एथूजा सिनेपियम | AETHUSA CYNAPIUM
गर्मी की ऋतु में, बच्चों के दांत निकलते रहने पर विशेष रूप से उपयोगी; बच्चे जो दूध नहीं पचा सकते ।
बहुत कमजोरी; बच्चा खड़ा नहीं हो सकता; सिर ऊंचा उठा कर नहीं रख सकता (एग्रोटेनम) अवसाद के साथ तन्द्रा।
बच्चों में जड़ता; सोच-विचार की शक्ति का अभाव भ्रमित ।
चेहरे पर अत्यधिक अधीरता और पीड़ा झलकने के साथ एक खिची हुई स्थिति और नाक नुकीली ।
मुख-मडल को देखने से ही पीड़ा और घबराहट मालूम होती है ।
नासिकान्त पर भैंसिया दाद जैसा उद्भेद ।
प्यास बिल्कुल नहीं होती (एपिस, पल्साटिल्ला; आर्सेनिक के विपरीत)
दूध बर्दाश्त नहीं होता; किसी भी रूप में दूध का पाचन नहीं कर सकता; पीने के साथ ही दही जैसे छेछड़े के रूप में उसका वमन हो जाता है। इसके बाद कमजोरी आती है जिससे तन्द्रा की स्थिति पैदा हो जाती है। (मेग्नशिया कार्बो से तुलना कीजिये)
दांत निकलते बच्चों को अपच की बीमारी; फेनिस, दुग्ध-धवल प्रचण्ड, आकस्मिक वमन; अथवा पीले द्रव्य का वमन होने के बाद दही के छेछड़ों की तरह दूध और पनीर की तरह के पदार्थ का वमन होता है।
भोजन करने के प्रायः एक घण्टे बाद खाये हुए पदार्थ उगल देता है; वमित पदार्थ अत्यधिक ज्यादा मात्रा में और हल्का-सा हरापन लिये रहता है।
मृगी अथवा अपस्मारक अकड़न के साथ मुट्ठी के अन्दर भिचा हुआ अंगूठा चेहरा लाल आखें नीचे की ओर घूमी हुई; पुतलियाँ स्थिर और प्रसारित, मुँह से झाग निकलता है, जबड़े आपस में भिच जाते हैं; नाड़ी क्षुद्र, कठिन और तीव्र रहती है ।
दुर्बलता और अवसाद के साथ तन्द्रा, विशेषकर वमन के बाद, पाखाना होने के बाद और अकड़न के बाद।
सम्बन्ध : एण्टिम कूड, आर्सेनिक, सैनीक्यूला के सदृश ।
रोगवृद्धि : खाने-पीने के बाद, वमन के बाद, पाखाना होने के बाद और अकड़न के बाद।