एपोसाइनम केनाबिनम | Apocynum Cannabinum
स्त्रावों की मात्रा घटी हुई, विशेष रूप से मूत्र एवं पसीने की।
सीरमी कलाओं का शोफ – तरुण, प्रदाहयुक्त, शोफ – साथ ही प्यास (असे-एसिड) पानी नहीं भाता, अथवा उसका वमन हो जाता है (आर्सेनिक), ऐसी अनेक रोगावस्थायें, जिनके साथ आंगिक रोग (organic diseases) उपद्रवशील नहीं रहते; मोहज्वर, आंत्रिक ज्वर, रक्तज्वर, सिरहासिस के बाद; कुनीन के अपव्यवहार के बाद ।
तरुण जलशीर्ष रोग (acute hydrocephalus) के साथ करोटि-सन्धियाँ
खुली हुई; गहन निद्रा, दृष्टिलोप; एक भुजा और एक टांग की अविराम एवं अनैच्छिक गति (बाईं भुजा और बाई टांग – ब्रायो); माथा आगे की ओर फैला हुआ ।
नवयुवतियों में अनार्तव (amenorrhoea) की अवस्था गतिशील रहने के साथ उदर एवं निम्नांगों का फुलाव और शोफयुक्त फैलाव ।
अत्यार्तव (metrorrhagia) : अविच्छिन्न अथवा प्रवेगी स्राव (paroxyamal flow), तरल अथवा थक्केदार; मितली, वमन, हृदय की बढ़ी हुई धड़कन; नाडी हिलाने-डुलाने पर द्रुत, उखडी-उखड़ी; जीवनी-शक्ति मन्द; तकिये से सिर ऊपर उठाते समय मूर्च्छा ।
खांसी – हल्की धौर सूखी अथवा गर्भावस्था के दौरान गहरी और बलगमयुक्त (कोनियम) ।
सम्बन्ध –
- शोफ सम्बन्धी रोगों में असेटिक एसिड, एपिस (प्यासहीन), आर्सेनिक और डिजिटेलिस के समान ।
- सर्वागशोफ में एपिस, एपोसाइनम तथा डिजिटेलिस द्वारा सफलता न मिलने पर ब्लाटा-ओरिएण्टेलिस रोगमुक्तिकारी ओषधि सिद्ध हुई है।