शिऐटिका, कमर दर्द, गठिया का होम्योपैथिक इलाज
शिऐटिका (Sciatica)
कमर के निचले हिस्से (कूल्हे) से एड़ी तक जो स्नायु (nerve) जाती है उसको शिऐटिका स्नायु (sciatic nerve) कहते हैं। उसी के दर्द को शिऐटिका कहा जाता है ।
1. जब दर्द खास कर दाईं टांग में हो, दर्द कुल्हे से घुटने या एड़ी तक जाये, चलते चलते टांग सुन्न हो जाए। दर्द वाली टांग का घुटना मोड़कर लेटने से आराम हो ।
- कोलोसिन्य 200 या IM दिन में 2 बार
2. दर्द के साथ सुन्न हो जाना, टांग को पेट के साथ सिकोड़ कर लेटने से व कुर्सी पर बैठने से आराम; चलने-फिरने से दर्द बढ़े।
- नैफेलियम 200 या 1M दिन में 2 बार
3. रोगी लंगड़ा कर चले, टांग सुन्न हो जाए। रोग रात को बढ़े ।
- काली आयोडाइड 200, दिन में 2 बार
4. अधिक मेहनत करने या ठण्ड लगने के कारण रोग । चलने फिरने से आराम ।
- कैमोमिला 30 या 200, दिन में 2-3 बार
5. जब दर्द असहनीय हो ।
- मैडोराइनम 200 या 1M, की 2-3 खुराक
6. बायोकैमिक औषधि
- मैग फॉस 6X, दिन में 4 बार
7. जब दर्द नीचे से ऊपर को जाये ।
- कालमिया लैट 200, दिन में 3 बार
8. जब ठण्डी पट्टी से आराम आए।
- लीडम 200 या 1M, दिन में 2 बार
9. Sciatica
- कैल्मिया लैट 30, स्पाइजेलिया 30, दिन में 3 बार ।
- मैग फास 6X, 4 – 4 गोली दिन में 3 बार ।
- गाल्थेरिया Q, जेल्सिमियम Q; बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 10 – 10 बूंद दिन में 2 बार सेवन करें ।
कमर दर्द (Backache)
ठंड लगने, झटका या कमर में मोच आ जाने या अन्य किसी कारण से कमर दर्द हो सकता है।
1. ठंडी हवा लगने के कारण अचानक दर्द ।
- एकोनाइट 30, हर 2 घंटे बाद
2. जब दर्द चलने फिरने से घटे, ठण्ड व लेटे रहने से बढ़े।
- रस टॉक्स 200 दिन में 3 बार
3. बायोकैमिक औषधि
- कैल्केरिया फ्लोर 6X या 12X, दिन में 4 बार
- यदि सेकने से आराम हो मैग फॉस 6X या 30, दिन में 4 बार
4. जब दर्द ठण्ड व चलने फिरने से बढ़े।
- ब्रायोनिया 30 या 200, दिन में 3 बार
5. कमर के निचले हिस्से में (रीढ़ की हड्डी के निचले भाग में) झटका आने से दर्द ।
- एस्कुलस 6 या 30, दिन में 3 बार
7. कमर दर्द जैसे कि कुछ चुभ रहा हो कमजोरी व पसीना; प्रातः 3-4 बजे दर्द बढ़े ।
- काली कार्ब 30 या 200 दिन में 3 बार
8. रीढ़ की हड्डी (गुदारथी ) में दर्द; रात में बढ़े।
- सल्फर 6 या 30, दिन में 3 बार
9. ज़्यादा काम करने या चोट लगने के कारण दर्द ।
- आर्निका 30 या 200 दिन में 3 बार
10. मोटे धुलथुले लोगों में नहाते समय कमर दर्द ।
- कैल्केरिया कार्ब 200, सप्ताह में एक बार
11. चिड़चिड़े ठण्डी प्रकति वाले रोगियों में लेटे कमर दर्द जिसकी वजह से रोगी करवट भी बैठ कर ही बदल सके।
- नक्स वोमिका 30, 200 दिन में 3 बार
12. सोने व आराम करने से अच्छा लगे कमर के निचले हिस्से में दर्द (खासकर औरतों में ) ।
- पल्साटिला 30, दिन में 3 बार
12. कमर दर्द में डकारें आने से आराम आए ।
- सीपिया 30 दिन में 3 बार
13. कमर दर्द
- आक्जैलिक एसिड 6, एस्कुलस हिप 6, रस टाक्स 6, पल्साटिला 6, नक्स वोम 6; बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 5 – 5 बूंद दिन में 2 बार सेवन करें ।
जोड़ों का दर्द, गठिया व वात रोग आदि (Gout, Rheumatism And Arthritis etc.)
जोड़ों के दर्द दो तरह के होते हैं। छोटे जोड़ों के दर्दों को गठिया कहते हैं, इन जोड़ों का दर्द जब काफी पुराना हो जाता है तब जोड़ विकृत यानि टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं तब इसे पुराना सन्धि प्रदाह (सूजन) (arthritis deformans) कहते हैं।
बड़े जोड़ों तथा पुट्टे के दर्दों को वात रोग (rheumatism) कहते हैं। वात रोग (gout) में जोड़ों की गांठें सूज जाती हैं, बुखार हो जाता है बेहद दर्द तथा बेचैनी होती है।
कारण : ओस या सर्दी लगना, देर तक भीगना, अधिक मांस, खटाई या ठण्डी वस्तुएं खाना, शराब का अधिक सेवन करना व विलासिता, आदि ।
1. मुख्य दवा जब पेशाब में यूरिक एसिड व काफी मात्रा में आयें ।
- यूरेट्स अर्टिका यूरेन्स Q.10 बूंद, दिन में 3 बार
2. छोटे जोड़ो में दर्द व सूजन दर्द कटने या चुभने जैसा रात में या चलने फिरने से बढ़े।
- कोल्चि कम 6 या 30 दिन में 3 बार
3. जब दर्द एक जोड़ से दूसरे जोड़ में चलता फिरता रहे ।
- पल्साटिला 30 दिन में 4 बार
4. रोग खास कर पैर के अंगूठे में सूजन के साथ। ठण्ड या बर्फ की पट्टी से रोग घटे । दर्द नीचे से ऊपर को जाये।
- लीडम पैल 6 या 30, दिन में 4 बार
5. जब रोग अचानक ठण्ड के कारण शुरू हो।
- एकोनाइट 6 या 30, दिन में 4 बार
6. जब गठिया रोग त्वचा के रोगों के साथ हो ।
- सल्फर 30 दिन में 3 बार
7. जब रोग ठंड से बढ़े। सेकने व चलने फिरने से आराम आए।
- रस टॉक्स 30 या 200 दिन में 3 बार
8. जरा सा छूने से दर्द बढ़े कमजोरी व पसीना; ख़ासकर काफी खून बहने व उल्टी दस्त होने के बाद ।
- चाइना 30 दिन में 4 बार
9. जब दर्द हिलने-डुलने से बढ़े। आराम करने से कम हो।
- ब्रायोनिया 6, 30 दिन में 3 बार
10. जोड़ों में लाली व कुचले जाने का सा दर्द। दर्द छूने में से बढ़े।
- आर्निका 30, दिन में 3 बार
11. हाथ पैरों के छोटे-छोटे जोड़ों में सूजन व दर्द ।
- स्टेफिसगेरिया 30 दिन में 3 बार
12. मौसम बदलने के साथ रोग की पुनरावृत्ति ।
- कैल्केरिया कार्ब 30 या 200 दिन में 3 बार
13. शराबियों में जोड़ों का दर्द ।
- नक्स वोमिका 30 या 200 दिन में 3 बार
14. एड़ियों का गठिया एड़ियों पर पूरा वजन डालने से आराम। साथ में गुर्दों व जिगर के रोग ।
- बर्बेरिस वल्गेरिस Q या 30, दिन में 3 बार
15. जब दर्द ऊपर से नीचे को जाए तथा जोड़ सुन्न हो जाएं।
- काल्मिया लैट 30 या 200 दिन में 2 बार
16. जब दर्द जोड़ों को छोड़ कर दिल में स्थान ग्रहण कर ले।
- कैक्टस ग्रेण्डिफ्लोरा 30 दिन में 3 बार
17. जब दर्द स्थान बदलता रहे हिलने-डुलने से रोग बढ़े। साथ में जिगर में दर्द हो।
- स्टैलेरिया मीडिया Q, दिन में 3 बार
18. भीगने व ठण्ड लगने से दर्द सीलन वाली जगहों में रहने से दर्द ।
- डल्कामारा 30 या 200, दिन में 3 बार
19. मलेरिया बुख़ार के बाद जोड़ों में दर्द ।
- मलेरिया ऑफ 30 या 200 दिन में 3 बार
20. चलने से दर्द बढ़े।
- फैरम पिक 6 या 30, दिन में 3 बार
21. अंगुलियों के जोड़ों का दर्द साथ में गैस भी हो
- लाइकोपोडियम 30
22. दर्द, जब पेशाब में एल्बुमिन हों, जोड़ों की सूजन चलने फिरने व ठण्ड से रोग बढे, दबाने से आराम आए।
- फोरमिका रूफा 3X, दिन में 4 बार
23. तेज दर्द जो कुछ समय के लिए ठण्डे से ठीक रहे, पसीना आए यदि दर्द वाली जगह को ढक ले तो दर्द बिना ढकी जगह चला जाए।
- काली कार्ब 200 या IM, सप्ताह में एक खुराक
24. गर्म सेक से आराम मिलने पर ।
- मैग फॉस 6X या 30, दिन में 4 बार
25. बायोकैमिक औषधि
- बायोकैमिक मिश्रण नं0 18, दिन में 4 बार
26. गठिया
- आर्टिका यूरेंस 30, लाइकोपोडियम 30, फार्मिका रुफा 6, लिथियम कार्ब 3X, बेंजोइक एसिड 3X; बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 10 – 10 बूंद दिन में 2 बार सेवन करें ।
27. गठिया
- रस टाक्स 200, आर्निका मांट 200, रोडोडैन्ड्रन 200, लैडम पल 200
28. Arthritis
- रस टाक्स 6, ब्रायोनिया 6, कल्चिकम 6, एंटिम क्रूड 6; बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 5 – 5 बूंद दिन में 2 बार सेवन करें ।
कशेरूका का खिसकना (Slip Disc)
मेरूदंड में (spinal cord) 26 कशेरूकाएं हैं हर दो कशेरुकाओं के बीच कार्टिलेज का पैड होता है जिससे ये आपस में रगड़ नहीं खाती। पैड में कोई विकार होने या इसका लचीलापन खत्म होने पर कशेरूका अपने स्थान से हट जाती है जिस (slip disc) कहते हैं । ऐसा होने से इस स्थान की स्नायु (nerve) कशेरुकाओं के बीच दब जाने से दर्द करने लगती हैं।
1. प्रमुख दवा।
- आर्निका 200 या IM, आवश्यकतानुसार
2. मेरूदंड के क्षय विकार आदि में
- साइलिशिया 6X या 30, दिन में 4 बार
3. हड्डियों के बढ़ जाने व क्षय विकार आदि के कारण रोग
- हैक्ला लावा 6X या 1M, दिन में 4 बार
4. जब रोग जोड़ों तक में घुस जाए।
- ऑरम मैट 30 या 200, दिन में 3
मेरूदंड का शोथ (Spondilitis)
1. गर्दन का शोध (cervical spondilitis)। ऐसा लगे जैसे कि किसी ने हड्डियाँ चाकू से खुरच दी हैं। मेरूदण्ड की कमजोरी । काम करने से रोग बढ़े। गर्माहट से आराम आए।
- एसिड फॉस 30, दिन में 3 बार
2. रीढ़ की हड्डियों में तेज दर्द ऐसा लगे जैसे हड्डियां टूट गई हैं। चक्कर आएं जो आँखें खोलने से बढ़ें।
- थैरीडियोन 30 दिन में 3 बार
3. कमर के बीच के हिस्से (lumbar and sacral) दर्द हो जो दाएँ कन्धे तक जाए।
- क्लोरोमाइसिटिन 30, दिन में 3 बार
4. कमर के निचले हिस्से का शोथ व मेरूदण्ड की कशेरूकाओं की गड़बड़ी व कमजोरी (deformities and softening)। खासकर मोटे धुलथुले रोगियों के लिए। रोगी को ठण्ड ज़्यादा लगे व हाथ पैर ठण्डे रहें।
- कैल्केरिया कार्ब 200 या 1M, सप्ताह में एक बार
5. कमर के सबसे निचले हिस्से (coccyx) में जलन (intercurrent remedy) के साथ दर्द ।
- सल्फर 200 या 1M, 1५ दिन में एक बार
6. रक्ताल्पता के रोगी जो लम्बाई में तो खूब बढ़ जाते हैं मगर शरीर कमजोर ही रहता है नमक व ठण्डे पेय की तीव्र रूचि व अन्धेरे से डर लगता है। जलन के साथ तेज कमर दर्द जो सिर तक जाता है।
- फॉस्फोरस 30 या 200 दिन में 2 बार
7. कमर व कन्धो के बीच में दर्द कमर के बीच के हिस्से (lumbar and sacral) में दर्द। शारीरिक व मानसिक कमजोरी । चक्कर आएं। खासकर अविवाहित रोगियों के लिए।
- कोनियम 200 या IM 1५ दिन में एक बार
8. कमर के निचले हिस्से में दर्द व कमजोरी मेरूदण्ड में जलन जो चूतड़ों तक जाए व चलने से बढ़े।
- काली कार्ब 30 या 200 हर 6 घंटे बाद
9. ठण्ड लगने, वजन उठाने या भीग जाने के कारण कमर दर्द । गर्माहट व चलने फिरने से आराम।
- रस टाक्स 200 या 1M, दिन में 2 बार
10. कमर के बीच के हिस्से (lumbo-sacral) में दर्द जो हिलने-डुलने से बढ़े। कमर के निचले हिस्से (small of back) में कड़ापन व सुई चुभने का सा दर्द ।
- ब्रायोनिया 30, दिन में 3 बार
11. जब मेरूदण्ड की शोथ के कारण कमर दर्द दिन के समय ज़्यादा हो व समुद्र के किनारे बढ़े।
- मैडेोरहिनम 200 या 1M, सप्ताह में एक बार
स्नायु की सूजन (Neuritis)
इस रोग में किसी एक स्नायु (nerve) में सूजन आ जाती है या कई स्नायु एक ही समय में सूज जाती हैं। स्नायु में दर्द होता है, सुन्न हो जाती है। चोट लगना, सर्दी लगना, या टायफाड डिपिथरिया आदि घातक रोगों के परिणाम स्वरूप यह रोग हो सकता है जहरीली दवाओं और ज़्यादा अल्कोहल लेने आदि कारणों से भी रोग हो सकता है।
1. ठंडी हवा लगने की वजह से रोग ।
- एकोनाइट 30, दिन में 3 बार
2. स्नायु में उपकन की तरह दर्द बहुत तेज बुख़ार, दर्द अचानक आता है व अचानक चला जाता है।
- बेलाडोना 30, दिन में 3 बार
3. जब स्नायु चोट लगने की वजह से कुचली जाए। उदाहरणार्थ उंगलियों के पिस जाने से नाखून पर चोट लगने से इस रोग की यह मुख्य दवा है।
- हाइपैरिकम 6 या 30, दिन में 3 बार
4. स्नायु में दर्द जो धीरे-धीरे शुरू हो व धीरे-धीरे खत्म हो दर्द किसी भी अंग में हो यह लक्षण पाए जाने पर यही औषधि देनी चाहिए।
- स्टेनम मैट 30, दिन में 3 बार
5. स्नायु में दर्द जैसे बिजली का करेंट दौड़ गया हो । स्नायु दर्द के दौरे पड़ने लगें ।
- प्लम्बम मैट 30, दिन में 3 बार
स्नायुशूल (Neuralgia)
स्नायुओं (nerves) के दर्द को ही स्नायु शूल कहते हैं। यह कोई अलग बीमारी नहीं है बल्कि दूसरी बीमारी का लक्षण मात्र है। इसमें शरीर के किसी भी हिस्से में तेज दर्द हो सकता है जो असहनीय होता है ।
1. दाएं चेहरे का स्नायु-शूल
- सैंगुनेरिया 30, दिन में 3 बार
2. जब गर्म सेक से आराम हो।
- मैग्नेशिया फॉस 6X या 30 दिन में 4 बार
3. बाएं चेहरे का स्नायुशूल
- स्पाइजिलिया 30, दिन में 3-4 बार
4. ठंडी हवा से चेहरे का स्नायु शूल ।
- एकोनाइट 30, हर 2 घंटे बाद
5. हाथों में व छाती में दर्द, चलने-फिरने से घटे।
- रस टॉक्स 30 या 200 दिन में 3 बार
6. चोट लगने के कारण स्नायुशूल ।
- आर्निका 30 या 200,
कारण का पता लगाकर ठीक से उपचार करना चाहिए।