मेन्यान्थेस ट्रिफोलियाटा | Menyanthes Trifoliata
सिन्कोना एवं कुनीन के अपव्यवहार से होने वाले रोग ज्वरावस्थायें, जिनमें शीत की प्रमुखता पाई जाती है; उदर एवं टांगों में अत्यधिक ठण्ड महसूस होती है ।
सिरदर्द – कपालशीर्ष में ऊपर से नीचे की ओर दबाव मारती हुई, हाथ द्वारा कठोर दबाव दिये जाने से आराम (वेराट्र); चलते समय लगता है जैसे प्रत्येक कदम के साथ सिर में कोई भारी बोझा दबाव दे रहा हो (कैक्ट, ग्लोना, लेके); ऊपर की ओर चढ़ते समय वृद्धि (कल्के); बहुधा हाथों तथा पैरों की बर्फ जैसी ठण्डक के साथ (कल्के, सीपिया) । हृत्प्रदेश में अधीरता, जैसे कोई भारी विपत्ति आने वाली है ।
तनाव – नासिका मूल में भुजाओं, हाथों और उँगलियों में त्वचा में, लगता है जैसे छोटे-छोटे आकार के बहुत से टुकड़े शरीर के अन्दर चुभा दिए गए हों ।
सम्बन्ध –
- कैक्ट, कल्के, जेल्सी, सीपिया, मैग्नी-म्यूरि एवं पेरिस से तुलना कीजिए ।
- इसके बाद कैप्सि, लेके, लाइको, पल्सा, रस और बेराट्र की उत्तम क्रिया होती है।
रोगवृद्धि – विश्राम करते समय; लेटे रहने पर ।
रोगह्रास – रोगग्रस्त भाग पर दबाव देने से ।