एम्ब्रा ग्रेसिया | Ambra Grisea

एम्ब्रा ग्रेसिया | Ambra Grisea

बच्चों, खासकर उन छोटी लड़कियों लिए विशेष हितकर है, जो उत्तेजनाशील, स्नायविक और दुर्बल हों; वृधों के स्नायु रोग, सारा स्नायुजाल जीर्ण जर्जर हो जाता है ।

दुबले-पतले, कृशकाय व्यक्ति, जिन्हें सहज ही सर्दी लग जाती है।

बहुत बढ़ी हुईं उदासी, कई-कई दिनों तक बैठा-बैठा रोया करता है । व्यावसायिक झंझटों के बाद सो नहीं सकता, उठकर बैठ जाना पड़ता है(एक्टिया सीपिया)।

जिह्वार्बुद (ranula) के साथ दुर्गन्धित श्वास (थूजा) ।

उदर के अन्दर शीत की अनुभूति (कल्केरिया)। मलत्याग करते समय दूसरों का रहना यहाँ तक कि धात्री की उपस्थिति भी असह्य होती है; मलत्याग की निरन्तर किन्तु निष्फल इच्छा, जो उसे अधीर बना देती है।

थोड़ी-सी भी विशेष घटना होने पर, जैसे दूर तक चलने पर, प्रत्येक बार कठोर पाखाना होने के बाद, ऋतुस्राव की मध्यावधि के अन्दर, रक्तस्राव होता रहता है।

श्वेतप्रदर – स्राव गाढ़ा, नीलापन लिए श्वेत श्लेष्मा, जो प्रमुखतया अथवा केवल रात को ही होता है (कास्टिकम, मक्यूरियस, नाइट्रिक एसिड) ।

उग्र खाँसी के आक्षेपपूर्ण दौरों के साथ डकारें और स्वरभंग; खाँसी, जोर से पढ़ने या बातचीत करने पर और भी बढ़ जाती है (ड्रासेरा, फास्फोरस); खांसी संन्ध्या के समय सूखी रहती है लेकिन प्रातःकाल – बलगम निकलता है (हायोसायमस) काली खांसी, परन्तु उसमें श्वास लेते समय कुरकुराहट नहीं होती।

सम्बन्ध : एक्टिया, एसाफीटिडा, कोका, इग्नेशिया, झौस्कस, फास्फोरस, वैलेरियाना के सदृश है।

रोगवृद्धि – गरम पेय पदार्थों से, गरम कमरे में, संगीत से, लेटे रहने पर, जोर से पढ़ने या बोलने पर बहुत से लोगों की उपस्थिति पर, जगाने के बाद ।

रोगह्रास – भोजन के बाद, शीतल वायु में, ठण्डे खाद्य एवं पेय पदार्थों से, बिस्तरे से उठने पर ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top