हायोसायमस नाइगर | Hyocyamus Naiger

हायोसायमस नाइगर | Hyocyamus Naiger

रक्तबहुल प्रकृति वाले व्यक्ति, जो चिड़चिड़े, स्नायविक और बातोन्मादी होते हैं ।

आक्षेप – बच्चों का भय अथवा कृमियों के फलस्वरूप आन्तों के क्षोभण से (सीना); प्रसव के दौरान सूतिकावस्था के दौरान खाना खाने के बाद बच्चा वमन कर देता है, अचानक चीख पड़ता है, तदुपरान्त मूच्छित हो जाता है।

ऐसे रोग जिनके साथ मस्तिष्क की क्रिया बढ़ी हुई पाई जाती है, किन्तु उनका प्रदाहक रूप नहीं होता; वातोन्माद अथवा कम्पोन्माद; प्रलाप, साथ ही बेचैनी, बिस्तरे से छलांग मार देता है, भागने की चेष्टा करता है; अप्रासांगिक उत्तर देता है; सोचता है वह गलत स्थान पर है; कल्पनाशील कार्यों के बारे में बातें करता है किन्तु न कुछ चाहता है न किसी प्रकार की शिकायत करता है।

प्रलाप की अवस्था में हायोसायमस बेलाडौना और स्ट्रोमोनियम के मध्य अपना स्थान रखती है; इसमें बेलाडोना जैसी रक्तसंकुलता तथा स्ट्रामोनियम जैसे भयंकर क्रोध एवं उन्मादी प्रलाप का अभाव रहता है ।

ऐंठन – चेतना रहित, अत्यधिक बेचैन; नेत्रों से लेकर पैर की उँगलियो तक शरीर की प्रत्येक मांसपेशी में स्फुरण होता है (चेतनासहित नक्स) ।

भय – अकेला रहने पर; विष दिये जाने का; दान्तों द्वारा बुड़का भरने का; बेचे जाने का; खाने-पीने का जो कुछ दिया जाता है उसे लेने का; शंकालु जैसे उसके विरुद्ध किसी प्रकार का षड्यंत्र रचा जा रहा हो।

असफल प्रेम के दुष्प्रभाव; साथ ही ईर्ष्या, क्रोध, असंगत भाषण अथवा प्रत्येक बात पर हँसने की प्रवृत्ति; उसके बाद बहुधा अपस्मार अथवा मृगी का दौरा ।

कामोन्माद – अश्लीलता, निर्वस्त्र रहना चाहती है, वस्त्रों को लात मार कर फेंक देती है, गुप्तांगों का प्रदर्शन करती है; अश्लील गाने गाती है; बिस्तरे पर नंगी लेट जाती है और निरन्तर बड़बड़ाती रहती है ।

खाँसी – शुष्क, रात्रिकालीन, ऐंठनयुक्त; लेटे रहने पर बढ़ती है, बैठने से आराम आता है (ड्रासे); रात के समय, खाने-पीने के बाद, बोलने तथा गाना गाने के बाद बढ़ती है (ड्रासे, फास्फो; लेटने पर आराम आता है – मैगानम) ।

व्यापारिक उलझनों के फलस्वरूप चिड़चिड़े, उत्तेजनाशील व्यक्तियों में पूर्ण निद्रालोप, बहुधा काल्पनिक

मूत्राशय का पक्षाघात – प्रसव के बाद, साथ ही मूत्ररोध अथवा असंयतमूत्रता; सूतिकावस्था के दौरान स्त्रियों में मूत्रत्याग की अनिच्छा (आर्नि, ओपि)।

ज्वर – फुफ्फुसपाक, रक्तज्वर, द्रुत गति से आंत्रिक ज्वर का रूप ले लेता है; मन की भ्रामक स्थिति, अनिमेष दृष्टि, हवा में कुछ टटोलता है अथवा शम्या पर बिछे हुए वस्त्रों को नोचता है, दान्तों पर मैल जमी रहती है, जिह्वा शुष्क और हिलाने के अयोग्य; असंयत मल एवं मूत्रता; पेशीकम्प (subsultus tendinum)।

सम्बन्ध

  • बेला, स्ट्रामो और बेराट्र से तुलना कीजिये ।
  • हायोसा की असफलता पर बहुधा फास्फो कामोन्माद से मुक्त करती है।
  • पियक्कड़ों को होने वाले रक्तवमन में नक्स अथवा ओपियम ।
  • रक्ताघात के बाद प्रकट होने वाली बधिरता में इसके बाद बेला की उत्तम क्रिया होती है।

रोगवृद्धि – रात के समय; ऋतुस्राव के दौरान मानसिक रोग; ईर्ष्या, असफल प्रेम; लेटे रहने पर ।

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