सिक्यूटा विरोसा | Cicuta Virosa
उन स्त्रियों के लिए उपयोगी, जो अपस्मारक एवं लास्याक्षेप की शिकार रहती हैं; दन्तोद्गमी बच्चों की अथवा कृमिजन्य ऐंठन । आक्षेप (convulsions) प्रचण्ड, साथ ही हाथ-पैरों तथा सम्पूर्ण शरीर की भयंकर विद्रूपता; साथ ही बहरायाम आक्षेप (opisthotonos ) की संज्ञाहीनता हल्का-सा स्पर्श करने, शोर-गुल होने अथवा झटका लगने से पुनरावृत्ति ।
सूतिकाक्षेप (puerperal convulsions) – बार-बार कुछ क्षणों के लिए श्वास इस तरह बन्द हो जाता है, जैसे मर गई हो; शरीर का ऊपरी भाग अधिक प्रभावित प्रसव के बाद भी गतिशील रहता है ।
अपस्मार (epilepsy) – साथ ही आमाशय की सूजन जैसे मध्यच्छद की प्रचण्ड ऐंठन के फलस्वरूप हुई हो; कराहना; लाल अथवा नीला चेहरा; हनुस्तम्भ (lock jaw), बेहोशी, अंगों की विद्र, पता, रात को बार-बार पुनरावर्ती दौरे, आरम्भ में जल्दी-जल्दी, तदुपरान्त बहुत देर के बाद ।
पढ़ते समय अक्षर मुड़े हुए प्रतीत होते हैं, ऊपर-नीचे चले जाते हैं या गायब हो जाते हैं (काक्कू) ।
दन्तोद्गम के दौरान दान्त या मसूड़े पीसते हैं; जबड़ों का दबाव ऐसा रहता है जैसे धनुस्तम्भ में होता है ।
अस्वाभाविक भूख – खड़िया मिट्टी तथा न पचने वाले पदार्थों की; कोयले या लकड़ी के कोयले के लिए; बच्चा उन्हें बड़े मजे से खाता है (एलूमि, सोरा) ।
सिर, आमाशय बाहें तथा टांगों के प्रचण्ड आघातों से पीड़ित रहता है, जिनके फलस्वरूप प्रभावित अंगों में झटके लगते हैं; सिर तपा हुआ ।
मस्तिष्क एवं मेरुदण्ड के संघट्टन (concussion) के हानिकारक जीर्ण प्रभाव, प्रमुखतया ऐंठन; मांस के अन्दर कांटा या कील चुभ जाने के फलस्वरूप प्रकट होने वाला धनुर्वात (हाइपेरि) । सिर और चेहरे पर एक ही साथ कई कुन्सियाँ निकल आती है, जिन पर मोटी-मोटी पीली पपड़ियां जम जाती हैं। सूजाक दोष ।
छाजन (eczema) – खुजली नहीं होती; निःस्राव नींबू के रंग जैसी कठोर पपड़ी के रूप में परिवर्तित हो जाता है ।
चर्म-विस्फोट दबा दिए जाने के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाला मस्तिष्क रोग ।
सम्बन्ध – हाइड्रो-एसिड, हाइपेरि, नक्स, स्ट्रिकनी से तुलना कीजिए।
रोगवृद्धि – धूम्रपान से (इग्ने), स्पर्श करने से ।