डायोस्कोरिया विल्लोसा | Dioscorea Villosa

डायोस्कोरिया विल्लोसा | Dioscorea Villosa

ऐसे व्यक्तियों के लिए उपयोगी, जिनकी पाचन शक्ति दुर्बल रहती है चाहे वे बुद्ध हों अथवा युवक । भोजन करने अथवा कुछ खा लेने के बाद पेट फूल जाता है, वह भी विशेष रूप से चाय पीने वाले व्यक्तियों का; वे बहुधा प्रचण्ड उदरशूल के शिकार हो जाते हैं। नाभि के आस-पास उदर के अन्दर तीव्र पीड़ा । प्रचण्ड ऐंठनयुक्त उदरशूल, जो एक नियत समय पर दौरे के रूप में प्रकट होता है, ऐसा महसूस होता है जैसे किसी सशक्त हाथ ने आन्तों को मुट्ठी के अन्दर भींच कर मरोड़ दिया हो ।

मूल प्रकृति के दर्द जिनमें आगे की ओर झुकने तथा लेटे रहने पर वृद्धि होती है तन कर खड़ा होने या पीछे की ओर झुकने से ह्रास होता है (कोलो के विपरीत) ।

निद्राकालीन वीर्यपात सारी रात स्त्रियों के सुस्पष्ट स्वप्न (स्टैफि); घुटने दुर्बल प्रजननांग शीतल, अत्यधिक निराशा (स्टेफि) ।

अगुलबेड़ा; आरम्भ में जब दर्द तेज और बेचैन करने वाले होते हैं, जब पहले चुभन महसूस होती है; नाखून भुरभुरे । परिनखशोष (paronychia) प्रकट होने की स्ववृत्ति (हीपर)।

सम्बन्ध – कोलो, पोडो, कास्फो, रस एवं साइली से तुलना कीजिए ।

रोगवृद्धि – लेटे रहने, बैठे रहने तथा दोहरा होने पर ।

रोगह्रास – गति करने से (चलने में कठिनाई होती है); थका हुआ रहने पर भी चलने-फिरने के लिए बाध्य हो जाता है ।

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