कैथराइडेस | Cantharides
समस्त अंगों की अतिसूक्ष्मवाहिता । नाक, मुख, आंत्रों, जननेन्द्रियों तथा मूत्रांगों से रक्तस्त्राव ।
दर्द – मांस छिल जाने जैसा, दाहक शरीर के प्रत्येक अंग में जलन, आन्तरिक एवं बाह्य, साथ ही भारी दुबलता । प्रत्येक वस्तु से घृणा; पेय, खाद्य, तम्बाकू । पानी की थोड़ी-सी मात्रा पिये जाने पर भी मूत्राशय के अन्दर दर्द बढ़ जाता है।
मूत्रत्याग की अविराम एवं उत्कट इच्छा किन्तु एक समय में कुछ ही बूँदें निकल पाती हैं, जो रक्तमिश्रित रहती हैं (मूत्रत्याग की आकस्मिक इच्छा तथा मूत्रमार्ग में तीव्र खुजली – पेट्रौसेली) । मूत्रोत्सर्जन (micturition ) से पहले, मूत्रत्याग के दौरान और उसके बाद मूत्र का असह्य आवेग, मूत्राशय के अन्दर प्रचण्ड पीड़ा । मूत्रोत्सर्जन के दौरान मूत्रमार्ग में जलन और काटती हुई पीड़ा; प्रचण्ड कूथन (tenesmus) एवं मूत्रकृच्छ्रता (strangury ) ।
मल – श्वेत अथवा पीला, लाल, गाड़ा श्लेष्मा, आन्तों की खुरचन जैसा, साथ ही रक्तिम धारियां (कार्बो-एनि, काल्चि ) ।
सम्भोग की इच्छा – स्त्री-पुरुष दोनों में बढ़ी हुई; नींद नहीं आती; प्रचण्ड लिंगोद्रक के साथ अत्यधिक पीड़ा (पिक एसिड) । रात को रक्तिम वीर्यपात (लीड, मक्यू, पेट्रोलि) ।
वायु पथों में लेसदार श्लेष्मा (बोबि, काली-बाइ) यदि मूत्र सम्बन्धी लक्षणों का सादृश्य पाया जाय तो केंथरिस से तुलना कीजिये ।
त्वचा – क्षुद्रकोषीय विसर्प ( vesicular erysipelas); सारे शरीर पर फफोले जिनमें दुखन होती है और जिनसे पूयस्राव होता है ।