एनाकार्डियम ओरिएण्टेल | Anacardium Orientale
स्मरणशक्ति का आकस्मिक लोप प्रत्येक वस्तु स्वप्नवत् दिखाई देती है; रोगी अपने भुलक्कड़पन से अत्यन्त दुखी रहता है; भ्रमित, व्यवसाय के लिए अयोग्य ।
दुष्टतापूर्ण कार्यों की प्रवृत्ति, लगता है जैसे बुराई करने पर तुला हुआ है । दूसरों को भला-बुरा कहने तथा सौगन्ध खाने की अदम्य इच्छा (लैक-कैनी, लिलिय, नाइ-एसिड ; निरन्तर भगवद्भजन करना चाहता है (स्ट्रामो) ।
न स्वयं पर विश्वास करता है न दूसरों पर । महसूस करता है जैसे उसकी दो इच्छायें हैं, जिनमें से एक उसे किसी कार्य को करने के लिए आदेश देती है जबकि दूसरी उसे ऐसा करने के लिए मना करती है । चलते समय अधीर रहता है, जैसे कोई उसका पीछा कर रहा हो; अपनी चारों ओर पड़ी हुई वस्तुओं को सन्देह की दृष्टि से देखता है । समस्त ज्ञानेन्द्रियों की दुर्बलता ।
रोगभ्रमी (hypochondriac) होने के साथ रक्तार्श (haemorrhoids) एवं मलबद्धता (constipation) ।
अद्भुत स्वभाव, गम्भीर विषयों पर हँसता है और हँसने वाली बातों पर गम्भीर हो जाता है । स्वयं को राक्षसनी समझती है; अनाप-शनाप बकती रहती है और सौगन्ध खाती जाती है।
अनुभूति – जैसे किसी अंग के चारों ओर पट्टी कसी हुई हो (कैक्ट, कार्बो-एसिड, सल्फ); अथवा जैसे किसी कुन्द हथियार से दबाव दिया जा रहा हो; जैसे अभ्यन्तर भागों में कोई डाट लगा हुआ हो ।
सिरदर्द – खाते समय पूर्णतया समाप्त हो जाता है (सोरा); रात को बिस्तर में लेटने पर, और जब नींद आने लगती है; गति या काम करते हुए बढ़ जाता है । शारीरिक श्रम न करने वाले व्यक्तियों को होने वाला पाचनदोषजनित एवं स्नायविक सिरदर्द (आर्जे-नाई, ब्रायो, नक्स) ।
खाते-पीते समय दम घुटने की प्रवृति (कैन-सैटा, कावा-कावा, नाइ-एसिड) । खाने-पीने में शीघ्रता करता है; खाते समय सभी अप्रिय लक्षण लुप्त हो जाते हैं ।
आमाशय – लगता है जैसे उसने उपवास ले रखा हो; उदर में खालीपन की अनुभूति मात्र तभी तक रहती है जब तक पेट खाली रहता है, खाने से यह अनुभूति नष्ट हो जाती है (चेलिडो, आयोड) पाचन क्रिया के दौरान आराम महसूस होता है (ब्रायो और नक्स के विपरीत) । हथेलियों पर मस्से (नेट-म्यूरि ) ।
मलत्याग की उत्कट इच्छा, किन्तु जैसे ही मलोत्सर्जनार्थ बैठता है वैसे ही इच्छा समाप्त हो जाती है अर्थात् मलत्याग होता ही नहीं; मलांग अशक्त और पक्षाघातग्रस्त प्रतीत होती है, साथ ही ऐसा लगता है जैसे मलद्वार पर डाट लगा दिया गया हो (अनियमित निकुंचन अथवा बढी हुई क्रिया – नक्स) ।
सम्बन्ध –
- रस-रे, रस-टाक्सि एवं रस-वेनी से तुलना कीजिये ।
- लक्षणों में दाई ओर से बाई ओर जाने का स्वभाव पाया जाता है।
- लाइको तथा पल्सा के बाद एनाकाडियम की उत्तम क्रिया होती है।
- एनाकाडियम की प्लॅटीना से पहले और बाद में उत्तम क्रिया होती है।