आर्जेण्टम मेटालिकम | Argentum Metallicum
लम्बे, दुबले-पतले, चिड़चिड़े स्वभाव वाले व्यक्ति, पारद के अपब्यवहार के कारण उत्पन्न रोग ।
हस्तमैथुन किए जाने के फलस्वरूप शारीरिक गठन पर पडने वाले दुष्प्रभाव ।
यह उपास्थियों (cartilages), गुल्फिकास्थियों (tarsals), कर्ण, नाक, कम्बुकर्णी नली (custachian) तथा संधियों के अन्दर प्रविष्ट होने वाले निर्माणक तत्वों को प्रभावित करती है।
वीर्यपात – हस्तमैथुन के बाद, लगभग प्रत्येक रात्रि को; बिना लिंगोद्रेक के; साथ ही लिंग सिकुड़ा हुआ । वृषणों में कुचले जाने जैसा दर्द (रोडो) ।
जरायुभ्रंश (prolapsus ) – साथ ही बायें डिम्बाशय तथा पीठ में दर्द, जो आगे की ओर तथा नीचे की ओर फैलता है (दायां डिम्बाशय पैलेडियम); रजोनिवृत्तिकालीन रक्तस्राव ।
थका देने वाला, बहता हुआ नजला, साथ की छींकें
कण्ठ की कर्कशता – पेशेवर अथवा व्यावसायिक गायकों, लोक-वक्ताओं की (एलूमि, एरम-ट्रिफा) । व्यावसायिक गायकों में पूर्ण स्वरलोप ।
निगरण करते समय अथवा सांसते समय कष्ठ एवं स्वरयंत्र के अन्दर खरखराहट अथवा दुखन होती है । हँसने से खांसी होने लगती है (ड्रासेरा, फास्फो, स्टेन) तथा स्वरयंत्र के अन्दर अत्यधिक श्लेष्मा एकत्र हो जाता है। जोर से पढ़ते समय खखारना पड़ता है; सांसने के साथ सहज ही लेसदार, चिपचिपा श्लेष्मिक बलगम निकलता है, जी उबले हुए माण्ड की तरह दिखाई देता है । वक्ष की भारी दुर्बलता (स्टेन्न); बाई बोर अधिक ।
गायक तथा लोक-वक्ताओं में ध्वनि के उतार-चढ़ाव का पर्यायकम (एरम-ट्रि) ।
श्वासप्रणाल के बिखरे हुए भाग के ऊपर खुरदरे धब्बे; बोलते हुए, बात-चीत करते हुए अथवा गाते समय वृद्धि ।
सम्बन्ध –
- एलूमिना के बाद उत्तम क्रिया करती है ।
- हँसने के कारण प्रकट होने वाली खांसी में स्टेन्नम के सदृश है।
रोगवृद्धि – किसी वाहन की सवारी करते समय (काक्कू); स्पर्श किए जाने या दबाव दिए जाने पर जोर-जोर से बोलने, गाने और पढ़ने पर ।