30, स्टेफिसगेरिया 30
4. शीर्ष वीर्य पतन की मुख्य दवा ।
- सैलेनियम 6, 30
5. दिल की धड़कन के साथ वीर्य स्खलन ।
- डिजिटेलिस 6, 30
6. जवान लड़कों में वीर्य स्खलन ।
- काली ब्रोम 6, 30
7. अत्यधिक तनाव व कामेच्छा के साथ वीर्य स्खलन ।
- एसिड पिकरिक 30
8. जब वीर्य खून मिला हो ।
- कॉस्टिकम 30
9. लिंग का तनाव होने से पहले ही वीर्य स्खलन ।
- सल्फर 30, 200
10. सहवास के वक्त भी वीर्य पतन न हो या बहुत देर से हो।
- ग्रेफाइट्स 30, 200
11. जरा भी कामेच्छा से शीर्घपतन, औरतों की मौजूदगी में ही या जरा सा छेड़ते ही वीर्य स्खलन ।
- कोनियम 30, 200
12. अधिक हस्तमैथुन के कारण स्वप्नदोष ।
- कैलेडियम 30, 200
13. सामान्य शुक्रपात
- एग्नस 6, सेलेनियम 30, सैवाल सेरुलाय 30, सैलिक्स नाइग्र 30, योहिम्बम 6X; बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 5 – 5 बूंद दिन में 3 बार सेवन करें ।
- भोजन के पश्चात प्रातः सायं एसिड फास 1X आधा कप जल में 5 बूंद डाल कर सेवन करायें. कुछ दिन सेवन कराने के पश्चात 3X सेवन करायें फिर 3X और बाद में 6, फिर 30 और अंत में 200 शक्ति तक सेवन करायें.
- अत्यधिक शुक्र स्खलन होने पर थूजा आक्सी Q
फासफोरस 30, सिपिया 30 का उपयोग भी शुक्र स्खलन के उपसर्गों में आवश्कता अनुसार किया जाता है. सटैफिसैग्रिया अथवा डायस्कोरिया का उपयोग भी एसिड फास की तरह 1X से 200 शक्ति तक करना रेतस्खलन (Spermatorrhoea) के लक्षणों में लाभ देता है.
हस्तमैथुन (Masturbation)
कृत्रिम रूप से आनन्द प्राप्त करने के लिए यदि हाथ या किसी और साधन से लिंग घर्षण किया जाए तो वह हस्तमैथुन कहलाता है। यह कृत्रिम आनन्द हानिकारक हो सकता है और भिन्न कष्ट पैदा कर सकता है ।
1. एकान्त में बैठकर हस्तमैथुन की प्रबल इच्छा दिमागी कमज़ोरी ।
- ब्यूफो राना 30, 200
2. हस्तमैथुन की प्रबल इच्छा, उत्तेजक स्वप्न, वीर्य स्खलन ।
- अस्टिलेगो Q
3. जवानी आने से पहले ही हस्तमैथुन की आदत ।
- प्लैटिना 30, 200
4. हस्तमैथुन की आदत । लिंग कमजोर व ढीला ।
- कैलेडियम 30
4. अत्यधिक कामेच्छा के कारण हस्तमैथुन की तीव्र इच्छा।
- ओरिगेनम 30
5. बच्चों में हस्तमैथुन की आदत ।
- स्टेफिसगेरिया 30
6. अविवाहितों में हस्तमैथुन व इसके कारण रोग।
- कोनियम 30, 200
7. हस्तमैथुन के कारण लिंग में तनाव न रहे ।
- ऐग्नस कॉस्ट 30
पुरुषों में लिंग के रोग (Troubles of penis)
1. लिंग में सहवास के दौरान जलन व अगले दिन सूजन ।
- क्रियोजोट 30
2. सुबह के वक्त लिंग में जलन व तनाव ।
- मैग म्यूर 6, 30
3. लिंग में पेशाब की शिकायत के साथ जलन ।
- पैरिएरा ब्रावा Q
4. ऐसा महसूस हो जैसे लिंग है ही नहीं ।
- कोका 6, 30
5. लिंग ठण्डा रहे ।
- लाइकोपोडियम 30, 200
6. लिंग में ख़ारिश ।
- कॉस्टिकम 30
7. हाथ हमेशा लिंग पर रखना।
- हायोसाइमस 30, 200
8. खांसते समय लिंग में तनाव ।
- इग्नेशिया 30, 200
9. रात समय दर्द के साथ तनाव ।
- कैप्सीकम 30
10.बच्चा लिंग को पकड़कर खींचता रहे।
- मर्क सौल 30
12. जब लिंग छोटा हो जाये ।
- नफर ल्यूटियम Q, लाइकोपोडियम 30 लैकेसिस 30
नपुंस्कता (Impotency)
जब आदमी संभोग या बच्चे पैदा करने में असफल हो तो उसे नामर्द या नपुंस्क कहते हैं।
1. मुख्य दवा ।
- डैमियाना Q
2. कामेच्छा न हो, लिंग में तनाव न हो । पाखाना व पेशाब के साथ वीर्य पतन ।
- नूफर ल्यूटियम Q
3. जब पेशाब के रोग के साथ लिंग, अण्डकोष, सिकुड़े व ठण्डे हों।
- सैबाल सैरूलाटा Q
4. हस्तमैथुन की आदत के कारण ।
- कैलेडियम 30
5. वृद्धावस्था में ।
- लाइकोपोडियम 200
6. चोट के कारण ।
- आर्निका 200, 1M
7. उपदंश (syphilis) के कारण ।
- काली आयोडाइड 30, 200
8. कामवासना में ज़्यादा लिप्त रहने के कारण ।
- स्टेफिसगेरिया 30
9. मोटे थुलथुले लोगों में ।
- कैल्केरिया कार्ब 200
10. नपुसकता / शीघ्रपतन
- एग्नस Q, डैमियाना Q, एविना सेटाइवा Q; बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 20 – 20 बूंद दिन में 3 बार सेवन करें ।
- भोजन के पश्चात एसिड फास 1X
- लायकोपोडियम 200 सप्ताह में 2 बार.
शुक्राणुओं का कम, या न होना (Azoospermism)
1. मुख्य दवा ।
- डैमियाना Q
2. जब रोग नामर्दी के लक्षणों के साथ हो ।
- कोनियम 30, 200
3. प्रबल कामेच्छा (अण्डकोषों की सूजन भी हो सकती है) ।
- स्ट्रिचनिनम 3X, 30
4. जब कामेच्छा बिल्कुल न हो ।
- चिनिनम सल्फ 6, 30
सहवास विकार (Ailments of coition)
पुरूषों में सहवास के समय, या पहले या बाद के विकार यहां दिए गए हैं।
1. सहवास के बाद कमजोरी ।
- सैलेनियम 6, 30
2. सहवास के बाद पसीना ।
- नैट्रम कार्ब 6, 30
3. हमेशा कामवासना भरे विचारों में लिप्त ।
- स्टेफिसगेरिया 30
4. सहवास के समय शीघ्र पतन ।
- टिटेनियम 3X
5. सहवास के बाद उल्टी ।
- मॉस्कस 6, 30
6. सहवास के बाद पेशाब की नली में दर्द ।
- कैन्थेरिस 30
7. सहवास के बाद दांत दर्द ।
- डैफने इन्डिका Q, 6
8. सहवास के समय शर्म या हीन भावना के कारण लिंग में उत्तेजना न होना ।
- स्ट्रिचनिनम फॉस 3X
9. कमजोरी के कारण सहवास के समय लिंग में तनाव अचानक कम हो जाये ।
- एसिड फॉस Q
10. पूरा तनाव होने से पहले ही वीर्य पतन ।
- सल्फर 30, 200
11. सहवास के समय सो जाना ।
- बैराइटा कार्ब 30
12. सहवास की इच्छा न हो, गैस की पेरशानी हो।
- लाइकोपोडियम 200, 1M
13. सहवास की क्रिया करते ही सांस की तकलीफ हो ।
- ऐम्बरा ग्रिजिया 6, 30
14. सहवास के बाद कमर दर्द व आंखों की कमजोरी ।
- काली कार्ब 30, 200
15. सहवास के दौरान दौरा ।
- व्यूफो राना 30
16. सहवास के बाद पेशाब की परेशानी ।
- सैबाल सैरुलाटा Q, 6
17. सहवास के बाद गुदा में दर्द के साथ संकुचन ।
- मर्क कौर 6, 30
18. सहवास के बाद लिंग में जलन ।
- क्रियोजोट 6, 30
19. कामेच्छा के कारण हमेशा लिंग पर हाथ
- स्ट्रामोनियम 30, 200
20. नामर्दी के कारण कामेच्छा न हो, कब्ज हो।
- ग्रेफाइट्स 30, 200
मूत्र के साथ Albumin आना
- काली म्यूर 3X; 4 गोली, दिन में 3 बार ।
- मार्क कार 30, टेरिबिंथिना 30, प्लम्बम 30; दिन में 3 बार ।
- दही का अधिक सेवन करें ।
मूत्र के साथ श्वेत पदार्थ (Chyluria)
- एसिड फास 3X, युवा उर्सी Q
अनजाने में मूत्र निकलना (Enuresis)
- इक्विजोटम 30, कास्टिकम 30; दिन में 3 बार ।
- काली म्यूर 3X, नेट्रम फास 3X, नेट्रम सल्फ 3X; सब में से 2-2 गोली, दिन में 3 बार ।
- युवा उर्सी 3X; 10 – 10 बूंद दिन में 2 बार सेवन करें ।
रक्त मूत्र (Hemeturia)
- केन्थिरिस 30, फास्फोरस 30, प्लम्बम 30, टैरिबिंथना 6, केनाबिस सेट 6; बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 3 – 3 बूंद दिन में 3 बार सेवन करें ।
कामेच्छा (Desire)
पुरूषों के सहवास विकार यहां दिए गए हैं।
1. जब रोगी एक औरत से सन्तुष्ट न होकर दाएं बाएं जाए और भोली भाली औरतों पर बुरी नज़र डाले। अपने इष्ट मित्रों व बच्चों से लगाव न
हो ।
- एसिड फ्लोर 200 IM
2. तीव्र कामेच्छा ।
- टैरेन्टुला हिस्प 200, 1M
3. रोगी हमेशा बुरे विचारों से घिरा रहे।
- स्टेफिसगेरिया 200, IM
4. जब तीव्र कामेच्छा के कारण हस्तमैथुन के लिए विवश हो ।
- ओरिगेनम 30, 200
5. नामर्दी के लक्षणों के साथ तीव्र कामेच्छा |
- कैलेडियम 30
6. शराबियों में।
- नक्स वोमिका 30 200
7. विचार मात्र से वीर्य पतन ।
- कॉनियम 30, 200
8. न चाहते हुए भी काम-वासना पूर्ण विचार व लिंग में तनाव।
- फॉस्फोरस 30, 200
9. आदमियों में लड़कों के साथ काम वासना समलैंगिक सहवास ।
- प्लैटिना 200, 1M
अण्डग्रन्थि का थैली में न उतरना (Testicles undescended)
मुख्य दवा
- ऑरम म्यूर नैट्रो 3X
उपदंश (Syphilis )
यह संभोग के दौरान लगने वाला रोग है और संसर्ग से फैलने वाला है ।
यह एक लैंगिक रोग है जो ‘ट्रिपोनिमा वैलिडम’ जीवाणु के कारण होता है । सहवास से फैलता है। बारह से तीस दिन की सुप्तावस्था के बाद छाले, बुख़ार, आदि, होते हैं। फिर मवाद पड़ती हैं, और फिर अन्त हो सकता है।
1. रोग के शुरू में जब जख्म की शुरूआत हो ।
- मर्क सौल 6, 30
2. जब मर्क सौल से रोग ठीक न हो ।
- मर्क प्रोटो आयोड 3X, 30
3. जख्म गहरे, जबान, लैरिक्स या फेंफड़ो में सूजन, नाक छीलने वाला स्राव, आदि ।
- काली आयोड 6, 30
4. जब रोग पुराना हो ।
- सिफिलिनम 200, 1M
5. जब रोग के कारण जांघों में गांठ, दर्द, व सूजन हो ।
- फाइटोलाक्का 30
6. जब पुराने रोगियों में नाक व आंख में जलन, जख्म, आदि हों ।
- ऑरम मैट 200, IM
7. जब रोग पुराना होकर हड्डियों व मसूड़ों तक में फैल जाये, रोगी संवेदनशील हो ।
- हिपर सल्फ 30, 200
8. जब रोग के कारण दर्द बहुत हो ।
- एसिड नाइट्रिक 30, 200
9. जब ज़ख़्म सड़ने लगे व जलन हो ।
- आर्सेनिक 30, 200
10. जब ज़ख़्म पकने पर पीव भर जाए ।
- साइलिशिया 12X, 30
सूजाक (Gonorrhoea)
जननेंद्रीय की सूजन की बीमारी । संभोग आदि से फैलती है । इसका कारण ‘नीअस्सेरिया गोनोर्ही’ जीवाणु हैं। गुप्तागों से शुरू होकर यह रक्त के रास्ते दिमाग़ तक पहुंच सकती है।
1. रोग के में जब पेशाब करते समय भयंकर दर्द । मवाद के कारण मूत्रद्वार बन्द, पेशाब बूंद-बूंद कर आए ।
- कैनाबिस सैटाइवा 30, 200
2. जब पेशाब जलन के साथ, खून मिला, बूंद-बूंद कर आए ।
- कैन्थेरिस 6, 30, थूजा 200, 1M
3. जब सूजाक के कारण जननेन्द्रिय पर मस्से हों। रोग दबाने से जोड़ों के दर्द, गठिया, बाल झड़ना, प्रोस्टेट ग्रन्थि विकार।
- मैडोराइनम 200, 1M
4. पुराना रोग। गठिया, आदि; ठण्ड से परेशानी ।
- मर्क सौल 30, 200
5. रोग दबाने के कारण मूत्रनली में अत्यधिक दर्द ।
- एसिड नाइट्रिक 30, 200
6. बायोकैमिक औषधि
- काली सल्फ 6X
7. जब मवाद या पीब पीला या हरा हो । जब रोग ठण्ड व नमी में परेशान करे; स्राव गाढ़ा पीला ।
- नैट्रम सल्फ 6X, 30
बाहय प्रयोग के लिए कैलन्डुला Q को सहने योग्य गर्म पानी में मिलाकर इस्तेमाल करें ।
अण्डकोष में पानी (Hydrocele)
1. बांयें अण्डकोष का रोग, धीरे-धीरे रोग वृद्धि ।
- पल्साटिला 30, 200
2. दांयें अण्डकोष का रोग, आंधी तूफान में रोग वृद्धि ।
- रोडोडेन्ड्रान 30
3. जब अण्डकोष बढ़ता ही जाए। डंक मारने का सा दर्द।
- एपिस मैल 30, 200
4. जब त्वचा पर दाने दब जाने के कारण हो ।
- हैलेबोरस 30
5. लड़कपन के दौरान ।
- साइलिशिया 200, 1M
6. छोटे बच्चों में ।
- ग्रेफाइट्स 30, 200
अण्डकोष की सूजन (Orchitis)
1. रोग की शुरूआत में ।
- पल्साटिला 30, 200
2. जब रोग अचानक बुख़ार के साथ हो ।
- एकोनाइट 30
3. सूजन लाल व गर्म हो ।
- बैलाडोना 30
4. सूजन केवल ऊपरी थैली में हो और डंक मारने के समान दर्द हो ।
- एपिस मैल 30, 200
5. सूजन के साथ बहुत जलन व बेचैनी हो ।
- आर्सेनिक एल्ब 30, 200
6. चोट लगने के कारण रोग; कुचले जाने जैसा दर्द ।
- आर्निका 200, 1M
7. सूजन के साथ अकड़न ।
- हैमामेलिस 30
8. सूजन पत्थर की तरह सख़्त, जलने व कटने जैसा दर्द ।
- कोनियम 200, 1M
9. बायोकैमिक औषधि
- मैग फॉस 6X
प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostatitis and prostatocystitis)
पुरुषों में मूत्राशयमुख ग्रन्थि की सूजन आदि के रोग यहां दिए गए हैं।
1. मुख्य औषधि ।
- पल्साटिला 30, 200
2. जब रोग की शुरूआत हो । अण्डकोषों में भी दर्द छूने से बढ़े, पेशाब में रुकावट हो ।
- सैबाल सैरुलाटा Q
3. जब रोग चोट लगने के कारण हो ।
- आर्निका 30, 200
4. जब कष्ट रात के समय बढ़े ।
- मर्क सौल 30
5. जब पेशाब रुक रुक कर बूंद बूंद आए।
- पैरिऐरा ब्रावा Q
6. जब रोग पुराना हो और उपरोक्त दवाएं काम न करें ।
- सल्फर 200, 1M