बेन्जोइक एसिड | Benzoic Acid

बेन्जोइक एसिड | Benzoic Acid

प्रमेह अथवा उपदंश रोग से पीड़ित व्यक्तियों में पाई जाने वाली गठिया अथवा आमवात रोग की प्रवणता । गठियावाती संग्रन्थियाँ (gouty concretions); सन्धिवात समस्त सन्धियों, विशेष रूप से जानु सन्धियों (knee joints) को प्रभावित करती है, गति करते समय कड़कड़ाहट होती है; सन्धियों में गांठें (बर्बे, लिथि-का, लाइसी) । मूत्र गहरे रंग का कपिश (dark brown ), एवं मूत्रल गन्ध अत्यधिक तीक्ष्ण ।

कोमल तन बच्चों को होने वाली रात्रिकालीन असंयत मूत्रता (enuresis); वृद्धों में पुरःस्थग्रन्थि (prostate gland) बड़ी होने के साथ मूत्र टपक- टपक कर गिरना अत्यन्त तीखी गन्ध यूरिक अम्ल (uric acid) की बढ़ी हुई मात्रा । दबे हुए प्रमेह के बाद मूत्राशयी प्रतिश्याय (catarrh of bladder)।

बच्चों को होने वाला अतिसार, श्वेत, अतिदुर्गन्धित, थका देने वाले तरल मल, जिनसे “बच्चे के वस्त्र पूर्णतया भीग जाते हैं” (पोडो); मूत्र दुर्गन्धित एवं गहरे लाल रंग का ।

खाँसी के साथ हरा बलगम (नेट्र-सल्फ्यू), अत्यधिक थकान और आलस ।

दर्द फाड़ते हुए, सूचीवेधी, जो बहुधा पैर के अँगूठे की दीर्घ सन्धियों में होता है; सन्धियों की लाली और सूजन; गठियावात, जिसमें रात्रिकालीन वृद्धि होती है ।

सम्बन्ध –

  • यह कोपेवा, नाइट्रि-एसिड, फेरम और थूजा के समान है ।
  • विशेष रूप से जब असंयतमूत्रता में नाइट्रि-एसिड असफल रहे ।
  • सन्धिवात में यह बर्बेरिस एवं लिथियम कार्बो से सदृशता रखती है ।
  • गठियावात में काल्चिकम की असफलता के बाद एवं दबे हुए प्रमेह में कोपेवा के अपव्यवहार के बाद लाभदायक है ।
  • यह शराब की प्रतिकूल अथवा विपरीत औषधि है, जो मूत्र, गठिया एवं आमवात रोगों को बढ़ाती है।

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