सर्दी, जुकाम का होम्योपैथी इलाज
श्वास नली के प्रदाहित होने से सर्दी हुआ करती है। जब केवल नाक की श्लैष्मिक झिल्लीयों में प्रदाह होता है तो सर्दी होती है और जब नाक और गले दोनों में सर्दी लगे तो ” सर्दी बुखार” हो जाता है।
कारण : वर्षा में भीगना, ओस या सर्दी लगना, देर तक भीगे कपड़े पहने रहना, एकाएक पसीना बंद हो जाना, बदहजमी, आदि ।
लक्षण : शरीर में सुस्ती, बदन में अंगड़ाई, जम्हाई आना, सिर में दर्द या भारीपन, आंखें लाल, छींके आना, आंखों से पानी आना, खांसी बुख़ार, भूख कम हो जाना आदि।
रोग की पहली अवस्था
1. लक्षण : खास कर जब सूखी ठंडी हवा लग कर रोग आया हो, ठंडक महसूस होना, सिर दर्द, आंखो से पानी, छींके आना, सूखी खांसी, बार- बार बेचैनी तथा भय; खुली हवा में अच्छा लगता है ।
- दवा एवं शक्ति : एकोनाइट 30, 3-4 खुराक दिन भर में दें.
2. लक्षण : सर्दी के कारण लगातार छींकें आती हैं, गर्म कमरे में जाने से बढ़ती हैं, नाक से बहुत ज़्यादा पानी की तरह का जलनयुक्त स्राव, सिरदर्द, खांसी तथा आवाज़ बैठी हुई, आंखें सूजी हुई तथा पानी जो जलन पैदा नहीं करता; खुली एवम् ठंडी जगह पर अच्छा लगता है ।
- एलियम सीपा 30, 2-3 घंटे के अंतर से दें.
3. नाक से जख्म कर देने वाला स्राव, आंख व नाक में जलन, बेचैनी, थोड़ी-थोड़ी देर में थोड़ा-थोड़ा पानी पीने की इच्छा, कमजोरी, बुखार व सिर दर्द । सभी लक्षण गर्मी व गर्म चीज़ों के उपयोग से घटते हैं ।
- आर्सेनिक एल्ब 30, 2 – 2 घंटे के अंतर से दें
4. बहने वाला जुकाम, आंखों से हर समय जलन पैदा करने वाला स्राव, बेचैनी, चेहरा गर्म परंतु रोगी ठंडा रहता है; ठंड लगती है, गर्म कमरे में व शाम को रोग बढ़ता है I
- यूफ्रेशिया 30, 2 – 3 घंटे के अंतर से दें
5. छींकों के साथ नाक बहना; माथा लाल, दर्द भरा व आंखों से पानी ।
- सैबाडिला 30, दिन में 3 – 4 बार दें
6. जलन युक्त स्राव इतना कि ऊपरी होंठ भी कट जाए, नाक स्राव से भरी होने के कारण रोगी को सांस भी मुंह से लेनी पड़े ।
- औरम ट्रिफाइलम 30, दिन में 3-4 बार दें
7. गले में व सिर में दर्द, चेहरा तमतमाया हुआ। नींद गायब; खांसी, जुकाम।
- बैलाडोना 30, दिन में 3 – 4 बार
8. कमर में ठंड, सिर पर खिंचाव व भारीपन, छींकें, नजला गिरना। स्राव इतना कटु कि नाक के नथुने लाल होकर दुःखने लगें, शरीर में सुस्ती । ठंड के साथ जोर का पेशाब जिससे सिर हल्का हो जाता है। मौसम परिवर्तन के समय होने वाले जुकाम की ख़ास दवा |
- जल्सेमियम 30 दिन में 3-4 बार
9. छींकें व नजला, आवाज बैठी हुई। छाती में दर्द । मांसपेशियों व हड्डियों में अत्यधिक दर्द। खांसी रात में बढ़ती है।
- यूपेटोरियम पर्फ 30, दिन में 3-4 बार
बायोकैमिक मिश्रण नं0 5 अथवा फैरम फॉस 6x (Ferrum Phosphoricum 6X ) 4 – 4 गोली हर 2 घंटे बाद गर्म पानी के साथ दें। एविना सैटाइवा Q (Avena Sat Q) गर्म पानी में 20 बूंद की एक खुराक दिन में 3 बार लेने से शीघ्र आराम आता है । सोते समय गर्म पानी से पैर धोकर सोने से भी आराम मिलता है ।
रोग की दूसरी अवस्था
1. जब नाक से गाढ़ा पीला या हरा, चिपचिपा बलगम निकले ।
- काली बाई 30 दिन में 3 – 4 बार
2. हरा पीला स्राव, स्वाद न रहना, खुली हवा में अच्छा लगे, प्यास न हो।
- पल्साटिला 30, दिन में 3 – 4 बार
3. नाक से पीला गाढ़ा स्राव, ख़ास कर नाक के पिछले हिस्से से श्लेष्मा गले के अंदर गिरे, कब्ज, पेट व छाती के बीच खालीपन व अंदर की तरफ खिंचाव।
- हाइड्रैस्टिस 30, दिन में 3 – 4 बार
4. चिड़चिड़ापन । तेज सिर दर्द के साथ नजला- जुकाम । हिलने डुलने से रोग बढ़े। नाक काफी संवेदनशील हो । रोगी एक दम शान्त व चुपचाप पड़ा रहे।
- ब्रायोनिया 30, दिन में 3 – 4 बार
5. गाढ़ी श्लेष्मा के साथ जुकाम, नाक के जख्म, नाक की हड्डियों में सूजन । स्राव हरे रंग का मवाद की तरह । सिर दर्द एवम् रात में पसीना आए । प्यास, और हाथ पैरों में दर्द। गर्म व सर्द दोनों से रोग बढ़ता है।
- मर्क सौल 30, दिन में 3 – 4 बार
6. रोगी को जुकाम की शिकायत अक्सर बनी रहती है । नाक से लगातार पानी बहे तथा प्यास तेज लगे, कब्ज हो । रोग सूर्य के साथ बढ़े – घटे।
- नैट्रम म्यूर 30, या 6X, दिन में 3 – 4 बार
7. जब अक्सर सर्दी जुकाम रहे । रोग सुबह के समय बढ़े । नहाने का मन न करे ।
- सल्फर 200 या 1M, सप्ताह एक बार 4 – 5 सप्ताह तक दें
8. जब रोगी मोटा, थुलथुला हो । नहाने से एवं ठण्ड से रोग बढ़े ।
- कैल्केरिया कार्ब 200, या IM, सप्ताह में एक बार, 4 – 6 सप्ताह तक दें
9. जब रोगी को बार – बार सर्दी जुकाम होता हो ।
- ट्यूबरकुलाईनम 200, या IM, एक खुराक 15 दिन के अंतर 4 – 6 महीने तक दें। साथ ही बाकी दिन अन्य चुनी हुई दवा दिन में 3 – 4 बार दें। ध्यान रहे कि जिस दिन ट्यूबरकुलाईनम दें उस दिन कोई दूसरी दवा न दें ।
10. जब छाती में सर्दी के कारण हुई बलगम से घड़घड़ हो; जरा सी ठंड से रोग बढ़े ।
- हिपर सल्फ 30 दिन में 3 बार दें
गरम पानी पीना चाहिए और गले में कपड़ा लपेटना चाहिए । हल्का और सुपाच्य भोजन खाना चाहिए ।
इन्फ्लुएन्जा (Influenza)
एक तरह के जीवाणु इस बीमारी के ख़ास कारण माने जाते हैं। यह एक तरह की छूत, और फैलने वाली, सर्दी की बीमारी है।
लक्षण : सर्दी, शरीर में टूटन, गले में दर्द, सिर में दर्द, बार-बार ठंड लगना, छींकें. आना, बुख़ार सा महसूस होना आदि ।
1. जब रोगी को काफी ठंड महसूस हो और कंपकंपी आती हो ।
- नक्स वोमिका 30, हर 2 घंटे बाद
2. शरीर में दुःखन, खांसी जुकाम, चुपचाप लेटने की इच्छा हो, प्यास न हो ।
- जल्सेमियम 30, हर 2 घंटे बाद
3. हड्डियों तथा माँसपेशियों में दर्द, बेचैनी व बुख़ार ।
- यूपेटोरियम पर्फ 30,दिन में 4 बार
4. जब हिलने-डुलने से रोग बढ़े, यहां तक कि खांसने तक से भी सिर में दर्द हो जाए, प्यास अधिक हो।
- ब्रायोनिया 30, दिन में 4 बार
5. जब थोड़ी प्यास के साथ हिलने-डुलने से रोगी को अच्छा लगे ।
- रस टॉक्स 30, दिन में 4 बार
6. जब उपरोक्त दवाओं से पूर्ण रूप से फायदा न हो; बेचैनी हो, और रोगी थोड़ी-थोड़ी देर में थोड़ा थोड़ा पानी पीना चाहे। गर्म पेय से आराम महसूस करे ।
- आर्सेनिक एल्ब 30 दिन में 4 बार
7. जब चेहरा लाल हो व बुख़ार हो; रक्त का जमाव शरीर के ऊपरी भाग में हो ।
- बैलाडोना 30, दिन में 4 बार
8. सर्दी जुकाम
- एकोनाइट 6, ब्रायोनिया 6, जेल्सिमियम 6, एलियम सीपा 30 बराबर मात्रा में मिला कर मिश्रण तैयार करे और उसकी 3 – 3 बूंद दिन में 3 बार सेवन करें ।
गर्म पानी से पैर धोकर सोने से फायदा होता है। एवेना सैटाइवा Q, 10-15 बूंद गर्म पानी में मिलाकर दिन में 3-4 बार लेने से आराम आ जाता है । बायोकैमिक औषधि नैट्रम सल्फ 6X बहुत फायदेमन्द है ।
साइनसाइटिस (Sinusitis)
माथे, गाल, व नाक की हड्डियों के अन्दर के भाग में सूजन व श्लेष्मा जमा होना । जुकाम बिगड़ जाने पर इस स्थान में बलग़म या रेशा (mucous) जमा हो जाता है, जिससे इन हड्डियों में दर्द होता है। इसी को साइनस का दर्द कहते हैं।
लक्षण : इस रोग में जुकाम और सिर दर्द के मिले जुले लक्षण रहते हैं।
1. रोगी ठंडी हवा के प्रति संवेदनशील हो, सिर को ढक कर रखना चाहे; नाक व आंखों के ऊपर दर्द हो ।
- साइलिशिया 1M, सप्ताह में एक बार
2. जब बलग़म ठंड से बढ़े ।
- काली बाई 30, दिन में 4 बार
3. जब रोग दाहिनी ओर ज़्यादा हो ।
- सैंगुनेरिया 30, दिन में 3-4 बार
4. जब रोग बांई ओर ज़्यादा हो ।
- स्पाइजिलिया 30, दिन में 3-4 बार
एलर्जिक राइनाइटिस (ALLERGIC RHINITIS)
एलर्जी किसी पदार्थ के प्रति किसी व्यक्ति विशेष की बदली हुई प्रतिक्रिया क्षमता जिसके लिए आम आदमी उस पदार्थ से लक्षण उभरने की सीमा तक संवेदन-शील नहीं हो पाता। होम्योपैथी में अन्य रोगों की चिकित्सा की तरह इस रोग का निदान भी रोगी के लक्षणों के अनुसार ही किया जाता हैं।
1. पुरानी सर्दी-खांसी, सुबह सवेरे जुकाम बढ़े, नहाने का मन न करे रोगी को ठंडी हवा अच्छी लगे।
- सल्फर 200 या 1M, 15 दिन में 1 बार 2-3 बार दोहरायें
2. सोराइनम के लक्षण प्रायः सल्फर के समान है पर सोराइनम का रोगी सर्दी बिल्कुल सहन नहीं कर पाता। साव बहुत ही बदबूदार होता है। सल्फर में भी बदबूदार होता है पर इतना नहीं जितना कि सोराइनम का होता है।
- सोराइनम 1M, 15 दिन में 1 बार 2-3 बार दोहरायें
3. सर्दी के कारण आँख नाक से लगातार जलनयुक्त स्राव जो गर्मी से या कमरे के अंदर बढ़ता है; रोगी खुली हवा में अच्छा महसूस करता है।
- एलियम सीपा 30 दिन में 3 बार
4. खुश्क ठंडी हवा लगकर अचानक रोग आने पर सिर दर्द, आंखों से पानी व छींके आना, बेचैनी, भय व बुखार।
- एकोनाइट 30, 3 बार
5. छींकें नाक से जख्म कर देने वाला स्राव बहे, आंख व नाक में जलन; बेचैनी, थोड़ी-थोड़ी देर में थोड़ा-थोड़ा पानी पीने की इच्छा; बहुत कमज़ोरी, सिर दर्द, बुखार; सभी लक्षण गर्मी व गर्म चीज़ों के उपयोग से घटते हैं।
- आर्सेनिक एल्ब 30, दिन में 3 बार
6. चेहरा तमतमाया हुआ चमकीला लाल, खांसी, जुकाम, गले व सिर में दर्द, जरा सी ठंड़ लगने यहां तक कि बाल कटवाने से भी सर्दी लग जाना
- बैलाडोना 30, दिन में 3 बार
7. पुराने जटिल रोग, जब ठीक से चुनी गई औषधियां काम न करें।
- बैसिलिनम 1M, 15 दिन में 1 बार, 2-3 बार
8. एलर्जी; धूल से, धूंए से, सुगंध से, स्प्रे आदि से, सामान्यतया नाक की नली का वह भाग जो गले से ऊपर स्थित है उसके संवेदनशील हो जाने से छींकें व नाक बंद हो जाने की शिकायत, फिर खांसी-जुकाम।
- हिस्टेमिन 1M, साप्ताहिक (3)
9. धूल से शाम के समय बेहद नाक बहे और छींकें आएँ, सिर के अगले भाग में पीड़ा हो और आँखों खुजली हो।
- जस्टिशिया एढ़ाटोडा 30, 4-4 घंटे बाद
10. बेहद जुकाम, पतला पानी की तरह का स्राव, नाक के पिछले भाग में खुजली
- सोलेनम लाइको परसिकम 30, 4–4 घंटे बाद
11. बायोकैमिक औषधि
- नैट्रम म्यूर 12x व नैट्रम सल्फ 12x दिन में 3 बार
इओसिनोफिलिया (EOSINOPHILIA)
रक्त में इओसिनोफिल की संख्या बढ़ जाने को इओसिनोफिलिया कहते हैं। इस रोग के अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे दमा, त्वचा रोग, फाइलेरियासिस, एलर्जी जन्य बुखार, घातक रक्ताल्पता, ट्रोपिकल इओसिनोफिलिया आदि ।
1. बलगम कठिनाई से निकले, विरोध से गुस्सा आए, या साथ में थायरॉइड-विकार
- थायरॉयडिन 200 1M, सप्ताह में एक बार, 3-4 बार दोहराएँ
2. रोग के कारण दम सा घुटे, सांस लेने में परेशनी हो, गले के चारों ओर जरा सा भी दबाव सहन न हो, शीतल पेय, सिरका या कोई खंट्टी चीज़ खाने व सोने के बाद रोग बढ़ें
- लैकेसिस 0/5 और उच्च, दिन में 3 बार
3. जब रोगी को साथ में पाचन की गड़बड़ भी हो
- हिस्टेमिन 200, 1M, सप्ताह में एक बार, 3-4 बार दोहराएँ
4. ठंड लगने से, बरसात या नम मौसम में सांस लेने में कठिनाई हो, पानी में उगने वाले खाद्य पदार्थ, जैसे चावल, केला व सिंघाड़ा आदि खाने के बाद रोग बढ़े
- नैट्रम सल्फ 6, दिन में 3 बार
5. सांस लेते समय कष्ट के साथ सांय-सांय की आवाज़ आए, ढीला सा बलगम खड़के; जरा सी भी ठंड लगने से रोग बढ़ जाए रोगी सर्दी या स्पर्श के प्रति अत्यंत संवेदनशील हो.
- हीपर सल्फ़ 6 या 30, दिन में 3 बार
6. खाँसी आने से पहले सांस लेने में कठिनाई हो; गले में सुरसुराहट छाती के निचले हिस्से में सुई चुभने जैसे दर्द । ठण्डा पानी पीने की इच्छा। खांसने व चलने फिरने से रोग बढे; लेटने व गर्म पेय से घटे
- कैशिया सोफैरा Q या 30, दिन में 3 बार
7. बायोकैमिक औषधि
- नैट्रम म्यूर 12 x नैट्रम, सल्फ 12 x दिन में 3 बार
8. अन्य महत्वपूर्ण औषधियां
- साइलिशिया, आर्सेनिक एल्ब, इपिकैक, बैसिलिनम, ट्यूबरकुलाइनम, फॉस्फोरस, मैडोराइनम और सिफिलिनम आदि । दूध में थायराइड ग्रन्थि का अन्तःस्राव (Secretion) – होता है, अतः दूध का परहेज आवश्यक है.