काफिया क्रूडा | Coffea Cruda
लम्बे-तड़गे, दुबले-पतले झुक कर चलने वाले, सांवली मुखाकृति वाले, रक्तपित्त प्रकृति के लोग । अतिसम्वेदनशीलता; जैसे दृष्टि, श्रवणशक्ति, घ्राणशक्ति, स्वाद, स्पर्श, आदि समस्त ज्ञानेन्द्रियों की तीव्रता (बेला, कमो, ओपि) । मन एवं शरीर की अस्वाभाविक क्रिया । विचारों से ओत-प्रोत प्रत्येक कार्य शीघ्रतापूर्वक करना चाहता है, फलस्वरूप नींद नहीं आती ।
ऐसी रोगावस्थायें, जिनकी उत्पत्ति आकस्मिक मनोवेगों अथवा आश्चर्य- चकित कर देने वाली उल्लासमयी अवस्थाओं के दुष्परिणामों के फलस्वरूप होती है (कास्टि, उत्तजनाशील अथवा बुरे समाचार के कारण जेल्सी); आनन्दातिरेक से रुदन; हँसना और रोने का पर्यायंक्रम |
तीव्र पीड़ा महसूस होती है; लगभग असह्य लगती है जो रोगी को हताश कर देती है (ऐकोना, कमो); मानसिक बेचैनी के कारण करवटें बदलता रहता है।
निद्राविहीन, पूर्ण जागरण की अवस्था अखें बन्द करना असम्भव मनोउल्लास द्वारा दैहिक उत्तेजना (जरायुभ्रंश एवं जरायु क्षोभण से होने वाली तथा रजोनिवृत्ति-कालीन अनिद्रा के लिए (सेनेशियो से तुलना कीजिए) ।
सिरदर्द – अत्यधिक मानसिक परिश्रम करने, सोचने और बातचीत करने से; एक-पार्श्वी, लगता है जैसे मस्तिष्क के अन्दर नाखुन गाड़ा जा रहा हो (इग्ने, नक्स); जैसे मस्तिष्क फट गया हो अथवा चूर-चूर हो गया हो; खुली हवा में वृद्धि । खाने-पीने में जल्दबाजी करता है (बेला, हीपर) ।
दन्तशूल – सविरामी, क्षेपमय, मुख के अन्दर ठण्डा पानी रखने से आराम आता है, किन्तु जैसे ही पानी गर्म होता है वैसे ही दर्द पुनः लौट आता है। (बिस्म, ब्रायो, पल्सा, कास्टि, सीपि, नेट्र-सल्फ्यू) ।
सम्बन्ध –
- ऐकोना, कमो, सीपि तथा नेट्र-सल्फ्यू से तुलना कीजिए ।
- केन्थ, कास्टि, काक्कू एवं इग्ने से प्रतिकूल सम्बन्ध ।
रोगवृद्धि – आकस्मिक मनोद्वेग, अत्यधिक हर्ष, ठण्डक, खुली हवा और नशीली औषधियों से ।