ब्रोमियम | Bromium
यह औषधि बहुधा उन व्यक्तियों में सर्वोत्तम किया करती है जिनके हल्के नीले नेत्र होते हैं लम्बे केश रहते हैं, जिनकी हल्की भौहें रहती है; गोरी कोमल त्वचा रहती है; जिनके सुन्दर लाल कपोल रहते हैं; कण्ठमालाग्रस्त लड़कियाँ ।
मुखमण्डल पर मकड़ी का जाला लगने जैसी अनुभूति (बैरा-कार्बो, बोरे, ग्रैफा) । नासा-पक्षकों की पंखे जैसी फड़फड़ाहट (एण्टि-टार्ट, लाइको) ।
“समुद्र के किनारे” नाविक (sailors) दमा से पीड़ित रहते हैं।
ग्रन्थियों, विशेष रूप से अधोहनु (lower jaw) एवं कण्ठ की ग्रन्थियों की पत्थर जैसी, कठोर, कण्ठमालापरक अथवा यक्ष्मामूलक सूजन ।
रोहिणी (diphtheria) – जब झिल्ली का निर्माण ग्रसनी के अन्दर होता है; यह श्वासनली, कण्ठनाल अथवा स्वरयंत्र से आरम्भ होती हैं तथा ऊपर की ओर फैलती है; वक्ष-पीड़ा ऊपर की ओर दौड़ती है । कलामय (membranous) एवं रोहिणीमूलक क्रुप; खाँसते समय श्लेमा खड़खड़ाता है, लेकिन श्वासरोध नहीं होता (जैसा कि हीपर में होता है; खाँसने की ध्वनि ढीली रहती है, किन्तु बलगम नहीं निकलता – एण्टि-टार्ट)।
काली खाँसी के दौरान क्रूपवत लक्षणों (croupy symptoms) के साथ कण्ठ की कर्कशता; श्वास लेने के लिये छटपटाता है ।
श्वासकष्ट – गहरा श्वास नहीं ले सकता; जैसे किसी स्पंज के अन्दर से श्वास ले रहा हो अथवा जैसे वायु-वीथियां धुयें या गन्धक की भाप से परिपूर्ण हों खड़खड़ाहट, आरा चलने जैसी ध्वनि; स्वर अस्पष्ट स्वरयंत्र के अन्दर श्लेष्मा होने के फलस्वरूप दम घुटने का भय (श्वासनलियों के अन्दर एण्टि टार्ट)।
बढ़ते हुए लड़कों में अधिक व्यायाम करने के फलस्वरूप हृदय की अति- वृद्धि (युवतियों में शक्ति एवं लावण्यवृद्धि के लिये किये जाने वाले व्यायाम से – कास्टि) ।
वायुगर्भाशयता (physometra); योनि से तीव्र ध्वनि करती हुई वायु निकलती है (लाइको); कलापरक कष्टार्तव (लैक-कैनी) ।
श्वास लेते समय स्वरयंत्र के अन्दर शीत की अनुभूति (रस टाक्सि, सल्फ) हजामत करने के बाद आराम (हजामत करने के बाद वृद्धि – कार्बो-एनि) ।
सम्बन्ध –
- क्रुप एवं क्रुप सम्बन्धी रोगों में क्लोर, हीपर, आयोड, स्पांजि से तुलना कीजिये
- आयोडम की असफलता के बाद इसने कठिन गलगण्ड से रोगमुक्त किया है ।
- क्रुप में आयोड, फास्फो, हीपर, स्पांजि की असफलता के बाद ब्रोमियम रोगमुक्तिकारक सिद्ध हुई है, विशेष रूप से जब आयोड के बाद रोग की पुनरावृत्ति होती रही ।
“ब्रोमियम एवं आयोडम में प्रमुख अन्तर यह है कि पहली औधषि नीले नेत्र वाले व्यक्तियों को रोगमुक्त करती है जबकि दूसरी औषधि काले नेत्र वाले व्यक्तियों में उत्तम किया करती है।” हेरिंग ।