एन्थ्रासीनम | Anthracinum
छिद्रार्बुद (carbuncle), दुर्दम-रूप व्रण (malignant ulcers) एवं व्रणोत्पत्ति होने, मांस के गलने सड़ने तथा असह्य जलन होने के साथ प्रकट होने वाले रोग ।
जब छिद्रार्बुदों एवं दुर्दम-रूप व्रणों की जलन कम करने में आर्सेनिकम अथवा कोई अन्य सुनिर्वाचित औषधि प्रभावहीन पाई जाती है ।
रक्तस्राव – मुख, नाक, मलद्वार अथवा जननांगों से रक्त टपकता रहता है; रक्त काला, गाढ़ा, अलकतरे जैसा, जिसका विघटन द्रुत गति से होता है। (क्रोटेल) ।
रक्तदोषजनित ज्वर, द्रुत गतिक शक्तिक्षय, नाड़ी क्षुद्र, प्रलाप एवं मूर्च्छा (पाइरो) ।
कोषमय व्रण (gangrenous ulcers), अंगुलबेड़ा (felon), छिद्रार्बुद, दुर्दम-रूप विसर्प (malignant erysipelas) |
अंगुगलबेढा; अत्यंत बिगड़ी हुई अवस्था, साथ ही मांस का गलना और सड़ना तथा जलन और पीड़ा (आर्से, कार्बो-एसिड लेके) ।
दुर्दम प्रकार की फुन्सियाँ;काले या नीले छाले अथवा फफोले बहुधा चौबीस या अड़तालीस घण्टे के अन्दर प्राण ले लेते हैं (लेके, पाइरो)।
छिद्रार्बुद; साथ ही भीषण जलन और पीड़ा; तीखा दुर्गन्धित स्त्राव ।
चीर-फाड़ द्वारा किए गए घाव, विशेष रूप से जब उनमें गलने-सड़ने अथवा कोथ होने की प्रवृत्ति पाई जाती है; रक्तदोषजनित ज्वर, अत्यधिक अवसाद (आर्स, पाइरो) ।
कीटदंश की आशंका, जब सूजन रंग बदलती है और घाव से लेकर सम्पूर्ण लसीकाग्रन्थियों तक लाल रेखायें पड़ जाती हैं (लैके, पाइरो) ।
पीव अथवा किसी अन्य विषाक्त पदार्थ के अवशोषण के फलस्वरूप प्रकट होने वाला दूषित प्रदाह, जिसमें जलन के साथ पीड़ा होती है और महावसाद की अवस्था घेर लेती है (आर्स, पाइरो) ।
पालतू पशुओं, घोड़ों और भेड़ों को महामारी के रूप में आक्रान्त करने वाले प्लीहा रोग (spleen diseases) ।
पूति-ज्वर, अथवा शवों को चीर-फाड़ किए जाने वाले कमरे की दुर्गन्ध में श्वास लेने का दुष्परिणाम; दुर्गन्धित श्वास द्वारा उत्पन्न होने वाली विषण्णता (पाइरो)।
हेरिंग कहते है – ” छिद्रार्बुद को शल्य-चिकित्सा द्वारा उपचारित किए जाने वाला रोग कहना सबसे बड़ी मूर्खता है। इसमें नश्तर देना सदैव हानिकारक और बहुधा प्राणघातक सिद्ध होता है। सुनिश्चित चिकित्सा के अन्तर्गत इस रोग से पीड़ित कभी किसी व्यक्ति को मत्यु नहीं हुई, अतः इसकी चिकित्सा मात्र औषधियों के मुखी सेवन द्वारा ही की जानी चाहिए।“
सम्बन्ध – दुर्दम एवं दूषित अवस्थाओं में कार्बो-एसिड, लैकेसिस, सीकेल और पाइरोजीनम के समान ।
तुलनीय – कैंसर, छिद्रार्बुद अथवा विसर्प में होने वाली प्रचण्ड पीड़ा में जब आर्स अथवा एन्या प्रभावहीन पाई जाय तो यूकोबियम से तुलना कीजिए ।