ग्लोनाइन | Glonoine
स्नायविक स्वभाव; रक्तबहुल लालिमायुक्त, सूक्ष्मग्राही स्त्रियां सहज ही प्रभावित हो जाने वाले व्यक्ति । मानसिक उत्तेजना, घबराहट, भय, यांत्रिक क्षतिग्रस्तताओं तथा उनके उत्तरकालीन परिणामों के दुष्प्रभाव; बाल कटाने से (ऐको, बेला) ।
शिरोवेदनायें – गैस की रोशनी के नीचे काम करने से, जब सिर के ऊपर गर्मी पड़ती है। सिर के आस-पास गर्मी सहन नहीं कर सकता; स्टोव की गर्मी अथवा धूप में चलना असह्य (लैके, नेट्र-कार्बो) ।
प्रमस्तिष्कीय रक्तसंलयन, अथवा सिर एवं हृदय की पर्यायक्रमिक रक्त- संकुलता ।
सिर – बहुत बड़ा प्रतीत होता है, जैसे मस्तिष्क्रमज्जा सम्भालने के निमित्त खोपड़ी छोटी पड़ गई हो, लू लग जाने तथा धूप की गर्मी के कारण होने वाला सिरदर्द प्रतिदिन सूर्य की गर्मी के साथ-साथ बढ़ता है और घटता है (काल्मि, नेट्र-कार्बो) ।
सिर के अन्दर भयंकर आघात, नाड़ी-स्पन्द के साथ ही साथ स्पन्दनशील सिरदर्द दोनों हाथों से सिर पकड़ लेता है; लेट नहीं सका, तीव्र धड़कन के कारण तकिया भी उछलने लगा ।
मस्तिष्क बहुत बड़ा, परिपूर्ण और फटता हुआ प्रतीत होता है; लगता है जैसे किसी पम्प की सहायता से रक्त को ऊपर की ओर धकेला जा रहा हो; प्रत्येकक्षेप (jar) कदम, नाड़ीस्पन्द के साथ धड़कता है ।
विलम्बित अथवा दबे हुए ऋतुस्राव से मस्तिष्क की तीव्र रक्तसंकुलता; ऋतुस्राव के बदले सिरदर्द । सिरदर्द जरायु से विपुल रक्तस्राव प्रकट होने के बाद गर्भवती स्त्रियों मे सिर की ओर रक्त का अत्यधिक बहाव ।
प्रबल हृत्स्पन्दन, साथ ही मन्याधमनियों में धड़कन हृदय की अमसाध्य एवं रुद्ध क्रिया; लगता है जैसे रक्त का बहाव हृदय की ओर अधिक हो और वह बड़ी तेजी से सिर की ओर बढ़ रहा हो।
प्रमस्तिष्कीय रक्तसंकुलन के कारण बच्चों को आक्षेप की अवस्था घेर लेती है; मस्तिष्कावरणशोष, दन्तोद्गम के दौरान ऐसी अवस्थायें, जिनमें बेलाडौना दिये जाने की आवश्यकता पड़ती महसूस होती है ।
शाम को जलती हुई अंगीठी के पास बैठने या नींद आ जाने पर बच्चे बीमार पड़ जाते हैं ।
उत्तप्त चौंध; रजोनिवृत्ति के दौरान (एमीले, बेला, लैके); ऋतुस्राव के साथ (फेरम, सैग्वी) ।
सम्बन्ध – एमीले, बेला, फेरम, जेल्सी, मेलीलो तथा स्ट्रामो से तुलना कीजिये ।
रोगवृद्धि – धूप में सूर्य की किरणों के अनावरण से गैस की रोशनी; अधिक तप जाना; झटका; झुकना ऊपर की ओर चढ़ना; टोप का स्पर्श बाल कटाना ।