एब्रोटनम | Abrotanum
पर्यायक्रम से मलबद्धता एवं अतिसार - जैसे एक बार कब्ज और दूसरी बार पतला दस्त; अजीर्णातिसार (indigestion diarrhea)।
बच्चों का शोष अर्थात् सुखण्डी रोग; शरीर में बहुत दुबलापन रहता खासकर पैर बहुत पतले पड़ जाते हैं (आयोड, सैनीक्यू टूबर); त्वचा (skin) ढीली पड़ जाती है और तहों में झूलती रहती है (गर्दन का कमजोर और ढीला पड़ना – नेट-म्यूरि, सैनीक्यू)।
शोष की बीमारी (wasting disease) में सिर कमजोर रहता है; रोगी अपना सिर उठाकर नहीं रख सकता (एथूजा )। केवल निम्नांगों का शोष अर्थात् पैर अधिक कमजोर ।
राक्षसी भूख; समुचित खाना खाते हुए भी शरीर सूखता चला जाता है (आयोड, नेट्र म्यूरि सैनीक्यू टूबर) ।
ऐंठन अथवा उदरशूल के बाद अंगों में दर्द भरी सिकुड़न।
आमवात (rheumatism) - सूजन आरम्भ होने से पहले अत्यधिक पीड़ा के लिए; अतिसार या स्रावों को रोक देने के कारण होने वाला आमवात; बवासीर या रक्तातिसार के बाद अदल-बदल कर होने वाला आमवात ।
गठिया - जोड़ों की अकड़न तथा सूजन के साथ लगता है जैसे सुइयां चुभ रही हों, कलाइयों तथा गुल्फसन्धियों (ankle joints) में पीड़ा और प्रदाह (inflammation) । सारे शरीर में खंजता (itching) और दुखन।
फटी हुई बिवाइयों में खुजली होती है (एगारिक)।
बहुत बढ़ी हुई कमजोरी और अवसन्नता (depression) एवं बच्चों में एक तरह का प्रलेपकज्वर (hectic fever); खड़ा नहीं हो पाता ।
बच्चा दुष्ट प्रकृति का, चिड़चिड़ा, जिद्दी और हताश उत्तेजित, अमानवीय, क्रूरतापूर्ण कार्यों में रुचि लेता है। चेहरा बूढ़ों की तरह पीला और झुर्रियों से भरपूर (ओपि)।
सम्बन्ध :
- फुंसियों आदि में हीपर के बाद,
- फुफ्फुसावरणशोथ (pleurisy) में एकोनाइट और ब्रायोनिया के पश्चात् जब रोग ग्रस्त पार्श्व में दबाव अधिक बढ़ जाता है और श्वास लेने तथा छोड़ने में बाधा पड़ती है ।