एक्विजेटम हाइमेल | Equisbtum Hyemalb
मूत्राशय के अन्दर उग्र खिन्न पीड़ा जैसे मूत्राशय फैल गया हो, मूत्रत्याग के बाद भी आराम नहीं आता । मूत्रत्याग का अविराम एवं असह्य आवेग, साथ ही सूत्रत्याग के लिये बैठते ही तीव्र पीड़ा (बर्वे, सर्सा, थूजा) ।
मूत्रत्याग की निरन्तर इच्छा; विपुल परिमाण में स्वच्छ, पनीला मूत्र निकलता है, किन्तु तब भी आराम महसूस नहीं होता (मूत्र की अल्प मात्रा, कुछ ही बूंदें निकलती हैं – एपिस, केंथ) । मूत्रत्याग के दौरान मूत्रमार्ग में तेज, जलनयुक्त, काटती हुई पीड़ा होती है।
बूढ़ी स्त्रियों में मूत्राशय का पक्षाघात ।
रात्रिकालीन असंयतमूत्रता; विपुल परिमाण में पनीला मूत्र, जहाँ आदत ही निश्चित कारण हो ।
सम्बन्ध – एपिस कैंथ, फेरम-फा, पल्सा और स्क्विल्ला से तुलना कीजिये ।