माहिलाओं की समस्याओं का होम्योपैथिक उपचार

माहिलाओं की समस्याओं का होम्योपैथिक उपचार

श्वेत प्रदर – Leucorrhoea

प्रदर स्त्रीरोग संबंधी परेशानी है। प्रदर कई रंग का होता है, आम तौर पर सफेद जो कि गर्भाशय या उसके मुँह व कवर की आंतरिक सतह से आता है। महिलाएँ व अस्वस्थ युवतियों को यह समस्या रहती है। यदि इसे नकारा जाए तो प्रदर पीपदार (पसवाला) और गर्भाशय या उसके मुँह पर घाव दे सकता है। सिरदर्द, चेहरा फीका पड़ना, कब्ज, गैस और अजीर्ण ये सभी लक्षण श्वेत प्रदर के साथ जुड़े हैं। श्वेत प्रदर का कारण कमज़ोर स्वास्थ्य, ठंढक, पेट में कीड़े गंदगी, उत्तेजक खाना, अत्यधिक संभोग, बार-बार गर्भपात और गर्भाशय के आंतरिक सतह पर जलन होना है।

कुँवारी लड़कियों में यह गर्भाशय का स्थानांतरण होने से, अंडाशय में रक्त-संकुलन (खून का असाधारण जमाव) या सामान्य पेल्विक में रक्त-संकुलन और शादि-शुदा महिलाओं में यह त्रुटिपूर्ण लैंगिक स्वास्थ्य से संबंधित होता है।

छोटी लड़कियों व युवतियों में श्वेत प्रदर आम तौर पर योनी (वजाइना) तक ही सीमित है, शायद ही कभी गर्भाशय से जुड़ जाता है। छोटी लड़कियों में यह खसरा या लाल बुखार होने के कारण होता है। हस्तमैथुन की आदत भी श्वेत प्रदर का एक कारण है।

  • मरीज सफाई का ध्यान रखे।
  • पाचन क्रिया पर विशेष ध्यान दें व कब्ज की आदत से बचें।
  • यौनांग की सफाई का ध्यान रखें तथा बार-बार व अति संभोग से बचें।

औषधियाँ

  • जलनयुक्त व तरल – नेट्रम म्यूर 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • अत्यधिक, उस भाग पर घाव – एसिडम फ्लोर 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • अधिक, गहरे रंग का व रक्त जैसा – एगॅरिकस 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • माहवारी के स्थान पर श्वेत प्रदर – चाइना 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • प्रसूता महिलाओं में श्वेत प्रदर एसिड फॉस 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • पुरानी बीमारी, दर्द के साथ व कमरदर्द, गहरा पीला व गाढ़ा प्रदर – एस्क्युलस – 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • स्राव कपड़ों पर पीला दाग छोड़ देते हैं – चेलीडोनियम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • जलनयुक्त, पीला स्राव, हल्का कमरदर्द, माहवारी के बीच व माहवारी के बाद अधिक – क्रिओसोटम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • जलनयुक्त, दही या अंडे के सफेद भाग जैसा, जाते वक्त गरमाहट महसूस होना – बोरॅक्स 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • कमरदर्द के साथ – ओवा टोस्टा 3x, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • हरा या पीला जलनयुक्त स्राव, कब्ज, नीचे की ओर जाने की अनुभूति, मासिक धर्म के पहले व छोटी लड़कियों में श्वेत प्रदर – सेपिआ 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • दूध के रंग का गाढ़ा, प्यास न लगना, भावुक महिला – पल्सेटिला 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • जलन, खुजली रात में ज़्यादा – मरक्युरियस सॉल्यूबिलिस 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • जलनयुक्त खुजली, दूध जैसा, मासिक धर्म के पहले व बाद में, छोटी लड़कियों में – कॅल्केरिया कार्ब 30 दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • जलनयुक्त, रेशेदार, अधिक, पारदर्शी, नीचे एड़ियों तक बहना, दिन में अधिक, माहवारी के बाद, साफ करने से आराम – एल्युमिना 30 ।
  • अधिक, सफेद, खुजली और कब्ज, मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में, माहवारी के समय – ग्रॅफाइटिस 30, दिन में तीन बार, पाँच दिन तक लें।
  • पसयुक्त, मासिक धर्म के बीच अचानक निकलना, अत्यधिक कमज़ोरी, यात्रा करते समय घबराहट, बेचैनी कोक्युलस इंडिकस 30, दिन में तीन बार सात दिन तक लें।

महत्वपूर्ण नोट : यदि सात दिन में आराम न मिले तो डॉक्टर से सलाह लें। यदि आराम आए तो दोबारा लेने की आवश्यकता नहीं है। पंद्रह दिन इंतज़ार करें, उसके बाद उसी औषधि की 200 शक्ति में एक खुराक लें व परिणाम देखें। यहाँ आराम का मतलब अब कोई औषधि नहीं लेना है।

मासिक धर्म की समस्या

मासिक धर्म यह निर्देशित करता है कि महिला का यौन जीवन शुरू हुआ है । इसमें हर 28 दिन में, युवती के गर्भाशय (जननांग ) द्वारा लगातार चार दिन तक रक्तस्राव होता है। हर महिला का यह समय अलग होता है । यौवन की उम्र, मासिक धर्म की अवधि, रजोनिवृत्ति की उम्र सभी अलग होती हैं।

माहवारी अंडाशय से अंडे का निकलना व गर्भाशय की आंतरिक सतह का फिर से बनना इससे संबंधित है। गर्भधारणा का माहवारी से सीधा संबंध नहीं है, यह स्वतंत्र रूप से होता है। कई कारणों से संवेदनशील हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है और इससे मासिक धर्म का चक्र बदल जाता है। जैसे – वातावरण का तापमान बदलना, वजन, आहार, व्यायाम, भोजन, तनाव व चिंता । मासिक चक्र के साथ कई परेशानियाँ आती हैं, जैसे दर्दयुक्त माहवारी, अत्यधिक, अनियमितता, कभी-कभी और कम रक्त स्राव होना ।

मासिक धर्म के समय छोटी व किशोर लड़कियों में और युवतियों में दर्द होना आम बात है। यह परेशानी शादी, प्रसूति या 25 वर्ष की उम्र के बाद स्वतः ही ठीक हो जाती है। दर्द पेट के नीचले भाग में, जैसे बेचैनी के साथ ऐंठन या कमरदर्द और कभी-कभी घबराहट भी होती है।

अनियमित ओव्यूलेशन (अंडाशय से अंडे का निकलने) के कारण अनियमित माहवारी होती है । यह सामान्यतः प्रथम मासिक धर्म के बाद कुछ सालों तक होता है। मासिक धर्म बंद होने पर यह फिर से अनियमित होता है।

ज़्यादा रक्त स्राव मासिक धर्म की शुरुआत में व उसके बाद तीस, चालीस की उम्र में जब हार्मोन्स का असंतुलन, तनाव, आहार में परिवर्तन, पेल्विक (कमर के नीचले हिस्से) में सूजन तथा उसके साथ जुड़ी बीमारियाँ, गर्भाशय या उसकी आंतरिक सतह पर गाँठें आने पर होती हैं।

कम माहवारी शरीर में रक्त की कमी, असंतुलित हार्मोन्स, गर्भनिरोधक गोलियाँ लेने, वजन कम होने और आहार में असंतुलन के कारण होती है।

गर्भावस्था माहवारी के समय नहीं होती है पर यह कुछ परिस्थितियों में संभव है। यह अच्छा होगा कि संभोग के समय गर्भनिरोधक की उचित विधि अपनाई जाए। वैद्यकीय शास्त्र के अनुसार माहवारी के समय संभोग वर्जित नहीं है । यह पति और पत्नी के सुविधा पर निर्भर करता है। माहवारी के समय व्यायाम भी वर्जित नहीं है। हल्का व्यायाम ज़रूर करना चाहिए।

मासिक धर्म शुरू होने के एक सप्ताह पहले निम्न निर्देशों का पालन करें।

  • संतुलित भोजन लेने के लिए अधिक ध्यान दें, जिसमें ज़रूरी पोषक तत्व, वसायुक्त अम्ल, विटामिन बी, सी और ई, कॅल्शियम व मॅग्नेशियम प्रचुर मात्रा में हो । शाकाहारी भोजन, अधिक हरी सब्जियाँ, अधिक पेय पदार्थ और फल ज़्यादा खाएँ ।
  • कब्ज न हो इसके लिए ज़रूरी उपाय करें।
  • चाय, काफी, शराब जैसे उत्तेजक पेय पदार्थ से बचें।
  • टहलना, तेज़ चलना, तैरना व योग कक्षा में जाकर रोज़ हल्के व्यायाम करने का नियम बनाएँ।
  • अत्यधिक गर्म व ठंढी चीज़ों से बचें। वातावरण के अत्यधिक तापमान से बचें।

औषधियाँ

  • माहवारी में दर्द तीव्र अचानक दर्द के साथ लाल रंग का, गर्म, थक्केवाला स्राव – बॅलाडोना 30, दिन में छह बार, एक दिन के लिए लें।
  • गोली लगने जैसा तीव्र दर्द (शूटिंग पेन), गर्म दबाव व पेट पर हल्की मालिश से दर्द कम मॅग्नेशिया फास 6x, चार गोली दिन में छह बार गर्म पानी के साथ लें।
  • आगे की ओर झुकने और गर्म से दर्द में आराम – कोलोसिंथिस 30, दिन में चार बार, एक दिन के लिए लें।
  • गर्म पानी से नहाना या गर्म पट्टियों से सेंक लेने पर हल्के दर्द में आराम ।
  • कुछ हल्का व्यायाम करें जैसे तेज़ चलना, तैरना, साइकिल चलाना या दौड़ लगाना । यह सिर्फ कुछ महिलाओं के लिए ही उपयोगी है।

अत्यधिक मासिक धर्म (अतिरज – Menorrhagia)

  • दर्द कमर से जांघों तक, कुल्हे से नीचे की ओर दबाव युक्त दर्द । जब तक स्राव चल रहा है तब तक अत्यधिक दर्द | जितना अधिक स्राव उतना अधिक दर्द – सिमिसिफ्यूगा 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • अत्यधिक स्राव के साथ उपरोक्त शारीरिक पीड़ा जैसी स्थिति पर लंबे समय तक, शरीर में सूजन के साथ दर्द व शारीरिक बदलाहट – एपोसाइनम कॅनाबिनम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • माहवारी अत्यधिक व जल्दी सिरदर्द के साथ, पेटदर्द, ठंढक, माहवारी के पहले श्वेत प्रदर व बाद में उन भागों में जलन एवं खुजली, रक्ताल्पता व चक्कर आना – कॅल्केरिया कार्ब 30 दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • अत्यधिक व जल्दी स्राव के साथ पेट फुलना – नक्स वॉमिका 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • अत्यधिक, जल्दी, रूक-रूककर रात में और लेटने पर – क्रिओसोटम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • अत्यधिक, जल्दी-दो या दो सप्ताह से भी पहले, परिश्रम के बाद अधिक मेडॉरहिनम 200, दिन में एक खुराक, एक दिन लें।
  • अत्यधिक, थक्केयुक्त (क्लॉटेड), बदबूदार, साफ करने में कठिन, गर्भाशय में गाँठ के कारण – प्लॅटिनम 30, हर दिन तीन खुराक, सात दिन के लिए लें।
  • अत्यधिक, अगले मासिक स्राव तक चालू रहता है, गहरा, थक्केदार, अनियमित – सीकॅल 30, हर दिन तीन खुराक, सात दिन के लिए लें।
  • अत्यधिक, जलनयुक्त, बार-बार गर्भपात के बाद – चाइना 30, हर दिन तीन खुराक, सात दिन के लिए लें।
  • अत्यधिक, गहरा, बार-बार, अनियमित, बदबूदार, सिर्फ दिन के समय में – लिलियम टिग्रीनम 30, हर दिन तीन खुराक, सात दिन के लिए लें।
  • अत्यधिक, देर से या दबा हुआ, बैठने पर अधिक, रक्त स्राव शुरू होने के बाद आराम – जिंकम मेट 30, हर दिन तीन खुराक, सात दिन के लिए लें।
  • एक महीना छोड़कर दूसरे महिने में अत्यधिक, दर्दयुक्त, पहले दिन कम, दूसरे दिन उल्टी के साथ – साइक्लामेन 30, हर दिन तीन खुराक, सात दिन के लिए लें।

अल्प मासिक धर्म

  • माहवारी कम, कम समय के लिए, कठिनता व देर से, गाढ़ा काला जलनयुक्त स्राव – सल्फर 200 की एक खुराक सिर्फ एक दिन के लिए लें।
  • स्राव कम, ऐंठन के साथ उल्टी क्यूप्रम मेट 30, दिन में तीन खुराक, सात दिन तक लें।
  • स्राव कम, सिर्फ एक दिन के लिए, माहवारी के दौरान पेट व कमर में दर्द बराइटा कार्ब 30 दिन में तीन खुराक, सात दिन तक लें।
  • स्राव कम, साथ ही रोने की इच्छा, अनियमित, दर्दयुक्त, सांत्वना देने से अधिक – नेट्रम म्यूरि 30, दिन में तीन खुराक, सात दिन तक लें।
  • स्राव कम, दर्दयुक्त, बैठने पर अधिक, चलने पर कम – एल्यूमिना 30, दिन में तीन खुराक, सात दिन तक लें।

समय से पहले मासिक धर्म

  • माहवारी जल्दी और लंबे समय तक 7 से 10 दिन तक, साथ ही माहवारी के पहले श्वेत प्रदर, अंडे की सफेदी जैसा, दर्द और प्यास कम – जेल्सेमियम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • युवावस्था के आरंभ में और माहवारी के समय पैर गीले होने के दुष्परिणाम पर कॅल्केरिया फॉस 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • जब लक्षण जेल्सेमियम के समान हो और बेहोशी के साथ गहरा काला स्राव हो तो नक्स वोमिका 30 दिन में तीन बार, सात दिन तक दे सकते हैं।
  • जल्दी, लंबे समय तक असहनीय खुजली के साथ, बायाँ पैर नीला पड़ जाना और उसमें दर्द, लेटने से तकलीफ बढ़ना, दुर्घटना होने पर दो मासिक धर्म के बीच में रक्त स्राव – एम्ब्रा ग्रिसिया 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • जल्दी और अत्यधिक, नीचे की ओर खिचने जैसा दर्द कमज़ोरी – सेपिआ 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • जल्दी व अत्यधिक, स्विमिंग पूल में नहाने के बाद माहवारी दब जाती है, जीभ पर सफेद परत आना – ऍटिम क्रूड 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • जल्दी, गाढ़ा व बदबूदार गंध के साथ अत्यधिक स्राव – कार्बो वेज 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • देर से शुरू व दबी हुई (suppressed) माहवारी माहवारी देर से, कम और दबी हुई – पल्सेटिला 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें। यदि यह परिणाम न दें तो उसके बाद सल्फर 200 की एक खुराक एक दिन लें और सल्फर लेने के तीसरे दिन से पल्सेटिला फिर से सात दिनों तक लें।
  • माहवारी देर से, कम, ठंढ या गीले हाथ के कारण दबना, वक्ष (स्तनों) का आकार बढ़ना, पीड़ादायक – कोनियम 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • माहवारी देर से व कम, अत्यधिक कमज़ोरी के साथ सेपिआ 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • माहवारी देर से, कम, दर्दयुक्त, सिर्फ एक घंटे या एक दिन तक आँखों की परेशानी के साथ युफ्रेशिया 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • देर से, विशेषत: पहली माहवारी, दर्दयुक्त, कम, कब्ज – ग्रॅफाइटिस 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • माहवारी युवावस्था के आरंभ होने पर भी नहीं आती – लाइकोपोडियम 200 की सप्ताह में एक खुराक, तीन सप्ताह के लिए लें। यदि उसके बाद भी माहवारी न आए तो डॉक्टर से संपर्क करें।
  • लड़कियों में देर से मासिक धर्म शुरू होना, गहरे रंग का रक्त – फेरम मेट 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें।
  • लड़कियों में कई महीनों तक माहवारी का न आना सबाइना 30, दिन में तीन बार, सात दिन तक लें। यदि परिणाम न मिले तो डॉक्टर से संपर्क करें।

रजोनिवृत्ति के बाद की समस्याएं

जब महिला की उम्र 40 से 45 वर्ष तक हो जाती है तब मासिक धर्म बंद हो जाता है। इस स्थिति को रजोनिवृत्ति कहा जाता है। जब मासिक धर्म बंद हो जाता है तब महिला की गर्भधारण क्षमता खत्म हो जाती है। यहाँ जीवन का नया अध्याय शुरू होकर, कई बदलाव आते हैं। इसी लिए मासिक धर्म बंद होने की प्रक्रिया को जीवन का परिवर्तन भी कहा जाता है।

यह परिवर्तन शारीरिक बदलाव तो लाता ही है, साथ में मानसिक व भावनात्मक परेशानियाँ भी देता है। कुछ महिलाओं की गलत सोच है कि मासिक धर्म के बाद संभोग नहीं किया जा सकता। इस सोच के कारण वह आत्मग्लानि महसूस करती है। परिणामतः वह कई मानसिक व शारीरिक बीमारियों में ग्रसित हो जाती है। मासिक धर्म बंद होने का कोई निश्चित समय नही होता, यह निर्भर करता है आपकी जीवन शैली, खान-पान, चिंता, तनाव और दवाइयों पर । जब रजोनिवृत्ति का समय निकट आता है तब अंडाशय (ओवरी) द्वारा हार्मोन्स का उत्पादन कम हो जाता है और एस्ट्रोजन हार्मोन्स की पूर्ति नहीं हो पाती। यह स्राव तीव्र गति से कम होते-होते एक स्तर पर आकर स्थायी रुप से रुक जाता है।

मासिक धर्म बंद होने का पहला लक्षण है – गर्मी लगना और रात में पसीना आना । ये लक्षण कई महीनों या कई सालों तक रहते हैं। संभोग के समय योनी में शुष्कता की वजह से दर्द होता है। सिरदर्द, नींद न आना और थकान के साथ निराश होना, ये कुछ अन्य लक्षण हैं।

  • नियमित व्यायाम, लंबी सैर और अन्य शारीरिक गतिविधियाँ जैसे तैरना, नृत्य आदि शुरू करें।
  • पारिवारिक सदस्यों की देख-भाल व अधिक चिंता करने की बजाए, आप अपनी सेहत पर अधिक ध्यान दें।
  • भरपूर मात्रा में सब्जियाँ व फल खाएँ ।
  • हल्का पोषकयुक्त भोजन, अच्छा खुशनुमा माहौल, ताजी हवा और सामान्य व्यायाम की आवश्यकता है।

नोट: यदि अचानक से मानसिक व शारीरिक परिवर्तन आए तो डॉक्टर से संपर्क करें ।

औषधियाँ

  • यदि आपको बहुत गर्मी लग रही हो, रात को पसीना आ रहा हो, अत्यधिक रक्त स्राव, गर्भाशय में ऐंठन या मरोड़, सिर में जलन, जागने पर लक्षण अधिक व ज़्यादा चिड़चिड़ापन हो तो – लॅकॅसिस 200 की एक खुराक हर पंद्रह दिन में लें। एक महीने में दो खुराक लें।
  • यदि गर्मी लगने व रात में पसीना आने के साथ संभोग के समय योनी में दर्द, थोड़ा सा काम करने के बाद बहुत कमज़ोरी महसूस हो तो सेपिआ 200 की एक खुराक हर पंद्रह दिन में लें। एक महीने में दो खुराक लें।
  • छोटी-छोटी बातों पर जल्दी रोना, मानसिक रूप से चिड़चिड़ापन, गर्मी लगना, मूड बदलना, बुरा और अच्छा करने की भावना, पारिवारिक सदस्यों से बदलता व्यवहार व पानी की प्यास कम लगना – पल्सेटिला नाइग्रीकन्स 200 की एक खुराक हर पंद्रह दिन में लें। एक महीने में दो खुराक लें।

यू.टी.आई. (मूत्र मार्ग में संक्रमण)

मूत्र पथ के निचले हिस्से में यानी मूत्र मार्ग और मूत्राशय में संक्रमण (इन्फेक्शन) या सूजन ही यू. टी. आई. है । यह ज़्यादातर महिलाओं में देखा जाता है। महिलाओं में मूत्र मार्ग छोटा होने से संक्रमण आसानी से हो जाता है। मूत्र त्याग के समय दर्द, जलन व गर्म लगना इसके मुख्य लक्षण हैं। अचानक और बार-बार मूत्र त्याग की इच्छा और पेट में नीचे की ओर दर्द महसूस होना। मूत्र दूध (पस की वजह से) जैसा या रक्त जैसा हो जाना, यहाँ तक कि उससे दुर्गंध भी आना। गंभीर मामलों में यह बुखार के साथ हो सकता है।

यह कोई गंभीर बीमारी नहीं है पर इसे ध्यान न दिया जाए या दवाइयों या दूसरे तरीकों से इसे ठीक न किया जाए तो यह किडनी को नुकसान पहुँचा सकता है। सामान्यतः बैक्टिरिया संक्रमण पैदा करते हैं। ये ज़्यादातर बड़ी आँत में पाए जाते हैं और आसानी से बड़ी आँत से मलद्वार तक व उसके बाद मूत्र मार्ग के मुख तक और फिर ऊपर की तरफ मूत्राशय तक पहुँच जाते हैं। यदि इसका इलाज़ न किया जाए तो ये मूत्राशय की सतह पर जलनयुक्त सूजन पैदा करते हैं। इसमें अधिक खराबी होने पर किडनी पर बुरा असर पड़ता है।

  • भरपूर मात्रा में पानी पीएँ, जिससे बैक्टिरिया मूत्र द्वारा निकल जाएँ।
  • नशीले पेय जैसे शराब।
  • कॉफी पीना, मद्यपान व धूम्रपान करना बंद करें।
  • मूत्र त्याग के बाद जननांग को पानी से साफ करें। यह तब भी किया जाना चाहिए जब कुछ भी संक्रमण (इनफेक्शन) न हो।
  • संभोग के पहले व बाद में जननांग को साफ करें।
  • मल त्याग के बाद मलद्वार को साफ करते समय ध्यान रहे कि दिशा जननांग के विपरीत होनी चाहिए ताकि बैक्टिरिया (इनफेक्शन) मूत्राशय या मूत्र मार्ग में न जाए।
  • सैनिटरी नैपकिन्स समय-समय पर बदलते रहना आवश्यक है ।
  • अधिक तंग (टाइट) अंतर्वस्त्र न पहनें।

औषधियाँ

  • पेशाब जलनयुक्त, दर्दयुक्त और बार-बार आना पर मूत्र त्याग के समय परेशानी व बूँद-बूँद से उत्सर्जन होना – कॅन्थॅरिस 30, दिन में चार बार, चार दिन तक लें।
  • मूत्र त्याग करते समय जलन होना व अंतिम बूँदे गिरते हुए बहुत दर्द होना, प्यास न लगना और मरीज़ का बैचेन होना एपिस मेलिफिका 30, दिन में चार बार, चार दिन तक लें।
  • पेशाब में जलन, मूत्र त्याग के अंत में दर्द – सारसापॅरिला 30, दिन में चार बार, चार दिन तक लें।

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