क्रोटन टिगलियम | Croton Tiglium

क्रोटन टिगलियम | Croton Tiglium

यह औषधि आंत्रपथ की श्लेष्म कला को प्रभावित करती है, फलस्वरूप रक्त के जलीय अंश निकलने के साथ विपुल परिमाण में पनीला अतिसार प्रकट हो जाता है (बेरा) तथा सारे शरीर में तरुण छाजन (acute eczema) का विकास हो जाता है (रस) ।

आंतें इस प्रकार गति करती हैं जैसे ऐंठनयुक्त झटके लगे हों, फलस्वरूप “मल गोली की तीव्रता के समान बाहर निकलता है” (गैम्बो); जैसे ही रोगी कुछ खाता है, पीता है अथवा यहाँ तक कि खाते समय भी ऐसी स्थिति विद्यमान रहती है; पीला, पनीला मल । लगातार मलत्याग की इच्छा बनी रहती है, अचानक पाखाना हो जाता है, मलांत्र से गोली की तरह बाहर निकलता है (गंम्बो, घंटे, पोडो, बूजा)। मलोत्सर्जन से पूर्व आन्तों के अन्दर पानी गिरने जैसी अनुभूति (मलोत्सर्जन से पहले गड़गड़ाहट – एलो) ।

वक्ष से लेकर स्कन्धफलक तक विचावदार पीड़ा; बच्चा जिस किसी स्तन से दूध पीता है प्रत्येक बार उसी पार्श्व वाले चूचुक (nipple) में भारी दुखन होती है ।

त्वचा की तीव्र खुजली, किन्तु प्रभावित भाग में इतनी अधिक पीड़ा रहती है कि उसे खुजाया ही नहीं जाता; धीरे-धीरे रगड़ने से आराम आता है; सारे शरीर में  छाजन ।

स्त्री, पुरुष दोनों की जननेन्द्रियों में भारी खुजलाहट (रस); पुरुष जननांग पर फफोलेदार विस्फोट; जननांग पर इतनी सम्वेदनशीलता एवं दुखन रहती है। कि उसे खुजाया ही नहीं जाता ।

खाँसी – जैसे ही सिर ने तकिये का स्पर्श किया वैसे ही खाँसी का ऐंठन- युक्त दौरा प्रकट हो गया; दम घुटने लगता है, कमरे में टहलने या कुर्सी पर सोने के लिये बाध्य हो जाता है ।

सम्बन्ध

  • शिशुओं को आक्रान्त करने वाले जीर्णातिसार में काली-ब्रोमे और फास्फो से तुलना कीजिये ।
  • स्तनपान कराते समय चूचुक से पीठ तक फैलने वाली पीड़ा में साइली से तुलना कीजिये । ।

रोगवृद्धि – अतिसार, प्रत्येक गति पीने के बाद खाते समय अथवा स्तन- पान कराते समय (आर्जे नाइ, आस); ग्रीष्मकाल के दौरान फलों एवं मिष्ठानों से (गॅम्बो ); हल्का-सा खाद्य अथवा पेय पदार्थ

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