काल्मिया लेटिफोलिया | Kalmia Latifolia

काल्मिया लेटिफोलिया | Kalmia Latifolia

उग्र तंत्रिकाशूल, आमवात एवं गठिया बात के लिये उपयोगी, विशेष रूप से जब आमवात अथवा गठिया के फलस्वरूप हृत्पिण्ड प्रभावित हो जाता है । ऐसे हृदय रोगों में जिनका विकास आमवात के फलस्वरूप होती है अथवा जो आमवात के साथ पर्यायक्रम से गतिशील रहते हैं।

दर्द कष्टदायक, चिलक मारते हुए दबावशील, नीचे की ओर गोली लगने जैसे (कैक्ट; ऊपर की ओर लीडम); इसके साथ ही साथ अथवा इसके बाद प्रभावित भाग की सुन्नता (ऐको, कमो, प्लैटी) ।

दायें नेत्र एवं नेत्रगोलक में उग्र सूचीवेधी पीड़ा (बायां नेत्र – स्पाइजी); मांस-पेशियों में अकड़न, नेत्रों को घुमाते समय दर्द बढ़ता है (स्पाइजी) सूर्योदय के समय आरम्भ होता है, दोपहर के समय बढ़ता है और सूर्यास्त होते ही बन्द हो जाता है (नेट्र-म्यूरि) ।

आमवात – दर्द तीखा, अचानक स्थान बदल देता है, एक सन्धि से दूसरी सन्धि पर चला जाता है; सन्धि गर्म, लाल, सूजी हुई; अल्पतम गति करने से वृद्धि ।

झुकने या नीचे की ओर देखने पर भ्रमि अर्थात् चक्कर (स्पाइजी) ।

नाड़ी मन्द, जिसका ज्ञान कठिनाई से हो पाता है ( 35 या 40 प्रति मिनट) पीला चेहरा और ठण्डे हाथ-पैर ।

सम्बन्ध –

  • आमवाती रोगों एवं गठिया बात में लोडम, रोडो एवं स्पाइजी के समान ।
  • हृदय रोगों में स्पाइली के बाद इसकी उत्तम क्रिया होती है।

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