एमीलेनम नाइट्रोसम | Amylenum Nitrosum
स्नायविक, असहिष्णु तथा रक्तबहुल स्त्रियों के लिये रजोनिवृत्ति के दौरान अथवा उसके बाद ।
असाध्य रोगों में बहुचा रोगोपशमनकारी; मृत्यु-यंत्रणा दूर करने वाली एक अत्यन्त महत्वपूर्ण औषधि ।
धमनियों का बहुत तेजी से विस्फार करती है और उन्हें गति देती है, किन्तु नाड़ी को कमजोर करती है तथा उसकी गति को मन्द बना देती है। मुखमंडल तथा मस्तक में रक्त की अत्यधिक मात्रा बढ़ जाती है (बेलाडोना, ग्लोनाइन ) ।
ताजी हवा चाहता है; वस्त्र खोल देता है. ठण्डे से ठण्डे मौसम में भी ओढ़ना हटा देता है और खिड़कियाँ खोल देता है (आर्जे नाइ, लैकेसिस, सल्फर)। गर्मी की तमतमाहट मुखमंडल, आमाशय तथा शरीर के विभिन्न भागों से आरम्भ होती है, इसके बाद बहुधा गर्म और बहुत ज्यादा पसीना होता है; एकाएक, किन्तु सीमित निम्नांग बरफ की तरह ठण्डे रहते हैं; उत्तरावस्था में भारी अवसन्नता घेर लेती है ।
थोड़ा सा भावोद्रेक होने पर भी चेहरा तमतमा जाता है (कोका, फेरम) । गालों की लाली – नयी या पुरानी समुद्री रुग्णता ।
अर्धकपाली का दर्द, विशेषकर जब रोगाक्रान्त भाग नीला रहता है । कमीज का कालर बुरी तरह कसा हुआ मालूम पड़ता है, बाध्य होकर उसे ढीला कर देना पड़ता है (लैकेसिस) ।
ह्र्द्यशूल – हृत्पिण्ड की क्रिया कांम्पती हुई हपिण्ड तथा मन्या धमनियों में तीव्र स्पन्दन (ग्लोना) ।
लगातार घण्टों तक अंगड़ाई लेता रहता है, इस इच्छा की पूर्ति असम्भव हो जाती है; पलंग पकड़ लेता है और अपने हाथ-पैर फैलाने में सहायता देने के लिए अन्य व्यक्तियों को पुकारता है । गहरी और निरन्तर जम्हायी आती है (काली-कार्यो) ।
प्रसव के तुरन्त बाद सूतिकाक्षेप ।
सम्बन्ध – बैलाडोना, कैक्टस, कोका, फेरम, ग्लोनाइन और लैकेसिस के समान है।
रोगवृद्धि – मानसिक और शारीरिक परिश्रम करने पर ।
सूंघने पर तुरन्त प्रभाव करती है। बेहोश करने वाली दवा से मृतवत् व्यक्तियों को तुरन्त सजीव कर देती है । मूल औषधि विशेष रूप से रोगशामक है, यदि रोगी को इस औषधि के उपयोग की आदत पड़ जाये तो इसे बार-बार दोहराना चाहिए; यह प्रबलीकृत उच्च शक्तियों में आरोग्यकारी है ।
रोग का निराकरण प्रायः औषधि की शक्ति पर निर्भर करता है। जिन लोगों ने इसकी आरोग्यसाधकता की जांच नहीं की है उनकी अपेक्षा इसकी आरोग्य-साधकता प्रयुक्त शक्ति पर अधिक निर्भर करती है ।