हाइपेरिकम पर्फोरेटम | Hypericum Perforatum
मेरुदण्ड की यांत्रिक क्षतिग्रस्ततायें; मेरुदण्डीय संघट्टन (spinal concussion) के दुष्प्रभाव; गिर जाने के बाद गुदास्थि पर चोट लगने के फलस्वरूप पीड़ा । परिच्छिद्रित, अन्तर्वेधी अथवा विदीर्णकारी घाव; दाहक, पीड़ाप्रद (लीड; कुचलनयुक्त घाव आर्नि हेमा), विशेष रूप से जब वे एक लम्बी अवधि तक विद्यमान रहें ।
क्षतिग्रस्ततायें – नाखुनों के अन्दर सुइयाँ, पिन अथवा नुकीला तिनका या काँटा घुस जाने से (लीड); चूहे के काटने से हनुस्तम्भ को रोकती है। फटी हुई एवं विदीर्ण त्वचा को जोड़ने का कार्य करती है जब शरीर से चर्म लगभग पूर्णतया अलग हो गया हो (कैलेण्डु) ।
सम्वेदी तंत्रिकाओं से भरपूर अंगों की क्षतिग्रस्तता, जैसे हाथों की उँगलियाँ, पैरों की उँगलियाँ, नाखुनों के अन्दरूनी भागों, हथेलियों तथा पैर के तलुवों में, जहाँ असह्य पीड़ा होती है और ज्ञात हो जाता है कि तंत्रिकायें बहुत बुरी तरह से आक्रान्त हुई हैं; शरीर के मांस-तन्तुओं (tissues of animal life) की, जैसे हाथ और पैर ।
घाव हो जाने अथवा शल्य चिकित्सा के बाद स्नायविक अवसन्नता; आघात, भय, सम्मोहक प्रभाव आदि के कुफल नष्ट करती है ।
व्रणोद्भव एवं सड़न को सदैव कम करती है और कभी-कभी उन पर नियंत्रण भी करती है (कैलेण्ड)। उँगलियों की नोकें कुचली या दबी हुई। चोटमूलक अतिग्रस्तताओं के बाद धनुर्वात (फाइस से तुलना कीजिए) ।
भ्रमि अथवा चक्कर – लगता है जैसे सिर एकाएक लम्बा हो गया हो; रात को, साथ ही मूत्रावेग ।
सिरदर्द – गिरने के फलस्वरूप पश्चकपाल पर चोट लगने के बाद, साथ ही ऐसी अनुभूति होती है जैसे वह ऊपर की ओर उठ कर हवा में तैर रहा हो; उस ऊँचाई से गिर जाने की आशंका से भारी अधीरता घेरे रहती है।
मेरुद्ण्ड – गिरने के बाद भुजाओं या ग्रीवा की हल्की-सी गति से भी चीख पड़ता है; मेरुदण्ड अत्यन्त स्पर्शकातर । पैर के अंगूठे में घट्ट या मस्से, जब तेज दर्द होता है, और इसी से पता चलता है कि कोई तंत्रिका क्षतिग्रस्त है।
आक्षेप; सिर में किसी कुन्द हथियार द्वारा चोट लगने या कुचले जाने से
सम्बन्ध –
- आनि कैलेण्ड, रूटा और स्टेफि से तुलना कीजिए ।
- ऐसे घावों को हाइपेरिकम ठीक कर देती है जिनमें पहले ऐकोना एवं आर्नि पर्यायक्रम से दी गई हों।