लैक डेफ्लोरेटम | Lac Defloratum
डॉकिन द्वारा स्किम्ड मिल्क से मधुमेह एवं वृक्कशोथ की सफल चिकित्सा किये जाने के आधार पर ही डा० स्वान इसका शक्तिकरण एवं सिद्धीकरण कर पाये। यहाँ पर उद्धृत प्रत्येक लक्षण की पुष्टि रोगी को रोगमुक्त करने में की जा चुकी है। पौष्टिक आहार की अल्पता के एवं उसकी दोषपूर्ण अवस्था के फलस्वरूप प्रकट होने वाले रोगों के साथ स्नायु केन्द्रों की प्रतिवर्त रोगावस्थायें । हताश; जीने की चिन्ता नहीं करता; मृत्यु से नहीं डरता किन्तु निश्चित रूप से सोच लेता है कि उसकी मृत्यु होने वाली है ।
अमेरिकी अधिवासियों को मितली अथवा वमन के साथ होने वाला सिरदर्द – प्रातः काल जागने पर माथे से आरम्भ होता है और पश्चकपाल तक फैल जाता है (ब्रायो) । तीव्र स्पन्दन, साथ ही मितली, वमन, दृष्टिलोप और असाध्य मल-बद्धता (एपिग, आइरिस, सैंग्वी); शोरगुल, प्रकाश एवं गति करने से वृद्धि (मैग्नी-म्यूरि, साइली) ऋतुस्राव के दौरान (क्रियो, सीपि) महावसाद; दबाब देने तथा सिर को कस कर बांधने से आराम (आर्जे-नाइ, पल्सा); विपुल परिमाण में, पीला मूत्र ।
वायुगोला – ऐसा लगता है जैसे आमाशय से कोई गोला उठ कर कण्ठ तक पहुंच रहा हो, फलस्वरूप दम घुटने जैसी अनुभूति होती है (एसाफी, काल्मि) ।
वमन – निरन्तर, जिसका भोजन से कोई सम्बन्ध नहीं रहता; पहले अनपचे भोजन का अत्यन्त तीखा, तदुपरान्त कड़वे पानी का सगर्भकालीन (लेक्ट-एसिड, सोरा) ।
मलबद्धता – साथ ही मलत्याग की निष्फल इच्छा (एनाका, नक्स); मल शुष्क एवं कठोर (ब्रायो, सल्फ); मल बृहदाकार, कठोर, बहुत जोर लगाना पड़ता है, मलद्वार छिल जाता है; पीड़ाप्रद भयकर क्रन्दन ।
ऋतुस्राव – विलम्बित, ठण्डे पानी के अन्दर हाथ डालने से दबा हुआ (कोनि); एक गिलास दूध पी लेने से तुरन्त अगले ऋतुकाल तक ऋतुस्त्राव रुक जाता है (फास्फो से तुलना कीजिये ) ।
अत्यधिक बेचैनी, निद्रालोप होने से चरम एवं दीर्घकालिक कष्ट (काक्कू, नाइ-एसिड) |
स्वयं को पूर्णतया थकी हुई महसूस करते है चाहे वह कुछ काम करती है या नहीं करती; चलते समय भारी थकान ।
अनुभूति – लगता है जैसे ठण्डी हवा चल कर उसके शरीर से टकरा रही है, यहाँ तक कि जब वह कोई वस्त्र ओढे रहती है तब भी ऐसी अनुभूति बनी रहती है; जैसे चादर गीली हो ।
शोफ – हृदय के आंगिक रोग से वकृत की जीर्ण रोगावस्था से; अन्नसार- मेह की बड़ी हुई अवस्था से सविरामज्वर के बाद । मोटापा वसापजनन (fatty degeneration) I