मेग्नीशिया कार्बोनिका | Magnesia Carbonica
ऐसे व्यक्तियों, विशेष रूप से चिड़चिड़े तथा स्नायविक स्वभाव वाले बच्चों के लिए (कमो); ढीले शरीर तन्तु सारे शरीर की खट्टी गन्ध (रियूम) । सारे शरीर, विशेष रूप से टांगों तथा पैरों में थकान और दर्द महसूस होता है; कसक और बेचनी ।
आमाशय एवं आन्तों के ऐंठनयुक्त रोग (कोलो, मैग्नी-फास्फो), श्लेष्म कलाओं से अधिक निस्स्राव ।
स्फूर्तिहीन निद्रा, सोने से पूर्व की अपेक्षा जागने पर अधिक थकान (ब्रायो, कोनि, हीपर, ओपि, सल्फ) ।
यक्ष्मा रोग से पीड़ित व्यक्तियों के बच्चों में माँस खाने की अदम्य इच्छा । खट्टी उबकाई और डकारें खट्टा स्वाद और वमन सगर्भकालीन ।
दर्द – तंत्रिकाशूल तथा विद्यत लहर जैसे बाईं ओर अधिक (कोलो; विश्राम काल में असह्य उठ कर चलना-फिरना पड़ता है – रस) दन्तशूल, सगर्भता के दौरान, रात्रिकालीन वृद्धि । कपालशीर्ष में ऐसी पीड़ा होती है जैसे केश पकड़ कर खींचे जा रहे हों (काली-बाई, फास्फो) ।
ऋतुस्त्राव – आरम्भ होने से पहले कण्ठ-दाह (लैक-कैनी), प्रसव जैसी पीड़ा, काटता हुआ उदरशूल, पृष्ठवेदना, दुर्बलता, शीत; रात को अथवा लेटने पर ही स्राव होता है, चलते-फिरते बन्द हो जाता है (एमो-म्यूरि, क्रियो; लिलिय के विपरीत); तीखा, काला, अलकतरे जैसा; धोकर साफ करना कठिन (मेडौरें) ।
अतिसार – आरम्भ में काटता हुआ, दोहरा करने वाला उदरशूल; नियमित रूप से तीसरे सप्ताह प्रकट हो जाता है; मल हरा, झागदार, मेंढकों के पोखरे की शेवाल जैसा; मल में श्वेत, चर्बी जैसे पिण्ड तैरते रहते हैं; स्तनपान करने वाले बच्चों में दूध बिना पचे ही निकल जाता है। जब आमाशय को मीठा करने के लिए कच्चे मैग्नीशिया का सेवन किया गया हो; यदि लक्षणों में सादृश्य पाया जायेगा तो बहुधा शक्तिकृत औषधि आराम देगी।
सम्बन्ध – कमोमिला की पूरक औषधि ।
रोगवृद्धि – जलवायु परिवर्तन पर प्रत्येक तीसरे सप्ताह विश्राम करने पर दूध से ऋतुस्राव के दौरान।
रोग ह्रास – गर्म हवा से, किन्तु बिस्तरे की गर्मी से वृद्धि (लीडम, मर्क्यू; बिस्तरे की गर्मी आरामदायक – आर्से) ।