पेशाब, गुर्दे की बिमारियों का होम्योपैथिक इलाज

पेशाब, गुर्दे की बिमारियों का होम्योपैथिक इलाज

मूत्राशय प्रदाह (Cystitis)

सर्दी लगना, डर जाना, सीलन भरे स्थान में अधिक समय रहना,

पथरी, सूजाक, मूत्र नली का सिकुड़ना, चोट, आदि के कारण, मूत्राशय प्रवेश में दर्द, सर्दी से चुभन मालूम होना, अकड़न या भार महसूस होना, कंपकंपी होना। खांसने पर कष्ट से पेशाब निकलना, मूत्र में रक्त या श्लेष्मा होना, आदि लक्षण होते हैं। रोग पुराना होने पर पीब जैसा गाढ़ा श्लेष्मा के साथ ज़्यादा पेशाब; दर्द कमर तक फैल जाता है। मूत्र गृन्थि प्रदाह में दर्द नीचे की ओर बढ़ता है।

1. जब पेशाब बूंद-बूंद कर दर्द के साथ आए, जलन हो, कभी खून आये, और मूत्र नली में लोहे की गर्म सलाख डालने जैसा दर्द हो ।

  • कैंथेरिस 30, दिन में 3 बार

2. सूजन के कारण पेशाब की एक बूंद तक भी अत्यन्त पीड़ा के साथ निकले । पेशाब काला, लाल या भूरा और सड़ांध वाला हो, बेहद बेचैनी हो।

  • टैरेन्टुला हिस्पैनिया 30, दिन में 3 बार

3. जब रोगी पेशाब जाते समय दर्द के मारे चीख़ उठे, दर्द जांघ से नीचे की ओर फैले ।

  • पैरिआरा ब्रावाQ, या 6, आवश्यकतानुसार

4. जब दर्द के साथ रक्त मिला गर्म पेशाब आये, ज़ोर लगाने के बाद कुछ बूंद ही निकलें ।

  • एपिस मैलिफिका 30, दिन में 3 बार

5. जब पेशाब में खून व एल्बुमिन आदि आयें, तथा जलन व कटने जैसा दर्द हो ।

  • टैरेबिंथ Q, 10-1५ बूंद, आवश्यकतानुसार

6. नवविवाहित स्त्रियों को जब कष्ट संभोग के बाद हो।

  • स्टेफिसगेरिया 30, में 3 बार

7. जब दर्द के मारे रोगी कांपने लगे ।

  • पल्साटिला 30, दिन में 3 बार

8. जब बीमारी सूज़ाक (syphilis) के कारण हो ।

  • कैनेबिस सैटाइवा 30 दिन में 3 बार

9. रोग की पुरानी अवस्था में जब पेशाब रात के समय बार बार हो और पेशाब के साथ गाढ़ा, डोरी की तरह का, श्लेष्मा निकले, दर्द न हो ।

  • चिमाफिला 30, दिन में 3 बार

अनजाने में पेशाब निकल जाना (Involuntary Urination)

यह रोग अक्सर बच्चों में होता है। मूत्राशय की पेशियों की कमजोरी की वजह से पेशाब रोकने की शक्ति कम हो जाती है। बड़े लोगों में यह रोग सूजाक, चोट, गुर्दे में पथरी, पेट में कीड़े की वजह से और स्त्रियों में प्रसव के दौरान हो सकता है।

1. बच्चों में जब पेट में कीड़ों की वजह से हो ।

  • सिना 30, दिन में 3 बार

2. जब पेशाब में घोड़े के पेशाब जैसी बदबू हो ।

  • एसिड नाइट्रिक 30 दिन में 3 बार

3. जब नींद में ऐसा महसूस हो कि रोगी पेशाब-घर में ही पेशाब कर रहा है।

  • क्रियोजोट 30, दिन में 3 बार

4. जब पेशाब सिर्फ दिन में ही ज़्यादा हो ।

  • साइलिशिया 30, दिन में 3 बार

5. मूत्र-तंत्र की शिथिलता के कारण मूल रोग ।

  • कॉस्टिकम 30, दिन में 3 बार

6. रोग पुराना हो जाने पर ।

  • सल्फर 200 एक खुराक

7. बूढ़ों को यह रोग होने पर ।

  • कोनियम 30, दिन में 3 बार

8. नम्र स्वभाव के रोगियों को; जब हर समय ध्यान पेशाब में ही लगा रहता है।

  • पल्साटिला 30, दिन में 3 बार

9. स्त्रियों में लगातार पेशाब हो, लगे कि योनिपथ से गर्भाशय ही बाहर निकल जाएगा।

  • पोडोफाइलम 30, दिन में 3 बार

गुर्दे में या मूत्र पथरी (Renal Calculus )

शारीरिक क्रियाओं में गड़बड़ी होकर चूर्ण की तरह का पदार्थ गुर्दे या मूत्राशय में इक्टठा होने लगता हैं। इसे ही मूत्र-पथरी कहते हैं। जब यह खिसक कर मूत्र नली में आ जाता है तो रोगी असहनीय दर्द अनुभव करता है ।

लक्षण : पेशाब में रूकावट, बार-बार पेशाब होना, कभी-कभी पेशाब के साथ खून आना, असहनीय दर्द, जलन, आदि ।

1. गुर्दे में असहनीय दर्द, खास कर जब दर्द बाईं तरफ हो और मूत्र द्वार तक फैले; बार-बार पेशाब की इच्छा (दर्द दाई ओर भी हो सकता है) ।

  • बर्बेरिस वल्गरस Q, ५-10 बूंद, हर 1५ मिनट के अंतर से या आवश्यकतानुसार

2. पुराने रोग में; पेशाब गाढ़े लाल रंग का, पेट में वायु की अधिकता, दर्द दाई तरफ, पेशाब धीरे-धीरे आए, जोर लगाना पड़े, कभी-कभी पेशाब में रूकावट हो ।

  • लाइकोपोडियम 30, सुबह, शाम दें

3. मूत्र-पथरी के दर्द में इतनी तकलीफ हो कि रोगी दर्द के कारण लेटने लगे, बूंद-बूंद पेशाब आए।

  • पैरिअरा ब्रावा 30 दिन में 3 बार

4. पेशाब में बहुत तेज जलन व दर्द; पेशाब गाढ़ा व खून मिला । धुंधला, कालापन लिए हुए ।

  • टैरेबिन्थ Q, ५-५ बूंद, दिन में 3 बार

5. पेशाब में सफेद चूर्ण, खास कर बाईं तरफ दर्द।

  • हाइड्रेन्जिया Q, ५-10 बूंद, दिन में 3 बार

6. पेशाब के अंत में असहनीय दर्द; खड़े होकर पेशाब करने से पेशाब आसानी से हो जाए। गर्म खाने पीने से तकलीफ बढ़े पर गर्म सेक से आराम हो ।

  • सरसापरिला Q या 6, दिन में 3 बार

7. गुर्दे व मूत्राशय में सूजन; तेज कटने-फटने जैसा दर्द, पेशाब मुश्किल से हो, पेशाब की जगह बूंद- बूंद करके खून आए ।

  • कैन्थेरिस 30 दिन में 3 बार

8. बायोकैमिक औषधि

  • मैग्नेशिया फॉस 6x हर 2 घंटे बाद

साफ, स्वच्छ पानी खूब मात्रा में पीना चाहिए। शराब, मांस, मछली छोड़ देनी चाहिए। पत्ते वाली सब्जियां, टमाटर व जमीन के अन्दर पैदा होने वाली चीजे न खायें।

पेशाब में रुकावट (Strangury)

यह दूसरे मूत्रतंत्र रोगों का एक उपसर्ग भर है। मूत्र की थैली में पेशाब रहता है पर निकलता नहीं या बहुत कष्ट से निकलता है । मूत्र प्रदेश में बहुत जलन होती है । पथरी गठिया, कृमि, हिस्टीरिया, वात, मूत्रग्रंथि प्रदाह, मूत्राशय प्रदाह, आदि कारणों से यह रोग हो सकता है । रोग की बढ़ी हुई अवस्था में मूत्र के साथ पीब व श्लेष्मा निकलता है ।

1. जब ठंड या किसी अन्य कारण से अचानक पेशाब रूक जाए ।

  • कैम्फर Q सुघायें

2. ठंडी, सूखी हवा लगने के कारण पेशाब रुक जाए।

  • एकोनाइट 30 हर आधे घंटे के अंतर से

3. पेशाब में घोड़े के पेशाब जैसी बदबू होने पर ।

  • एसिड नाइट्रिक 30 दिन में 3 बार

4. पेशाब में अत्यधिक बदबू होने पर ।

  • एसिड बेन्ज 30 दिन में 3 बार

5. चोट लगने के कारण रोग ।

  • आर्निका 30 या 200, दें 2 या 3 खुराक

6. पेशाब की नली में जलन, पेशाब बूंद-बूंद कर आए ।

  • कैंथेरिस 30 दिन में 3 बार

7. पुराने सूजाक के कारण पेशाब की रुकावट ।

  • कैनेबिस सैटाइवा 30 या 200 की 2-3 खुराक

8. पेशाब थोड़ा-थोड़ा, बहुत बदबूदार; साथ में रक्त हो । पेट में अफारा ।

  • टैरेबिंध Q या 6 दिन में 3 बार

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