बुखार का होम्योपैथी इलाज

बुखार का होम्योपैथी इलाज

ठंड लगने, चोट लगने, खाने-पीने या किसी अन्य कारण से बुखार हो जाए तो उसे सादा बुख़ार कहते हैं। सादा बुखार 103° F तक या इससे भी ज़्यादा हो सकता है ।

1. सूखी ठंड लगने से बुखार; प्यास, बेचैनी, मृत्यु भय ।

  • एकोनाइट 6 या 30 हर 2-3 घंटे के बाद

2. जब पसीना और प्यास बिल्कुल न हों, नींद सी आई रहे, पेशाब जाने के बाद रोग घटे । चुपचाप लेटने की इच्छा हो ।

  • जल्सेमियम 30, हर 2-3 घंटे के बाद

3. आंख और चेहरा लाल, हाथ पैर ठंडे; तेज बुख़ार के दौरान बच्चा चौंक उठे ।

  • बैलाडोना 30 हर 2-3 घंटे के बाद

4. चुपचाप लेटे रहने की इच्छा, हिलने-डुलने से रोग बढ़े, रोगी पानी देर से मगर काफी मात्रा में पिए, जीभ सफेद; सख़्त कब्ज़ ।

  • ब्रायोनिया 30 हर 2-3 घंटे के बाद

5. मितली और उल्टी; हरे रंग के दस्त, प्यास कम, जीभ साफ, पित्त विकार से बुख़ार ।

  • इपिकैक 30, हर 2-3 घंटे के बाद

6. भीगने के कारण बुख़ार, शरीर में दर्द, पतले दरत, जीभ का अगला तिकोना भाग लाल हो, बेचैनी हो । हिलने-डुलने से आराम आए ।

  • रस टॉक्स 30, हर 2-3 घंटे के बाद

7. ठंडा, बासी खाना खाने या ख़राब पानी पीने के कारण बुखार, बेचैनी व थोड़ा-थोड़ा पानी जल्दी-जल्दी पीने की इच्छा । डर ।

  • आर्सेनिक 30 हर 2-3 घंटे के बाद

8. अधिक चिकनाई युक्त, गरिष्ठ या मांसाहारी भोजन लेने के बाद बुख़ार, प्यास न हो ।

  • पल्साटिला 30, हर 2-3 घंटे के बाद

9. चोट लगने, गिरने, या ज्यादा परिश्रम करने के कारण बुख़ार ; शरीर में कुचल जाने जैसा दर्द।

  • आर्निका 30 या 200, हर 2-3 घंटे के बाद

10. ठीक से न सोने या मसालेदार, देर से पचने वाला भोजन खाने के कारण पेट ख़राब होने से बुखार |

  • नक्स वोमिका 30, हर 3 घंटे के बाद

11. पित्त विकार के कारण रोग जब जीभ पर हरे रंग का लेप हो।

  • नैट्रम सल्फ 6x, हर 2-3 घंटे के बाद

बायोकैमिक औषधि : बायो नं0 11 या फैरम फॉस 6x, हर 2 घंटे बाद

खाने में हल्का खाना दें, तरल पदार्थ ज़्यादा दें। भारी व देर से पचने वाला खाना न खिलायें, उपवास करें ।

टायफॉएड ज्वर (Typhoid Fever)

टायफस बैसिलाई (किटाणु) के कारण होने वाले बुख़ार को टायफॉएड ज्वर कहते हैं यह छूत का रोग है। इसमें शुरूआत में धीरे-धीरे बुखार बढ़ता है, जितना बुख़ार सुबह होता है। उससे 2 डिग्री तक शाम को बढ़ जाता है। इसी तरह धीरे-धीरे बुख़ार बढ़ कर 107 डिग्री तक भी चला जाता है। इस बुख़ार की अवधि लगभग 4 हफ्तों तक रहती है । प्रायः पहले तीन सप्ताह के अंदर शरीर पर छोटे-छोटे लाल रंग के दाने निकलते हैं।

आंतों में जख्म हो जाने की वजह से कभी – कभी रक्त स्राव भी होता है पतले दस्त या पेचिश होना अच्छा नहीं है ।

1. रोग की पहली अवस्था में जब रोगी शान्ति चाहता है, इसका कारण बहुत दर्द होना है। हिलने -डुलने की बिल्कुल इच्छा नहीं होती, जीभ सफेद, ओंठ खुश्क, कब्ज हो और प्यास ज़्यादा लगे ।

  • ब्रायोनिया 6 या 30 दिन में 3-4 बार सिफ एक दिन दें। यदि दवाई का चुनाव सही है तो रोग शुरू में ही रूक जाएगा।

2. पहले सप्ताह में। बच्चों को टायफॉएड ज्वर में यह ज़्यादा फायदेमंद है। बहुत कमजोरी व सुस्ती, ऊंघना, पलकें भारी, आंखे खोले रखना मुश्किल।

  • जल्सेमियम 30 दिन में 3-4 बार

3. सिर दर्द, मल बहुत बदबूदार, सांस में भी बदबू, बातों का जवाब देते देते रोगी सो जाए। प्रलाप और उदासीनता, बिस्तर कड़ा मालूम दे; रोगी को लगता है कि शरीर के अंग अलग-अलग पड़े हैं और वह उन्हें जोड़ने की कोशिश करता है।

  • बैप्टिशिया Q या 6, 2 से 5 बूंद, दिन में 3 बार (6 पोटेन्सी भी दी जा सकती है )

4. शरीर दर्द, जैसे किसी ने खूब मारा हो। टट्टी-पेशाब अनजाने में हो जाए। बेहोशी; कमज़ोरी ।

  • आर्निका 30, दिन में 3-4 बार

5. रोगी को पतले दस्त हों, जीभ सख़्त व जीभ की नोक ख़ास तौर से लाल हो जाए। शरीर में दर्द, बेचैनी, सुस्ती, साथ ही रोगी थोड़ा बड़बड़ाता हो और शरीर को इधर-उधर घुमाता रहे।

  • रस टॉक्स 6 या 30, दिन में 2-3 बार

6. रोग की बढ़ी हुई अवस्था में, जब रोगी बहुत कमजोर हो जाए, बेचैनी, शरीर में जलन, तेज़ प्यास । सब लक्षण रात के समय बढ़ जायें विशेषकर एक बजे के करीब ।

  • आर्सेनिक एल्ब 6 30, दिन में 2-3 बार

रोगी को साबूदाना, मुनक्का व दूध ही दें। अन्न (अनाज) या अन्न से बनी चीजें न दें, जटिल रोग में किसी अनुभवी डॉक्टर को ही दिखाऐं ।

हड्डी-तोड़ या डेंगू बुख़ार (Dengue Fever)

इस बुख़ार में गर्दन व हड्डियों में बेहद दर्द होता है, इसीलिए इसे हड्डी-तोड़ या गर्दन-तोड़ बुख़ार कहते हैं।

1. हड्डियों में अत्यधिक दर्द, जाड़ा लगते वक्त पीठ व हाथ-पैरो में दर्द । पित्त विकार, उल्टी, दस्त ।

  • यूपेटोरियम पर्फ 30, दिन में 2-3 बार

2. मांसपेशियों में अत्यधिक दर्द, सुस्ती, ऊंघना (नींद सी आई रहना), एकान्त में चुपचाप लेटने की इच्छा । पेशाब जाने से रोग का घटना ।

  • जल्सेमियम 30, दिन में 2-3 बार

3. आंखें व चेहरा लाल, तेज सिर दर्द व बुख़ार, कमर दर्द ।

  • बैलाडोना 30, दिन में 3-4 बार

4. शरीर दर्द, बेचैनी, हिलने-डुलने से आराम ।

  • रस टॉक्स 30, दिन में 2-3 बार

5. अधिक प्यास, शरीर दर्द, हिलने-डुलने से रोग बढ़े ।

ब्रायोनिया 30, दिन में 2-3 बार

जल्दी फायदा न हो तो किसी अनुभवी चिकित्सक को दिखायें ।

मलेरिया बुखार (Malaria)

आमतौर से मलेरिया बुख़ार सर्दी लग कर चढ़ता है व पसीना आकर उतर जाता है। अधिक दिन तक मलेरिया रहने से जिगर व तिल्ली बढ़ जाते हैं ।

1. बुख़ार 6 से 11 बजे रात्रि के समय हो। सर्दी थोड़ी देर ही लगती है। बुख़ार ज़्यादा देर तक रहता है। अधिक पित्त के कारण बुख़ार । गर्मी की अवस्था में सिर दर्द, जैसे सिर फट जाएगा। प्यास नहीं लगती, गर्मी या गर्म पेय से सर्दी बढ़े। लगातार जी मिचलाए, उल्टी लगे ।

  • इपिकैक 30, हर 2 घंटे बाद

2. बुख़ार सुबह 8 बजे से दोपहर तक रहे। अंदर से अत्यधिक सर्दी महसूस हो; रोगी हर समय कपड़ा ओढ़ना चाहे । सर्दी की अवस्था में ओंठ व नाखून तक नीले पड़ जाएं; सुबह के समय जी मिचलाए।

  • नक्स वोमिका 30, दिन में 4 बार

3. बुख़ार में सर्दी पैरों से आरंभ होकर पूरे शरीर में फैले, बुखार आने से पहले चक्कर आये व जी मिचलाए। सर्दी लगने से पहले व बाद में प्यास लगे । बुख़ार आमतौर पर दिन के समय आए । तिल्ली व जिगर बढ़ जायें, कमजोरी हो ।

  • चाइना 30, 2–2 घंटे बाद

4. बुख़ार सुबह 9 बजे से शाम तक रहे, रोगी का चेहरा चिकना व निचले ओंठ में दरार हो। बुखार के समय जी मिचलाए व उल्टी हो, हिलने-डुलने से पसीना, सर्दी भयंकर रूप से लगे; प्यास व पसीना बहुत अधिक । पसीना आने से आराम मिले । दूसरे-तीसरे दिन आने वाला बुखार ।

  • नैट्रम म्यूर 200, (जब बुख़ार बहुत कम हो या न हो तब 1M पोटेन्सी की 2-3 खुराक दें)

5. दिन में 12 बजे के बाद या रात में 12 बजे के बाद बुखार आए। कंपकंपी, बुख़ार, और पसीने में अनियमितता हो । पसीने के समय अत्यधिक प्यास, पसीना आने से रोगी को आराम मिले । बेचैनी व मृत्यु भय । बहुत प्यास, थोड़ी-थोड़ी देर में, थोड़ा-थोड़ा पानी पीने की इच्छा हो।

  • आर्सेनिक एल्ब 30 2-3 घंटे के अंतर से दें

6. रात को 9 – 10 बजे आने वाले बुख़ार में। सर्दी सुबह के समय या दिन को 4 बजे के लगभग या शाम को लगे। खुली हवा में रहने की इच्छा (यद्यपि ज़्यादा गर्मी या ठंड दोनों ही बर्दाश्त नहीं होती); साप्ताहिक बुख़ार ।

  • सल्फर 30 की एक या दो खुराक दें ।

7. ठंड पैरों या मेरूदंड से शुरू हो, गर्दन के निचले हिस्से में दर्द हो, प्यास न हो, रोगी आलसी हो जाए, व ऊँघता रहे ।

  • जल्सेमियम 30, दिन में 3-4 बार

8. जब गर्मी व सर्दी बहुत महसूस हों, जीभ खुश्क हो, आंखों में जलन हो, ठंड जाघों से या कंधे के बीच से शुरू हो, जीभ का आगे का तिकोना हिस्सा लाल हो । हिलने-डुलने से आराम महसूस हो ।

  • रस टॉक्स 30, दिन में 3-4 बार

9. जब सर्दी व गर्मी की अवस्था में रोगी अत्यधिक बड़बड़ाए, बुखार उतरते वक्त बहुत पसीना आए, सर्दी सुबह 6 से 8 बजे तक लगे ।

  • पोडोफाइलम 30, दिन में 3-4 बार

10. गर्मी व पसीने की अवस्था में बहुत नींद आए, चेहरा पीला हो ।

  • एण्टिम टार्ट 30, दिन में 3-4 बार

11. सर्दी शाम को 4 से 8 बजे के बीच में लगे। सर्दी लगने के बाद पसीना आए। सर्दी की अवस्था में भी रोगी कपड़ा न ओढ़ना चाहे ।

  • लाइकोपोडियम 200, 2-3 खुराक

12. सर्दी दिन के 2-3 बजे के बीच लगे, सर्दी के साथ बुख़ार, पैर ठंडे रहें । सिर पर ज़्यादा पसीना आए ।

  • कैल्केरिया कार्ब 200, 2-3 खुराक

13.  सर्दी दिन के 3 बजे लगे, सर्दी की अवस्था में भी रोगी कपड़ा न ओढ़ना चाहे। सिर्फ सर्दी की अवस्था में थोड़ी प्यास हो । पसीना कम आए ।

  • एपिस मैल 30, दिन में 2-3 बार

14. दिन के 2-3 बजे बुखार आए। गरिष्ठ भोजन खाने के कारण अजीर्ण होकर बुख़ार आए। गर्मी व सर्दी की अवस्था में अनियमितता हो। ठंडी हवा अच्छी लगे, प्यास न लगे ।

  • पल्साटिला 30, दिन में 3-4 बार

15. सिर्फ ठंड की अवस्था में प्यास लगे। सर्दी कंधे की हड्डियों से शुरू होकर पूर शरीर में फैल जाए। गर्मी की अवस्था में शरीर में जलन हो ।

  • कैप्सिकम 30, दिन में 3-4 बार

16. जब सर्दी व गर्मी की अवस्था में बहुत जल्दी परिवर्तन हो, बेचैनी हो, प्यास लगे, पसीने में खट्टी दुर्गन्ध हो ।

  • मर्क सौल 30, दिन में 3-4 बार

17. सर्दी की अवस्था में शरीर बर्फ के समान ठंडा हो फिर भी रोगी को पंखे की तेज हवा सुहाए ।

  • कार्बो वेज 30, दिन में 3-4 बार

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18. बुख़ार जब घड़ी की सुई की तरह नियत समय पर आए।

  • सिड्रोन 30, दिन में 2-3 बार

19. सर्दी लगने से पहले ताप (गर्मी) होना, सर्दी की अवस्था में गाल लाल हो जाएं, हिलने-डुलने से तकलीफ बढ़े, प्यास अधिक हो ।

  • ब्रायोनिया 30, दिन में 3-4 बार

20. बिना ताप की अवस्था में ठंड लगे या सर्दी और ताप बारी-बारी से आएं, चक्कर आए, शरीर बाहर से ठंडा व अंदरूनी गर्मी हो। ठंडा चिपचिपा पसीना आए ।

  • विरेट्रम एल्ब 30, दिन में 3-4 बार

21. सर्दी सुबह 6 से 8 बजे के बीच लगे । हड्डियों में तेज दर्द हो, जी मिचलाए, बुख़ार के समय व सर्दी लगने के पहले बहुत प्यास हो ।

  • यूपेटोरियम पर्फ 30, दिन में 3-4 बार

22. सर्दी, बुख़ार व पसीना क्रमानुसार हों प्यास लगे । खून की जाँच के बाद जब रोगी के खून में मलेरिया पैरासाइट्स पाए जाएं ।

  • चाइना सल्फ 1X दिन में 3-4 बार

23. जब मलेरिया बुखार पुराना हो जाए व बार-बार हो, पसीना कम आए।

  • मलेरिया औफ 200 या 1M, 2-3 खुराक

24. सर्दी दिन के समय 2 से 4 बजे पीठ व टांगों से शुरू हो। गर्म पसीना आए। रोगी काफी बोले। नींद में या नींद टूटने के बाद तबियत खराब हो ।

  • लैकेसिस 30, दिन में 3 बार

25. जब सर्दी व बुख़ार सुबह 3 बजे से शाम के 3 बजे के बीच आए, सर्दी जंघाओं में ज़्यादा लगे । शरीर के बिना ढके हिस्से पर पसीना आए।

  • थूजा 200 या 1M, 2-3 खुराक

26. सर्दी प्रायः रात में 10-11 बजे शुरू हो, बुख़ार सिर्फ रात के समय ही आये ।

  • सिफिलिनम 200 या IM, 2-3 खुराक

27. सर्दी प्रायः सायं 7 बजे लगे। सांस में बदबू हो व मल भी बदबूदार हो । नब्ज़ तेज हो, पसीना आए, मगर बुखार पसीने के बाद भी कम न हो । बेचैनी हो व बुख़ार में रोगी बहुत बोले ।

  • पायरोजिनियम 200 या 1M, 2-3 खुराक

28. सर्दी सुबह या शाम के 5 बजे लगे। रोग नमी वाली जगहों पर या पानी के किनारे रहने या पानी में पैदा होने वाले फल (तरबूज व केला आदि), चावल या मछली आदि खाने के कारण या फिर बरसात के मौसम में हो । प्यास कम हो, पसीना आए ।

  • नैट्रम सल्फ 30 या 200, आवश्यकतानुसार

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