कोलिन्सोनिया केनाडेन्सिस | Colinsonia Canadensis
वस्ति एवं यकृत की रक्तसंचयी अवस्था के फलस्वरूप कष्टार्तव (dysmenorrhoea) एवं रक्तार्श (haemorrhoids) । वस्तिगह्वर की रक्तसंकुलता के साथ रक्तार्थ प्रमुख रूप से गर्भावस्था के अन्तिम मासों में हृदयरोगपरक शोफ ।
हृदय की धड़कन उन रोगियों में जो बवासीर और अजीर्ण से पीड़ित रहते हृदय की क्रिया निरन्तर द्रत, किन्तु दुर्बल । हृदय की सामान्य अवस्था के बाद बवासीर की पुरानी अवस्था पुनः प्रकट हो जाती है अथवा दबा हुआ ऋतुस्राव पुन: लौट आता है।
जीर्ण, कष्टदायक, रक्तसावी बवासीर; लगता है जैसे मलांग के अन्दर छोटी-छोटी लकड़ियां, रेत अथवा पत्थर के टुकड़े ठूस दिए गये हों (एस्कु) । अशंमूलक रक्तातिसार के साथ कूथन ।
मलबद्धता एवं अतिसार का पर्यायक्रम निचली आंतों की रक्तसंबधी निष्क्रियता मल मन्द गति से निकलने वाला और कठोर होने के साथ पीड़ा एवं अतिवयुफुल्लता मलबद्धता गर्भावस्था में योनि की खुजली के साथ रक्तार्थ लेटने में असमर्थ ।
सम्बन्ध –
- हृदय रोग में रक्तार्श की उपद्रवकारी अवस्था गतिशील रहने पर जब कैक्ट, डिजिटै एवं अन्य औषधियां असफल रहें तो कोलिन्सोनिया का ध्यान कीजिए ।
- कोलो एवं नक्स असफल पाई जाने पर यह उदरशूल से मुक्त करने में सफलता प्राप्त कर चुकी है।
- एस्कु, एलो, कमो, नक्स एवं सल्फ से तुलना कीजिए ।
रोगवृद्धि – हल्के से मनोद्वेग अथवा हल्की-सी उत्तेजना से लक्षणवृद्धि हो जाती है (आर्जे – नाइ ) ।