एसारम यूरोपियम | Asarum Europeum

एसारम यूरोपियम | Asarum Europeum

स्नायविक, अधीर व्यक्ति; उत्तरेजनाशील अथवा विषादग्रस्त ।

कल्पना करता है जैसे वह किसी आत्मा के समान हवा में मण्डरा रहा है (लैक कैनी); अंग-प्रत्यंग हल्के प्रतीत होते है । किसी भी प्रकार के भावोद्वेग से शीत जैसी कम्पम्पी ।

तंत्रिकाओं की अतिसम्वेदनशीलता, यहाँ तक कि किसी सूती अथवा रेशमी वस्त्र की रगड़न तथा कागज की पड़पड़ाहट भी सहन नहीं होती (फेरम, टारेण्ट) ।

ऐसी अनुभूति होती है जैसे किसी वाह्य शल्य द्वारा कानों को डाट लगा दिया गया है।

पढ़ते समय आँखों में ऐसी अनुभूति होती है जैसे उन पर अन्दर या बाहर की ओर दबाब दिया जा रहा हो; उन्हें ठंडे पानी से धोने पर आराम आता है।

ठंडी हवा या ठंडा पानी आंखों को बहुत ही आराम देता है; धूप, रोशनी और तूफानी हवा सहन नहीं होती ।

मितली – दौरों के रूप में या निरन्तर (इपिकाक); खाने के बाद वृद्धि, जिह्वा स्वच्छ (सल्फ); सगर्भकालीन ।

सुरासार की अप्रतिहत इच्छा; रूस में शराबियों के लिए प्रयुक्त की जाने वाली एक लोकप्रिय औषधि ।

प्रातःकाल जागने पर आमाशय के अन्दर एक दबावशील, खुदान करने जैसी ” भयंकर अनुभूति” (व्यभिचार करने के बाद) । गहन मूर्च्छा एवं अविरत जम्हाई ।

सम्बन्ध –

  • रूपात्मकताओं में कास्टिकम के समान ।
  • रेशेदार, खण्डित मलोत्सर्जन में एलो, आर्जे -नाइ, मक्यू, पोडो, पल्सा, सल्फ्यू-एसिड के समान ।
  • इसके बाद बिस्मच, कास्टि, पल्सा, सल्फ्यू-एसिड की उत्तमं क्रिया होती है।

रोगवृद्धि – शीत एवं शुष्क, अथवा स्वच्छ, सुहावने मोसम में (कास्टि) ।

रोगह्रास – चेहरा धोने से अथवा रोगग्रस्त भागों को ठण्डे पानी से नहलाये जाने पर; नम गीले मौसम में (कास्टि) ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top