चर्म रोग का होम्योपैथिक इलाज
खुजली (Itch)
इस रोग में शरीर में खुजली, त्वचा का लाल हो जाना, खुजलाते-खुजलाते खून निकल आना, गर्मी लगना आदि लक्षण होते हैं । इस रोग में बाहरी मल्हम लगा देने पर रोग अंदर दब जाता है और शरीर के किसी और अंग में रोग हो जाता है। इसलिए इस रोग को दबाना नहीं चाहिए। इसे खाने की दवा से ही ठीक करना चाहिए। रोग की उग्रता कम करने के लिए सल्फर या बैन्चिल बैन्जोएट लोशन इस्तेमाल किया जा सकता है।
1. मुख्य दवा । खास तौर से जब रोग नहाने धोने से बढ़े ।
- सल्फर 3x या 6, दिन में 3 बार
2. खुजली, शरीर में छोटे-छोटे दाने, बेचैनी, ठंड से रोग बढ़े।
- रस टॉक्स 6 या 30, दिन में 3 बार
3. हर समय ख़ारिश हो । ख़ासकर आंखों व कानों के आस पास ।
- फैगोपाइरम 6 या 30 दिन में 4 बार
4. जब ख़ारिश के साथ थोड़ा दर्द भी महसूस हो।
- सोराइनम 200, 2 या 3 खुराक दें
5. गर्मी से रोग बढ़े, डंक मारने जैसा दर्द हो, प्यास कम हो ।
- एपिस मैल 30, दिन में 3 बार
6. जननेन्द्रिय की खुजली ।
- ऐम्बरा ग्रिज्जिया 30, दिन में 3 बार
7. जब खुजली रात में ज़्यादा हो ।
- मर्क सौल 30, दिन में 3 बार
8. जब खुजली छोटी-छोटी मवाद भरी फुंसियों के कारण हो, रोगी ठंडी प्रकृति का हो ।
- हिपर सल्फ 30, दिन में 3 बार
9. खुजली इतनी तेज हो कि रोगी का हाथ रूके ही नही और खुजलाते – खुजलाते खून निकल आए ।
- मैजेरियम 30, दिन में 3 बार
10. मस्सों की उत्कृष्ट दवा, जब ख़ारिश भी हो।
- थूजा 200 या 1M, हफ्ते में एक बार दें
नीम के पत्ते पानी में उबाल कर नहाना धोना व नीम का तेल लगाना लाभदायक रहता है।
फोड़े-फुंसियां (Boils)
1. प्रथम अवस्था में जब दाने लाल हों, दर्द, सूजन, व जलन हो ।
- बैलाडोना 30, दिन में 3 बार
2. जब मवाद बनना शुरू हो जाए।
- मर्क सौल 30, दिन में 3-4 बार दें
3. असहनीय दर्द हो। यदि फोड़ा ठीक से पका न हो तब हर एक घंटे बाद बैलाडोना 3X, हिपर सल्फ 3X, अदल-बदल कर देने से दर्द में आराम आ जाता है व फोड़ा जल्दी पक जाता है ।
4. जब फोड़ा बैठने की स्थिति में हो।
- हिपर सल्फ 200 या 1M, दें
5. जब दर्द असहनीय हो मवाद पका कर बाहर निकालने के लिए ।
- हिपर सल्फ 3X, दिन में 4 बार
6. अगर फोड़े की मवाद निकालनी हो तो ।
- साइलीशिया 12 X या 30, दिन में 3-4 बार दें
7. छोटे छोटे अत्यधिक दाने जैसे कोई घनी फसल उगी हो ।
- आर्निका 30 दिन में 3 बार
8. मवाद निकल जाने के बाद फोड़ा सुखाने के लिए ।
- कैल्केरिया सल्फ 6x, दिन में 4 बार दें
9. मसूड़ों में दांतों की जड़ों में फोड़ा हो ।
- मर्क सौल 30 दिन में 4 बार दें
10. यदि फोड़े-फुंसियों में जलन ज़्यादा हो व बेचैनी हो ।
- आर्सेनिक 6 या 30, दिन में 3 बार दें
11. जब फोड़े फुंसियां बार बार हों।
- सल्फर 30 दिन में 3 बार दें
12. बाह्य प्रयोग के लिए कैलेन्डुला Q, व इचिनेशिया Q गर्म पानी में मिला कर प्रयोग करें।
दाद (Ringworm)
दाद की बहुत सी लगाने वाली दवाएं बाजार में मिलती हैं; किंतु दाद उनसे एक बार अच्छा होने के बाद दुबारा या तिवारा हो जाता है। लक्षणों के अनुसार होम्योपैथिक दवा देने से सदा के लिए आराम हो जाता है तथा अन्य कोई विकार नहीं रहता ।
1. मुख्य दवा।
- बैसिलिनम 200 या 1M सप्ताह में एक बार
2. जननेन्द्रिय या अंडकोष के पास दाद जो सर्दियों में बढ़े, रोगी ठण्डी प्रकृति का हो ।
- हिपर सल्फ 30, दिन में 3 बार
3. दाद जिसमें अत्यधिक खुजली हो, खासकर चेहरे पर नाई के यहां के उस्तरे के इस्तेमाल की वजह से।
- टैल्यूरियम 30, दिन में 3 बार
4. मोटे थुलथुले रोगियों में दाद, जिनके हाथ पैर ठंडे रहते हों ।
- कैल्केरिया कार्ब 30, दिन में 3 बार
5. जब अम्ल (acid) ज्यादा हो; भूख न हो और उपरोक्त दवाओं से फायदा न हो ।
- सल्फर 30 दिन में 2-3 बार
6. अंगूठी की तरह गोल दायरे वाले दाद के लिए ।
- सीपिया 30, दिन में 3 बार
7. जीभ पर दाद के लिए ।
- सैनिकुला 30, दिन में 3 बार
8. दाद
- एंटिम क्रुड 6, सीपिया 6, सल्फर 6 ; दिन में 3 बार सेवन करें ।
- बैसिलिनम 200; दिन में 1 बार सेवन करें ।
- जैतून के तेल में सैगुनेरिया Q (1:10) लगाने के लिये ।
एग्जीमा (Eczema)
खुजली, जलन, और दर्द के साथ त्वचा के ऊपर होने वाले छोटे-छोटे दानों को एग्जीमा कहते हैं । यह शरीर में कहीं भी हो सकता है । कान, शरीर के जोड़ य माथे, या कान के पीछे यह रोग ज़्यादा होते देखा गया है। दानों में से चिपचिपा पदार्थ निकले तो उसे बहने वाला एन्जीमा कहते हैं व दाने खुश्क हो तो खुश्क एग्जीमा कहते हैं।
खुश्क एग्जीमा (Dry Eczema)
1. त्वचा खुश्क, खुरदुरी, व छिछड़ेदार (Scaly) । रोगी की आंख की पलकें, कान, नाक के अगले हिस्से, लाल । हथेली व पंजे गर्म। सुबह 10-11 बजे असहनीय भूख ।
- सल्फर 30, दिन में 2-3 बार
2. त्वचा खुश्क व छिछड़ेदार खासकर चेहरे व सिर में। बदबूदार स्राव के कारण छिछड़े व नये दाने लगातार बनते रहते हैं।
- सोराइनम 200, 2-3 खुराक
3. खुश्की के कारण त्वचा में सख्त दरारें। खुजलाने के कारण दाने, व सख़्त कब्ज हो ।
- एल्यूमिना 30, दिन में 3 बार
4. त्वचा पर दाने व फुंसियों के कारण अत्यधिक खुजली ।
- रस टॉक्स 30, दिन में 3 बार
5. रोग जब सर्दियों में बड़े । खुश्की के कारण दरारें ।
- पैट्रोलियम 30 दिन में 2-3 बार
पुराने रोग में इसी दवा की 200 या IM शक्ति की एक खुराक 10-1५ दिन में एक बार दें
6. सिर के एम्तीमा में जब छिलके से (crusts) परत दर परत जम कर गोंद की तरह बालों को जकड़ लें ।
- मैजेरियम 30, दिन में 2-3 बार
7. बायोकैमिक औषधि
- कैल्केरिया सल्फ 6X, दिन में 4 बार दें
बहने वाला एग्जीमा (Wet Eczema)
1. जब शहद की तरह का स्राव हो । गर्मी व रात में रोग बढ़े।
- ग्रेफाइट्स 30, दिन में 3 बार
- पुराने रोग में 1M या इससे ऊपर की पोटेन्सी, 10-1५ दिन में एक बार दें।
2. जब रोग खुश्क व ठंडी हवा से बढ़े। छूने से दर्द हो । एग्जीमा के दानों में मवाद व खुजली हो ।
- हिपर सल्फ 30, दिन में 2 बार
3. जब खुजली रात में बढ़े ।
- मर्क सौल 30 दिन में 3 बार दें
पित्ती (Urticaria)
इसमें शरीर में जगह जगह ददोड़े होकर फूल उठते हैं; उनमें खुजली व जलन होती है। इसमें कभी कभी अपने आप आराम आ जाता है। कभी कभी रोगी का कष्ट अत्यन्त बढ़ जाता है।
1. मुख्य औषधि चकत्तों में डंक चुभने जैसा आभास जलन व खुजली । सूजन अधिक, प्यास कम या बिल्कुल न हो
- एपिस मैल 6 या 30, दिन में 4 बार
2. यदि एपिस से फायदा न हो।
- अर्टिका यूरेन्स Q या 6 दिन में 4 बार
3. चकत्तों में जलन व खुजली, अत्यधिक बेचैनी । थोड़ा-थोड़ा पानी बार-बार पीने की इच्छा ।
- आर्सेनिक एल्ब 6 या 30, दिन में 3 बार
4. चकत्तों में जलन व खुजली, ठंड से रोग बढ़े।
- रस टॉक्स 30 दिन में 3 बार
5. शराब पीने के कारण पित्ती ।
- नक्स वोमिका 30 दिन में 3 बार
6. गरिष्ठ या अधिक चिकनाई युक्त भोजन करने के कारण पित्ती । प्यास कम, खुली ठंडी हवा में अच्छा लगे ।
- पल्साटिला 30, दिन में 3 बार
7. जब रोग पुराना हो और चकत्तों में खुजली रात को बिस्तर की गर्मी से बढ़े ।
- सल्फर 30, दिन में 2 बार
8. पुराने रोग में जब उपरोक्त दवाओं से फायदा न हो ।
- ऐस्टेकस फ्लेक्स 30, दिन में 3 बार
9. बाह्य प्रयोग के लिए, अर्टिका यूरेन्स Q, की 10-20 बूंदें एक चौथाई कप पानी में मिला कर चकत्तों पर लगायें।
10. पित्ती व गुलाबी दाने (Urticaria & Nettle Rash)
- एपिस 30, आर्टिका यूरेंस 30, हाइग्रोफिला 6; दिन में 3 बार सेवन करें ।
- हाइग्रोफिला Q आलिव आयल (1:10) मिश्रित करके लागाना चाहिये.
सोराइसिस (Psoriasis)
1. इलाज शुरू करने के लिए ।
- सल्फर CM, की एक खुराक देकर, 1५-20 दिन तक इन्तजार करें
2. नहाने या ठंड से रोग बढ़े। गर्मी या सेक से आराम; बेचैनी और थोड़ा-थोड़ा पानी जल्दी-जल्दी पीने की इच्छा ।
- आर्सेनिक 30, दिन में 3 बार
3. चकत्ते कमर, भुजाओं या कुहनियों से फैलें; छिछड़े उतरें जो नीचे लाल रंग की त्वचा छोड़ते हैं । अत्यधिक खुजली, भुजाओं व घुटनो के जोड़ों के पीछे की त्वचा सिकुड़ी सी हो ।
- काली आर्स 30, दिन में 3 बार
4. शरीर में जलन व ख़ारिश, जब आम दवा से कोई फायदा न हो ।
- रेडियम ब्रोम 30 या 200, 2-3 खुराक दें
5. हथेलियों व पंजों पर चकत्ते ।
- कोरेलियम रयूब्रम 30, दिन में 2 बार
6. जब रोग के कारण त्वचा मोटी हो जाये ।
- हाइड्रोकोटाइल Q, या 30, दिन में 3 बार
7. जब रोग सर्दियों में बढ़े व त्वचा पर गहरे कटाव हों ।
- पैट्रोलियम 30 या 200, दिन में 2 बार
8. जब उपरोक्त दवाओं से फायदा न हो ।
- कार्सीनोसिन 200 या 1M, 2-3 खुराक
9. बायोकैमिक औषधि
- नैट्रम म्यूर 12X व नैट्रम सल्फ 12X, दिन में 4 बार
बाह्य प्रयोग के लिए सफेद वैसलीन या नारियल का तेल प्रयोग करें । सोराइनम 0/6 या 0/12 आदि (फिफ्टी मिलेसिमल पोटेन्सीज) बहुत फायदेमन्द है । अन्य दवाएं भी त्वचा रोगों में फिफ्टी मिलेसिमल पोटेन्सीज में ज़्यादा फायदेमन्द हैं ।
फुलवेरी या त्वचा पर सफेद दाग (Leucoderma)
वैसे तो अभी तक इस रोग की उत्पत्ति के बारे में ठीक से मालूम नहीं है परन्तु होम्योपैथिक चिकित्सा इस रोग में फायदेमन्द है।
1. तपेदिक (tubercular) रोगियों का इलाज शुरू करने के लिए।
- ट्यूबरकुलाईनम 200 या 1M
2. साइकोटिक (sycotic) रोगियों का इलाज शुरू करने के लिए ।
- मैडोराइनम 200 या IM
3. मुख्य दवा काफी समय तक अन्य व्यक्तिपरक (constitutional) दवाओं के साथ साथ दें।
- आर्स सल्फ फ्लेवम 3X या 6X
4. यदि आर्स सल्फ फ़्लेवम से फायदा न हो ।
- हाइड्रोकोटाइल 30
5. अन्य दवाऐं ।
- सल्फर, सोराइनम लाइकोपोडियम काली कार्ब, सीपिया एसिड नाइट्रिकम ५0M
कुछ लोगों के मतानुसार बावची ऑयल या सारेलियाQ बाह्य प्रयोग से व सारेलिया Q कुछ दिन लगातार लेने से फायदा होता है परन्तु हमने देखा है कि सिर्फ व्यक्तिपरक (constitutional) चिकित्सा से ही इस रोग में फायदा होता है ।
बिना मुंह का फोड़ा (Carbuncle)
यह फोड़ा अक्सर मधुमेह (diabetes) के मरीजों को हुआ करता है । यह गर्दन, पीठ कंधे कूल्हे कहीं भी हो सकता है। इसकी जड़ें शरीर के भीतर नाड़ियों तक फैल जाती हैं। जब यह फूटता है तो कई जगह से मवाद रिसने लगता है इसमें बहुत जलन व दर्द होता है।
1. बिना मुंह के फोड़े की प्रमुख दवा।
- ऐन्थ्राक्सिनम 200
2. बहुत जलन होती है और जैसे फोड़े पर जलते अंगारे रखे हों ऐसा दर्द होता है। गर्म सेक से अच्छा लगता है ।
- आर्सेनिक 30
3. बहुत बेचैनी व जरा सी भी छुअन बर्दाश्त नहीं होती ।
- हिपर सल्फ 30
4. जब फोड़ा बहुत धीरे-धीरे बढ़े उसमें से मवाद आने लगे।
- साइलिशिया 12X
5. जब खून में शक्कर की मात्रा ज़्यादा होने के कारण या फोड़ा ठीक न होता हो ।
- सिजिजियम Q, 30
यदि फोड़ा मधुमेह (diabetes) के मरीज को हो तो मधुमेह को किसी भी तरह से नियंत्रण में रखना अति आवश्यक है।
कोढ़ (Leprosy)
इस रोग में त्वचा पर धब्बे (सफेद या गुलाबी से) आ जाते हैं। जिनमें धीरे-धीरे संवेदना खत्म हो जाती है और वह हिस्सा गलने लगता है।
1. मुख्य औषधि (इलाज शुरू करने के लिए)।
- सल्फर CM, 2-3 खुराक
2. इस रोग की दूसरी मुख्य दवा इसमें त्वचा बहुत मोटी हो जाती है व त्वचा से छिछड़े (scale) से झड़ते हैं ।
- हाइड्रोकोटाइल 30 दिन में 3 बार
3. अन्य दवाइयों के साथ यह औषधि 1५-20 दिन में कुछ एक बार देनी चाहिए ।
- बैसीलिनम 200 कुछ महीनों तक
4. जब नाक से बहुत बदबूदार व सड़ांध वाला स्राव निकले और रोगी जिंदगी से निराश हो जाए।
- ऑरम मैट 200 या 1M आवश्यकतानुसार
5. जब अंगुलियां व अंगूठे झड़ जायें व कांटे से चुभें
- आर्सेनिक आयोडाइड 3x या 6 दिन में 3 बार
6. जब फटी हुई त्वचा में से चिपचिपा स्राव निकले।
- ग्रेफाइट्स 30, दिन में 3 बार
7. कोढ़ के साथ शरीर पर उपदंश (Syphilis) के दाने व चकत्ते हों।
- थयोरोएडिन 200 व सिफिलिनम IM, 2-3 खुराक
कॉर्न या गट्टे (Corns)
1. पैर के तलवों के कॉर्न की मुख्य औषधि।
- थूजा 30 या 200
- बाहरी तौर पर थूजा Q लगाएं ।
2. पीले रंग के गट्टों के लिए ।
- फैरम पिक 3X या 6
3. जूते के दबाव पड़ने से पैरों में कॉर्न हो जायें ।
- सल्फर 30 या 200
4. जब गट्टे बहुत ही दर्द करते हों ।
- इग्नेशिया 30 या 200
5. मोटे, कठोर, सूजे हुए गट्टे, एड़ियों में बेहद दर्द और रोगी से चला नहीं जाता ।
- एन्टिमोनियम कूड 30 या 200
6. जब गट्टों को छुआ भी न जा सके, बेहद दर्द हो ।
- रैननक्युलस 30
7. बायोकैमिक औषधि
- साइलिशिया 12X
दवाएं आवश्यकतानुसार दिन में 2-3 बार दी जा सकती हैं ।
कैलोइड्स (KELOIDS)
चोट लगने या ऑपरेशन आदि के निशानों पर, ट्यूमर की तरह के से उभार बन जाते हैं उन्हे कैलोइड्स कहते हैं। कई रोगियों में ये काफी कष्टदायक हो जाते हैं।
1. इलाज शुरु करने के लिए
- पहले दिन – मैडोराइनम 200 की एक खुराक दूसरे दिन से थूजा 200 की एक-एक खुराक 3 दिन तक दें (बाद में आवश्यकतानुसार)
2. कैलोइड्स की बदसूरती के कारण जीने तक का मन न करे, खुदकशी करने के विचार आएँ
- औरम मैट 200 या 1M, 2-3 खुराक
3. जब कैलोइड्स में गहरी दरारें पड़ने लगें : कब्ज़ रहे
- ग्रेफाइट्स 30 या 0/5, (और उच्च), दिन में 3 बार
4. कैलोइड्स को खत्म करने के लिए; रोगी ठंडी प्रकृति का हो
- साइलिशिया 200 या 1M सप्ताह में 1 बार, 5-6 बार दोहराएँ
5. कैलोइडस के सिरे लाल हो जाएँ, खुजली हो; पसीने से बदबू आए, गर्माहट से कष्ट बढ़े
- एसिड फ्लोर 30 या 200, दिन मे 2 बार
6. जल जाने या पुरानी चोट आदि के कारण, कैलोइड्स, खुश्क मौसम में रोग बढ़े
- कॉस्टिकम 30 या 0/3 (और उच्च), दिन में 3 बार
7. कैलोइड्स में दर्द हो, पेशाब बदबूदार हो
- एसिड नाइट्रिक 200 या 1M, 15 दिन में 1 बार, 3-4 बार दोहराएँ
8. ऐसे रोगी जिनके परिवार में टी0बी0 की बीमारी रही हो या जो स्वयं टी0बी0 के मरीज़ रहे हों
- ट्यूबरकुलाइनम कोच 1M, 15 दिन में 1 बार, 2-3 बार दोहराएँ
9. कैलोइड्स को समाप्त करने की अति लाभप्रद औषधि
- थायोसिनेमिनम 3x, दिन में 3 बार
10. बायोकैमिक औषधि
- कैल्केरिया फलौर 12x या 30x, दिन में 3 बार